भारत में वर्षा का वितरण और दक्षिण-पश्चिमी मानसून

भारत में वर्षा का वितरण और दक्षिण-पश्चिमी मानसून

मध्य जून (आषाढ़) से मौसम एकाएक बदलने लगता है. आकाश बादलों से घिरने लगता है और दक्षिण-पश्चिमी पवन चलने लगते हैं. ये पवन “दक्षिण-पश्चिमी मानसून” के नाम से प्रसिद्ध हैं क्योंकि मूलतः ये दक्षिण-पश्चिम से शुरू होते हैं. इस मानसून के आते ही तापक्रम में काफी गिरावट आ जाती है, अर्थात् तापक्रम घटने लगता है. मगर वायु में नामी बढ़ जाती है जिससे असह्य ऊमस का अनुभव होता है और बेचैनी असह्य हो उठती है. उस समय यहाँ की हालत विषुवत-रेखीय प्रदेश जैसी हो जाती है. चलिए इस पोस्ट के जरिये जानते हैं भारत में वर्षा का वितरण (rainfall distribution) किस प्रकार होता है और दक्षिण-पश्चिमी मानसून भारत के वर्षा में किस प्रकार योगदान देते हैं.

दक्षिणी-पश्चिमी मानसून

मध्य जून से पहली जुलाई तक सारा भारत दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के प्रभाव में आ जाता है. चूँकि उत्तर-पश्चिमी भारत में वायु-भार सबसे कम रहता है, अतः समुद्र की ओर से वाष्प-भरे पवन तेजी से उस ओर चल पड़ते हैं. बिजली की कड़क और चमक के साथ भारी वर्षा होती है.

geography notes in hindi
geography notes in hindi

दक्षिण-पश्चिमी मानसून को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. अरब सागर का मानसून
  2. बंगाल की खाड़ी का मानसून

इस विभाजन का कारण भारतीय प्रायद्वीप की प्रकृति है.

अरब सागर का मानसून

अरब सागर का मानसून पहले चलता है और अधिक शक्तिशाली होता है, पर पश्चिमी घाट पार करने में उसकी शक्ति घट जाती है. उसका अधिकतर बादल वहीं बरस जाता है. नर्मदा के द्वार से होकर कुछ पवन देश के भीतरी भागों में प्रवेश करते हैं और छोटानागपुर में बंगाल की खाड़ी से आनेवाले पवनों से मिल जाते हैं.

बंगाल की खाड़ी का मानसून

बंगाल की खाड़ी का मानसून अरब सागर वाले की अपेक्षा कुछ देर से आता है, पर उससे देश के अधिकतर भाग में वर्षा होती है. पहले वह अराकान तट पर पहुँचता है और तब असम की पहाड़ियों से होकर गुजरता है. हिमालत की स्थिति से इस मानसून को उत्तरी भारत में दक्षिण-पूर्वी बनना पड़ता है. फिर इसे उत्तर-पश्चिम में स्थित निम्नभार के क्षेत्र तक पहुँचना होता है, अतः पश्चिम दिशा की ओर इस मानसून का मुड़ना स्वाभाविक है. इस मानसून से वर्षा पश्चिम की ओर क्रमशः घटती जाती है.

वितरण

SOURCE: जल मौसम विज्ञान प्रभाग, RAINFALL DISTRIBUTION IN INDIA DURING MONSOON
SOURCE: जल मौसम विज्ञान प्रभाग, RAINFALL DISTRIBUTION IN INDIA DURING MONSOON

भारत में औसत वर्षा (average rainfall) लगभग 300650 millimeters (11.8–25.6 in) होती है पर इसके वितरण में (मात्रा और काल) स्थिति और प्राकृतिक बनावट का प्रभाव स्पष्ट रूप से पड़ता है.

पहाड़ी भागों में और वायु के रुख (windward side) पर वर्षा अधिक होती है. भारत की कुल वर्ष का अधिकांश प्रतिशत (80%) जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर में (आसाढ़ से आश्विन तक) होता है. यही भारत का वर्षाकाल या वर्षा-ऋतु है.

अक्टूबर के महिने को भी वर्षाकाल के अंतर्गत रखा जाता है. यह ऐसा महिना है जिसमें न तो वर्षा बिल्कुल समाप्त होती है और न जाड़ा ही प्रारंभ होता है.

विशेषताएँ

  1. अधिकतर वर्षा जून से सितम्बर तक होती है और वर्ष का 2/3 भाग शुष्क रहता है. तमिलनाडु में गर्मी के अलावा जाड़े में अच्छी वर्षा होती है.
  2. अधिकतर वर्षा मानसून पवनों से होती है.
  3. वर्षा का वितरण सर्वत्र एक-सा नहीं है. जैसे भारत के ही चेरापूंजी में वार्षिक वर्षा 425″ है तो बीकानेर में मात्र 11″.
  4. वर्षा मूसलधार होती है. चक्रवाती वर्षा (cyclonic rainfall) नाममात्र की होती है.
  5. वर्षा के समय से मात्र में अनिश्चितता आ सकती है अर्थात् कभी किसी स्थान में देर से या समय से पहले वर्षा शुरू या ख़त्म हो सकती और कभी वर्षा आवश्यकता से अधिक या कम हो सकती है. इसी से भारतीय कृषि का मानसून के साथ जुआ खेलना कहा गया है.

वर्षा विभाग

वर्षा के आधार पर भारत को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. निश्चित वर्षा के प्रदेश, जिसके अंतर्गत बंगाल, असम और पश्चिमी तट (मालावार और कोंकण तट) लिए जा सकते हैं.
  2. अनिश्चित वर्षा के प्रदेश, जिसके अंतर्गत बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, मैसूर, आंध्रपदेश और तमिलनाडु हैं.

वर्षा की मात्रा के आधार पर भारत के चार भाग

  1. घनी वृष्टि के क्षेत्र (जहाँ 80″ से अधिक वर्षा होती है)- इसके अंतर्गत पश्चिमी तट, असं और पूर्वी हिमालय की दक्षिणी ढाल आयेंगे.
  2. साधारण वृष्टि के क्षेत्र (जहाँ 40″ से 80″ तक वर्षा होती है) – इस क्षेत्र में पश्चिमी घाट की पूर्वी ढाल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश का पूर्वी भाग (कारोमंडल तट, प.बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश का पूर्वी भाग सम्मिलित किए जायेंगे.
  3. अल्पवृष्टि के क्षेत्र (जहाँ 20″ से 40″ तक वर्षा होती है) तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के अधिकांश भाग, मैसूर, महाराष्ट्र का पूर्वी भाग, गुजरात, राजस्थान का पूर्वी भाग और पश्चिमी पंजाब के अधिक भाग इसके अंतर्गत आते हैं.
  4. वृष्टिहीन क्षेत्र (जहाँ 20″ से भी कम वृष्टि होती है) – इसमें राजस्थान का पश्चिमी भाग और पंजाब का दक्षिणी भाग मुख्य रूप से आते हैं.
सुबह 7 बजे से पहले ये 7 कार्य अवश्य करें | नवीन जिलों का गठन (राजस्थान) | Formation Of New Districts Rajasthan राजस्थान में स्त्री के आभूषण (women’s jewelery in rajasthan) Best Places to visit in Rajasthan (राजस्थान में घूमने के लिए बेहतरीन जगह) हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगह {places to visit in himachal pradesh} उत्तराखंड में घूमने की जगह (places to visit in uttarakhand) भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग की सूची Human heart (मनुष्य हृदय) लीवर खराब होने के लक्षण (symptoms of liver damage) दौड़ने के लिए कुछ टिप्स विश्व का सबसे छोटा महासागर हिंदी नोट्स राजस्थान के राज्यपालों की सूची Biology MCQ in Hindi जीव विज्ञान नोट्स हिंदी में कक्षा 12 वीं कक्षा 12 जीव विज्ञान वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिंदी में अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण Class 12 Chemistry MCQ in Hindi Biology MCQ in Hindi जीव विज्ञान नोट्स हिंदी में कक्षा 12 वीं भारत देश के बारे में सामान्य जानकारी राजस्थान की खारे पानी की झील राजस्थान का एकीकरण