कोशिका सिद्धांत Cell Theory
कोशिका सिद्धांत मैथियास जैकब श्लाइडेन (Mathias Jacob Scliden, 1838) व थियोडोर श्वान (Theodore Schwann, 1839) ने दिया। उन्होंने कहा की पादपों तथा जंतुओं का शरीर कोशिका तथा कोशिका के उत्पादों से मिलकर बने है।
सर्वप्रथम रुडोल्फ विर्चो (Rudolf Virchow) ने बताया की ओमनिस सेलुला–इ–सेलुला (Omnis Cellulaie Cellula means all cells arise from pre-existing cells ) अथार्त कोशिका विभाजित होती है, और नई कोशिकाओं की उत्पति पूर्ववर्ती (pre-exiting) कोशिकाओं के विभाजन से होती है।
आधुनिक कोशिका सिद्धांत {Modern cell theory}
रुडोल्फ विर्चो (Rudolf Virchow) ने श्लाइडेन व श्वान के इस सिद्धांत में बदलाव कर नया कोशिका सिद्धांत प्रतिपादित की, जिसे आधुनिक कोशिका सिद्धांत (Modern cell theory) कहते है। जिसके अनुसार-
- प्रत्येक सजीव का शरीर एक या अधिक कोशिकाओं से बना होता है।
- कोशिका सजीवों की संरचनात्मक एंव क्रियात्मक इकाई (Structural and functional unit) है।
- सभी कोशिकाएँ आधारी रूप से (basically) एक समान होती हैं। जिसमें जीवद्रव्य (Cytoplasm), केन्द्रक (Nucleus) एवं कोशिकांग (Organelles) होते है।
- कोशिका पर पतली कोशिका झिल्ली (Cell memberane) एवं कोशिका भित्ति (Cell wall) का आवरण होता है। कोशिका भित्ति केवल पादप कोशिकाओं (Plant cells) में पाई जाती है, प्राणी कोशिकाओं (Animal cells) में नहीं पाई जाती है।
- सभी कोशिकाओं का रासायनिक संगठन (Chemical compostion) एंव उपापचयी क्रियाएँ (Metabolic reaction) एक समान होती हैं। इसलिए कोशिका को सजीवों की क्रियात्मक इकाई (Functional unit) कहा जाता है।
- नई कोशिकाएँ पूर्ववर्ती कोशिकाओं के विभाजन से बनती है।
- कोशिकाओं आनुवंशिक पदार्थ उपस्थित होता है जो एक सन्तति से दूसरी सन्तति में वंशागत होता है। इसलिए कोशिका को वंशागति की इकाई (unit of heredity) कहा जा सकता है।
कोशिका सिद्धांत के अपवाद {Exceptions to cell theory}
कोशिका सिद्धांत के अपवाद निम्न है-
(I) विषाणु (Virus)
वायरस अकोशिकीय होते है इनमें केवल न्यूक्लिक अम्ल (DNA अथवा RNA) और प्रोटीन होता है।
(II) विषाणु कण/ विरोइडस (Viriods)
विरोइडस केवल आरएनए कण को कहा जाता है।
(III) विरिओन (Virions)
ये विषाणुविय जीनोम के निष्क्रिय वाहक (Inactive carrier) होते हैं।
(IV) प्रीओन (Prions)
ये विषाणु का बाहरी केवल प्रोटीन का आवरण होता है इनमें न्यूक्लिक अम्ल अनुपस्थित होते है।
(V) लाल रक्त कणिकाएँ (RBC)
स्तनधारियों के रक्ताणु में केन्द्रक अनुपस्थित होता है। ऊँट व लामा के आरबीसी में केन्द्रक उपस्थित होते है।
(VII) लसिकाणु (Lymphocytes)
बी और टी लसिकाणु में प्रारुपी आनुवांशिक पदार्थ (Formative genetic material) अनुपस्थित होते हैं।
इनको के निम्न कारणों से अपवाद कहा जाता हैं –
- इनमें कोशिका झिल्ली, जीवद्रव्य, कोशिकांगो, एन्जाइम तथा अन्य कोशिकीय अवयव (Cell Componant) आदि का अभाव होता है।
- इनमें विभाजन की क्षमता नहीं पाई जाती है। इनकों विभाजन के लिए जीवित परपोषी कोशिका (Live host cell) की आवश्यकता है
- सामान्यत: इनमें DNA अथवा RNA में से कोई एक ही उपस्थित होता है। जबकि प्रत्येक कोशिका में दोनों केन्द्रक अम्ल पाये जाते हैं।
Biology Notes In Hindi
कोशिका सिद्धांत Cell Theory in hindi
1838 में जर्मनी के वनस्पती वैज्ञानिक मैथियस स्लाइडन व 1839 में श्वसन ने विभिन्न पादप कोशिकाओं व जन्तु कोशिकाओं का अध्ययन कर कोशिका सिद्धांत दिया |
उनके अनुसार सभी पादपों व जन्तुओं का शरीर कोशिकाओ व उत्पाद से बना होता है तथा कोशिकाओं के बाहर पतली परत पायी जाती है जिसे जीव द्रव्य झिल्ली कहते है |
कोशिका सिद्धांत को निगेली व रन्डोल्फ विर्चोव ने 1855 में नए रूप में प्रस्तुत किया |
- सभी जीव कोशिकाओं तथा उनके उत्पादों से बने होते है |
- नवीन कोशिकाओं का निर्माण पुनरावर्ती कोशिकाओं के विभाजन से होता है |
- कोशिका सजीव शरीर की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई होती है |
- कोशिका में जीव के आनुवांशिक गुण निहित होते है |
- प्रत्येक कोशिका जीवन के उद्भव व स्वभाव को प्रदर्शित करती है |
कोशिका का समग्र अवलोकन
आकार के अनुसार कोशिकाओ में विविधता पायी जाती है , ये छाडाकार , सर्पिल , कोमाकार एवं विभिन्न आकार की हो सकती है | पादप कोशिकाओं का व्यास 15 से 100 म्यू तक होती है | सबसे छोटी कोशिका माइक्रोप्लाज्मा 0.3 माइक्रोमीटर लम्बाई की जबकि जीवाणु कोशिकाओं 3 से 5 माइक्रोमीटर की होती है | यूकेरीयेटिक कोशिकाओं में शुतरमुर्ग का अण्डा सबसे बड़ी कोशिका होती है जिसका व्यास 15 सेंटीमीटर होता है , मानव में RBC का व्यास 7 माइक्रो मीटर होता है , तंत्रिका कोशिका शरीर की सबसे लम्बी कोशिका होती है | पादपों में बोहमेरिया निविया की कोशिकाओं 22-55 cm होती है |
कोशिकाएँ विम्बाकर , बहुभुजी , स्तंभी , घनाभ या धागे के समान आकृति की होती है | कोशिकाओं का भिन्न रूप उनके कार्य के अनुसार होता है
विकास व केन्द्रक की संरचना के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती है –
- प्रोकेरियोटिक कोशिका / अससीम केन्द्रकी कोशिका (Prokoryotic cells) :- ऐसी कोशिकाएँ जिनमे झिल्ली युक्त सुसंगठित केन्द्रक तथा दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांगो का अभाव होता है प्रोकेरियोटिक कोशिकाओ में केन्द्रक के समतुल्य अंग को केन्द्रकाभ कहते है | इन कोशिकाओं में आनुवांशिक पदार्थ गुणसूत्रों के रूप में न होकर नग्न , न्यूक्लिक अम्ल के रूप में होता है इनमे स्ट्रान प्रोटीन का अभाव होता है तथा श्वसन के लिए मिसोसोम होते है |
- यूकैरियोटिक कोशिका / समीमकेन्द्रकी कोशिका (ukargatic cells) :- सभी उच्च पादपों व प्राणियों यूकैरियोटिक कोशिका होती है , इनमें सुसंगठित व झिल्ली युक्त केन्द्रक पाया जाता है | तथा दोहरी झिल्ली से परिबद्ध कोशिकांग पाये जाते है | इनमे आनुवांशिक पदार्थ गुणसूत्रों के रूप तथा स्ट्रोन प्रोटीन पायी जाती है |
प्रोकेरियोटिक कोशिका व यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर
लक्षण |
प्रोकेरियोटिक कोशिका |
यूकैरियोटिक कोशिका |
1. आकार | छोटी व आध्य होती है | | बड़ी व विकसित होती है |
2. केन्द्रक | सुसंगठित केन्द्रक का अभाव | सुसंगठित केन्द्रक उपस्थित |
3. आनुवांशिक पदार्थ | नग्न न्यूक्लिक अम्ल के रूप में | गुणसूत्रों के रूप में |
4. कोशिकीय श्वसन | मीजोसोम द्वारा | माइटोकोंड्रिया द्वारा |
5. कोशिकांग | अनुपस्थित | उपस्थित |
6. राइबोसोम | 70 S प्रकार का | 80 S प्रकार का |
7. हिस्टोन प्रोटीन | अनुपस्थित | उपस्थित |
8. कोशिका विभाजन | सरल प्रकार का | उपस्थित |
9. उदाहरण | शैवाल , जीवाणु , माइकोप्लाज्मा , प्लूरोनिमोनिया समजीव (PPLO) | उच्च पादप व उच्च जंतु |
पादप व जंतु कोशिका में अंतर
लक्षण |
पादप कोशिका |
जन्तु कोशिका |
1. कोशिका भित्ति | उपस्थित होती है | अनुपस्थित होती है |
2. रसधानी | बड़ी होती है | छोटी या अनुपस्थित होती है |
3. पोषण | स्वपोषी होती है | परपोषी होती है |
4. तारककाय | अनुपस्थित | उपस्थित |
5. भोजन संचय | स्टार्च के रूप में | ग्लाइकोजन के रूप में |
6. कोशिका विभाजन | कोशिका विभाजन के समय कोशिका पट का निर्माण होता है | कोशिका खांच के रूप में निर्माण होता है |