ताजमहल पर निबंध

ताजमहल पर निबंध

भूमिका : ताजमहल के बारे में सभी ने थोडा बहुत सुना होता है। जो लोग ताजमहल को एक बार देख लेते हैं उन्हें एक बार फिर ताजमहल को देखने की इच्छा होती है। इस पूरी दुनिया में सात अजूबे हैं जिनमें से एक ताजमहल भी है। आगरा का ताजमहल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। उत्तर प्रदेश का तीसरा बड़ा जिला आगरा ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।

ताजमहल पर निबंध
ताजमहल पर निबंध

आगरा मुगलों का सबसे पसंदीदा शहर था इसी वजह से उन्होंने दिल्ली से पहले आगरा को अपनी राजधानी बनाया था। इतिहास के अनुसार आगरा शहर को सन् 1504 में इब्राहीम लोदी ने बसाया था। जिस समय इस शहर की स्थापना की गई थी उस समय किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि यह शहर पूरे संसार में अपनी खूबसूरती के लिए परचम लहराएगा।

ताजमहल का इतिहास : मुमताज महल जी परसिया देश की राजकुमारी थीं। मुमताज महल ने एक सिपाही से शादी की थी जो शाहजहाँ की सेना में भर्ती था। शाहजहाँ मुमताज महल से बहुत प्यार करते थे इसलिए उन्होंने उनके पहले पति की हत्या करवा दी थी। बाद में मुमताज महल ने मुगल शासक शाहजहाँ से निकाह किया था।

मुमताज महल शाहजहाँ की सबसे प्रिय बेगम थीं। मुमताज महल ने सन् 1631 में 37 वर्ष की उम्र में अपनी 14 वीं सन्तान गौहरा बेगम को जन्म देते वक्त अपना दम तोडा था। ताजमहल का निर्माण एक असीम प्रेम की निशानी के रूप में करवाया गया था। ताजमहल का निर्माण मुगल शासक शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद करवाया था।

ताजमहल को मुमताज का मकबरा के नाम से भी जाना जाता है। सन् 1631 के बाद ही शाहजहाँ ने आधिकारिक रूप से ताजमहल के निर्माण कार्य की घोषणा की थी और 1632 में ताजमहल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। ताजमहल के निर्माण में बहुत समय लगा था। इसके सभी पहलुओं के साथ इसका निर्माण कार्य 1653 तक पूरा किया जा चुका था।

ताजमहल का निर्माण 320 लाख रूपए की लागात में हुआ था। ताजमहल का निर्माण करने के लिए 20000 कारीगरों ने मुगल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी के अधीन कार्य किया था। ताजमहल को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। ताजमहल विश्व धरोहर के रूप में पूरे विश्व के अतिउत्तम मानवीय कृतियों में से एक कहा गया है।

इस विश्व धरोहर कृति के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण होने के बाद शाहजहाँ ने अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि शाहजहाँ यह नहीं चाहते थे कि ऐसी कोई भी दूसरी स्मारक बने। ऐसा भी माना जाता है कि शाहजहाँ काले रंग का ताजमहल भी बनवाना चाहता था लेकिन इससे पहले औरंगजेब ने उसे कैद कर लिया था। शाहजहाँ के बेटे ने उन्हें कैद कर लिया था शाहजहाँ वहीं से ताजमहल को निहारते रहते थे।

ताजमहल की संरचना तथा प्रारूप : ताजमहल की संरचना परसिया तथा प्राचीन मुगल कला पर आधारित है। ताजमहल की निर्माण कला का आधार परसिया राजवंश की कला तथा बहुत से मुगल भवन गुर-ए-आमिर , हुमायूँ का मकबरा , इतमादूद-दौलाह का मकबरा और शाहजहाँ की दिल्ली की जामा मस्जिद जैसे भवन हैं।

मुगल शासन काल के दौरान लगभग सभी भवनों के निर्माण में लाल पत्थरों का प्रयोग किया जाता था लेकिन ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने सफेद संगमरमर को चुना था। इन सफेद संगमरमर पर कई प्रकार की नक्काशी तथा हीरे जड़ कर ताजमहल की दीवारों को सजाया गया था। ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना किनारे निर्मित है। ताजमहल को सफेद संगमरमर से बना गया था। ताजमहल को बनाने के लिए 28 प्रकार के पत्थरों का भी प्रयोग किया गया था।

ताजमहल के विभिन्न हिस्से : ताजमहल के निर्माण में सबसे मुख्य मुमताज महल का मकबरा है। इसके मुख्य कक्ष में शाहजहाँ और मुमताज महल की नकली कब्र मौजूद हैं। इन कब्रों को बहुत ही अच्छे ढंग से सजाया गया है। शाहजहाँ और मुमताज की असली कब्र सबसे निचले तल पर स्थित है। मुमताज महल के मकबरे को बड़े-बड़े सफेद संगमरमर से बनाया गया है।

इस मकबरे के ऊपर बहुत बड़ा गुंबद है जो इसकी शोभा को बढ़ाता है। मुमताज महल का मकबरा लगभग 41 एकड़ में फैला हुआ है। यह मकबरा चारों ओर से बगीचे से घिरा हुआ है। इसके तीन ओर से दीवार बनाई गई है। इस मकबरे की नींव वर्गाकार है और वर्गाकार के प्रत्येक किनारे 55 मीटर के हैं। मकबरे की चार मीनार इमारत की चौखट बनती हुई दिखाई देती हैं।

मुमताज महल के मकबरे के शिखर पर सफेद संगमरमर के गुंबद मौजूद है। यह गुंबद उल्टे कलश के जैसा शोभित है। गुंबद पर किरीट कलश स्थित है। यह कलश फारसी तथा हिन्दू वस्तु कला का मुख्य तत्व है। गुंबद को सहारा देने के लिए इसके चारों ओर गुंबद के आकार की छतरियां बनाई गई हैं। इनके आधार से मुमताज महल के मकबरे पर रौशनी पडती है।

1800 ई. में ताजमहल के गुंबद पर सोने का कलश बना हुआ था लेकिन अब इसे कांसे के द्वारा बनाया गया है। इस कलश के उपर चन्द्रमा की आकृति बनी हुई है जिसकी ऊपरी आकृति स्वर्ग की ओर इशारा करती है। चन्द्रमा की आकृति और कलश की नोक मिल कर त्रिशूल का आकार बनाते हैं यह त्रिशूल हिन्दू मान्यता के भगवान शिव के चिन्ह को दर्शाता है।

ताजमहल के चारों कोनों पर 40 मीटर ऊँची मीनारें हैं। इन चारों मीनारों का निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि ये चारों मीनार हल्की सी बाहर की ओर झुकी हुई हैं। इन मीनारों के बाहर की तरफ झुकाव का यह तर्क निकाला गया कि इमारत के गिरने की स्थिति में ये मीनारें बाहर की ओर गिरेंगी जिससे मुख्य ताजमहल की इमारत को कोई हानि नहीं पहुंचेगी।

उपसंहार : ताजमहल के सौन्दर्य का वर्णन शब्दों में करना बहुत ही कठिन है। ताजमहल पूरे विश्व के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है। ताजमहल हर साल लगभग सात-आठ लाख पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ताजमहल भारत सरकार का पर्यटन से होने वाली आय का मुख्य स्त्रोत है। ताजमहल को देखने के लिए विश्व के बहुत से देशो से लोग आते हैं। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम कम से कम प्रदुषण करें जिससे दुनिया के सात अजूबों में सम्मिलित इस अजूबे को बचाया जा सके। सरकार को भी इसकी सुरक्षा के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिएं।

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