कावेरी जल विवाद: जाने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच की लड़ाई की मुख्य वजह

कावेरी जल विवाद: जाने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच की लड़ाई की मुख्य वजह




कर्नाटक में हाल की हिंसक घटनाओं ने 124 साल पुराने कावेरी जल विवाद को पुनः सुर्खियों में ला दिया है। इस समस्या को हल करने के कई प्रयासों के बावजूद, जब भी कावेरी नदी के जल के बंटवारे की बात आती है तो दो दक्षिणी राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु आपस में भिड़ जाते हैं| पिछली वारदातों की तरह इस बार भी तथ्य और आंकड़ों के बजाय भावनाओं एवं विचारों का वर्चस्व होने के कारण पूरे क्षेत्र में छिटपुट हिंसा की कई घटनाएं देखने को मिली है| यदि आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो अभी भी वास्तविक समस्या और एक सदी से भी अधिक समय से चल रहे इस विवाद के कारणों से अनभिज्ञ हैं तो हम यहाँ आपके लिए कावेरी जल विवाद और इसके ऐतिहासिक परिदृश्य का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं|

कावेरी नदी:

कावेरी नदी दक्षिण भारत की एक बड़ी नदी है जो कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से होकर बहती है। यह नदी कर्नाटक केकोडगू/कुर्ग जिले में तालकावेरी से निकलती है और तमिलनाडु में पोम्पुहार के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है| यह नदी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से दोनों राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है।

कावेरी जल विवाद

कावेरी नदी 124 से अधिक वर्षों से कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के बीच संघर्ष की एक प्रमुख वजह रही है। इस मामले में मुख्य लड़ाई हमेशा दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी के पानी के वितरण एवं हिस्सेदारी को लेकर रहा है। पिछले कई वर्षों के दौरान दोनों राज्यों और केंद्र सरकार की तरफ से इस विवाद को हल करने के लिए कई बार प्रयास किये गए जो नाकाम रहे हैं और अब यह विवाद क्षेत्रीय संघर्ष में तब्दील हो गया है| कावेरी जल विवाद दोनों राज्यों के आम लोगों के लिए एक बहुत ही संवेदनशील विषय बन गया है और अब इसे दोनों राज्यों के बीच क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई के रूप में देखा जाने लगा है|
cauvery water dispute - कावेरी जल विवाद: जाने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच की लड़ाई की मुख्य वजह
Source: Quora




कावेरी जल विवाद से संबंधित प्रमुख बिन्दु निम्न हैं:

1. कावेरी नदी का जल दोनों राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कर्नाटक के लोग पीने के पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए इस पर निर्भर हैं, जबकि तमिलनाडु में कावेरी डेल्टा के किसान कृषि और आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं।
2. कावेरी नदी के पानी के लिए लड़ाई कम वर्षा वाले वर्षों के दौरान और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है,क्योंकि उस समयकावेरी नदी का पूरा डेल्टा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ जाता है| इसलिए, कावेरी नदी का पानी इस क्षेत्र में पानी का एकमात्र स्रोत है।




3. जहां तक जल संसाधन का सवाल है, तो कावेरी नदी के कुल जल संसाधन में से 53% कर्नाटक की भौगोलिक सीमाओं के भीतर बहती है, जबकि केवल 30% तमिलनाडु की भौगोलिक सीमाओं के भीतर बहती है|
4. दूसरी ओर, कावेरी नदी के कुल बेसिन क्षेत्र (नदी द्वारा सिंचित भू-भाग) में से 54%तमिलनाडु राज्य में है, जबकिकेवल 42% ही कर्नाटक राज्य में है।
5. उपरोक्त तथ्यों के अनुसार, चूँकि कावेरी नदी कर्नाटक राज्य से निकलती है इसलिए वे उसके पानी पर अधिक अधिकार का दावा करते हैं और कुल जल संसाधन के 53% का उपयोग करते हैं|
6. इसी तरह, पारंपरिक और ऐतिहासिक दृष्टि से तमिलनाडु कावेरी के पानी पर निर्भर है क्योंकि राज्य के उत्तरी भागमें सिंचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए कावेरी नदी का पानी ही एकमात्र स्रोत है| इसके अलावा, कावेरी नदी के बेसिनक्षेत्र में तमिलनाडु की अधिक हिस्सेदारी है और अतीत में वह अधिक पानी का उपयोग करता रहा है जिसके कारण वह कर्नाटक से अधिक पानी की मांग कर रहा है|

कावेरी जल विवादऐतिहासिक अवलोकन

कावेरी जल विवाद देश की आजादी से पहले का है और पहली बार ब्रिटिश शासन के दौरान 1890 में सुर्खियों में आया था। 1890 के दशक में ब्रिटिश शासन के तहत मैसूर की शाही रियासत ने पीने और सिंचाई हेतु कावेरी के पानी का उपयोग करने के लिए कावेरी नदी पर बांध के निर्माण की योजना बनाई| लेकिन मद्रास प्रेसीडेंसी द्वारा इस पर आपत्ति जताई गई थी। नतीजतन, ब्रिटिश शासन ने कावेरी जल विवाद पर चर्चा करने एवं इस विवाद के निपटारे के लिए उचित हल ढूंढने हेतु दोनों राज्यों की एक बैठक बुलाई थी| तब से, कावेरी नदी दोनों राज्यों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है|
विभिन्न कालखंड में कावेरी जल विवाद पर जिन घटनाओं ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाले उन्हें नीचे सूचीबद्ध किया जा रहा है:
1892 – ब्रिटिश शासन के दौरान मैसूर एवं मद्रास राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके तहत मैसूर राज्य को उसकी सिंचाई परियोजनाओं को जारी रखने की अनुमति दी गई, जबकि मद्रासराज्य को उसके हितों की सुरक्षा का आश्वासन प्रदान किया गया|
1910 – 1892 के समझौते की अनदेखी करते हुए मैसूर राज्य ने 41.5 टीएमसी पानी एकत्रित करने के उद्येश्य से कावेरी नदी पर एक बांध बनाने की योजना बनाई| मद्रास राज्य ने इस कदम पर आपत्ति जताई और बांध के निर्माण के लिए अपनी सहमति देने से मना कर दिया।
1913 – इस विवाद को हल करने के उद्येश्य से भारत की ब्रिटिश सरकार ने सर एच डी ग्रिफिन की अध्यक्षता में एक मध्यस्थता आयोग का गठन किया| एम नेथर्सोल, जो उस समय भारत के सिंचाई विभाग में इंस्पेक्टर जनरल थे, उन्हें इस आयोग का विश्लेषक बनाया गया था। यह पहली घटना थी जब कावेरी जल विवाद मध्यस्थता के अंतर्गत आया था|
1924 – कावेरी नदी के जल को लेकर संघर्ष अगले दशक में भी जारी रहा| लेकिन 1924 में एक नए समझौते के रूप में एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई थी| नए समझौते का प्रारूप कावेरी नदी के पानी के ऐतिहासिक उपयोग एवं प्रत्येक राज्य की जनसंख्या की निर्भरता के आधार पर तैयार किया गया था।



अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमे फेसबुक (Facebook) पर ज्वाइन करे Click Now

1892 और 1924 के समझौतों के अनुसार कावेरी नदी के पानी को निम्न रूप में वितरित किया गया था:

75 प्रतिशत  तमिलनाडु और पुडुचेरी
23 प्रतिशत  कर्नाटक
शेष पानी केरल
1956 – आजादी के बाद भारत में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत, कूर्ग (कावेरी का जन्मस्थान), मैसूर राज्य का हिस्सा बन गया। तत्कालीन हैदराबाद और बंबई प्रेसीडेंसी के अधिकांश भू-भाग मैसूर राज्य में चले गए| राज्यों के पुनर्गठन के बाद, कर्नाटक ने 1924 के कावेरी जल बंटवारा समझौते की समीक्षा के लिए मांग उठाना शुरू कर दिया हालांकि, तमिलनाडु और केन्द्र सरकार ने उसकी मांग को खारिज करते हुए कहा कि इस समझौते को 50 साल बाद अर्थात 1974 के बाद ही समीक्षा की जा सकती है|
1972 – 1924 के समझौते की समाप्ति के साथ ही केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया जिसने सुझाव दिया कितमिलनाडु को 566 टीएमसी पानी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) और कर्नाटक को 177 टीएमसी पानी के इस्तेमाल की अनुमति दी जाय|
1976 – एक अन्य समझौते पर हस्ताक्षर द्वारा कावेरी नदी के अतिरिक्त 125 टीएमसी पानी के उपयोग की शर्तों पर निर्णय लिया गया| इस समझौते के अनुसार, अतिरिक्त जलराशि में से 87 टीएमसी कर्नाटक को34 टीएमसी केरलको और टीएमसी तमिलनाडु को देने की घोषणा की गई| बहरहाल, इस समझौते को कर्नाटक के द्वारा स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वह पानी के बंटवारे के अंतरराष्ट्रीय नियम के अनुसार बराबर अनुपात में पानी चाहता था। इस बीच, सिंचाई के लिए कावेरी नदी पर तमिलनाडु की निर्भरता बहुत बढ़ गई और उसने लाख एकड़ तक कुल सिंचित क्षेत्र का विस्तार कर लिया था| यह दोनों राज्यों के बीच टकराव का एक महत्वपूर्ण कारण था|
1990 – पानी के बंटवारे के समझौते पर किसी आम सहमति पर पहुंचने में नाकाम रहने के बाद दोनों राज्य सरकारों नेसर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च न्यायलय ने जून1990 को केंद्र सरकार को कावेरी जल विवादप्राधिकरण (CWDT) का गठन करने का आदेश दिया|
2007 – अपने गठन के 17 साल बाद कावेरी जल विवाद प्राधिकरण (CWDT) ने अपनी अंतिम निर्णय में कहा कि सामान्य वर्षों में नदी में पानी की कुल उपलब्धता 40 टीएमसी रहेगी| इसी तरह प्राधिकरण ने सभी राज्यों के बीच पानी को निम्नलिखित रूप में वितरित किया था:
cauvery water dispute - कावेरी जल विवाद: जाने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच की लड़ाई की मुख्य वजह
Source: Quora
तमिलनाडु: 419 टीएमसी (मांग 512 टीएमसी)
कर्नाटक: 270 टीएमसी (मांग 465 टीएमसी)
केरल: 30 टीएमसी
पुडुचेरी: 7 टीएमसी
चारों राज्यों को 726 टीएमसी पानी आवंटन करने के अलावा, प्राधिकरण ने पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से 10 टीएमसीपानी और समुद्र में निरंतर प्रवाह के लिए टीएमसी पानी का आवंटन किया|
2012 – तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कावेरी नदी प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार से कहा कि वह तमिलनाडु के लिए प्रतिदिन 9,000 क्यूसेक पानी छोड़े| कर्नाटक सरकार ने इस आदेश का पालन करने से मना कर दिया| जिसके बाद तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में अपील की, सर्वोच्च न्यायलय ने कर्नाटक सरकार को पानी छोड़ने का आदेश दिया| अंततः कर्नाटक सरकार को पानी छोड़ना पड़ा| लेकिन इसके विरोध में कर्नाटक राज्य में कई हिंसक प्रदर्शन हुए|
2016 – इस विवाद को हल करने के उद्येश्य से, अगस्त 2016 में तमिलनाडु सरकार ने कावेरी प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के अनुसार पानी छोड़ने की मांग को लेकर पुनः सर्वोच्च न्यायलय में अपील की| सर्वोच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक सरकार  अगले 10 दिनों तक तमिलनाडु के लिए 15000 क्यूसेक पानी छोड़े|सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश के तहत कर्नाटक अब तमिलनाडु के लिए 12000 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है |




अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमे फेसबुक (Facebook) पर ज्वाइन करे Click Now
नवीन जिलों का गठन (राजस्थान) | Formation Of New Districts Rajasthan राजस्थान में स्त्री के आभूषण (women’s jewelery in rajasthan) Best Places to visit in Rajasthan (राजस्थान में घूमने के लिए बेहतरीन जगह) हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगह {places to visit in himachal pradesh} उत्तराखंड में घूमने की जगह (places to visit in uttarakhand) भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग की सूची Human heart (मनुष्य हृदय) लीवर खराब होने के लक्षण (symptoms of liver damage) दौड़ने के लिए कुछ टिप्स विश्व का सबसे छोटा महासागर हिंदी नोट्स राजस्थान के राज्यपालों की सूची Biology MCQ in Hindi जीव विज्ञान नोट्स हिंदी में कक्षा 12 वीं कक्षा 12 जीव विज्ञान वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिंदी में अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण Class 12 Chemistry MCQ in Hindi Biology MCQ in Hindi जीव विज्ञान नोट्स हिंदी में कक्षा 12 वीं भारत देश के बारे में सामान्य जानकारी राजस्थान की खारे पानी की झील राजस्थान का एकीकरण राजस्थान में मीठे पानी की झीलें