प्रथ्वी की सरचना The structure of the community
- प्रमाणों के अनुसार प्रथ्वी का जन्म लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौर नेबुला से हुआ था | सूर्य से प्रथक होने के तुरन्त पश्चात प्रथ्वी उबलते द्रव से बने गोले की तरह रही होगी और बहुत समय तक इसका अधिकतर भाग तरल ही रहा होगा |
- प्रथ्वी की सरंचना परतो के रूप में है व केंद्र से सतह की दुरी लगभग 3900 km होने का अनुमान है प्रथ्वी की उपरी परत ठोस है प्रथ्वी के ठंडे होने पर भूपर्पटी या उपरी परत ठण्डी होकर चट्टान खण्डो में बदल गई विवर्तनिक प्लेंटे कहते है |
- प्रथ्वी की दूसरी परत को मेटल कहते है | यह सबसे मोटी परत है, जिसका निर्माण पिघली परत से हुआ है | इसका केन्द्रीय भाग क्रोड़ सबसे अधिक गर्म (7000 डिग्री सेल्सियस) होता है तथा इसे दो बागो में बाटा जा सकता है |अन्दर वाला क्रोड़ ठोस माना जाता है तथा यह सुद्ध लोहे का बना होता है |
- प्रथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत भाग जल से ढका हुआ है व 30 प्रतिशत भाग स्थल है | विवर्तनिक शक्तियां प्रथ्वी की सतह को बदलने का कार्य करती है जो दो प्रकार की होती है – आंतरिक एव ब्रह्रा विवर्तनिक शक्तियां |
- आंतरिक विवर्तनिक शक्तियो की उत्पति प्रथ्वी के निचे गहराई में स्थत, ताप, चटानो के फैलने व सिकुड़ने तथा गर्म तरल प्रदार्थ मैग्मा के स्थानातंरण के कारण होता है |
- प्रथ्वी के अन्दर होने वाली हलचल के कारण धरती हिलने लगती है जो भूपटल को फोड़कर धुँआ, राख, वाष्प व गैसों के रूप में बाहर निकलती है | कई बार अधिक गर्म चटाने पिगलकर लावा के रूप में बाहर आती है |
- भूकम्प भूगर्भ में होने वाली हलचल होती है, जिसकी व्यख्या प्लेट विवर्तन सिधान्त के आधार पर की जाती है | सुनामी के कारण समुन्द्र में उच्च उर्जा वाली लहरे उठती है |
- प्रथ्वी के धरातल पर दो प्रकार की शक्तियां कार्य करती रहती है | एक प्रकार की शक्तिया नये रूपों जैसे पर्वत आदि बनाने का कार्य करती है तो दूसरी शक्तियां इन पर्वतों का विनाश करती है | पहली वाली विवर्तनिक शक्तियों को अपक्षय या अपक्षयण की शक्तिया कहते है व दूसरी प्रकार की शक्तियो को अपरदन की शक्तियां कहते है |
- सूर्य की गर्मी, वर्षा, पाला व वायु भोतिक रूप से चटानो को तोडती रहती है | प्रक्रति में घटने वाली रासायनिक क्रियाये चटानो को कमजोर कर उनका अपक्षयण में मदद करती है |
- वायु , जल व बर्फ ये सभी एक स्थान से दुसरे स्थान की और जाते है व इनके बहाव में शक्ति होने के कारण मार्ग में आने वाली सरंचनाये टूटकर बहने लगती है |
- भूमि पर बहते हुये पवन की दिशाये ऋतुओ के अनुसार बदलती रहती है चक्रवात में हवाये वर्ताकार पथ पर केन्द्रीय बिंदु की और बढती रहती है |
- हिमनद व ग्लेसियर में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण बर्फ की पूरी की पूरी परत निचे की और खिसकती है | नदी का महत्व उसमे बहने वाले पानी पर निर्भर करता है |
- समुंद्री धाराओ में एक निश्चित दिशा में जल बहता रहता है | समुंद्री धाराओ में कही पर गर्म जल व कही ठंडा जल बहता है | ज्वारभाटा सूर्य व चन्द्रमा के एक सिद्ध में होने पर होता है | इससे समुन्द्र जल में बड़ी मात्रा में शक्ति का संचार होता है |
प्रथ्वी की सरचना से सम्बंदित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न :-
प्रश्न 1 – समुंद्री धाराओ को और क्या कहा जाता है |
उत्तर – समुन्द्र में बहने वाली नदी
प्रश्न २ – ज्वार भाटा कब होता है |
उत्तर – सूर्य व चन्द्रमा के सीधे होने पर ज्वार-भाटा होता है
प्रश्न ३ – बर्फ परत के बहने को क्या कहते है |
उत्तर – हिमनद या ग्लेशियर
प्रश्न 4 – चन्द्रमा की उत्पति किस प्रकार हुयी ?
उत्तर – मंगल ग्रह के आकर के एक पिण्ड के प्रथ्वी से टकराने से चन्द्रमा की उत्पति हुई है |
प्रश्न ५ – प्रथ्वी के केंद्र से सतह कितनी दुरी है ?
उत्तर – लगभग 3000 KM
प्रश्न ६ – प्रथ्वी में कितनी गहराई तक छिद्र संभव है ?
उत्तर – लगभग 10 KM की गहराई तक |
प्रश्न 7 – जैवमण्डल किसे कहते है ?
उत्तर – जल,थल व वायुमंडल का वह भाग जिसमे जीवन पाया जाता है, उसे जैवमण्डल कहते है|
प्रश्न ८ – प्रमाणों के अनुसार प्रथ्वी का जन्म कब व कहा हुआ था ?
उत्तर – लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौर नेबूला से हुआ था |
प्रश्न 9- भारत के कोनसा मानसून सर्वत्र वर्षा करता है ?
उत्तर – दक्षिण – पश्चिम मानसून सर्वत्र वर्षा करता है|
प्रश्न 10- हिमनदी से निकलने वाली नदीयो के नाम बताईये ?
उत्तर – गंगा व यमुना |
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