Article 44- Uniform Civil Code क्या है? क्यों चर्चा में है? In Hindi
यूनिफोर्म सिविल कोड समाचार में क्यों है? Why is Uniform Civil Code in news?
संविधान में Article 44 में क्या उल्लिखित है?—What is written in Article 44 of the constitution?
आखिर है क्या Uniform Civil Code/समान नागरिक संहिता? What is Uniform Civil Code?
1. Marriage विवाह
2. Succession संपत्ति-विरासत का उत्तराधिकार
3. Adoption दत्तक ग्रहण
समान नागरिक संहिता के विषय में चर्चा कब शुरू हुई? When did the discourse on Uniform/Common Civil Code start?
1. पुनर्विवाह वर्जित था (Hindu Widow Remarriage Act of 1856 द्वारा ख़त्म किया गया)
2. बाल-विवाह का अनुमान्य था, शादी की कोई उम्र-सीमा नहीं थी
3. पुरुष के लिए बहुपत्नीत्व हिन्दू समाज में स्वीकार्य था
4. स्त्री (जिसमें बेटी या पत्नी दोनों शामिल थे) को उत्तराधिकार से वंचित रखा जाता था
5. स्त्री के लिए दत्तक पुत्र रखना वर्जित था
6. विवाहित स्त्री को सम्पत्ति का अधिकार नहीं था (Married Women’s Property Act of 1923 द्वारा उसे ख़त्म किया गया)
1. पुनर्विवाह की अनुमति थी
2. उत्तराधिकार में स्त्री का कुछ हिस्सा था
3. तीन बार तलाक बोलने मात्र से अपने जीवन से पुरुष स्त्री को हमेशा के लिए अलग कर सकता था.
हिंदू कोड बिल क्या था? What was Hindu Code Bill?
अन्य लोग हिन्दू कोड लाने के लिए बढ़-चढ़ के प्रयास कर रहे नेहरु का इस मामले में निजी स्वार्थ भी देख रहे थे. नेहरु का कोई बेटा नहीं था. नेहरु की सिर्फ एक बेटी थी- इंदिरा. नेहरु चाहते थे उनकी सारे धन-दौलत, प्रॉपर्टी, किताबों की रोयल्टी से मिलने वाले पैसे आदि तमाम चीजों का उत्तराधिकार इंदिरा गाँधी को मिले. इसीलिए वह हिन्दू कोड बिल को लाने के लिए प्रयासरत थे.
सुप्रीम कोर्ट में शाह बानो केस Case of Shaah Bano in Supreme Court
मुस्लिम सामान नागरिक संहिता के खिलाफ क्यों हैं? Why are Muslims against Uniform Civil Code?
क्या मुस्लिमों का यह विरोध उचित है? Is the objection of Muslims justified?
१. एक ही नागरिक संहिता होने से विभिन्न सम्प्रदायों के बीच एकता की भावना पैदा होती है
२. इससे राष्ट्र्भावना भी पनपती है.
३. एक ही विषय में अलग-अलग कानूनों की भरमार होने से न्यायतंत्र को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
४. शरीयत की जिद कोई ऐसी जिद नहीं है जिसपर सभी देशों के मुसलमान अड़े हुए हैं. कई देश, जैसे:- टर्की, ट्युनीशिया, मोजाम्बिक आदि मुस्लिम देशों ने ऐसे नागरिक कानून बनाए हैं जो शरीयत के अनुसार नहीं है.
५. समय के अनुसार विभिन्न धर्मों के अनुयायियों ने अपनी-अपनी नागरिक संहिताओं में परिवर्तन किये हैं. उदाहरण के लिए हिन्दू नागरिक संहिता, जो कि जैनों, बौद्धों, सिखों आदि पर भी लागू होती है, पूर्ण रूप से हिन्दू धार्मिक परम्पराओं के अनुरूप नहीं है. इसमें हमेशा बदलाव किये जाते रहे हैं.
क्या समान नागरिक संहिता केवल मुस्लिम नागरिक कानून में बदलाव लाएगी? Will the Uniform Civil Code warrant changes in Muslim Civil Law only?