दैनिक जीवन में रसायन

दैनिक जीवन में रसायन

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दैनिक जीवन में रसायन

Important Point

  • आरेनियम के अनुसार जो पदार्थ जलीय विलयन में Hआयन देते है अम्ल तथा जो OH– आयन देते है क्षार कहलाते है |
  • ब्रान्स्टेड एवम लोरी के अनुसार प्रोटोन दाता अम्ल तथा प्रोटोन ग्राही क्षार कहलाते है |
  • लुईस के अनुसार इलेक्ट्रान दाता क्षार तथा इलेक्ट्रान ग्राही अम्ल कहलाते है |
  • अम्ल नीले लिटमस को लाल तथा क्षार लाल लिटमस को नीला कर देते है |
  • अम्ल और क्षार की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते है |
  • लवण के क्रिष्टल में कभी-कभी क्रिस्टलन जल भी उपस्थित होता है |
  • अम्ल एवम क्षार की सामर्थ pH से मापी जाती है |
  • हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता [H+] का ऋणात्मक लागेरिथ्म pH कहलाता है |
  • विलियन की pH = 7 होने पर उदासीन , pH<7 होने पर अम्लीय तथा pH>7 होने पर क्षारीय होता है |
  • दैनिक जीवन में कई सारे यौगिक काम आते है जैसे-

NaCl, NaHCo3 , Na2Co3.10H2O ,

CaOCl2 , CaSo4.1/2H2o

  • साबुन तथा अपमार्जक सफाई का कार्य करते है | इनका निर्माण भिन्न-भिन्न प्रकारों से होता है |
  • ये मिसेल निर्माण द्वारा सफाई का कार्य करते है |



दैनिक जीवन में रसायन (Chemistry in Everyday Life)

रसायन का उपयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है| यहाँ तक की हमारी साड़ी जैविक क्रियाओं का संचालन भी रसायनों द्वारा होता है | साबुन, अपमार्जक, सुंदर – सुंदर वस्त्र, गरेलू उपभोग के अनेको सामान रासायनिक प्रदार्थ ही है |

भवन निर्माण में सीमेन्ट, विधुत उपकरण , उपग्रह , मोटर वाहन के लेकर क्रषि के शेत्र तक रसायनों का प्रयोग होता है |

तथा रसायन विज्ञान से सिधान्तो का प्रयोग किया जाता है | हम अस्वस्थ होने पर ओषधि का प्रयोग करते है , वो भी रसायन है | अनेको प्रकार के कट्ठे मीठे खाद्य पदार्थो के परिरक्षण के बिना दैनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है |

अम्ल, क्षार एवं लवण 

अम्ल, क्षार एवं लवण

जीवन का रासायनिक आधार

जीवन के सभी आधारभूत रसायन (प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, हार्मोन इत्यादि) कुछ गिने-चुने मूल तत्वों से बने होते हैं जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर एवं फॉस्फोरस। इनमें सबसे प्रमुख कार्बन है। शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं प्रोटीन हैं। स्टार्च व शुगर में सभी प्रकार के कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो सजीवों में ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत हैं। प्रोटीन से संयोजी ऊतकों, मांसपेशियों और त्वचा का निर्माण होता है। रक्त में पाया जाने वाला ऑक्सीजन वाहक अणु हीमोग्लोबिन है जो एक प्रकार का प्रोटीन है। हीमोग्लोबिन में प्रतिपिंड होते हैं जो रोगों के प्रति रक्षा कवच का कार्य करते हैं। सभी प्रोटीनों में सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन एन्जाइम होता है। यह शरीर में होने वाले सभी रासायनिक परिवर्तनों का कारक एवं निर्देशक होता है। एन्जाइम से भोजन के पचने में मदद मिलती है।


मानव जीवन में रसायनशास्त्र का क्या महत्व है

रसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है| मानव जीवन को रसायनशास्त्र से अलग करके नहीं देखा जा सकता है क्योंकि जीवित-अजीवित, गैस, द्रव, ठोस पदार्थों से लेकर पाउडर जैसे पृथ्वी का सबसे कोमल खनिज व हीरे जैसे सबसे कठोर खनिज तक रासायनिक तत्वों से ही मिलकर बने हैं |

स्वयं मानव शरीर भी रासायनिक संयोजन से बना है और मानव जीवन के लिए आवश्यक पर्यावरण भी रासायनिक तत्वों का ही मिश्रण है | दिन-प्रतिदिन के जीवन में रसायनशास्त्र के उपयोग निम्नलिखित हैं

स्वास्थय



डिटोल व फिनायल आदि जिनका प्रयोग घरों में शरीर के घावों की सफाई औरक कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है वास्तव में रासायनिक पदार्थ ही हैं |डिटोल को क्लोरोजाइलीनॉल कहा जाता है | डॉक्टर भी मरहम पट्टी करने से पहले घाव को हाइड्रोजन परॉक्साइड से साफ़ करता है जीवनुनाशक गुण के कारण आयोडीन के टिंक्चर का प्रयोग अस्पतालों में ड्रेसिंग के लिया किया जाता है | ब्लीचिंग पाउडर/ कैल्सियम हाइपोक्लोराइट का प्रयोग जल स्रोतों की सफाई व नालियों को साफ़ करने में किया जाता है |माउथवाश बनाने और दंतशल्यक्रिया में फीनोल का प्रयोग किया जाता है |

सौंदर्य प्रसाधन

वर्त्तमान में अधिकतर सौंदर्य प्रसाधनों का निर्माण रासायनिक पदार्थों के द्वारा ही होता है जैसे –नेलपॉलिश में टिटेनियम ऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है, कोल्ड क्रीम खनिज तेल मोम,पानी और बोरेक्स के मिश्रण में इत्र को मिलाकर तैयार की जाती है ,पाउडर के निर्माण में खड़िया, टेलकम, जिंक ऑक्साइड, चिकनी मिट्टी का चुर्ण और स्टार्च आदि को इतर के साथ मिलाया जाता है और लिपस्टिक का निर्माण मोम, तारकोल और तेल के द्वारा होता है|



बायोटेक्नोलॉजी

बायोटेक्नोलॉजी का अर्थ है जीव विज्ञान के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का विस्तार। मुख्यत: यह जीवाणुओं, प्राणियों या पेड़-पौधों की कोशिकाओं या एन्जाइम के प्रयोग के द्वारा कुछ पदार्र्थों के संश्लेषण या भंजन या रूपांतरण से संबंधित है। यह एक अंत: विषयी विज्ञान है जिसमें विज्ञान की अनेक विधाएं जैसे जैव रसायन, सूक्ष्म जीवविज्ञान, रसायन अभियांत्रिकी आदि का समन्वय है।

बायोटेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग

(1) इंसुलिन का उत्पादन- यह एक प्रोटीन है जो अग्नाशय द्वारा स्रावित होती है तथा रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। आज बायोटेक्नोलॉजी की प्रगति से यह संभव है कि एक इंसुलिन उत्पादन के लिए उत्तरदायी संश्लेषित जीन को कृत्रिम रूप से बनाकर ई. कोलाई जीवाणु के प्लाजमिड से जोड़ दिया जाये। अब इंसुलिन मरीजों के लिए आसानी से कम कीमत में उपलब्ध होने लगा है।

(2) इंटेरफेरॉन का उत्पादन- पॉलिपेप्टाइडो के उस समूह को इंटरफेरॉन कहते हैं जिनमें विषाणुओं के संदमन की क्षमता है। इंटरफेरॉन रक्त में विद्यमान घातक पारिसंचारी कोशिकाओं को क्रियाशील बनाते हैं जिससे वे विषाणुओं पर आक्रमण करके उन्हें नष्ट करना शुरू कर देते हैं। इनके पाश्र्व प्रभाव नहीं होते हैं और ये जुकाम, फ्लू, यकृतशोथ और हर्पीज के इलाज के लिए उपयुक्त हैं। 1980 में दो अमेरिकी वैज्ञानिकों- गिलबर्ट और वाइजमान ने बायोटेक्नोलॉजी से इंटरफेरान जीन को कोलॉन बैसिली नामक बैक्टीरिया में क्लोन किया।

(3) हार्मोन का उत्पादन- हार्मोन वे यौगिक हैं जो अन्त:स्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित किए जाते हैं। इनका मुख्य कार्य लक्ष्य कोशिकाओं या अंगों के साथ पारस्परिक क्रियाओं द्वारा शरीर के महत्वपूर्ण प्रकार्र्यों को नियंत्रित करना है। कई बीमारियां जो इन हार्मोनों की कमी से होती हैं उनको ठीक करने के लिए हार्मोन को बाहर से दिए जाने की जरूरत होती है। बायोटेक्नोलॉजी की तकनीक, रिकॉम्बीनेंट डीएनए टेक्नोलॉजी व जीन क्लोनिंग से इनका उत्पादन संभव हो सका है। इस तकनीक से सोमाटोस्टेटिन हार्मोन और सोमेटोट्रॉपिन सफलतापूर्वक बनाए गए हैं।



एन्जाइम टेक्नोलॉजी– एन्जाइम जीवित कोशिकाओं में पाए जाने वाले जैव अणु हैं। वे सभी जैव रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं। इनके बिना जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है। एन्जाइम का उपयोग सदियों से कई औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे बेकिंग, निसवन, किण्वन, खाद्य परिरक्षण आदि में होता रहा है। आज एन्जाइम प्रौद्योगिकी कम खर्च में, अधिक दक्षता से और अधिक शुद्ध अवस्था में दवाओं और कृषि रसायनों का उत्पादन करने में सक्षम है। परंपरागत रूप से एन्जाइमों का पृथ्थकरण प्राणी और पौधों से किया जाता रहा है। लेकिन अब सूक्ष्मजीवों से पृथ्थकृत एन्जाइमों का उपयोग दिनों-दिन लोकप्रिय हो रहा है। सुअर के अग्नाशयी लाइपेज, घोड़े का यकृत ऐल्कोहल डिहाइड्रोजेनेज, काइमोट्रिप्सिन और ट्रिप्सिन व्यापारिक रूप से उपलब्ध एन्जाइमों के कुछ उदाहरण हैं।

रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) से सम्न्बधित पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर –

प्रश्न1 – केमिस्ट्री को मुख्यतः कितने भागो में बाटा गया है?

उत्तर – रसायन विज्ञान को मुख्यतः दो भागो में बाटा गया है, कार्बनिक रसायन विज्ञान और अकार्बनिक रसायन विज्ञान.

प्रश्न2 – पदार्थों का संघटन किससे मिलकर हुआ है ?

उत्तर – पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है।

प्रश्न3 – रसायन विज्ञान क्या है?

उत्तर – केमिस्ट्री विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न4 – रसायन विज्ञान के सूत्रों को कैसे याद करें ?

उत्तर – रसायन विज्ञान के सूत्रों को याद करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें समझकर पढ़े और ज्यादा से ज्यादा सवालो हल करने कि कोशिश करें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूत्रों को समझे रट्टा ना मारे .


Important Point

  • आरेनियम के अनुसार जो पदार्थ जलीय विलयन में Hआयन देते है अम्ल तथा जो OH– आयन देते है क्षार कहलाते है |
  • ब्रान्स्टेड एवम लोरी के अनुसार प्रोटोन दाता अम्ल तथा प्रोटोन ग्राही क्षार कहलाते है |
  • लुईस के अनुसार इलेक्ट्रान दाता क्षार तथा इलेक्ट्रान ग्राही अम्ल कहलाते है |
  • अम्ल नीले लिटमस को लाल तथा क्षार लाल लिटमस को नीला कर देते है |
  • अम्ल और क्षार की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते है |
  • लवण के क्रिष्टल में कभी-कभी क्रिस्टलन जल भी उपस्थित होता है |
  • अम्ल एवम क्षार की सामर्थ pH से मापी जाती है |
  • हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता [H+] का ऋणात्मक लागेरिथ्म pH कहलाता है |
  • विलियन की pH = 7 होने पर उदासीन , pH<7 होने पर अम्लीय तथा pH>7 होने पर क्षारीय होता है |
  • दैनिक जीवन में कई सारे यौगिक काम आते है जैसे-

NaCl, NaHCo3 , Na2Co3.10H2O ,

CaOCl2 , CaSo4.1/2H2o

  • साबुन तथा अपमार्जक सफाई का कार्य करते है | इनका निर्माण भिन्न-भिन्न प्रकारों से होता है |
  • ये मिसेल निर्माण द्वारा सफाई का कार्य करते है |
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