चन्द्रगिरी क़िला | |
विवरण | ‘चन्द्रगिरी क़िला’ केरल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। क़िले की दक्षिणी दीवार सूर्यास्त देखने के लिए एक आदर्श स्थल है। |
राज्य | केरल |
ज़िला | कसरगोड |
निर्माण काल | 17वीं शताब्दी |
निर्माणकर्ता | शिवप्पा नायक |
संबंधित लेख | कसरगोड, केरल के पर्यटन स्थल |
अन्य जानकारी | विजयनगर के पतन के बाद इस क़िले का निर्माण किया गया था। बाद के समय यह मैसूर के हैदर अली और फिर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधिकार में रहा। |
चन्द्रगिरी क़िला केरल में दक्षिण-पूर्व कसरगोड में स्थित है। यह प्रसिद्ध क़िला चन्द्रगिरी नदी के किनारे अवस्थित है। यह नारियल के पेड़ों द्वारा सजा हुआ, पुराने क़िले के साथ एक आकर्षक पर्यटन स्थल है, जिसके साथ एक नदी बह रही है और इसके एक तरफ अरब सागर है। इसके अलावा, क़िले की दक्षिणी दीवार सूर्यास्त देखने के लिए एक आदर्श स्थल है।
- इस क़िले का निर्माण 17वीं शताब्दी में बेदनूर के शिवप्पा नायक द्वारा करवाया गया था।
- चन्द्रगिरी नदी के दक्षिणी तट पर बने इस क़िले के दूसरी तरफ पायसविनी नदी बहती है।
- क़िले के नजदीक ही एक मस्जिद और मंदिर बना हुआ है।
- विशाल वर्गाकार क्षेत्र में निर्मित यह क़िला कसरगोड नगर से 3 कि.मी. की दूरी पर है।
- केरल के इस क़िले की अपनी एक कहानी है। कई सौ वर्ष पहले चन्द्रगिरी नदी को ‘कोलाथुनाडू’ एवं ‘थुलुनाडू’ की सीमा माना जाता था। दोनों ही राज्य बहुत शक्तिशाली थे। जब विजयनगर के राजा ने थुलुनाडू पर कब्ज़ा कर लिया तो चन्द्रगिरी विजयनगर साम्राज्य का एक भाग बन गया।
- सोलहवीं शताब्दी में शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य का पतन हुआ। तब चन्द्रगिरी एक स्वतंत्र राज्य बना और सुरक्षा के लिए चंद्रगिरी क़िले का निर्माण किया गया। बाद में यह क़िला मैसूर के हैदर अली के पास था और इसके बाद यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास चला गया।[1]
- वर्तमान में चन्द्रगिरी क़िला केरल राज्य के पुरातात्विक विभाग द्वारा संरक्षित है।
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