रोग Disease
रोग दो प्रकार के होते है –
- संक्रामक रोग
- आनुवंशिक रोग
1 संक्रामक रोग –
वे रोग जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य में फैलते है | संक्रामक रोग कहलाते है |
विषाणु जनित रोग , जीवाणु , प्रोटोजोआ , कवक जनित रोग
A वायरस या विषाणु जनित रोग
रेबीज – ( वायरस – Rebdo )
- यह एक तंत्रिका का रोग है , इस रोग के दौरान सर्वाधिक अंग मस्तिष्क रहता है |
- यह सामान्यत: कुत्ते के काटने से होता है |
- रेबीज के रोगी को पानी से डर लगता है , इसलिए इसे हाइड्रोफिबिया कहते है |
- इसकी दवाइयां रेबीपुर कहलाती है |
चेचक / Small Pox – ( वायरस – बेरियोला )
- इस रोग के दौरान सर्वाधिक अंग त्वचा होती है |
छोटी माता / Chicken Pox – ( वायरस-वैरिसेला )
- इस रोग से प्रभावित अंग त्वचा होती है |
- यह रोग जीवन में एक बार 100% होता है |
हेपेटाइटिस – ( हेपेटाइटिस – A,B,C,D )
- इस रोग में सर्वाधिक प्रभावित अंग यकृत होता है |
- हेपेटाइटिस बी विश्व में सर्वाधिक होता है |
AIDS- ( वायरस HIV )
- A – एक्वायर्ड ( जन्म के बाद )
- I – इम्यूनो ( प्रतिष्ठा प्रणाली )
- D – डेफिएन्सी ( कमी )
- S – सिन्ड्रोम ( बीमारियों का समूह )
- विश्व एड्स दिवस प्रतिवर्ष 1 दिसम्बर को मनाया जाता है |
- विश्व में सर्वाधिक एड्स रोगी दक्षिणी अफ्रीका में है | जबकि एड्स राजधानी युगांडा को कहते है |
- भारत सरकार ने एड्स जानकारी व जागरूकता के लिए 1 दिसम्बर 2005 से “ रेड रिबन ट्रेन “ चलाई थी |
- भारत में एड्स से संबंधित संस्था – ( NARI ( National Aids Research Institute ) पुणे में है |
डेंगू – वायरस – आर्बो )
- डेंगू को हड्डी तोड़ भुखार भी कहते है | इसके मच्छर को टाइगर मच्छर भी कहते है |
- इसका प्रथम रोगी 1958 ई. में फिलिफिंस में देखा गया |
गलसुखा / कनफेडा / गलसुडा – ( वायरस Mumps )
- गलसुखा से प्रभावित अंग लारग्रन्थि होती है | तथा इस रोग का संबंध गले से होता है |
- गलसुखा रोग के दौरान गले में सुजन आ जाता है तथा पानी पीने व थूकने में दर्द उत्पन्न होता है |
- इस रोग में उपचार के लिए नमक के पानी से सिकाई की जाती है तथा टेरामाइसिन का इन्जेक्सन लगाया जाता है |
पोलियो ( वायरस – पोलियो माइलेटिस )
- यह रोग प्राय बच्चो में होता है |
- पोलियो दूषित पानी मिट्टी व भोजन से फैलता है |
- इसकी दवा O.P.V. ( Oral Polio Vaccine ) है
- इसका एकमात्र टीका है जो महू में दिया जाता है |
- भारत में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत 1978 ई. में हुई |
- विश्व का प्रथम पोलियों मुक्त देश व्यूबा बना था |
स्वाइन फ्लू ( वायरस H5 N1 )
- इस रोग के दौरान बार- बार उलटी व तेज बुखार जैसी परेशानियाँ होती है | तथा सबसे प्रभावित अंग स्वसन अंग होता है |
- स्वाइन फ्लू की दवा टेलीफ्लू होती है |
चिकनगुनिया ( वायरस –एल्फा )
- इस रोग में जोड़ो में दर्द होता है इस रोग का वाहक मच्छर होता है |
ट्राईकोमा ( वायरस – ट्राईकोमा )
- इससे प्रभावित अंग आँख की रेटिना होती है |
- इस रोग के दौरान रोगी अंधा भी हो सकता है |
- जीवाणु जनित बीमारियाँ
टी.बी.
- टी.बी. का जीवाणु माइकोबैक्टीरिया ट्युबर क्लोसिस है |
- इस रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित फेंफडे होते है |
- इस रोग के दौरान खांसी वजन में कमी तथा कफ के साथ रक्त आता है |
- टी.बी. का टीका बेसिल्स काल्मेट है |
- प्रतिवर्ष टी.बी. दिवस 24 मार्च को मनाते है |
प्लेग
- इसका जीवाणु बैसिलस पेस्टिस होता है |
- पलेग की प्रारम्भिक अवस्था में तीव्र ज्वर होता है |
हैजा
- इसका जीवाणु विब्रियो कॉलेरा होता है |
- हैजा में प्रभावित अंग आंत होती है |
- हैजा दूषित जल पीने से होता है |
टिटनेस/धनुषटंकार –
- इसका जीवाणु क्लास्द्रिम टीटेनी होता है |
- टिटनेस खुले धाव या बाहरी चोट के कारण होता है |
- लोहे के संक्रमण के कारण फैलने वाला रोग भी यही है |
- टिटनेस को रोग डीजीज भी कहते है |
डीफ्थिरिया –
- इस रोग का जीवाणु कोरीने बैक्टीरिया होता है | इस रोग के दौरान गले में हल्की भूरी झिल्ली का निर्माण होता है | जिसके कारण श्वास लेने में तकलीफ होती है |
- इस रोग के लिए DPT ( डीफ्थिरिया , पटुर्सिस , टिटनेस )का टीका लगाया जाता है |
निमोनिया
- इसका जीवाणु माइकोबैक्टीरिया न्युमोनी होता है |
- निमोनिया का प्रभाव फेफड़ो में होता है |
- यह रोग सामान्यत बच्चो में होता है |
C प्रोतोजोआ जनित रोग
मलेरिया
- मलेरिया का अर्थ दूषित वायु होता है |
- इस रोग का रोगकारक प्लाजमोडियम है |
- मलेरिया की दवाई कुनैन होती है जो सिनकोना पेड़ की छाल व तना से तैयार की जाती है |
- ओस रोग का वाहक “ मादा एनाफिलिज “ मच्छर होता है |
निंद्रा रोग
- इस रोग का रोग कारक ट्रिपनोसेमा होता है तथा रोग वाहक सी.सी. मक्खी होती है |
- आनुवांशिक रोग
हीमोफिलिया – इस रोग के दौरान रक्त का थक्का नहीं बनता है | ब्रिटेन के राज परिवार में यह रोग है इसलिए इसे शाही रोग भी कहते है |
वर्नान्धता – इस रोग में रोगी लाल व हरे में अंतर नहीं कर पाता है |
थैलेसिमिया –इस रोग के दौरान रोगी की एक निश्चित समयान्तराल पर रक्त बदलवाना पड़ता है |
गंजापन – यह रोग उम्र के साथ साथ बढता जाता है | इसमें सिर के बालो में कमी आने लग जाती है |
पादप रोग
कवक जनित रोग
रोग का नाम | रोगकारी |
आलू का पर्व अंगमारी | अल्टीनेरिया सोलेनी |
गेंहू का काला कीट्टा | पक्सीनिया ग्रेमिनिस ट्रीटिकी |
कपास की म्लानि | फ्युसेरियम स्पी |
लाल विलयन | कोलैटोट्राईकम फैल्केटम |
आलू का किण्वक रोग | पाइथयम डीजेरिएन |
जीवाणु जनित रोग
रोग का नाम | रोगकारी |
गन्ने का लालधारी | जैन्थोमोनास कब्रिलियास |
सितसै कैंकर | जैन्थोमोनास सिट्राई |
आलू का भूरा विलयन | कॉनार्वीक्टीरियम सोलेनेसियम |
विषाणु जनित रोग
रोग का नाम | रोगकारी |
तम्बाकू मोजैक | तम्बाकू मोजैक वीयर |
आलू मौजेक | आलू विषाणु |