परीक्षा से डरें नहीं, बल्कि इसे उत्सव के रूप में ले विद्यार्थी

CBSE और स्टेट बोड्स के एग्जाम का काउंटडाइन शुरू होते ही विद्यार्थियों के अंदर इसका खौफ बढ गया है। ऐसे में जो छात्र पूरे साल नियमित पढ़ाई करते रहे हैं उनकी राह आसान होगी। …
नई दिल्ली, जेएनएन। परीक्षा ज्यादातर विद्यार्थियों के लिए किसी भूत की तरह होती है। इस सीजन में तो इसका खौफ और बढ़ जाता है,पर जो छात्र पूरे साल नियमित पढ़ाई करते हुए इसका आनंद उठाते हैं,उनके लिए परीक्षा भी एक पर्व सरीखी हो जाती है।किस तरह एक उत्सव के रूप में लिया जा सकता है,बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव…

इमरान हाशमी की फिल्म ‘व्हाइ चीट इंडिया’ ऐसे समय में आई है, जब सीबीएसई और स्टेट बोड्स के एग्जाम का काउंटडाइन शुरू हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया पर नकल यानी चीटिंग को लेकर ऐसी तमाम शर्मसार करने वाली तस्वीरें वायरल हुई थीं,जो हिंदीभाषी राज्यों में एग्जाम के दौरान बड़े पैमाने पर देखने को मिलती हैं। उक्त फिल्म प्रॉक्सी स्टूडेंट्स पर आधारित है,जो पैसे लेकर असली परीक्षार्थी के बदले एग्जाम देते हैं।

बोर्ड परीक्षाओं सहित जेईई,नीट,एसएससी,बैंक,रेलवे आदि की परीक्षाओं में भी अक्सर ऐसे नकली/फर्जी अभ्यर्थियों की धर-पकड़ और खुलासे की खबरें आती रहती हैं। दरअसल,यह उन कथित माता-पिता और परीक्षार्थियों की सच्चाई है,जो पैसे से डिग्री और नौकरियां खरीदना चाहते हैं। हालांकि इनकी वजह से मेहनत करने वाले तमाम प्रतिभाशाली छात्रों का अधिकार भी मारा जाता है।

नकल का नासूर
महानगरों और बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए, तो आज भी छोटे शहरों,कस्बों, गांवों के स्कूलों में होने वाली परीक्षाओंमें नकल करने पर गर्व महसूस किया जाता है। यही कारण है कि वायरल तस्वीरों में नकल करने-कराने के नये-नये तरीकों के जौहर दिखते रहते हैं। कोई दीवारों-खिड़कियों के सहारे तीसरी मंजिल तक पहुंच कर नकल में सहयोग करता है, तो आयोजकों-पुलिसकर्मियों की मदद से कोई अपनी कॉपी ही बाहर भिजवाकर लिखवाता है। यहां तक कि कुछ केंद्रों पर तो मोटा पैसा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए अलग से व्यवस्था तक कर दी जाती है।

परिणाम की परवाह नहीं
नकल करने और कराने वाले लोगों को इस बात की परवाह नहीं होती कि आगे चलकर इसका परिणाम क्या होगा? उन्हें तो इसमें तात्कालिक फायदा नजर आता है और लगता है कि नकल के जरिए वे अपने कैंडिडेट को ज्यादा से ज्यादा नंबर दिलवा सकते हैं। यहां तक कि टॉप भी करा सकते हैं। पर नकल से पास हुए बच्चे आगे जब करियर की दौड़ में शामिल होते हैं, तो नॉलेज न होने के कारण अक्सर उन्हें हर जगह रिजेक्ट होना पड़ता है। तब उन्हें इस बात का एहसास होता है कि स्कूली दिनों में जिस नकल को वे अपनी ताकत समझते थे, वही उनकी तरक्की की राह का रोड़ा बन गया है। फिर उनकी यह कसक जीवनभर बनी रहती है। हां, यह जरूर होता है कि ऐसे भुक्तभोगी लोग आने वाली पीढ़ी को जरूर किसी भी नकल से दूर रहने और अपने टैलेंट पर भरोसा करने की सलाह देते हैं।

टैलेंट की पहचान
इस बारे में मेरा और मेरे जैसे कई अन्य लोगों का अनुभव यही कहता है कि जब हमने नकल की, तो बेशक पास हो गए पर नंबर बहुत ज्यादा नहीं आए, वहीं पढ़ाई से होने वाले नॉलेज से भी वंचित रह जाना पड़ा।लेकिन जब-जब हमने अच्छी तरह पढ़कर और समझकर पढ़ाई की, हमारे नंबर भी अधिक आए और हमारा ज्ञान भी बढ़ा। सबसे बड़ी बात यह है कि कभी न भूलने वाला यह नॉलेज हमेशा के लिए हमारे साथ होता है। यही हमारी पहचान है, जो हमें हमेशा कॉन्फिडेंट बनाए रखता है। आज जबकि हर जगह प्रतिभा की ही पूछ है,किसी भी तरह की नकल से दूर रहते हुए खुद परविश्वास रखना चाहिए। हम जो भी और जितना भी पढ़ सकें, उसी पर भरोसा करते हुए परीक्षा देनी चाहिए। इससे आप आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हुए अपनी पहचान बना सकेंगे।

अंक नहीं आगे बढ़ने का पैमाना
आप सभी ने इस बात पर भी जरूर गौर किया होगा कि तमाम अधिकतम अंक पाने वाले लोग भी करियर की रेस में फिसड्डी साबित हो जाते हैं, वहीं स्कूली जीवन या शुरुआती पढ़ाई में बैकबेंचर या पीछे रहने वाले लोग आगे चलकर अपने करियर में तेज रेस लगाते हुए सभी को पीछे छोड़ जाते हैं और अपनी अलग पहचान बनाते हैं। इस संदर्भ में आप लगातार चलने वाले कछुए की कहानी को भी याद कर सकते हैं, जिसने तेज दौड़ने वाले खरगोश तक को पछाड़ दिया था।

लें पढ़ाई का लुत्फ
बेशक आपका मन हर सब्जेक्ट की पढ़ाई में नहीं लगता होगा, लेकिन आपका मन जिस विषय में लगता हो, उसे ही ठीक से पढ़ें। परीक्षा या अंकों को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि अपनी उत्सुकता को शांत करने और नॉलेज हासिल करने के लिए। आप जिज्ञासा के साथ कोई विषय सीखेंगे-जानेंगे,तो उसमें आपकी गहरी पैठ भी बनेगी। इसका परिणाम यह होगा कि आप स्वाभाविक रूप से परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए अंक भी अच्छे हासिल कर सकेंगे।

प्रेरित करें पैरेंट्स
अपने बच्चों को नकल से बचाने-दूर रखने और स्वाभाविक रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने की सबसे पहली जिम्मेदारी माता-पिता की है। उन्हें बचपन से ही अपने बच्चों को किसी भी तरह की नकल से दूर रखने और उनकी रुचि के क्षेत्र में उन्हें प्रोत्साहित करने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। ऐसा करके वे बच्चे के टैलेंट को सही दिशा में आगे बढ़ा सकेंगे। इसका फायदा उन्हें न सिर्फ स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में दिखाई देगा, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं और अपनी पसंद के करियर में आगे बढ़ने में भी दिखाई देगा।

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