महेश्वर क़िला | |
विवरण | महेश्वर में स्थित यह क़िला होल्कर राजवंश तथा रानी अहिल्याबाई होल्करके शासन काल की गौरवगाथा का प्रतीक है। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | खरगौन |
निर्माण काल | 18वीं सदी |
मार्ग स्थिति | इंदौर से लगभग 90 किमी की दूरी पर है। |
प्रसिद्धि | क़िले में स्थित एक हॉल में होल्कर वंशके शासकों के द्वारा उपयोग में लाये गए अस्त्र शस्त्रों की एक छोटी सी प्रदर्शनी लगी है। |
गूगल मानचित्र | |
संबंधित लेख | अहिल्याबाई होल्कर, अहिल्या घाट, होल्कर वंश |
अन्य जानकारी | वर्तमान में यह क़िला एक हेरिटेज होटल है जिसका प्रबन्धन इन्दौर के अन्तिम शासक के पुत्र राजकुमार शिवाजी राव होल्कर करते हैं। |
बाहरी कड़ियाँ | अहिल्या क़िला |
महेश्वर क़िला (अंग्रेज़ी: Maheshwar Fort) मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक नगर महेश्वर में स्थित है। यह क़िला अहिल्या क़िला के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह क़िला आज भी पूरी तरह से सुरक्षित है तथा बहुत ही सुन्दर तरीक़े से बनाया गया है। यह बड़ी मजबूती के साथ नर्मदा नदी के किनारे पर सदियों से डटा हुआ है।
इतिहास
18वीं सदी में निर्मित महेश्वर अथवा होल्कर क़िला नर्मदा नदी के सुन्दर तट पर स्थित है। महेश्वर क़िला मालवा की तत्कालीन रानी अहिल्याबाई होल्कर का निवास था। इसीलिए इसे “अहिल्या क़िला” भी कहा जाता है। क़िला परिसर के अन्दर पर्यटक विभिन्न छतरियों और आसनों को देख सकते हैं जिन पर रानी क़िले में आने पर बैठती थीं। इस प्राचीन इमारत में भगवान शिव के विभिन्न अवतारों को समर्पित कई मन्दिर हैं। यह क़िला रानी अहिल्याबाई होल्कर के शक्तिशाली शासक होने और अपने साम्राज्य की सुरक्षा के प्रति किये गये उपायों का प्रत्यक्ष गवाह है।[1]
स्थापत्य कला
महेश्वर क़िले में प्रवेश के लिए अहिल्या घाट के पास से ही एक चौड़ा घेरा लिए बहुत सारी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। यह क़िला जितना सुन्दर बाहर से है, उससे भी ज्यादा सुन्दर तथा आकर्षक अन्दर से लगता है। इतनी सुन्दर कारीगरी, इतनी सुन्दर शिल्पकारी, इतना सुन्दर एवं मजबूत निर्माण की आज भी यह क़िला नया जैसा लगता है। अन्दर जाकर एक तरफ़ राजराजेश्वर शिव मंदिर है तथा दूसरी तरफ़ एक अन्य स्मारक है। कुल मिलाकर एक बड़ा ही सुन्दर दृश्य उपस्थित होता है और कहीं जाने का मन ही नहीं होता। ऐसा लगता है कि घंटों एक ही जगह खड़े होकर इस क़िले की नक्काशी तथा कारीगरी, झरोखों, दरवाज़ों एवं दीवारों को बस देखते ही रहें। क़िले के अन्दर कुछ क़दमों की दूरी पर ही प्राचीन राजराजेश्वर शैव मंदिर दिखाई देता है। यह एक विशाल शिव मंदिर है, जिसका निर्माण क़िले के अन्दर ही अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर भी क़िले की ही तरह पूर्णतः सुरक्षित है एवं कहीं से भी खंडित नहीं हुआ है। आज भी यहाँ दोनों समय साफ़-सफाई, पूजा-पाठ तथा जल अभिषेक वगैरह अनवरत जारी है। देवी अहिल्याबाई इसी मंदिर में रोजाना सुबह-शाम पूजा-पाठ किया करती थीं।[2]
देवी अहिल्याबाई की प्रतिमा
क़िले के अन्दर प्रवेश के बाद राजराजेश्वर मंदिर एवं रेवा सोसाइटी के बाद आता है एक बड़ा हॉल, जहाँ एक ओर देवी अहिल्याबाई का राज दरबार है तथा उनकी राजगद्दी है, जिस पर उनकी सुन्दर प्रतिमा रखी गई है। यह दृश्य इतना सजीव लगता है कि ऐसा प्रतीत होता है कि देवी अहिल्याबाई सचमुच अपनी राजगद्दी पर बैठकर आज भी महेश्वर का शासन चला रही हैं। आज भी यह स्थान सजीव राज दरबार की तरह लगता है। हॉल में दूसरी ओर होल्कर वंश के शासकों के द्वारा उपयोग में लाये गए अस्त्र शस्त्रों की एक छोटी सी प्रदर्शनी लगी है। यहीं पर एक सुन्दर सी पालकी भी रखी है, जिसमें बैठकर देवी अहिल्याबाई नगर भ्रमण के लिए जाती थीं। इन सब चीजों को देखने से ऐसा लगता है, जैसे हम सचमुच ढाई सौ साल पुराने देवी अहिल्या के शासन काल में विचरण कर रहे हैं। क़िले में स्थित एक छोटे से मंदिर से आज भी दशहरे के उत्सव की शुरुआत की जाती है, जैसे वर्षों पहले यहाँ होल्कर शासन काल में हुआ करता था। क़िले से ढलवां रास्ते से नीचे जाते ही शहर बसा हुआ है।
वर्तमान में
वर्तमान में यह क़िला एक हेरिटेज होटल है जिसका प्रबन्धन इन्दौर के अन्तिम शासक के पुत्र राजकुमार शिवाजी राव होल्कर करते हैं। हालाँकि इसे होटल के रूप में राजकुमार रिचर्ड होल्कर ने स्थापित किया था। अपने शानदार मराठा कालीन स्थापत्य कला के कारण पर्यटक इस क़िले को प्राथमिकता देते हैं।
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