सिंधु नदी से सम्बन्धित जानकारी :-
- गंगा से पहले हिंदू संस्कृति में सिंधु और सरस्वती की ही महिमा थी।
- सिंध नदी उत्तरी भारत की तीन बड़ी नदियों में से एक हैं। और इसका उद्गम बृहद् हिमालय में कैलाश से 62.5 मील उत्तर में सेंगेखबब के स्रोतों में है।
- इसकी सहायक नदियाँ — चेनाब, झेलम, सतलज, रावी और व्यास हैं.
- इसका उद्गम बृहद् हिमालय में कैलाश से 62.5 मील उत्तर में सेंगेखबब के स्रोतों में है। अपने उद्गम से निकलकर तिब्बती पठार की चौड़ी घाटी में से होकर, कश्मीर की सीमा को पारकर, दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के रेगिस्तान और सिंचित भूभाग में बहती हुई, कराँची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है।
- इसकी लम्बाई 3000 किलोमीटर से भी ज्यादा है.
- एक आंकड़े के मुताबिक करीब 30 करोड़ लोग सिंधु नदी के आसपास के इलाकों में रहते हैं.
- सिंधु नदी हिमालय की पश्चिमी श्रेणियों से निकल कर कराची के निकट समुद्र में गिरती है।
- इस नदी की महिमा ऋग्वेद में ‘त्वंसिधो कुभया गोमतीं क्रुमुमेहत्न्वा सरथं याभिरीयसे’ स्थानों पर वर्णित है|
- क़ाबुल नदी, स्वात, झेलम, चिनाब, रावी और सतलुज मुख्य ये नदियाँ आकर मिलती है
- भारत-पाकिस्तान सिंधु नदी समझोता 19 सितंबर 1960 को समझौता हुआ और करीब एक दशक तक विश्व बैंक की मध्यस्थता में बातचीत के बाद यह समझोता हुआ था |
- कश्मीर और गिलगिट से होती हुयी ये पाकिस्तान में प्रवेश करती है और इस नदी ने पूर्व में अपना रास्ता कई बार बदला भी है
- पाकिस्तान में सिन्धु नदी दो तिहाई भाग को कवर क्र लेती है
- 1960 के प्रावधान के अनुसार भारत सिंधु नदी के 20% पानी का ही उपयोग किया जा सकता है
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