प्रतिरक्षा तंत्र के अंग
प्रतिरक्षा तंत्र शरीर के भीतर रोगजनकों (Pathogen) और ट्यूमर कोशिकाओं (Tumor Cells) को पहचानने और मारने का कार्य करता है। प्रतिरक्षा तंत्र वायरस से परजीवी कृमी (Worm) तक के सभी जीवों की पहचान करता है, और उनको नष्ट करता हैं।
मानव के प्रतिरक्षा तंत्र में कई प्रकार के प्रोटीन (इम्युनोग्लोबुलिन), कोशिकाएं, अंग और ऊतक शामिल हैं, जो शरीर के भीतर एक विस्तृत जाल का निर्माण करते हैं।
मानव के प्रतिरक्षा तंत्र में लसिकाभ अंग (Lymphoid Organ), ऊतक कोशिकाओं और एंटीबॉडी जैसे घुलनशील अणु शामिल होते हैं।
लसिकाभ अंग:-
Lymphoid Organ उन अंगों को कहा जाता है, जहां लसिकाणुओं (Lymphocytes) का परिपक्वन और प्रचुरोद्भवन (Proliferation) होता है।
लिम्फोइड अंग के दो प्रकार होते हैं –
- प्राथमिक लसिकाभ अंग (Primary Lymphoid Organ)
- द्वितीयक लसिकाभ अंग (Secondary Lymphoid Organ)
प्राथमिक लसिकाभ अंग:-
इन अंगों में टी लसिकाणु ( T-Lymphocyte) और बी लसिकाणु (B-Lymphocyte) परिपक्व (Mature) होते हैं और एंटीजन विशिष्ट ग्राही (Antigen Specific Receptors) प्राप्त करते हैं। पक्षियों के थाइमस और बर्सा फैब्रिकस प्राथमिक लसिकाभ अंग (Primary Lymphoid Organ) हैं।
स्तनधारियों का अस्थि मज्जा पक्षियों के बर्सा फैब्रिकस के समान माना जाता है।
(A) अस्थि मज्जा:-
यह मुख्य लसिकाभ अंग (Lymphoid Organ) है जहां लसिकाणु (Lymphocyte) सहित सभी रक्त कोशिकाएं बनती हैं।
अस्थि मज्जा बी लसिकाणु (B-Lymphocyte) के परिपक्वन लिए स्थल है यह शरीर की दीर्घ अस्थियो में पाया जाता है||
यह दो प्रकार का होता है:-
- लाल अस्थि मज्जा
- पीला अस्थि मज्जा
(B) थाइमस:-
यह टी लसिकाणु (T-Lymphocyte) के परिपक्वन लिए स्थल है यह हृदय के ऊपरी सिरे की ओर वक्ष गुहा में स्टर्नम के नीचे स्थित होती है|
द्वितीयक लसिकाभ अंग:-
इसे पेरिफेरल लिम्फोइड अंग या परिधीय लसिकाभ अंग भी कहते है परिपक्वता के बाद बी लसिकाणु (B-Lymphocyte) और टी लसिकाणु (T-Lymphocyte) रक्त संवहनी तंत्र (Blood Vascular System) और लसीका तंत्र के माध्यम से द्वितीयक लसिकाभ अंगों में स्थानांतरित होते हैं जहां पर बी लसिकाणु (B-Lymphocyte) और टी लसिकाणु (T-Lymphocyte) का प्रचुरोद्भवन और विभेदन (Differenciation) होता हैं।
लसिकाणु (Lymphocyte) इन अंगों में रहकर रोगाणुओं को फांसकर उनको मारने का कार्य करते हैं।
लसिका ग्रन्थियाँ (लिम्फोनेड्स), प्लीहा, टॉन्सिल, छोटी आंत के पेयर पैच, लसिकाभ उत्तक (MALT) आदि द्वितीयक लसिकाभ अंग (Lymphoid Organ) हैं।
(A) प्लीहा:-
यह सेम के आकार का अंग है। जिसमें लसिकाणु (Lymphocyte) और भक्षकाणु प्रचुर मात्रा में पाए जाते है यह रोगजनकों को फँसाकर रक्त को फिल्टर करता है।
मृत RBC प्लीहा में जाकर रक्त से पृथक हो जाती है इसलिए का आरबीसी का कब्रिस्तान भी कहते है|
(B) लसिका ग्रन्थियाँ:-
ये छोटी ठोस संरचनाएं है जो शरीर के विभिन्न भागों में लसीका तंत्र के रूप में होती हैं।
इनका कार्य लसीका और ऊतक द्रव में प्रवेश करने वाले सूक्ष्मजीवो या प्रतिजन को फाँसकर उनको नष्ट करवाना हैं।
(C) श्लेष्म संबंध लसिकाभ ऊतक:-
यह श्वसन मार्ग, पाचन मार्ग, मूत्रजनन मार्ग जैसे शरीर के मुख्य मार्ग के अस्तर में स्थित होते है।
MALT मानव शरीर में लगभग 50% लसिकाभ ऊतक का गठन करता है।
(D) टॉन्सिल:-
ये बड़े अनावृत लसिकाभ ऊतक के पिंड हैं, जो जीभ के आधार पर ग्रसनी की भित्ति में स्थित होते है।
(E) पेयर पैच:-
ये छोटे आंत के ग्रहणी (ileum) में पाए जाने वाले लसिकाभ ऊतक के पिंड होते हैं जिनमें टी लसिकाणु (Lymphocyte) पाये जाते है|
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Biology Notes In Hindi
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