Chapter 4 मानव विकास

 मानव विकास

इस अध्याय में हम प्राथमिक क्रियाओं के बारे में पढ़ने वाले हैं
1- कृषि
2- पशुपालन
3- भोजन संग्रहण
4- खनन (खुदाई )|

आर्थिक क्रिया

मनुष्य की वह सभी क्रियाएं जिनसे मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है
आर्थिक क्रिया कहलाती है

1- प्राथमिक क्रिया
2- द्वितीयक क्रिया
3- तृतीयक क्रिया
4- चतुर्थक क्रिया

भोजन संग्रह विश्व के किन दो भागों में याद आता है

1) उच्च अक्षांश के क्षेत्र
उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरोपिया एवं’ द- चिली
2) निम्न अक्षांश के क्षेत्र
अमेजन बेसिन, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया दक्षिण पूर्वी एशिया

आधुनिक समय में भोजन संग्रह के कार्य या व्यापारीमरण हो गया !” स्पट करे ?

लोग कीमती पौधो की पत्तियाँ, छाल, औषधीय पौधो को बेचते हैं।
पौध के विभिन्न भागों का उपयोग करते हैं।

चलवासी पशुचारण 

1- यह एक प्राचीन जीवन निर्वाह
पशुचारण है।
2- इसमें पशुचारक अपने अपने पशुओं
को लेकर चारे की खोज में एक
स्थान से दुसरे स्थान पर घूमते है |
3- इसमें पशुओं की विशेष देखभाल नहीं
की जाती।
4- इसमें पशुओं को प्रकृतिक रूप से
उगने वाली घास पर निर्भर रहना
पड़ता है।
5- इसमें एक साथ बहुत सारे पशुओं को
पाला जाता है।

वाणिज्यिक पशुधन पालन :

1- यह एक व्यवस्थित पशुपालन है |
2-  यह एक पूँजी प्रधान पशुपालन है |
3- इसमें केवल किसी एक विशेष प्रकार के पशु को
पाला जाता है।
4- इसमें पशुओं को एक फार्म में बाइ लगाकर पाला
जाता है।
5- इसमें पशुओं की विशेष देखभाल की जाती है एवं
उन्हें वैज्ञानिक पद्दति से पाला जाता है |
6-  इसमें प्रमुख पशु : भेड़, बकरी, गाय है

आदिकालीन निर्वाह कृषि

1- इसमें भूमि के क्षेते टुकड़ों पर आदिम वृधि औजारों जैसे – लकड़ी के हल,
और युदाई पारने वाली छड़ी से खेती की जाती है |
2- यह येती परिवार की मदद से की जाती है |
3- इस फसल से येवल परिवारों की जरुरतो को पूरा किया जत हैं।
4- विासान जमीन के लुकड़े को साफ करके अपर जपने परिवार के भरण पोषण
के लिए अनाज उठाता है।
5- जब मृदा की उर्वरता कम हो जाती है तो किसान उस भूमि को फोड़
देते हैं, फिर येती के लिए इसरी भूमि तैयार करते है।
6- इस प्रकार की कृषि से मृदा की उर्वरता बढ़ती हैं |
7- इसमें किसान उपरकों का प्रयोग नहीं करते इसलिए इस कृषि में उत्पादन कम होता
[ अन्य नाम ]उत्तरपूर्व भारत में : झूमिंग, मध्य अमेरिका में मिल्पा, मलेशिया में लादांग

चावल प्रधान कृषि

1-  इसमें चावल प्रमुख फसल होती है |
2- इसमें खेतों का आकार छोटा होता है |
3- इस प्रकार की कृषि में खेती कार्य में किसान और उसका
पूरा परिवार कार्य करता है |
4- इस प्रकार की कृषि में यंत्रों की आवश्यकता कम पडती है
एवं मानव श्रम की आवश्यकता अधिक होती है |
5- इस प्रकार की कृषि में उर्वरता बनाये रखने के लिए पशुओं
के गोबर की खाद एवं हरी खाद का उपयोग किया जाता है |
6- इस कृषि में प्रति इकाई उत्पादन ज्यादा होता है और प्रति
मजदूर उत्पादन कम होता है |

रोपण कृषि

रोपण कृषि लाग्न के लिए बड़े आकार क्षेत्र में की जाती है
अधिक पंपी, उच्च प्रबंध, तकनीक, वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग ।
[ रोपण कृषि की फसलें ]
चाय, कॉफी, कोको, कपास, गन्ना आदि
[  रोपण कृषि की विशेषताएँ ]
→ वृस्तृत क्षेत्र ।
→ अधिक पूंजी की आवश्यकता ।
→सस्ते अमिक की आवश्यकता ।
→एक असली कृषि ।
→ज्ञानिक विधियों का प्रयोग ।

यह कृषि यूरोपीय लोगों ने शुरू की थी |
ब्राज़ील में अभी भी कॉफ़ी के कुछ बागान हैं जिन्हें
फेजेंडा कहा जाता है |

विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि

1- इसकी प्रमुख फसल गेहूं हैं |
2- इसके अलावा मक्का, जौ, राई, जई भी हैं |
3- इसमें खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है |
4- इसमें खेत जोतने से लेकर फसल के काटने तक सभी
कार्य यंत्रों द्वारा किये जाते है |
5- इसमें प्रति मजदूर उत्पादन ज्यादा होता है |
इस प्रकार की कृषि यूरेशिया के स्टेपी, उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी, अर्जेंटीना के
पम्पाज, दक्षिण अफ्रीका के वेल्ड्स और ऑस्ट्रेलिया के डाउन्स में की जाती है

मिश्रित कृषि

इस प्रकार की कृषि में फसल उत्पादन और पशुपालन दोनों किया जाता है।
इसमें खेतों का आकार मध्यम होता है |
प्रमुख फसलें : गेहूं, जौ, राई, जई, मक्का, चारे
प्रमुख पशु : मवेशी, भेड़, सूअर
इसमें अधिक पूँजी लगती है |
इसमें रासायनिक खाद का उपयोग किया जाता है |
इसमें कुशल कृषकों की जरुरत होती है |

उद्यान कृषि

इस प्रकार की कृषि में अधिक मुद्रा मिलने वाली फसले जैसे  – सब्जी, फल, पुठप /
इनकी मॉग नगरीय क्षेत्र में होती है।
[ विशेषताएँ ]
खेतो का आकार छोटा होता है।
खेत अच्छे यातायात के साधनों पारा नगरीय क्षेत्र से जुड़े होते हैं।
गहन श्रम एवं अधिः पूँजी की आवश्यकता पती है।
अच्छे बीज, सिंचाई, उरक, कीरनाशी का उपयोग ।
यूरोप, USA, भूमध्य सागरीय प्रदेश में।
ट्रक कृषि के नाम से जाना जाता है।

डेरी कृषि

डेयरी कृषि अपने में पूर्ण आर्थिक क्रिया है
दूध, घी,  मक्खन ,पनीर पौष्टिक आहार मिलता है
डेयरी व्यवसाय दुधारू पशुओं के पालन पोषण का उन्नत एवं दक्ष प्रकार है
[ नगरी और औद्योगिक केंद्रों के निकट क्यों जाती है ]
नगरी और औद्योगिक केंद्र दूध और डेयरी उत्पादों के स्वर प्रमुख उपभोक्ता है
यह डेयरी उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराते
नगर और उद्योग केंद्र में डेयरी उत्पादों की मांग अधिक है

भूमध्यसागरीय कृषि

अति विशिट प्रकार की कृषि है।
खट्टे फलो की आपूर्ति के लिए मशहूर ।
अंगूर की कृषि इसकी विशेषता ।
[ विशेषता ]
भूमध्यसागर के समीपवर्ती क्षेत्रो में की जाती है।
अंशर की खेती मुख्यत: उनसे मदिरा बनाई जाती है।
शीत ऋतु में यूरोप एवं अमेरिका में फलो स्व सब्जियों की मॉग
यही से पूरी होती है।

[ सहकारी कृषि ]
1- इसमें कृषकों का एक समूह होता है |
2- जो की अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए की इच्छा से एक सहकारी संस्था बनाकर कृषि करता है।
3- सहकारी संस्था कृषकों को हर प्रकार से मदद देती
[ सामूहिक कृषि ]
1- यह कृषि सोवियत संघ में प्रारम्भ हुई थी |
2- इस कृषि को सोवियत संघ में कोलखहोज़ कहा जाता था।
3- इसमें सभी कृषक मिलकर खेती करते हैं।
4- उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण सरकार का होता

खनन (खुदाई)
जमीन से महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों को निकालने के लिया खनन
कहा जाता है।
खनन के दो प्रकार ? – धरातलीय एवं भूमिगत खनन ।
[ खनन की विधि ]
धरातलीय खनन- इसे विवित खाना भी कहा जाता है
यह खनन का सबसे सस्ता तरीका है
सुरक्षात्मक उपकरण में कम खर्च
भूमिगत खनन
कुपकी खनन कहा जाता है
गहराई में स्थित खनिज को निकालने में प्रयोग
महंगा और जोखिम भरा
प्रभावित करने वाले कारक :-
भौतिक : खनिज निक्षेप
आर्थिक : तकनीक, श्रमिक
यातायात

आर्थिक क्रियाएं

  • वह सभी कार्य जिससे मनुष्य को आय प्राप्त होती है आर्थिक क्रियाएं कहलाते हैं
  • आर्थिक क्रिया में मुख्य रूप से चार होती है
    • प्राथमिक क्रिया
      • यह वह क्रियाएं होती है जिनमें प्रकृति से प्राप्त संसाधनों का प्रयोग किया जाता है उदाहरण के लिए कृषि पशुपालन खनन आदि
    • द्वितीय क्रियाएं
      • यह वह क्रियाएं होती है जिनमें प्रकृति से प्राप्त संसाधनों मैं परिवर्तन करके उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है इसमें मुख्य रूप से उत्पादन संबंधी क्रियाएं आती है
    • तृतीय क्रियाएं
      • सेवा क्षेत्र से संबंधित सभी क्रियाओं को तृतीयक क्रिया कहा जाता है उदाहरण के लिए अध्यापक डॉक्टर आदि
    • चतुर्थ क्रियाएं
      • सभी अनुसंधान (Research) संबंधी क्रियाओं को चतुर्थ क्रिया में शामिल किया जाता है

प्राथमिक क्रियाएं

·         प्राथमिक क्रियाएं :-  वह क्रियाएं होती है जिनमें प्रत्यक्ष रूप से प्रकृति से प्राप्त संसाधनों का प्रयोग किया जाता है

·         प्राथमिक क्रियाओं में निम्नलिखित क्रियाएं शामिल होती है

o   आखेट (शिकार) एवं भोजन संग्रहण

o   पशुपालन

§  चलवासी पशुचारण

§  वाणिज्य पशुपालन

o   कृषि

§  निर्वाह कृषि

§  रोपण कृषि

§  वाणिज्य अनाज कृषि

§  मिश्रित कृषि आदि

o   खनन

आखेट एवं भोजन संग्रहण

·         आखेट का अर्थ होता है शिकार करना

·         भोजन संग्रहण का अर्थ होता है अपनी जरूरत के लिए भोजन इकट्ठा करना

·         भोजन संग्रहण के आधार पर विश्व को दो अलग-अलग भागों में बांटा जाता है

o   उच्च अक्षांश के क्षेत्र  उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया, दक्षिण चिली आदि

o   निम्न अक्षांश के क्षेत्र  ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्वी एशिया आदि

·         यह विभाजन भोजन संग्रहण के तरीकों के आधार पर किया जाता है

वर्तमान में भोजन संग्रहण

  • वर्तमान में भोजन संग्रहण का व्यापारीकरण हो गया है

·         वर्तमान में सभी प्रकार के फूलों, फलों आदि का संग्रहण उन्हें दोबारा बेचने के लिए किया जाता है

पशु चारण /पशुपालन

·         पशु चारण या पशुपालन का संबंध पशुओं को पालने से है

·         पशुओं को दो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए पाला जाता है

o   पहला है जीवन निर्वाह

o   दूसरा है वाणिज्यिक उद्देश्य

·         इसी आधार पर इसे दो भागों में बांटा जाता है

o   वाणिचलवासी पशु चारण

o   ज्यिक पशु चारण

चलवासी पशु चारण

  • यह एक प्राचीन जीवन निर्वाह का तरीका है
  • इसमें एक साथ बहुत सारे पशुओं को पाला जाता है
  • यह सभी पशु प्राकृतिक चारे पर निर्भर रहते हैं
  • इन पशुओं की कोई विशेष देखभाल नहीं की जाती
  • पशुपालक अपने पशुओं को लेकर एक जगह से दूसरी जगह चारे की खोज में घूमता रहता है
  • इस प्रकार के पशु चारण का मुख्य उद्देश्य जीवन निर्वाह होता है
  • विश्व के अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रकार के पशुओं को पाला जाता है
  • वर्तमान में चलवासी पशुपालकों की संख्या घट रही है

·         ऐसा राजनीतिक सीमाओं एवं बस्ती निर्माण के कारण हुआ है

वाणिज्यिक पशु चारण

  • यह पशुपालन का एक व्यवस्थित तरीका है
  • इसमें अधिक पूंजी का प्रयोग किया जाता है
  • इसमें केवल एक प्रकार के पशुओं को पाला जाता है
  • इस प्रकार के पशुपालन में मुख्य रूप से भेड़ बकरी गाय बैल एवं घोड़ों को पाला जाता
  • इसमें पशुओं की विशेष देखभाल की जाती है उन्हें एक बड़े फार्म में बाढ़ लगा कर रखा जाता है
  • इस प्रकार के पशुपालन में वैज्ञानिक तरीकों के आधार पर पशुओं को पाला जाता है
  • इस प्रकार के पशुपालन का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है

·         विश्व में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और संयुक्त राज्य अमेरिका में वाणिज्य पशुपालन किया जाता है

खनन

  • जमीन से महत्वपूर्ण संसाधनों को निकालने की विधि को खनन कहा जाता है
  • खनन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं

o   धरातलीय खनन

      • धरातलीय खनन में धरातल के ऊपर स्थित संसाधनों  को निकाला जाता है
      • यह खनन करने का सबसे सरल तरीका है

§  इसमें लागत कम आती है इस प्रकार के खनन में खास सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती

o   भूमिगत खनन

      • इस प्रकार के खनन को कूपकी खनन भी कहा जाता है
      • इस प्रकार के खनन में भूमि के अंदर से गरीबों को निकाला जाता है
      • यह अधिक जोखिम भरा होता है साथ ही साथ इसमें अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है
      • यह महंगा होता है
      • इसमें श्रम एवं जोखिम दोनों अधिक होते हैं

खनन को प्रभावित करने वाले कारक

·         भौतिक

o   खनिज निक्षेप का आकार

o   खनिज निक्षेप का प्रकार और उसकी स्थिति

·         आर्थिक

o   आर्थिक वर्तमान में उपलब्ध तकनीक

o   श्रमिक

o   यातायात व्यवस्था

कृषि

विश्व के हर देश में अलग-अलग प्रकार की स्थिति होने के कारण कृषि के भी अनेकों प्रकार है

·         निर्वाह कृषि

o   इस प्रकार की कृषि निर्वाह के लिए की जाती है

o   इसे मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है

§  आदिकालीन निर्वाह कृषि

·         इस प्रकार की कृषि में भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों पर पुराने कृषि औजारों जैसे की लकड़ी के हल और खुदाई करने वाले औजारों के द्वारा कृषि की जाती है

·         इसमें जमीन के एक छोटे से टुकड़े को साफ करके उस पर अनाज उगाया जाता है

·         जब उस जमीन के टुकड़े की उर्वरता खत्म हो जाती है तो उसे छोड़कर दूसरी जगह जमीन साफ करके वहां पर खेती की जाती है

·         इस खेती की प्रक्रिया में पूरा परिवार काम करता है

·         इस प्रकार की खेती का मुख्य उद्देश्य परिवार की जरूरतों को पूरा करना होता है

·         इस प्रकार की कृषि में किसी भी प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता इसीलिए उत्पादकता कम होती है

§  गहन निर्वाह कृषि

·         गहन निर्वाह कृषि के मुख्य दो प्रकार हैं

o   चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि

§  चावल प्रधान के निर्वाह कृषि में मुख्य फसल चावल होती है

§  खेतों का आकार छोटा होता है

§  कृषको का पूरा परिवार कृषि कार्य में लगा रहता है

§  यंत्रों की अपेक्षा श्रम का अधिक प्रयोग किया जाता है

§  गोबर का प्रयोग उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है

o   चावल रहित गहन निर्वाह कृषि

§  यह ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहां पर चावल उगाना संभव नहीं होता

§  इस प्रकार की कृषि में मुख्य रूप से ज्वारबाजरा उगाया जाता है

§  इसकी लगभग सभी विशेषताएं चावल प्रधान गहन कृषि जैसी ही होती है

§  दोनों में अंतर केवल यह है कि इसमें सिंचाई व्यवस्था का प्रयोग किया जाता है

·         रोपण कृषि

o   इस प्रकार की कृषि की शुरुआत यूरोपीय लोगों ने की

o   यह किसी बड़े क्षेत्र में की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है

o   इसमें मुख्य रूप से चाय, कॉफी, कोको, गन्ना, कपास आदि की कृषि की जाती है

o   विशेषताएं

§  अत्याधिक तकनीक का प्रयोग

§  वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग

§  केवल एक फसल का उत्पादन

§  अधिक पूंजी की आवश्यकता

§  विशाल खेत

§  बाजार तक पहुंच

·         वाणिज्य अनाज कृषि

o   मुख्य फसल गेहूं है पर साथ ही साथ मक्का, जौ , राई भी बोई जाती है

o   खेतों का आकार बहुत विशाल होता है

o   खेत जोतने से लेकर फसल काटने तक के सभी कार्य यंत्रों द्वारा किए जाते हैं

o   इस प्रकार की कृषि यूरेशिया के स्टेपीज , उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी और न्यूजीलैंड के कैंटरबरी मैदानों में की जाती है

·         मिश्रित कृषि

o   मिश्रित कृषि में पशुपालन और कृषि दोनों की जाती है

o   इस कृषि खेतों का आकार मध्यम होता है

o   मुख्य रूप से गेहूं, राई मक्का और चारे की फसलें उगाई जाती

o   पशुपालन में मुख्य रूप से मवेशी, भेड़, सूअर आदि को पाला जाता है

o   पशुपालन एवं उत्पादन के लिए उच्च तकनीक का प्रयोग किया जाता है

o   उत्पादकता को बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है

o   इस प्रकार की कृषि कुशल कृषको द्वारा की जाती है

o   यह कृषि विश्व के अत्याधिक विकसित भागों में की जाती है

·         उद्यान कृषि

o   उद्यान कृषि में महंगी फसलों का उत्पादन किया जाता है

o   यह ऐसी फसलें होती है जिनकी मांग नगरीय क्षेत्रों में ज्यादा होती है

o   उदाहरण के लिए सब्जी, फल, फूलआदि

o   इस प्रकार की कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है

o   अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है

o   अच्छे बीज, सिंचाई, उर्वरक एवं कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है

o   बाजार तक पहुंच सरल बनाने के लिए अच्छी यातायात व्यवस्था होती है

o   इस कृषि को ट्रक कृषि भी कहा जाता है

o   यह मुख्य रूप से यूरोप और यूएसए के कुछ हिस्सों में की जाती है

·         डेरी कृषि

o   दुधारू पशुओं के पालन पोषण की उन्नत वृद्धि को डेरी कृषि कहा जाता है

o   इस कृषि का मुख्य उद्देश्य डेरी उत्पादों का उत्पादन कर लाभ कमाना होता है

o   इसमें दुधारू पशुओं का पालन पोषण उन्नत विधि एवं वैज्ञानिक पद्धति द्वारा किया जाता है

o   डेरी उत्पादों की मांग अधिक होने के कारण इस प्रकार की व्यवस्था बनाई जाती है

o   यह मुख्य रूप से नगरों के आसपास विकसित किए जाते हैं ताकि आसानी से लाया ले जाया जा सके

o   डेरी कृषि के तीन प्रमुख क्षेत्र है

§  उत्तरी पश्चिमी यूरोप

§  कनाडा

§  दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया

·         भूमध्यसागरीय कृषि

o   यह एक विशिष्ट प्रकार की कृषि है

o   यह भूमध्य सागर के आसपास के क्षेत्रों में की जाती है

o   इसमें मुख्य रूप से अंगूरों का उत्पादन किया जाता है

o   उच्च गुणवत्ता के अंगूरों से मदिरा बनाई जाती है एवं निम्न गुणवत्ता के अंगूरों से किशमिश या मुनक्का आदि बनाया जाता

o   शीत ऋतु में यूरोप एवं अमेरिका में फलों एवं सब्जियों की मांग यहीं से पूरी होती है

·         सामूहिक कृषि

o   इस प्रकार की कृषि में संसाधनों पर नियंत्रण सरकार का होता है

o   सभी साथ में मिलकर खेती करते है

o   इस प्रकार की कृषि की शुरुआत मुख्य रूप से सोवियत संघ में हुई वहां इसे कोलखहोज कहां जाता था

·         सहकारी कृषि

o   जब कृषकोका एक समूह कृषि में अधिक लाभ कमाने की इच्छा से एक संस्था बनाकर कृषि कार्य करता है तो इसे सहकारी कृषि कहा जाता है

o   आसान शब्दों में समझें तो जब किसानों का एक समूह एक संस्था बनाकर साथ में कृषि करता है ताकि उसका लाभ बढ़ सके तो उसे सहकारी कृषि कहते हैं

o   यह सहकारी संस्था किसानों की हर प्रकार से मदद करती है

o   उदाहरण के लिए कृषि संबंधी चीजों को खरीदना, उत्पादन को उच्च कीमतों पर बेचना आदि

o   सहकारी कृषि का मुख्य उद्देश्य सहयोग द्वारा लाभ  बढ़ाना होता है |

चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर :-

चलवासी पशुचारण वाणिज्य पशुधन पालन
1 ) अर्थ – चलवासी पशुचारण में पशुपालक समुदाय चारे एवं जल की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं । 1 ) अर्थ – वाणिज्य पशुधन पालन एक निश्चित स्थान पर विशाल क्षेत्र वाले फार्म पर किया जाता है और उनके चारे की व्यवस्था स्थानीय रूप से की जाती है ।
2 ) पूँजी – यह पूँजी प्रधान नहीं है । पशुओं को प्राकृतिक परिवेश में पाला जाता है । 2 )  पूँजी – चलवासी पशुचारण की अपेक्षा वाणिज्य पशुधन पालन अधिक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान है ।
3 ) पशुओं की देखभाल – पशु प्राकृतिक रूप से बड़े होते हैं और उनकी विशेष देखभाल नहीं की जाती । 3 ) पशुओं की देखभाल – पशुओं को वैज्ञानिक तरीके से पाला जाता है और उनकी विशेष देखभाल की जाती है ।
4 ) पशुओं के प्रकार – चलवासी पशुपालक एक ही समय में विभिन्न प्रकार के पशु रखते हैं । जैसे सहारा व एशिया के मरुस्थलों में भेड़ , बकरी व ऊँट पाले जाते हैं । 4 ) पशुओं के प्रकार – इसमें उसी विशेष पशु को पाला जाता है जिसके लिए वह क्षेत्र अत्यधिक अनुकूल होता है ।
5 ) क्षेत्र – यह पुरानी दुनिया तक की सीमित है । इसके तीन प्रमुख क्षेत्र
क ) उत्तरी अफ्रीका के एटलांटिक तट से अरब प्रायद्वीप होते हुए मंगोलिया एवं मध्य चीन
ख ) यूरोप व एशिया के टुंड्रा प्रदेश
ग ) दक्षिण पश्चिम अफ्रीका एवं मेडागास्कर द्वीप ।
5 ) क्षेत्र – यह मुख्यतः नई दुनिया में प्रचलित हैं । विश्व में न्यूजीलैंड , आस्ट्रेलिया , अर्जेंटाइना , युरुग्वे , संयुक्त राज्य अमेरीका में वाणिज्य पशुधन पालन किया जाता है ।
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