राजस्थान की प्रसिद्ध महिलाएं
- काली बाई – डूंगरपुर की 13 वर्षीय भील बालिका जिन्हें डूंगरपुर के रास्तपाल ग्राम की पाठशाला में अपने अध्यापक श्री सेंघाभाई को मुक्त कराने के प्रयास में रियासती सैनिको ने गोलियों से छलनी कर दिया | 21 जून 1947 को उसकी मृत्यु को गई | गैब सागर झील के किनारे शहीद काली बाई की मूर्ति स्थापित है |
- अंजना देवी चौधरी- अंजना देवी चौधरी राजस्थान सेवा संघ के कार्यकर्ता रामनारायण चौधरी की पत्नी थी जिन्होंने 20 वर्ष की आयु में पर्दा प्रथा आभूषण का त्याग कर दिया और बिजौलिया और बूंदी की किसान सत्याग्रह आन्दोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया | बिजौलिया किसान आन्दोलन के दौरान इन्होने पांच सौ महिलाओं के दल का नेतृत्व किया | नाजायज रूप से गिरफ्तार किये गये किसानों की छुडवाया| चित्तौडगढ़ के बेंगु में भी इन्होने किसान महिलाओं में जागृति पैदा करने का महत्वपूर्ण कार्य किया | कांग्रेस के नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें छ: महीने कारवास की सजा सुनाई | अंजना देवी ने 1939 ईस्वी तक महात्मा गांधी के सेवाग्राम आश्रम में रहकर आश्रम-कार्यों में सहयोग दिया | 1939 में सीकर में हुए सत्याग्रह का नेतृत्व किया |
- जानकी देवी बजाज लक्ष्मणगढ़ (सीकर)- सेठ गिरधारी लाल जाजोदिया की पुत्री एवं सेठ जमनालाल बजाज की पत्नी थी | श्रीमती बजाज को नमक सत्याग्रह के दौरान छह माह के लिए कारावास भेज दिया गया | उन्होंने महिला जागरण के लिए महिलाओं को कुरीतियों के खिलाफ संगठित किया तथा सन 1933 के कलकत्ता में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की अध्यक्षता की | महिल जागृति के कार्यो के लिए गांधी जी ने भी इनकी प्रसंसा की | इन्होने ‘स्वदेशी आन्दोलन’ में भी सक्रिय भाग लिया | जमनालाल बजाज के निधन के बाद इन्हें गौ सेवा संघ की अध्यक्ष बनाया | 21 मई 1979 को वर्धा (महाराष्ट्र) में ही जानकी देवी का देहांत हो गया |
- श्रीमती रतन शास्त्री – वनस्थली विधापीठ टोंक की संचालिका श्रीमती रतन शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के खाचरोध कस्बे में 15 अक्टूम्बर 1912 को हुआ | इनकी शिक्षा रतलाम में हुई | और हीरालाल शास्त्री के साथ विवाह हुआ | सन 1929 में हीरालाल शास्त्री ने ग्रामसेव, ग्रामोत्थान एवं जनसेवा के उद्देश्य से वनस्थली में जीवन कुटीर की स्थापना की तो श्रीमती रतन शास्त्री उसमे एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप से जुडी रही और समाज सेवा में अपनी पहचान बनाई | सन 1935 में अपनी पुत्री शान्ता की आकस्मिक मृत्यु ने इनके जीवन में एक नवीन मोड़ ला दिया | शान्ता के अभाव की पूर्ति के लिए अपने मित्रो एवं परिचितों की पुत्रियों को वनस्थली लाकर उनका पालन पोषण और शिक्षण की व्यस्था करने का निश्चय किया जिससे शिक्षा कुटीर की नीव पड़ी जो आगे चलकर वनस्थली विधापीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ | सन 1955 में इन्हें पद्मश्री एवं 1975 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया |
- दुर्गावती देवी शर्मा – शेखावाटी की महिला सत्याग्रहियों का प्रथम जत्था ताडकेश्वर शर्मा की पत्नी श्रीमती दुर्गावती शर्मा के नेतृत्व में 18 मार्च 1939 को सत्याग्रह के लिए जयपुर पहुचा | इस जत्थे ने जयपुर के जौहरी बाजार में सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तारी दी | प्रत्येक महिला को 4 माह की सजा हुई और उन्हें केंद्रीय कारागार जयपुर में रखा |
- किशोरी देवी – सरदार हरलाल सिंह की पत्नी किशोरी देवी ने अपने पति के साथ मिलकर शेखावाटी क्षेत्र में जागीर प्रथा का विरोध में राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया | सीकर जिले के कटराथल नाम स्थान पर किशोरी देवी की अध्यक्षता में एक विशाल महिला सम्मेलन 1934 में आयोजित किया गया जिसमे क्षेत्र की लगभग 10,000 महिलाओं ने भाग लिया |
- श्रीमती सुमित्रा खेतान – राजस्थान चरखा संघ के मंत्री श्री मदनलाल खेतान की पत्नी जो 1939 के सत्याग्रह में केसरिया साडी पहने व कंधे पर हर थैला तथा हाथो में तिरंगा झंडा लिए 2 वर्ष के बच्चे के साथ गिरफ्तार हुई और जेल गई |
- लक्ष्मीदेवी आचार्य- बीकानेर के श्री राम आचार्य की पत्नी |\ इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता रहा | कलकत्ता में स्थापित बीकानेर प्रजामंडल की अध्यक्षा बनाया गया | इनके द्वारा विदेशी वस्त्रो का बहिष्कार आन्दोलन एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया गया तथा दो बार 6-6 माह जेल में रहीं |
- नारायणी देवी वर्मा – मध्यप्रदेश के सिंगोली ग्राम में जन्मी व स्वतंत्रता सेनानी श्री माणिक्यलाल वर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती नारायणी देवी वर्मा का राजस्थान की महिला स्वतंत्रता सेनानियों के अग्रणी स्थान है | देश में महामारी के दौरान वे माणिक्यलाल जी के साथ घर-घर जाकर मरीजों को संभालती | 1939 में उन्होंने वर्माजी को जेल जाने पर मेवाड़ प्रजामंडल का संचालन भी किया | प्रजामंडल के कार्यों के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा |
- श्रीमती स्नेहलता वर्मा – माणिक्यलाल वर्मा की पुत्री स्नेहलता का जन्म 1922 में बिजौलिया में हुआ | बिजौलिया किसान आन्दोलन और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे अपने पिता के साथ सक्रिय रहीं | सन 1938 में स्नेहलता ने आन्दोलनकारी महिलाओं के नेतृत्व किया और बंदी बनाई गई |
- महारानी गायत्री देवी – कूच बिहार रियासत की राजकुमारी एवं जयपुर महाराजा मानसिंह की पत्नी गायत्री देवी राजस्थान से निर्वाचित प्रथम लोकसभा सदस्य थी जो स्वतंत्र पार्टी से जयपुर लोकसभा सीट से 1962 में चुनी गई |
- डा. गिरिजा कुमार – राजस्थान से केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने वाली प्रथम महिला जो 1991 को श्री पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में उपमंत्री बनाई गई |
- श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल – जलगांव, महाराष्ट्र में जन्मी प्रतिभा पाटिल का विवाह सीकर जिले के छोटी लोसल में देवीसिंह शेखावत के साथ हुआ श्रीमती पाटिल 1962 में जलगांव (महाराष्ट्र) विधानसभा सीट से विधायक , 1985-1990 तक राज्यसभा सदस्य रही | वे 18 नवम्बर 1986 से 5 नवम्बर 1988 रक राज्यसभा की उप सभापति भी रही श्रीमती पाटिल नवम्बर 2004 से जून 2007 तक राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपाल एवं 2007-2012 तक देश की पहली महिला राष्ट्रपति रही |
- श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया – 8 मार्च 1953 में मुम्बई में जन्मी ग्वालियर रियासत की राजमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया तथा महाराज जीवाजी सिंधिया की पुत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान से सर्वाधिक बार निर्वाचित होने वाली महिला है | वे 5 बार 9वीं से 13वीं बार लोकसभा (1989, 1991, 1996, 1998, 1999) के लिए निर्वाचित हुई | 12वीं राजस्थान विधानसभा में उनके नेतृत्व में पहली बार भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला तथा 2003 में वे पहली महिला मुख्यमंत्री बनी | वसुंधरा राजे वर्तमान में राज्य की मुख्यमंत्री है |
- श्रीमती कमला बेनीवाल – गौरीर गाँव (झुंझनु) में 12 जनवरी 1927 में जन्मी श्रीमती कमला बेनीवाल राजस्थान की पहली महिला मंत्री व प्रथम महिला उपमुख्यमंत्री रही श्रीमती बेनीवाल 27 वर्ष की आयु में 1954 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर महिला मंत्री बनी |
- श्रीमती सुमित्रा महाजन – राजस्थान की प्रथम महिला विधानसभा अध्यक्ष (12वीं विधानसभा) श्रीमती सुमित्रा महाजन का जन्म 3 मई 1930 को किसारी जिला झुंझनु में हुआ | वे 1957 में पिलानी से अखिल भारतीय कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव जीतकर दूसरी बार विधानसभा में विधायक बनी इसके पश्चात वे तीसरी (1962-1967), चौथी (1967-1972), पांचवी (1972-1977), छटी (1977-1980), आठवीं (1985-1990) नवीं (1990-1992), ग्यारवीं (1998-2003) तथा बारहवीं (2003-2008) में 16 जनवरी 2004 से 01 जनवरी 2009 तक विधानसभा अध्यक्ष रही |