भारत में वनों का वर्गीकरण
भारत में वनों को वर्षा प्रशासनिक गठन आदि अनेक प्रकार से बांटा गया है इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण वर्षा या सामान्य आधार पर किया गया वर्गीकरण जो इस तरह |
(A) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन :-
200 सै. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र
भारत में प्रमुख क्षेत्र है-
- पश्चिमी घाट के पश्चिमी डाल
- अंडमान निकोबार दीप समूह
- उत्तर पूर्व भारत असम मेघालय बंगाल का क्षेत्र
मुख्य वृक्ष :- महोगनी आभूषण एबोनी रबड़ डांस सिनकोना
विशेष :- इन दोनों की औसत ऊंचाई 30 से 60 मीटर के बीच तथा लकड़ियां अधिक कठोर होती हैं उत्तरी सहयाद्री मैं इनको 16 अक्टूबर भी कहा जाता है इन वनों का सर्वाधिक विस्तार अंडमान निकोबार में 95% पाया जाता है |
(B) पतझडी एवं मानसूनी वन :-
100 सेमी से 200 से मी वार्षिक वर्षा के क्षेत्रों में –
भारत में मुख्य शेत्र
- हिमाचल के निचले भाग
- हिमाचल सतपुड़ा पर्वत में छोटा नागपुर पठार
- असम की पहाड़ियां
- पूर्वी तटीय क्षेत्र दक्षिण विभाग एवं पश्चिमी घाट कि पूर्वी डाल |
मुख्य वृक्ष
- साल
- सागवान
- बांस
- शीशम
- चंदन
- महुआ
विशेष:-
इन नैनो की सबसे बड़ी विशेषता किसी विशेष मानसून में एक साथ पंक्तियां गिराना है इसलिए इनको मानसूनी या पतझड़ वन कहते हैं |
इन वृक्षों की लकड़ियां अधिक कठोर नहीं होती है परंतु इनका उपयोग रेल स्लिपर जलयान में फर्नीचर बनाने में किया जाता है |
(C) शुष्क वन :-
50 सेमी से 100 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में
भारत में मुख्य शेत्र
- पंजाब
- हरियाणा
- राजस्थान
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश
मुख्य वृक्ष
- बरगद
- कीकर
- बबूल
- नीम
- कैर
- खेजड़ा
विशेष :-
इन वृक्षों की जड़े लंबी होती है तथा वर्षा के अभाव में बहुत कम होते हैं |
(D)मरुस्थलीय वन :-
50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्र में
भारत में मुख्य क्षेत्र
- दक्षिण पश्चिम पंजाब
- पश्चिमी राजस्थान
- गुजरात
- मध्य प्रदेश
मुख्य वृक्ष
- नागफनी
- ग्वारपाठा
- फैक्ट्स
- कटीली गाड़ियां
विशेष :-
इन वनों में अधिकतर शुष्क में कटीले होते हैं जिनके पत्तियां कम तथा जड़े लंबी और मोटी होती हैं वन मृदा अपरदन में अत्यंत सहायक है