धातु और अधातु

धातु और अधातु Metal and non-metal


धातु और अधातु Metal and non-metal
धातु और अधातु Metal and non-metal

धातु (Metals) : 
धातुओं के भौतिक गुण (Physical Properties of metals): 
(i)  धातु ठोस और चमकीले होते हैं |
(ii) ये ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं |
(iii) धातुएँ तन्य होती हैं |
(iv) धातुएँ अघातवर्ध्य होती है |
(v) धातुएँ ध्वानिक होती हैं |
अघातवर्ध्यता (Meliability): कुछ धातुएँ पतली चादरों में फैलाई जा सकती है, इस गुण को अघातवर्ध्यता कहते हैं |
तन्यता (Ductility) :  धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहते हैं|
All metals have hight melting point. सिल्वर तथा कॉपर ऊष्मा के सबसे अच्छे चालक हैं।इनकी तुलना में लेड तथा मर्करी ऊष्मा के  कुचालक हैं।
 PVC का पूरा नाम : पॉलिवाइनिल क्लोराइड(PVC)
PVC तथा रबड़ जैसी सामग्री ऊष्मा तथा विद्युत के  कुचालक हैं।
ध्वनिक (Sonorous) : धव्निक धातु का एक भौतिक गुण है| इस गुण से वे हड़ताली पर ध्वनि पैदा करते हैं। धातुओं की इस गुण का उपयोग से , स्कूल की घंटी बनाई गई है।
अधातु (Non-metals):

कार्बन, सल्फर, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और आयोडीन अधातु हैं।

अधातु के भौतिक गुण (Physical Properties of metals):  
(i)  धातु ठोस और चमकीले नहीं होते हैं |
(ii) ये ऊष्मा और विद्युत के सुचालक नहीं होते हैं |
(iii) धातुएँ तन्य नहीं होती हैं |
(iv) धातुएँ अघातवर्ध्य नहीं होती है |
(v) धातुएँ ध्वानिक नहीं होती हैं अर्थात पीटने पर ध्वनि नहीं निकालती हैं |
अधातुएँ ब्रोमिन को छोड़कर या तो ठोस होती है या गैस, ब्रोमिन तरल होता है |

धातु और अधातुओं का कुछ अन्य गुणधर्म :
(i) सभी धातुये मर्करी (पारा) को छोड़कर कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में पाई जाती हैं |
(ii) मर्करी (पारा) कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है |
(iii)  गैलियम और सीजियम दो ऐसी धातुएँ हैं जो जिनका गलनांक बहुत कम होता है, इन्हें हथेली पर रखते ही पिघल जाती हैं |
(iv)  आयोडीन एक अधातु है परन्तु यह चमकीला होता है |
(v)  क्षार धातुएँ (लिथियम, सोडियम और पोटैशियम ) इतना मुलायम होती है कि इन्हें चाकू से काटा जा सकता है | इनका घनत्व और गलनांक कम होता है |
कार्बन और इसके अपररूप (Carbon And its Allotropes):
कार्बन एक अधातु है जो अलग-अलग रूपों में पाया जाता है | इसके प्रत्येक रूप कोकार्बन का अपररूप कहा जाता है |
कार्बन के अपररूप (Allotropes of carbon):
(i) हीरा (Daimond)
(ii) ग्रेफाइट (Graphite)
(iii) बुक्मिन्टरफुलेरिन (Buckminsterfullerene)
(i) हीरा (Diamond)  यह कार्बन  का एक अपररूप है और अब तक का ज्ञात सबसे कठोर पदार्थ है | इसका क्वथनांक और गलनांक बहुत ही अधिक होता है |
(ii) ग्रेफाइट (Graphite) यह कार्बन का एक अन्य अपररूप है जो विद्युत का बहुत ही अच्छा चालक है |
(iii) बुक्मिन्टरफुलेरिन (Buckminsterfullerene) यह कार्बन का एक अन्य अपररूप है जो 60 कार्बन के अणुओं से बना है | इसकी संरचना फुटबॉल की तरह होता है |
नोट: अधिकांश अधातुये पानी में घुलने पर अम्लीय ऑक्साइड बनाती है जबकि धातुएँ पानी में घुलकर क्षारकीय ऑक्साइड बनाती हैं |

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धातुओं का रासायनिक गुणधर्म (CHEMICAL PROPERTIES OF METALS)


(i)  सभी धातुये ऑक्सीजन के साथ मिलकर धातु ऑक्साइड बनाती हैं |
धातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड
उदाहरण के लिए, जब कॉपर को वायु में गर्म किया जाता है तो यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर कॉपर (II) ऑक्साइड बनाता है जो कि एक काला ऑक्साइड है |
2Cu     +    O2    →    2CuO
(कॉपर)     ऑक्सीजन   (कॉपर(II) ऑक्साइड)
इसीप्रकार, एल्युमीनियम एल्युमीनियम ऑक्साइड बनाता है |
4Al     +    3O2      →        2Al2O3
(एल्युमीनियम)              (एल्युमीनियम ऑक्साइड)
उभयधर्मी (Amphoteric Oxides) : कुछ धातु ऑक्साइड्स जैसे एल्युमीनियम ऑक्साइड एवं जिंक ऑक्साइड इत्यादि अम्लीय तथा क्षारकीय व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं | ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल और क्षारक दोनों के साथ के साथ अभिक्रिया कर लवण और जल का निर्माण करते हैं इन्हें उभयधर्मी ऑक्साइड कहते हैं |
उदाहरण: एल्युमीनियम ऑक्साइड एवं जिंक ऑक्साइड इत्यादि |
धातु ऑक्साइड का अम्ल के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal oxides with acids)
एल्युमीनियम ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर एल्युमीनियम क्लोराइड का लवण और जल देता है |
इस अभिक्रिया का समीकरण इस प्रकार है :
Al2 O3 + 6HCl → 2AlCl3 + 3H2O
धातु ऑक्साइड का क्षारक के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal oxides with bases):
एल्युमीनियम ऑक्साइड सोडियम हाइड्रोऑक्साइड से अभिक्रिया कर सोडियम एलुमिनेट और जल प्रदान करता है :
इस अभिक्रिया का समीकरण इस प्रकार है :
Al2O3    +    2NaOH      →       2NaAlO2    +     H2O
(सोडियम एलुमिनेट)
धातु ऑक्साइड्स का जल में धुलनशीलता (Solubility of metal oxides in water):
अधिकांश धातु ऑक्साइड्स जल में अधुलनशील होते हैं, परन्तु इनमें से कुछ जल में घुलकर क्षार (alkalis) बनाते हैं | सोडियम ऑक्साइड और पोटैशियम ऑक्साइड दो ऐसे ऑक्साइड्स हैं जो जल में घुलकर क्षार बनाते हैं |
सोडियम ऑक्साइड और पोटैशियम ऑक्साइड के घुलने पर क्रमश: सोडियम हाइड्रोऑक्साइड क्षार और पोटैशियम ऑक्साइड क्षार देता है |
Na2O(s) +  H2O(l)  →  2NaOH(aq)
K2O(s)   +  H2O(l)  →  2KOH(aq)
धातुओं का ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाशीलता 

Reactivity of metals with oxygen: 
अलग-अलग धातुएँ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर अलग-अलग अभिक्रियाशीलता प्रदर्शित करती हैं | सोना प्लैटिनम और चाँदी जैसी धातुएँ तो ऑक्सीजन से बिल्कुल ही अभिक्रिया नहीं करती है |
सोडियम और पोटैशियम का ऑक्सीजन से अभिक्रिया : 
Reaction of sodium and potassium with oxygen: 
कुछ धातुएँ जैसे सोडियम और पोटैशियम इतनी अधिक तेजी से ऑक्सीजन से अभिक्रिया करती हैं कि यदि इनको खुला छोड़ा जाये तो ये तेजी आग पकड़ लेती हैं | यही कारण है कि इनको अचानक आग लगने से बचाने के लिए इनकों किरोसिन तेल में डुबोकर रखा जाता है |
कुछ धातु ऑक्साइड रक्षात्मक कवच बनाते हैं
Some metal oxides form protective layer:
साधारण तापमान पर धातुओं की सतहें जैसे मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, जिंक और शीशा इत्यादि पर ऑक्साइड की पतली परत चढ़ जाती हैं | ये रक्षात्मक कवच इन्हें आगे ऑक्सीडेशन (उपचयन) से बचाता है | इसका एक बहुत बड़ा फायदा धातुओं को यह मिलता है कि ये इन ऑक्साइड्स की वजह से संक्षारित होने से बच जाती हैं |
कुछ धातुएँ ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं करती है:
Some metal does not react with oxygen:
गर्म करने पर आयरन का दहन तो नहीं होता है लेकिन जब बर्नर की ज्वाला में लौह चूर्ण डालते हैं तब वह तेज़ी से जलने लगता है। कॉपर का दहन तो नहीं होता है लेकिन गर्म धातु पर कॉपर (II) ऑक्साइड की काले रंग की परत चढ़ जाती है। सिल्वर एवं गोल्ड अत्यंत अधिक ताप पर भी ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

एनोड़ीकरण (Anodising): 
ऐनोडीकरण (Anodising) ऐलुमिनियम पर मोटी ऑक्साइड की परत बनाने की प्रक्रिया है। वायु के संपर्क में आने पर ऐलुमिनियम पर ऑक्साइड की पतली परत का निर्माण होता है। ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत इसे संक्षारण से बचाती है। इस परत को मोटा करके इसे संक्षारण से अधिक सुरक्षित किया जा सकता है।
एलुमिनियम का एनोड़ीकरण (Anodising of Aluminium) : 

During anodising, a clean aluminium article is made the anode and is electrolysed with dilute sulphuric acid. The oxygen gas evolved at the anode reacts with aluminium to make a thicker protective oxide layer. This oxide layer can
be dyed easily to give aluminium articles an attractive finish.

Reaction of metals with water:
Metals react with water and produce a metal oxide and hydrogen gas. Metal oxides that are soluble in water dissolve in it to further form metal hydroxide.
General equations:
Metal + Water → Metal oxide + Hydrogen
Metal oxide + Water → Metal hydroxide
Reaction of sodium and potassium with cold water:
Metals like potassium and sodium react violently with cold water. In case of sodium and potassium, the reaction is so violent and exothermic that the evolved hydrogen immediately catches fire.
2K(s) + 2H2O(l) → 2KOH(aq) + H2(g) + heat energy
2Na(s) + 2H2O(l) → 2NaOH(aq) + H2(g) + heat energy
Reaction of calcium with water:
The reaction of calcium with water is less violent. The heat evolved is not sufficient for the hydrogen to catch fire.
Ca(s) +  2H2O(l) → Ca(OH)2(aq) + H2(g)
Calcium starts floating because the bubbles of hydrogen gas formed stick to the surface of the metal.
Reaction of metals with hot water:
Magnesium does not react with cold water. It reacts with hot water to form magnesium hydroxide and hydrogen. It also starts floating due to the bubbles of hydrogen gas sticking to its surface.
Reaction of metals with steam:
Metals like aluminium, iron and zinc do not react either with cold or hot water. But they react with steam to form the metal oxide and hydrogen.
2Al(s) + 3H2O(g) → Al2O3(s) + 3H2(g)
3Fe(s) + 4H2O(g) → Fe3O4(s) + 4H2(g)
Some Metals do not react with water:
Metals such as lead, copper, silver and gold do not react with water at all.
Reaction of metals with Acids:
Metals react with acids give corresponding salt and hydrogen gas.
Metal + Dilute acid → Salt + Hydrogen

Hydrogen gas is not evolved when a metal reacts with nitric acid. It is
because HNO3 is a strong oxidising agent. It oxidises the H2 produced to
water and itself gets reduced to any of the nitrogen oxides (N2O, NO,
NO2). But magnesium (Mg) and manganese (Mn) react with very dilute
HNO3 to evolve H2 gas.

Aqua regia: is a freshly prepared mixture of concentrated hydrochloric acid and concentrated nitric acid in the ratio of 3:1.
It can dissolve gold, even though neither of these acids can do so alone. Aqua regia is a highly corrosive, fuming liquid. It is one of the few reagents that is able to dissolve gold and platinum.
Reaction of metals with other metal salt: 
Highly reactive metals can displace less reactive metals from their compounds in solution or molten form. this is called displacement reaction.
Metal A + Salt solution of B → Salt solution of A + Metal B

The Reactivity Series:

K > Na > Ca > Mg > Al > Zn > Fe > Pb > H > Cu > Hg > Ag > Au
Reaction with metals and non-metals: 
Mostly Metals form cation (positive charge) and non-metals form anions (negative charge).
Cation And Anion : To understand these both cation and anion, we have to understand electronic configuration of elements and their valencies.
Valency : The number of valence electrons present in the outer most shells of an atom is known as valency. Ex. Electronic configuration of Sodium (Na) is
2    8     1
There are three shells in sodium atom and the outer most shell has 1 electron can be shared, so valence electron of sodium is 1.

  • If outer most shell has 1, 2, 3 or 4 electrons these can be given in sharing of electrons. so 1, 2, 3, and for will be valance electrons.
  • If outer most shell has 5, 6 or 7 electrons these can not be given in sharing of electrons as These need electrons to complete their octet.

Required valance electrons for outer most shell having 5 electrons = 8 – 5 = 3
Required valance electrons for outer most shell having 6 electrons = 8 – 6 = 2
Required valance electron for outer most shell having 7 electrons = 8 – 7 = 1

Type of element
Element
Atomic Number
Number of electron in shells

K      L        M         N  

   Noble gases  Helium (He)
Neon (Ne)
Argon (Ar)
     2
10
18
  2
2       8
2       8         8
   Metals Sodium (Na)
Magnesium (Mg)
Aluminium (Al)
Potassium (K)
Calcium (Ca)
      11
12
13
19
20
  2       8         1
2       8         2
2       8         3
2       8         8          1
2       8         8          2
  Non- metals Nitrogen (N)
Ogygen (O)
Flurine (F)
Phosphorus (P)
Sulpher (S)
Chlorine (Cl)
      7
8
9
15
16
17
  2       5
2       6
2       7
2       8        5
2       8        6
2       8        7
A sodium atom has one electron in its outermost shell. If it loses the electron from its M shell then its L shell now becomes the outermost shell and that has a stable octet. The nucleus of this atom still has 11 protons but the number of electrons has become 10, so there is a net positive charge giving us a sodium cation Na+ . On the other hand chlorine has seven electrons in its outermost shell and it requires one more electron to complete its octet. If sodium and chlorine were to react, the electron lost by sodium could be taken up by chlorine.
After gaining an electron, the chlorine atom gets a unit negative charge, because its nucleus has 17 protons and there are 18 electrons in its K, L and M shells. This gives us a chloride anion C1. So both these elements can have a give-and-take relation between them.
E.g :
Na   →  Na+ + e
2,8,1     2,8
(Sodium cation)
Cl      + e → Cl
2,8,7             2,8,8
(Chloride anion)
 

Ionic Compounds: The compounds formed in this manner by the transfer of electrons from a metal to a non-metal are known as ionic compounds or
electrovalent compounds.
Properties Of Ionic Compound :

(i) Physical nature: Ionic compounds are solids and are somewhat hard because of the strong force of attraction between the positive and negative ions. These compounds are generally brittle and break into pieces when pressure is applied.

 

(ii) Melting and Boiling points: Ionic compounds have high melting and boiling points (see Table 3.4). This is because a considerable amount of energy is required to break the strong inter-ionic attraction.
(iii) Solubility: Electrovalent compounds are generally soluble in water and insoluble in solvents such as kerosene, petrol, etc.
(iv) Conduction of Electricity: The conduction of electricity through a solution involves the movement of charged particles. A solution of an ionic compound in water contains ions, which move to the opposite electrodes when electricity is passed through the solution.

Ionic compounds in the solid state do not conduct electricity because movement of ions in the solid is not possible due to their rigid structure. But ionic compounds conduct in the molten state. This is possible in the molten state since the electrostatic forces of attraction between the oppositely charged ions are overcome due to the heat. Thus, the ions move freely and conduct electricity.
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धातु एवं अधातु

पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी पदार्थ तत्वों के बने होते हैं। अभी तक लगभग 112-15 तत्व ज्ञात हैं जो पृथ्वी पर लगभग सभी पदार्थो को बनाते हैं इनमें लगभग 80 तत्व धातु हैं तथा बाकि अधातु या उपधातु है।

धातु

सामान्यतः धातु विधतु एवं उष्मा के सुचालक, आघातवर्धनिय एवं तन्य होते हैं। तथा कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते है। केवल पारा ही एक मात्र ऐसा धातु है जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होता है।

रासायन शास्त्र के अनुसार धातु वे तत्व है जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते है। और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते है।

सामान्यतः धातु रासायनिक रूप से सक्रिय होते हैं। अर्थात वे मुक्त रूप में नहीं मिलते वे अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर लेते हैं और संयुक्त रूप में (यौगिक) पाये जाते हैं। जिन्हें खनिज कहते हैं। कुछ धातु मूल रूप या धात्विक रूप में पाये जाते हैं। जैसे – सोना, चांदी प्लेटिनम आदि। कभी-कभी शु़़़द्ध धातु ढेर के रूप में पायी जाती है जिन्हें नगेट कहते हैं।

प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातु पृथ्वी में पायी जाती है खनिज कहलाते हैं। खनिज जिनसे आर्थिक महत्व के धातु आसानी से अलग किये जा सकते हैं। उन्हें अयस्क कहते हैं।

प्रमुख खनिजों के अयस्क निम्न है-

1. मुक्त अयस्क

इन अयस्कों में धातु मुक्त अवस्था में पायी जाती है।

उदाहरण

चांदी,सोना, काॅपर, प्लेटिनम, मर्करी आदि।

आयरन मुक्त अवस्था में मेट्रोइट के रूप में पाया जाता है।

2. सल्फाइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु सल्फर के साथ क्रिया कर लेता है।

उदाहरण

सिसा(Pb)- गैलेना(PbS)

चांदी (Ag) – अर्जेन्टारड(Ag2S)

जस्ता (Zn) – जिंक ब्लेंड(ZnS)

मर्करी (Hg) – सिनेबार(HgS)

लोहा (Fe)- आयरन पायराइट(FeS2)

तांबा (Cu)- काॅपर पायराइट(CuFeS2)

3. आक्साइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु आक्सीजन से क्रिया कर आक्साइड बनाती है।

उदाहरण

एल्यूमिनियम (Al) – बाॅक्साइड(Al2O3.2H2O)

तांबा (Cu)- क्यूपराइट(Cu2O)

जस्ता (Zn) – जिंकाइट(ZnO)

लोहा (Fe) – हेमेटाइट(Fe2O3)

4. कार्बोनेट

इन अयस्कों में धातु कार्बोनेट से क्रिया करते है।

तांबा (Cu)- मेलाकाइट(CuCo3)

लोहा (Fe) – सिडेराइट(FeCo3)

जस्ता (Zn) – कैलामाइन(ZnCo3)

इन अयस्कों के अलावा धातुएं सजीवों में भी पायी जाती है।

उदाहरण

पोटेशियम पौधों की जड़ों में उपस्थित होता है।

मैग्नीशियम क्लोरोफिल में पाई जाती है।

आयरन हीमोग्लोबिन में उपस्थित होता है।

कैल्शियम हड्डियों में उपस्थित होता है।

इन अयस्कों का हमारे जिवन में बहुत महत्व है। हम हमारे दैनिक जिवन में बहुत सारे अयस्कों का सिधे हि उपयोग करते हैं। जिनमें कुछ निम्न है।

1. सोडियम क्लोराइड( NaCl)- साधारण नमक

इसे समुद्र के खारे पानी या झीलों से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें HCl गैंस प्रवाहित कर इसे शुद्ध कर लिया जाता है।

उपयोग

हमारे दैनिक जिवन में नमक के रूप में उपयोग होता है।

मांस मछली के परिरक्षण में उपयोग होता है।

नमक का उपयोग हिम मिश्रण बनाने में होता है क्योंकि नमक बर्फ को पिघलने से रोकता है।

इसका उपयोग अन्य उत्पादों जैसे – कास्टिक सोडा(NaOH), मीठा सोडा(NaHCO3) के निर्माण में होता है।

2. काॅपर सल्फेट पेन्टा हाइड्रेट()CuSO4.5H2O- नीला थोथा

यह एक नीले रंग का चमकीला क्रिस्टलीय पदार्थ है जो गर्म करने पर जल के अणु त्याग देता है।

उपयोग

विधुत बैटरियों एवं विधुत लेपन में किया जाता है।

काॅपर सल्फेट तथा चुने के मिश्रण का उपयोग किसानों द्वारा कवकनाशी के रूप में किया जाता है।

3. सिल्वर ब्रोमाइड(AgBr)

यह एक हल्के पीले रंग का क्रिस्टलीय यौगिक है।

उपयोग

इसका उपयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।

4. सोडियम कार्बोनेट(Na2CO3.H2O) – कपड़े धोने का सोडा

यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है। जिसका जलिय विलयन क्षारीय होता है। यह अम्लों से क्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड देता है।

उपयोग

कपड़े धोने में

जल को मृदु करने में

कांच, कागज, बेंकिंग सोडा आदि के उत्पादन में।

5. सिल्वर नाइट्रेट(AgNO3)- लुनर कास्टिक

उपयोग

रजत दर्पण बनाने में

फोटाग्राफी में

अमिट स्याही बनाने में।

6. सोडियम बाइकार्बोनेट(NaHCO3) – खाने का सोडा

उपयोग

खाने के सोडे के रूप में

औषधि के रूप में

अग्निशामकों में।

7. सोडियम हाइड्राॅक्साइड(NaOH) – कास्टिक सोडा

उपयोग

मशीनों को साफ करने में

रंजक उधोग में

प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में

साबुन, अपमार्जक, कागज उधोग में।

8. फिटकरी(K2SO4Al2(SO4)3.24H2O

उपयोग

जल को मृदु करने में।

अयस्कों का शोधन

किसी अयस्क से विभिन्न प्रक्रमों द्वारा शुद्ध धातु प्राप्त करना धातुकर्म कहलाता है।

अयस्कों से शु़़द्ध धातु प्राप्त करने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

1. अयस्क को कुटना या पिसना

2. अयस्क का सान्द्रण(अयस्क से अशुद्धियां अलग करना)

3. धातु का पृथक्करण

4. धातु का शोधन

धातु और अधातु Metal and non-metal

अधातु

सामान्यः अधातुएं विधुत व उष्मा की कुचालक, अतन्य होती हैं। ये धातुओं कि तरह कठोर न हो कर भंगुर होती हैं। सामान्यः आधातवध्र्य नहीं होती। तथा इनका गलनांक धातुओं से अपेक्षाकृत कम होता है।

प्रमुख अधातु निम्न है –

1. आक्सीजन O2

यह रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन गैंस है।जल में अल्प विलय है। प्रकृति में आॅक्सीजन मुक्त अवस्था में वायु में 20 प्रतिशत होती है। संयुक्त अवस्था में सल्फेट, कार्बोनेट आक्साइड आदि के यौगिकों के रूप में पाई जाती है। जल में 88 प्रतिशत आक्सीजन उपस्थित है।

उपयोग

संजीवों के श्वसन क्रिया में

रोगीयों के कृत्रिम श्वसन में हिलियम के साथ।

द्रव आक्सीजन राकेटों में ईंधन के रूप में प्रयुक्त होती है।

वेल्डिंग में ऐसीटिलीन के साथ प्रयोग किया जाता है।

2. नाइट्रोजन N2

यह भी आक्सीजन की तरह रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन है। यह जल में बहुत कम घुलती है। यह वायु से हल्की तथा अक्रिय गैंस है। यह वायु में मुक्त रूप में पायी जाती है। वायुमण्डल में आयतन की दृष्टि से 80 प्रतिशत नाइट्रोजन है। संयुक्त अवस्था में यह अमोनिया तथा अमोनियम लवणों में पाई जाती है।

उपयोग

अक्रिय होने के कारण विधुत बल्बों में।

द्रवित नाइट्रोजन का उपयोग प्रशीतन कार्यो में।

ऊंचे तापमान मापने वाले थर्मामिटरों में।

कृत्रिम खाद बनाने में।

नाइट्रिक अम्ल, अमोनिया के निर्माण में।

3. हाइड्रोजन H2

यह गैंस भी रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन है। यह वायु से हल्की है। तथा ज्वलनशील है। यह मुक्त अवस्था में अल्प मात्रा में वायुमण्डल में पायी जाती है। संयुक्त अवस्था में यह जल, अम्ल, क्षार, पैट्रोलिय, तेल, वसा आदि में पाई जाती है।

ब्रह्माण्ड में(पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे ज्यादा पाया जाने वाला तत्व है। तारों तथा सुर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन का बना है।

उपयोग

गुब्बारे भरने में।

राकेटों में ईंधन के रूप में द्रव हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।

वनस्पति घी के उत्पादन में।

कोयले से कृत्रिम पेट्रोल बनाने में।

आॅक्सी-हाइड्रोजन ज्वाला का उपयोग वेल्डिंग में।

4. क्लोरिनCl2

यह हल्के हरे-पीले रंग की अति तीक्ष्ण गंध वाली गैंस है।यह विषेली गैंस है। वायु से भारी तथा जल में अघुलनशील है।तथा स्वयं न जलकर जलाने में सहायक है। यह अत्यधिक क्रियाशील गैंस है अतः यह मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती। संयुक्त अवस्था में यह साधारण नमक(NaCl), पौटेशियम क्लोराइड(KCl), मैग्नीशियम क्लोराइड(MgCl) के यौगिक के रूप में पायी जाती है।

उपयोग

पीने के पानी को जीवाणु रहीत करने में।

क्लोरोफार्म, डी.डी.टी., HCl के निर्माण में।

कागज व कपड़ा उद्योग में विरंजक के रूप में।

5. फास्फोरस(P)

यह शुद्ध अवस्था में सफेद रंग का नर्म पदार्थ है। जो धीरे-धीरे पीला पड़ जाता है। इसमें लहसुन जैसी गंध आती है। यह जल में अविलेय तथा अत्यधिक क्रियाशील होने के कारण वायु में स्वतः ही जल उठता है। इसलिए इसे जल में रखा जाता है।

यह मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। संयुक्त अवस्था में फास्फेट के रूप में पाया जाता है।

उपयोग

दिया सलाई बनाने में।

धुएं के बादल बनाने में।

आतिशबाजी आदि में।

कैल्सियम फाॅस्फाइड के रूप में फास्फोरस चुहों के लिए विष का कार्य करता है।

6. गंधक(S)

बहुत प्राचिन समय से ज्ञात तत्व औषधीयों एवं युद्धों में प्रयुक्त होता था। यह हल्के पिले रंग का स्वादहिन, गंध रहित ठोस पदार्थ है जो जल में अविलेय है।

यह मुक्त अवस्था में ज्वालामुखी, झरनों के निकटवर्ती स्थानों में पाया जाता है। संयुक्त रूप में, सल्फाइड, व सल्फेट के रूप में पाया जाताहै।

उपयोग

चर्म रोग एवं रक्त शोधन औषधि के रूप में।

कीटनाशी के रूप में।

बारूद एवं दिया सलाई उद्योग में।

रबर के वल्कनीकरण में।

7. कार्बन C

पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन एक प्रमुख एवं महत्वपूर्ण तत्व है। इसके प्राकृतिक रूप में तीन(6C12, 6C13, 6C14) समस्थानिक है। इसे जिवन का आधार कहा जाता है।

कार्बन में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण इसके प्रमाणु आपस में संयोग कर लम्बी श्रंखला बनाते हैं। कार्बन के इसी गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके बहुरूपों में हिरा, ग्रेफाइट, फुलेरिन, काजल, कोयला प्रमुख है।

उपयोग

पुरातात्विक अवशेषों की आयु ज्ञात करने में।

मनुष्य के शरीर में 18.5 प्रतिशत कार्बन होता है।

प्रकृति में कार्बन यौगिकों की संख्या 10 लाख से भी अधिक है।

कार्बन के कुछ यौगिक निम्न है –

कार्बनडाई ऑक्साईडCO2

यह गंधहीन, रंगहीन गैंस है। सामान्य ताप व दाब पर यह गैंसीय अवस्था में रहती है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा 0.03-0.04 प्रतिशत तक पाई जाती है।यह एक ग्रीन हाउस गैस है। क्योंकि सुर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी पर पहुंचने देती है लेकिन पृथ्वी से गर्मी को अंतरिक्ष में जाने से रोकती है।

पृथ्वी पर सभी सजीव श्वसन में कार्बन डाइआक्साइड को छोड़ते है। जबकि पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण कर कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं।

उद्योगों में इसे चुना पत्थर को गरम करके बनाया जाता है। और सामान्यतः वायु में कार्बन (लकड़ी, कोयला) को जलाने पर यह गैंस बनती है।

कार्बन डाईआक्साइड का ताप कम करने पर यह शुष्क ठोस में परिर्तित हो जाती है जिसे शुष्क बर्फ कहा जाता है। इसका उपयोग वस्तुओं को ठण्डा रखने में किया जाता है। इसका उपयोग अग्निशमन में भी किया जाता है।

इसका उपयोग यूरिया निर्माण में भी किया जाता है।

कार्बन मोनोआक्साइडCO

इसे वायु की अल्प मात्रा में कार्बन जलाने पर प्राप्त किया जा सकता है। उद्योंगों में इसे कोक पर भाप प्रवाहित कर बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बन मोनोआक्साइड के साथ हाइड्रोजन गैस भी निकलती है। इस मिश्रण को वाटर गैंस भी कहते हैं। यदि भाप के स्थान पर वायु का प्रयोग करें तो कार्बन डाईआॅक्साइड के साथ नाइट्रोजन निकलती है जिसे प्रोडयूसर गैंस कहते हैं।

 

इसका उपयोग औद्योगीक ईंधन में किया जाता है। कार्बनमोनो आक्साइड रक्त में हीमोग्लोबीन के साथ मिलकर संकुल बनाती है। जिससे शरीर में आक्सीजन प्रवाह रूक जाता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

सी. फ. सी.(क्लोरो फ्लूरो कार्बन CFC)

यह कार्बन, क्लोरिन, फ्लोरिन परमाणुओं का यौगीक है। यह अक्रिय अज्वलनशील एवं विषहीन कार्बनिक यौगिक है। इसके यौगिक ओजोन गैस के अणुओं का विघटन कर पृथ्वी के वायुमण्डल में ओजोन परत को नष्ट करतें है। इसलिए इसके निर्माण पर मानट्रीयल प्रोटोकोल के अन्तर्गत चरणबद्ध रूप से रोक लगा दि गई है।

इसका उपयोग रेफ्रीजरेटर, एयर कण्डीशनर में शीतलक के रूप में, कम्प्युटर के पुर्जो की सफाई में, फोम निर्माण में किया जाता है।

हाइड्रोकार्बन

हाइड्रोकार्बन यौगिक वे कार्बन है जो हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणुओं से मिलकर बने है। इनका मुख्य स्त्रोत भूतैल है। प्राकृतिक गैंस में भी हाइड्रोकार्बन पाये जाते है। हाइड्रोकार्बन संतृप्त व असंतृप्त होते है।

प्रमुख हाइड्रोकार्बन निम्न है –

एल. पी. जी. (L.P.G.)- रसाई गैंस

एज. पी. जी. कई हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है। यह एक ज्वलनशील गैस है। जो घरों में खाना पकाने, वाहनों में ईंधन के रूप में प्रयोग कि जाती है। अब एल. पी. जी. का प्रयोग सी. फ. सी. के स्थान पर होने लगा है। इसमें मुख्य रूप से प्रोपेनC3H8, व ब्युटेन C4H18 गैंस होती है। इसका क्वथनांक कमरे के तापमान से भी कम होता है। यह एक गंधहीन गैंस है। रिसाव का पता लगाने के लिए इसमें इथेन थायोल या थायाडीन या मार्केप्टेन मिलाते है।

सी. एन. जी.(C.N.G.)

यह भी हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है। यह प्राकृतिक गैंस है। जिसे उच्च दाब पर संपीड़ीत किया जाता है। इसमें 80 प्रतिशत मिथेन CH4का प्रयोग होता है। मिथेन एक सरल हाइड्रोकार्बन है। जो दलदली भूमी से निकलती है। इसलिए इसे मार्श(दलदल) गैंस भी कहते है।

सी. एन. जी. में 15-16 प्रतिशत इथेन C2H6 होती है। सी. एन. जी. एक रंगहीन, गंधहीन व विषहीन गैंस है। इसका उपयोग वाहनों में ईधन के रूप में करने के लिए इसे उच्च दाब(200-250 किग्रा/वर्ग सेमी.) पर दबाया जाता है।

ट्राईक्लोरो मिथेन CHCl3 -क्लोरोफाॅम

यह भी कार्बन का यौगीक है। यह रंगहीन व सुगंधीत पदार्थ है। जिसका प्रयोग पहले चिकित्सा क्षेत्र में शल्यचिकित्सा से पहले मरीज को बेहोश करने में किया जात था। लेकिन आधुनिक युग में इसके अन्य विकल्पों का प्रयोग किया जाता है।

क्लोरोफाॅम के अधिक प्रयोग से शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्लास्टिक

यह भी कार्बन का यौगिक है। यह हमारे दैनिक जिवन में काम आने वाली वस्तुओं थैलियों, बाल्टी, जुते आदि मनाने में प्रयोग किया जाता है। टेफलाॅन का उपयोग नाॅन – स्टिक बर्तन बनाने में किया जाता है।

नायलाॅन

यह भी कार्बन का एक यौगिक है। यह हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल का संघन्न करवाने पर प्राप्त होता है।

इसका प्रयोग वस्त्र उद्योग में, टायर बनाने में, रसियां बनाने में, ब्रुश क बाल बनाने में किया जाता है।

टेरिलीन – यह एक पालीएस्टर है जिसका प्रयोग रस्सी, नावों के पाल, सुरक्षा बेल्ट आदि बनाने में किया जाता है।

साबुन

यह भी कार्बन का यौगीक है। रासायनिक रूप से साबुन उच्च वसा – अम्लों के सोडियम अथवा पोटेशियम लवण होते हैं। साबुन के निर्माण में ग्लिसराॅल नामक सहउत्पाद भी प्राप्त होता है। पारदर्शी साबुन बनाने में एथेनाॅल तथा दाढ़ी बनाने के साबुन में रोजिन नामक पदार्थ मिलाया जाता है।

साबुन बनाने के लिए वनस्पति तेलों(सरसों, मुंगफली) की कास्टिक सोडे से क्रिया करवाई जाती है। तथा इसमें साधारण नमक NaCl डालकर इसे पृथक कर लिया जाता है।

अपमार्जक – साबुन रहित साबुन

अपमार्जक भी साबुन की तरह ही धुल मिट्टी व चिकनाई हटाने का कार्य करते है। ये लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रंखला युक्त सल्फूरिक अम्ल अथवा सल्फानिक अम्ल के सोडियम लवण होते है।

तथ्य

आर्वत सारणी पर q व j के नाम से कोई तत्व नहीं है।

कैंसर में उपयोगी धातु – कोबाल्टCo-60

कैरोसीन में रखी जाने वाली धातु – सोडियमNa , पोटेशियम K

पत्तियों का रंग हरा क्लोरोफिल के कारण होता है, क्लोरोफिल में पायी जाने वाली धातु – मैग्निशियम Mg

पानी में रखा जाने वाला तत्व – फास्फोरस

सर्वाधिक पायी जाने वाली अक्रिय गैंस – आर्गन Ar

सबसे क्रियाशील हेलोजन गैस फ्लोरीन है।

हिमोग्लोबिन में पायी जाने वाली धातु – लोहा Fe

मनुष्य के आंसू में सोडियम क्लोराइड पाया जाता है।

सबसे कठोर तत्व – टंगस्टन W

हीरा सबसे कठोर अधातु है।

सबसे महंगी धातु – प्लेटिनम Pt

सबसे आॅक्सीकरण अवस्था दिखाने वाली तत्व –

प्लास्टर आॅफ पेरिस CaSO4.1/2H2O का उपयोग हड्डी जोड़ने में किया जाता है।

आतिशबाजी के दौरान हरा रंग बेरियम व लाल रंग स्ट्रांन्शियम के कारण होता है।

यूरिया प्रयोगशाला में निर्मित पहला कार्बनिक यौगिक है। इसका उपयोग उर्वरक के रूप में होता है।

धुंए के बादल बनाने में पीला फास्फोरस उपयोग किया जाता है।

कृत्रिम वर्षा कराने में सिल्वर आयोडाइड का उपयोग किया जाता है।

चुहे मारने की दवा का वैज्ञानिक नाम जिंक फास्फाइड है।

जिंक क्लोराइड का उपयोग लकड़ी को किड़ों से बचाने में किया जाता है।

कपूर को ही नैप्थेलिन कहते है जिसका उपयोग कपड़ों से किड़ों को दुर रखने में किया जाता है।

पोटेशियम परमेगनेट KMnO4 को लाल दवा के नाम से भी जाना जाता है। यह पानी में किटाणुओं को नष्ट करने में काम आती है।

सैकरीन चीनी से 500 गुणा मिठा होता है।

शुद्ध जल विधुत का कुचालक होता है।

कच्चे फलों को पकाने में एथिलीन एवं एसीटिलीन गैंस प्रयुक्त कि जाती है।

रेर्फिजरेटरों में बर्फ जमाने में द्रवित अमोनिया का उपयोग किया जाता है।

पृथ्वी पर सर्वाधिक पाई जाने वाजी गैंस/अधातु – आक्सीजन है।

लोहे पर जंग लगने से लोहे का वजन बढ़ जाता है।

भारी जल का उपयोग परमाणु भट्टी में होता है।

अश्रु गैंस में एक्रोलिन व एल्फा क्लोरो एसीटो फिनाॅल आदि का प्रयोग होता है।

नाइट्रस अॅाक्साइड को सूंघने पर आदमी हंसने लगता है।

रैक्सिन(रेग्जिन) एक कृत्रिम चमड़ा है।

अभ्रक उष्मा का सुचालक एवं विधुत का कुचालक है।

प्रकृति में कार्बन यौगिकों की संख्या 10 लाख से भी अधिक है।

धातु और अधातु Metal and non-metal

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