आंध्र प्रदेश | |
राजधानी | हैदराबाद |
राजभाषा(एँ) | तेलुगू |
स्थापना | 1 नवंबर, 1956 |
जनसंख्या | 49,665,533 |
· घनत्व | 310 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 160,205 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 17.366° उत्तर, 78.476° पूर्व |
तापमान | औसत 29 °C |
· ग्रीष्म | 45 °C |
· शरद | 13 °C |
ज़िले | 13 |
सबसे बड़ा नगर | विशाखापत्तनम |
मुख्य पर्यटन स्थल | सालारजंग संग्रहालय, चारमीनार, गोलकुंडा क़िला, हुसैन सागर झील, तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर |
लिंग अनुपात | 1000:978 ♂/♀ |
साक्षरता | 67.41% |
राज्यपाल | ई.एस.एल नरसिम्हन |
मुख्यमंत्री | एन. चंद्रबाबू नायडू |
विधानसभा सदस्य | 175 |
विधान परिषद सदस्य | 56 |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 14:40, 10 जून 2014 (IST) |
आंध्र प्रदेश भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में 1600 किलोमीटर है और दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट 972 किलोमीटर है। तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर बनने वाला 29वाँ नवगठित राज्य है। हैदराबाद को दस साल के लिए तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया है।
इतिहास
आंध्र प्रदेश के विषय में प्रारंभिक विवरण ऐतरेय ब्राह्मण (लगभग 2000 ईसा पूर्व) में मिलता है। इसमें उल्लेख हैं कि आंध्र प्रदेश के निवासी मूल रूप से आर्य जाति के थे और उत्तर भारत में रहते थे, जहां से वे विंध्य पर्वतों के दक्षिण तक चले गए और कालान्तर में अनार्यो के साथ घुल मिल गए। इतिहासकारों के अनुसार आंध्र प्रदेश का नियमित इतिहास 236 ईसा पूर्व से मिलना शुरू होता है। 236 ईसा पूर्व में ही सम्राट अशोक का निधन हुआ था और उसके बाद के समय में सातवाहन, शक, इक्ष्वाकु, पूर्वी चालुक्य और काकतीय ने इस तेलुगु भाषी देश पर राज्य किया। इनके बाद में विजयनगर और कुतुबशाही शासकों का शासन रहा और उनके बाद मीर कमरूद्दीन के शासन में 17 वीं शताब्दी से अंग्रेज़ों ने देश के कई भागों को अपने नियंत्रण में ले लिया और मद्रास प्रांत की स्थापना कर दी।
तेलुगु शब्द का मूल रूप संस्कृत में “त्रिलिंग” है। इसका तात्पर्य आंध्र प्रदेश के श्रीशैल के मल्लिकार्जुन लिंग, कालेश्वर और द्राक्षाराम के शिवलिंग से है। इन तीनों सीमाओं से घिरा देश त्रिलिंग देश और यहाँ की भाषा त्रिलिंग (तेलुगु) कहलाई। इस शब्द का प्रयोग तेलुगु के आदि-कवि “नन्नय भट्ट” के महाभारत में मिलता है। यह शब्द त्रिनग शब्द से भी उत्पन्न हुआ माना जाता है। इसका आशय तीन बड़े बड़े पर्वतों की मध्य सीमा में व्याप्त इस प्रदेश से है। आंध्र जनता उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर जब हटाई गई तो दक्षिणवासी होने के कारण इस प्रदेश और भाषा को “तेनुगु” नाम दिया गया।
- तमिल भाषा में दक्षिण का नाम तेन है। तेनुगु नाम होने का एक और कारण भी है। तेनुगु में तेने (तेने उ शहद, अगु उ जाहो) शब्द का अर्थ है शहद। यह भाषा मधुमधुर होने के कारण तेनुगु नाम से प्रसिद्ध है। यह प्रदेश “वेगिनाम” से भी ज्ञात है। “वेगि” का अर्थ है कृष्णा, गोदावरी नदियों का मध्यदेश जो एक बार जल गया था। यह नाम भाषा के लिये व्यवहृत नहीं है।
- आंध्र एक जाति का नाम है। ऋग्वेद की कथा के अनुसार ऋषि विश्वामित्र के शाप से उनके 50 पुत्र आंध्र, पुलिंद और शबर हो गए। संभवत: आंध्र जाति के लोग आर्य क्षत्रिय थे।
- स्वतंत्रता के पश्चात तेलुगु भाषी क्षेत्र को मद्रास प्रांत से अलग करके 1 अक्तूबर 1953 को नए प्रदेश का निर्माण किया गया जिसका नाम आंध्र प्रदेश रखा गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 बनने के बाद हैदराबाद राज्य को आंध्र प्रदेश में मिला कर 1 नवंबर, 1956 में ‘आंध्र प्रदेश’ राज्य का निर्माण हुआ।
- आंध्र प्रदेश के उत्तर में उड़ीसा राज्य और छत्तीसगढ़, पश्चिम में महाराष्ट्र और कर्नाटक, दक्षिण में तमिलनाडु और पूर्व में लगभग 975 किलोमीटर की तट रेखा बंगाल की खाड़ी है।
- आन्ध्र प्रदेश में उत्नूर नामक स्थान पर उत्खनन के परिणामस्वरूप वहां हड़प्पा युगोत्तर संस्कृति का अभिज्ञान हुआ है।
ऐतिहासिक-पौराणिक संदर्भ
- ऐतरेय ब्राह्मण, 7,18 में आंध्र, शबर पुलिंद आदि दक्षिणात्य जातियों का उल्लेख है जो मूलत: विंध्यपर्वत की उपत्यकाओं में रहती थीं। महाभारत सभापर्व 31, 71 में आंध्रों का उल्लेख् है-
पांड्यांश्च द्रविडांश्चैव सहितांश्चोण्ड्रकेरलै: आंध्रस्तालवनांश्चैव कलिंगानुष्ट्रकर्णिकान्’ ।
- वन पर्व 51,22 में आंध्रों का चोलों और द्रविड़ों के साथ उल्लेख है- ‘सवंगांगान् सपौंड्रौड्रान् सचोलद्राविडान्ध्रकान्’ अशोक के शिलालेख 13 में भी आंध्रों को मगध-साम्राज्य के अन्तर्गत बताया गया है।
- विष्णुपुराण 4,24,64 में आंध्र देश का इस प्रकार उल्लेख है।- ‘कोसलान्ध्रपुंड्रताम्रलिप्त समुद्रतट पुरीं च देवरक्षितो रक्षित:’।
- 240 ई. पू. के लगभग आंध्रों ने दक्षिण में एक स्वतंत्र राज्य स्थापित किया था जो धीरे-धीरे भारत-प्रायद्वीप भर में विस्तृत हो गया। इन्होंने विजातीय क्षत्रपों को हरा कर गोदावरी, बरार, मालवा, काठियावाड़ और गुजरात तक आंध्र सत्ता का विकास किया।
- आंध्र-नरेशों में गौतमीपुत्र शातकर्णी बहुत प्रसिद्ध हुआ जो 119 ई0 के लगभग राज करता था। आंध्र-राज्य की प्रभुसत्ता 225 ई0 के लगभग तक रही। इस समय दक्षिण भारत के समुद्रतट पर कई बड़े बंदरगाह थे जिनके द्वारा रोम-साम्राज्य से भारत का व्यापार चलता था।
- आंध्र-देश का आंतरिक शासन-प्रबंध भी बहुत सुव्यवस्थित और लोकतंत्रीय सिद्धांतों पर आधारित था जिसका प्रमाण इस प्रदेश के अनेक अभिलेखों से मिलता है।
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भूगोल
भू-आकृति
आंध्र प्रदेश राज्य में तीन प्रमुख भौतिक-भौगोलिक क्षेत्र हैं:-
- पूर्व में तटीय मैदान, जो बंगाल की खाड़ी से लेकर पर्वतश्रेणियों तक फैला है;
- पर्वतश्रेणियाँ अर्थात पूर्वी घाट, जो तटीय मैदानों का पश्चिमी पार्श्व बनाते हैं;
- घाट के पश्चिम से पूर्व में पठार।
तटीय मैदान राज्य की लगभग पूरी लंबाई में फैले हैं, जहाँ पश्चिम से पूर्व की ओर पहाड़ियों से होकर खाड़ी में गिरने वाली अनेक नदियाँ हैं। इनमें से दो प्रमुख नदियों, गोदावरी और कृष्णा के डेल्टा मैदानों का उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से युक्त मध्य भाग बनाते हैं। पूर्वी घाट विशाल नदी घाटियों के कारण एक सतत श्रेणी नहीं बनाते। ये घाट मध्य भारत से सुदुर दक्षिण तक फैली एक बड़ी पर्वतश्रेणी का हिस्सा हैं, जो पूर्वी तट के समानांतर हैं। यहाँ की तटीय मिट्टी बहुत सरंध्र है। इन पर्वतश्रेणियों के पश्चिम क पठार कायांतरित चट्टान से बना है°(ऐसी चट्टान, जो अत्यधिक आंतरिक ताप और दाब के कारण बनती है)। पठार की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 487.6 मीटर है। क्षरण के कारण यह सीढ़ीदार घाटियों का क्षेत्र बन गया है, जहाँ की मिट्टी लाल व रेतीली और पहाड़ियाँ एकल हैं। यहाँ के कुछ क्षेत्रों में काली मिट्टी भी पाई जाती है।
जलवायु
आंध्र प्रदेश में तीन ऋतुएँ पाई जाती हैं-
- मार्च से जून तक ग्रीष्म
- जुलाई से सितंबर तक उष्णकटिबंधीय वर्षा
- अक्टूबर से फ़रवरी तक शीत ऋतु।
पूरे राज्य में अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 23° से 28° से. और 10° से 12° से. के बीच रहता है। तटीय मैदानों में ग्रीष्म ऋतु काफ़ी गर्म रहती है और कुछ स्थानों पर तापमान 42° से. तक पहुँच जाता है। पठार पर गर्मियों में हल्का ठंडापन रहता है और सर्दियों में बहुत ठंड पड़ती है। आंध्र प्रदेश में अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी हवाओं से होती है और कुछ स्थानों पर 1,400 मिमी वर्षा होती है, जबकि अन्य स्थानों पर वर्षा का स्तर केवल 508 मिमी है। आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। पठार के कुछ क्षेत्रों, विशेषकर उत्तर और पश्चिम में बहुत कम वर्षा होती है।
अर्थव्यवस्था
खाद्यान्न उत्पादन में संलग्न आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र कृषि है। आंध्र प्रदेश देश के प्रमुख धान उत्पादन राज्यों में से एक है और भारत में वर्जीनिया तंबाकू का लगभग 4/5 भाग का उत्पादन भी यहीं होता है। राज्य की नदियाँ, विशेषकर गोदावरी और कृष्णा कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। लंबे समय तक इनके लाभ आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों तक सीमित थे, जिन्हें सर्वोत्तम सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध थीं। स्वतंत्रता के बाद शुष्क आंतरिक क्षेत्रों के लिए इन दो नदियों के अलावा अन्य दो नदियों के पानी को एकत्र करने के प्रयास किए गए हैं। नहरों द्वारा सिंचाई करने से तेलंगाना और रायलसीमा क्षेत्रों में तटीय आंध्र प्रदेश की कृषि-औद्योगिक इकाइयों से होड़ लेती इकाइयों की संख्या बढ़ गई है।
कृषि
खाद्यान्न उत्पादन में संलग्न आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र कृषि है। आंध्र प्रदेश देश के प्रमुख धान उत्पादन राज्यों में से एक है और भारत में वर्जीनिया तंबाकू का लगभग 4/5 भाग का उत्पादन भी यहीं होता है। राज्य की नदियाँ, विशेषकर गोदावरी और कृष्णा कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। लंबे समय तक इनके लाभ आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों तक सीमित थे, जिन्हें सर्वोत्तम सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध थीं। स्वतंत्रता के बाद शुष्क आंतरिक क्षेत्रों के लिए इन दो नदियों के अलावा अन्य दो नदियों के पानी को एकत्र करने के प्रयास किए गए हैं। नहरों द्वारा सिंचाई करने से तेलंगाना और रायलसीमा क्षेत्रों में तटीय आंध्र प्रदेश की कृषि-औद्योगिक इकाइयों से होड़ लेती इकाइयों की संख्या बढ़ गई है। आंध्र प्रदेश में नागरिकों का मुख्य व्यवसाय खेती है, इसके लगभग 62 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। आंध्र प्रदेश की मुख्य फ़सल चावल है और यहाँ के लोगों का मुख्य आहार भी चावल ही है। राज्य के कुल अनाज के उत्पादन का 77 प्रतिशत भाग चावल ही है। यहाँ की अन्य प्रमुख फ़सलें – ज्वार, तंबाकू, कपास और गन्ना हैं। मूँगफली भी आंध्र प्रदेश में खूब पैदा होती है। मूँगफली के उत्पादन की दृष्टि से भारत में गुजरात का प्रथम स्थान है, जहाँ कुल उत्पादन की 35.95 प्रतिशत मूँगफली पैदा होती है। इसके बाद आन्ध्र प्रदेश (28.32 प्रतिशत) का दूसरा और तमिलनाडु (11.84 प्रतिशत) का तीसरा स्थान है। आंध्र प्रदेश राज्य के क्षेत्रफल के 23 प्रतिशत हिस्से में सघन घने वन हैं। वन उत्पादों में सागवान, यूकेलिप्टस, काजू, कैस्यूरीना और इमारती लकड़ी मुख्य रूप से हैं।
सिंचाई व्यवस्था
राज्य में महत्त्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं उनमें ‘वंश धारा परियोजना चरण – I’, ‘गोदावरी डेल्टा प्रणाली’, ‘येलेरू जलाशय परियोजना’, ‘कृष्णा डेल्टा पेन्नार नदी नहर प्रणाली’, ‘नीलम संजीव रेड्डी सागर परियोजना’, ‘तुंगभद्रा परियोजना’ और ‘राजो जी बंद परियोजना’ शामिल है। आंध्र प्रदेश भारत का पहला राज्य है जिसमें सिंचाई साधनों के प्रबंधन में किसानों को भागीदार बनाया हैं।
संसाधन
राज्य के खनिज संसाधनों में एस्बेस्टस, अभ्रक, मैंगनीज, बैराइट और उच्च श्रेणी का कोयला शामिल है। राज्य के दक्षिणी भागों निम्न श्रेणी का लौह अयस्क पाया जाता है। देश के कुल बैराइट का अधिकांश उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है। यह दक्षिण भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है, जहाँ कोयले के भंडार पाए जाते हैं। गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार मिले हैं। कभी विश्व प्रसिद्ध रही गोलकुंडा का हीरे की खानों में नए सिरे से उत्पादन किया जा रहा है। इन्हीं खानों में कोहिनूर हीरा और अन्य प्रसिद्ध पत्थर पाए गए थे। यहाँ स्फटिक, चूना-पत्थर और ग्रेफाइट भी पाया जाता है। अपने खनिज संसाधनों के पूर्ण उपयोग के लिए राज्य ने एक खनन और धातु व्यापार निगम स्थापित किया है।
उद्योग और खनिज
कभी औद्योगिक रूप से अल्पविकसित रहा आंध्र प्रदेश 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत के औद्योगिक राज्यों में से एक बन गया है। केंद्र सरकार ने विशाखापट्टनम और हैदराबाद क्षेत्रों में जलपोत निर्माण, वैमानिकी, विद्युत उपकरण, मशीन उपकरण और दवा उद्योग स्थापित किए हैं। अधिकांश निजी उद्योग विजयवाड़ा-गुंटूर क्षेत्र में स्थित हैं, जो रसायन, कपड़ा, सीमेंट, उर्वरक, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पादन और सिगरेट का उत्पादन करते हैं। विशाखापट्टनम में एक तेल परिशोधनशाला है तथा देश का सबसे बड़ा जलपोत निर्माण यार्ड है फिर भी खनन और विनिर्माण उद्योग राज्य की आय का एक छोटा हिस्सा ही है। केंद्र सरकार ने विशाखापट्टनम में एक विशाल इस्पात संयंत्र खोला है, क्योंकि वहाँ कच्चे माल और पत्तन की सुविधाएँ सुलभ हैं। हाल के वर्षों में पनबिजली और ताप विद्युत परियोजनाओं से हुआ विद्युतीकरण भी औद्योगिकीकरण व सिंचाई में सहायक सिद्ध हुआ है। लंबी समुद्री तटरेखा और अनेक नदियों के कारण राज्य में मत्स्य उद्योग भी महत्त्वपूर्ण और विकासोन्मुख उद्योग है।
हैदराबाद और विशाखापत्तनम के पास बड़े उद्योगों में मशीनी औज़ार, औषाधियाँ, भारी बिजली मशीनें, उर्वरक, इलेक्ट्रॉंनिक उपकरण, विमानों के कलपुर्जे, सीमेंट और रसायन, कांच तथा घडियों आदि का उत्पादन होता है। आंध्र प्रदेश में देश के अच्छे किस्म के क्रिसोलाइट एस्बेस्टस के विशालतम भंडार हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ तांबा, मैंगनीज, अभ्रक, कोयला तथा चूना पत्थर जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज भी पाए जाते हैं। सिंगरेनी कोयला खानों से समूचे दक्षिण भारत में कोयले की आपूर्ति की जाती है।
सूचना प्रौद्योगिकी
- आंध्र प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आई. टी. क्षेत्र में राज्य में कई योजनाएं शुरू की गयी हैं।
- वारंगल, तिरुपति, काकीनाडा, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर और कडप्पा जैसे शहरों में सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार हो रहा है। आई. आई. टी. मेडक ज़िले में कार्य करना शुरू कर रहा है और बिट्स पिलानी भी हैदराबाद में कैंपस खोलने की तैयारी कर रहा है।
- राजीव गांधी ज्ञान प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन तीन भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (कडप्पा में इदुपुलपया, कृष्णा ज़िले में नुजविद तथा आदिलाबाद में बसारा में) खोलने के लिए प्रयास हो रहे हैं।
परिवहन
सड़कें
- सन 2007 तक आंध्र प्रदेश से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 4,647 किलोमीटर थी और प्रांतीय सड़कों की लंबाई 63,863 किलोमीटर थी जिसमें 10,412 किलोमीटर प्रांतीय राजमार्ग थे।
- यहाँ की विस्तृत सड़क प्रणाली में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं, जो आंध्र प्रदेश को देश के अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं।
- सड़कों की व्यवस्था राज्य और स्थानीय शासन के हाथ में है।
- बस परिवहन, जिसके एक बड़े भाग का 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में फिर से निजीकरण कर दिया गया, विभिन्न शहरों के बीच द्रुतगामी सुविधाएँ प्रदान करता है।
रेलवे
- राज्य के अधिकांश भागों में रेल प्रणाली है, जो इसे भारत के अन्य भागों से जोड़ती है।
- आंध्र प्रदेश में लगभग 5,107 किलोमीटर रेलमार्गो में से 4,633 किलोमीटर बड़ी लाइन वाले, 437 किलोमीटर मीटर गेज तथा 37 किलोमीटर छोटी लाइन वाले हैं।
उड्डयन
- विशाखापट्टनम एक प्रमुख समुद्री अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह है।
- राज्य में चार प्रमुख हवाई अड्डे हैं- हैदराबाद, विजयवाड़ा, तिरुपति और विशाखापट्टनम।
- हैदराबाद से नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं।
बंदरगाह
- तटीय क्षेत्रों में नहरों, विशेषकर कृष्णा नदी से चेन्नई तक तट के समानांतर बह रही खारे पानी की कोम्मामुर नहर का उपयोग माल ढोने के लिए किया जाता है।
- विशाखापट्टनम एक प्रमुख समुद्री अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह है।
शिक्षा
आंध्र प्रदेश में साक्षरता दर लगभग 61.11 प्रतिशत है। राज्य की शिक्षा प्रणाली में स्कूली शिक्षा के 10 वर्ष के बाद दो वर्ष का जूनियर कॉलेज पाठ्यक्रम शामिल है, उसके बाद स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा की व्यवस्था है। 1961 से राज्य में प्राथमिक शिक्षा नि:शुल्क और अनिवार्य रही है। स्थानीय निकायों के अंतर्गत आने वाली माध्यमिक शिक्षा भी नि:शुल्क है। राज्य में 12 विश्वविद्यालय हैं- हैदराबाद (कृषि विश्वविद्यालय सहित पाँच), वॉल्टेयर, वारंगल, गुंटूर, विजयवाड़ा, अनंतपुर और तिरुपति (दो) – प्रत्येक से कई महाविद्यालय संबद्ध हैं। कई संस्थान स्नातकोत्तर प्रशिक्षण और सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। हैदराबाद में अंग्रेज़ी और विदेशी भाषाओं का केंद्रीय संस्थान है।
औद्योगिकीकरण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई वर्षों से तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बहुत से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हैं, विश्वविद्यालयों के इंजीनियरिंग कॉलेज उच्चस्तरीय तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षित करते हैं। ये सुविधाएं निजी तौर पर काम करने वाले संस्थानों में भी उपलब्ध हैं।
सांस्कृतिक जीवन
भारतीय सांस्कृतिक विरासत में आंध्र प्रदेश का योगदान उल्लेखनीय है। प्राचीन समय से इस क्षेत्र में वास्तुकला और चित्रकला अत्यंत विकसित रही। भारतीय परंपरा में कुचिपुडी नृत्य शैली अनोखी है। कर्नाटक (दक्षिण भारतीय) संगीत ने आंध्र प्रदेश से बहुत कुछ ग्रहण किया है। कई दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीतकार आंध्र प्रदेश के हैं और बहुत सी संगीत रचनाओं की भाषा तेलुगु रही है। द्रविड़ परिवार की चार प्रमुख साहित्यिक भाषाओं में से एक तेलुगु का भारतीय भाषाओं में सम्मानित स्थान है। यह भाषा अपनी पुरातन शैली और मधुर प्रवाह के लिए विख्यात है। आधुनिक भारतीय साहित्यिक पुनर्जागरण में आंध्रवासी प्रमुख रहे हैं और उनके लेखन में साहित्यिक स्वरूपों और अभिव्यक्ति में आई समकालीन क्रांति का प्रभाव प्रतिबिंबित हुआ है। यहाँ अंग्रेजी, तेलुगु और उर्दू में कई पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं।
तेलंगाना क्षेत्र की मुस्लिम संस्कृति राज्य की सांस्कृतिक विविधता को और भी समृद्ध करती है। कला व साहित्य राजसी व निजी संरक्षण में पनपते थे, जिनमें से कुछ प्रतिष्ठान आज भी कार्यरत हैं। राज्य ने ललित कलाओं, नृत्य, नाटक, संगीत और साहित्य के पुनरुत्थान, उनकी लोकप्रियता बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए स्वायत्त अकादमियाँ बनाई हैं। संस्कृति की सतत चेतना ग्रामीण की बजाय एक शहरी प्रक्रिया है, क्योंकि सांस्कृतिक कार्यक्रम, साहित्यिक बैठकें और धार्मिक चर्चाएं अधिकतर नगरों या शहरों में होती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोकसंस्कृति की प्रधानता है। राज्य के अलग-अलग भागों में विभिन्न ऐतिहासिक परिस्थितियों में हुए सांस्कृतिक विकास के कारण वहाँ की बोलियों, जाति व्यवस्था और आदतों में अंतर आने से लोककला में वैविध्य आया। लोकगायकों द्वारा गायन, कठपुतली नाच और पौराणिक कथा वाचन इस क्षेत्र की अपनी कलाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संचार माध्यमों, विशेषकर रेडियों और टेलीविजन की पहुँच से ग्रामीण जनता में शास्त्रीय संस्कृति और शहरी जनता में लोक संस्कृति संबंधी जागरुकता लाने में मदद मिली है। आंध्र प्रदेश फ़िल्म बनाने वाले कुछ प्रमुख भारतीय राज्यों में से एक है।
पर्यटन स्थल
- हैदराबाद में चारमीनार, सालारजंग संग्रहालय और गोलकुंडा क़िला
- वारंगल में सहस्त्र स्तंभ मंदिर और क़िला
- यादागिरिगुट्टा में श्रीलक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर
- नागार्जुनकोंडा और नागार्जुन सागर में बौद्ध स्तूप
- तिरूमाला-तिरूपति में श्री तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर
- श्रीसेलमक का श्रीमल्लिकार्जुनस्वामी मंदिर
- विजयवाड़ा का कनक दुर्गा मंदिर
- पानीगिरि, जहाँ प्राचीन शातवाहन कालीन बौद्ध उपनिवेश के भग्नावशेष हैं।
- अन्नावरम में श्री सत्यनारायण स्वामी मंदिर
- सिम्हाचलम में श्री वराह नरसिंह स्वामी मंदिर
- भद्राचलम में श्री सीताराम मंदिर, अरकुघाटी, होर्सले पहाडियाँ, शेषचलम पहाड़ियाँ, एरामला पर्वतमाला, नल्लामलाई पर्वत और नेलापटटू आदि आंध्र प्रदेश के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं।
- हैदराबाद की हुसैन सागर झील में टैंकबंद में प्रमुख तेलुगु महापुरुषों की 33 आदमक़द मूर्तियां लगाई गई हैं और झील के बीच में जिब्राल्टर चट्टान पर 60 फुट की विशालकाय बुद्ध प्रतिमा लगाई गई है। यह झील हैदराबाद और सिकंदराबाद शहरों को अलग करती है।
- केसरपल्ली आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िलांतर्गत एक ऐतिहासिक स्थान है।
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