जीवविज्ञान में बीजाणु (spore) लैंगिक व अलैंगिक प्रजनन की एक संरचना है
जिसे कोई जीव या जीव जाति स्वयं को फैलाने (प्रकीर्णन करने) या विषम परिस्थितियों में दीर्घकाल तक जीवित रहने के लिये बनाती है।
बीजाणु बहुत से पौधों, शैवाल (ऐल्गी), कवक (फ़ंगस) और प्रोटोज़ोआ के जीवनचक्र का महत्वपूर्ण भाग होता है।
बैक्टीरिया (जीवाणु) के भी बीजाणु बनते हैं, जो अंतर्बीजाणु (endospore) कहलाते हैं,
जो किसी प्रजनन चक्र का भाग नहीं होते, बल्कि कठिन परिस्थितिओं में बैक्टीरिया को जीवित रखने के लिए बना एक निष्क्रय सिकुड़ा ढांचा होता है।
कुछ परजीवी अन्य जीवों के शरीरों में अलग-अलग प्रकार से बीजाणु डाल देते हैं,
जो उन जीवों के भीतर विकसित होते हैं।
गुरुबीजाणुमातृ कोशिका से गुरुबीजाणु के निर्माण की प्रक्रिया को गुरुबीजाणुजनन कहते है।
पुष्प के बनने के समय अंडाशय में पाये जाने वाले बीजाण्ड में केवल एक ही द्विगुणित (Diploid) कोशिका पायी जाती है, जिसे गुरुबीजाणुमातृ कोशिका (Megaspore Mother Cell) कहते है।
गुरुबीजाणुमातृ कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन से चार गुरुबीजाणु (megaspore) का निर्माण होता है।
ये चारों गुरुबीजाणु रैखिक क्रम (Linear order) में विन्यासित होकर गुरुबीजाणु चतुष्क (megaspore tetrad) बनाते है। जो बीजांडकाय से ढके रहते है।
गुरुबीजाणु चतुष्क की तीन कोशिकाएँ नष्ट हो जाती है।
निभाग की ओर स्थित केवल एक गुरुबीजाणु कोशिका ही भूर्णकोष का निर्माण करती है। जिसे एकबीजाणुज विकास कहते है।
गुरुबीजाणु की एक कोशिका में वृद्धि तथा विभाजन होता है। जिससे 2 ,4 , 8 केन्द्रकों का निर्माण होता है।
आठ केन्द्रकों में से तीन केन्द्रक बीजांडद्वार की जाते है। तथा दो सहाय कोशिकाओं (synergids call) व एक अंडकोशिका (Egg cell) का निर्माण करते है।
दोनों सहायक कोशिका (synergids call) व एक अंडकोशिका (Egg cell) मिलकर अण्डसम्मुचय या अण्ड उपकरण (Egg Apparatus) बनाते है।
3 केन्द्रक निभाग (Chalaza) की ओर जाकर प्रतिव्यसांत (Antipodal cell) कोशिका का निर्माण करते है।
शेष 2 केन्द्रक ध्रुवीय केन्द्रक (Polar nucleus) कहलाते है। जो मध्य में ही रहते है।
ये दोनों ध्रुवीय केन्द्रक संयुक्त होकर द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक (Secondary nucleus) का निर्माण करते है,
जिसे संलीन केन्द्रक (Definitive nucleus) भी कहते है।
भूर्णकोष (Embryo sac)
यह पादप का मादा युग्मकोदभिद (female gametophyte)है। जिस प्रकार परागकण नर युग्म्कोद्भिद होता है।
सभी पादपों एक बीजांड में केवल भूर्णकोष होता है। एक भूर्णकोष में 8 केन्द्रक व 7 कोशिकाएँ होती है।
भूर्णकोष में निम्न कोशिकाएँ होती हैं-
- अंड कोशिका (egg cell)
- सहाय कोशिका (synergids call)
- प्रतिव्यसांत कोशिका (Antipodal cell)
- केन्द्रिक कोशिका (Central cell)
अंड कोशिका (egg cell)
इसकी संख्याँ एक है। अंड कोशिका निषेचन के समय नर युग्मक (Male gamete) के साथ जुडकर द्विगुणित भूर्ण (Embryo) का निर्माण करती है।
सहायक कोशिका (synergids call)
भूर्णकोष में दो सहायक कोशिकाएँ (synergids call) होती है
जो बीजांडकाय से पोषक पदार्थ का अवशोषण करती तथा परागनलिका को बीजाण्ड की ओर आकर्षित करने वाले रसायनों का स्त्राव करती है।
सहायक कोशिकाएँ (synergids call) तथा अंड कोशिका (egg cell) मिलकर अंड उपकरण बनाते है।
प्रतिव्यसांत कोशिका (Antipodal cell)
भूर्णकोष निभाग (Chalaza) की ओर की तीन कोशिकाएँ प्रतिव्यासंत कोशिकाएँ (Antipodal) होती है।
निषेचन के बाद ये नष्ट हो जाती है।
केन्द्रिक कोशिका (Central cell)
भूर्णकोष के मध्य में दो ध्रुवीय केन्द्रक होते है। जो एक नर युग्मक से निषेचित होकर त्रिगुणित भूर्णपोष (Endosperm) का निर्माण करते है।
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