राजस्थान उत्तर पश्चिम रेगिस्तानी भाग

राजस्थान उत्तर पश्चिम रेगिस्तानी भाग

उत्तर पश्चिम रेगिस्तानी भाग
उत्तर पश्चिम रेगिस्तानी भाग


  •     राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 61.11 % भाग उ.प. रेगिस्तानी भाग है। इनमे से 58% भाग पूर्णत: मरुस्थल है|
  •     क्षेत्र – जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर,जालोर, चुरू, सीकर, झुंझुनू तथा पाली का पश्चिमी भाग।
  •     जनसंख्या – राज्य की लगभग 40%।
  •     वर्षा – 20 सेमी से 50 सेमी।
  •     तापमान – गर्मियों में उच्चतम 490C तथा सर्दियों में -30C।
  •     जलवायु – शुष्क व अत्यधिक विषम।
  •     मिटटी – रेतीली बलुई।
  •     अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण दक्षिण पश्चिमी मानसून व बंगाल की खाड़ी का मानसून सामान्यत: यहाँ वर्षा नहीं करता है। अत: वर्षा का वार्षिक ओसत 20-50 सेमी रहता है।
  •     राष्ट्रिय कृषि आयोग ने अरावली श्रृखला के पश्चिम व उत्तर पश्चीम में राज्य के 12 जिलों को रेगिस्तानी घोषित किया है- जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, जालोर, चुरू, सीकर, झुंझुनू, पाली का पश्चिमी भाग।
  •     भारत का सबसे बड़ा मरुस्थल थार का मरुस्थल है।
  •     रेतीले शुष्क मैदान तथा पूर्व में 50 सेमी व पश्चिम में 25 सेमी वार्षिक वर्षा द्वारा सीमांकित किया गया क्षेत्र पश्चिमी रेतीला मैदान भौतिक विभाग के उप विभाग है।
  •     उत्तर पश्चिमी रेगिस्तानी भाग को दो भागो में विभाजित किया गया है-
  1. रेतीला शुष्क मैदान
    2. राजस्थान बाँगर (अर्द्ध शुष्क राजस्थान)

    1. रेतीला शुष्क मैदान :

    रेतीला शुष्क प्रदेश को दो भागो में बाटा गया है–
  2. बालू का स्तूप मुक्त प्रदेश
  3. शुष्क मरुस्थली
  1. बालू का स्तूप मुक्त प्रदेश :यह प्रदेश जैसलमेर में रामगढ से पोकरण के बीच स्थित है।
  2. II. शुष्क मरुस्थली :यह प्रदेश 25 सेमी वर्षा रेखा द्वारा अर्द्ध शुष्क राजस्थान से विभाजित है।




मरुस्थल में पाई जाने वाली भौतिक विशेषताए

  1. बालू का स्तूप
  2. रण
  3. खडींन
  1. बालू का स्तूप :बालू स्तुपो के प्रकार –

अ. बरखान – सर्वाधिक गतिशील अर्द्धचन्द्राकार स्तूप जिनसे सर्वाधिक हानि होती है। सर्वाधिक – शेखावटी क्षेत्र में लकिन पश्चिमी राजस्थान में जैसलमेर में अधिक है।

ब. अनुदेधर्य – पवनों की दिशा में सामानांतर बनने वाले स्तूप। सर्वाधिक – जैसलमेर में।

    स. अनुप्रस्थ – पवनों की दिशा में समकोण बनने वाले स्तूप। सर्वाधिक बाड़मेर में।

  •     जोधपुर में तीनों प्रकार के बालू का स्तूप देखने को मिलते है।
  •     जैसलमेर जिलें में स्थानान्तरित होने वाले बालू का स्तूपों को स्थानीय भाषा में धरियन कहते है।
  •     राजस्थान पूर्ण मरुस्थल वाले जिलें – जैसलमेर, बाड़मेर है।
  •     धोरे – रेगिस्थान में रेत के बड़े-बड़े टीले, जिनकी आकृति लहरदार होती है धोरे कहलाते है।



  1. रण :मरुस्थल में बालू का स्तुपो के बीच में स्थित निम्न भूमि में वर्षा का जल भर जाने से अस्थाई झीलों व दलदली भूमि का निर्माण होता है, इसे रण कहते है। ‘रण’ को ‘टाट’ भी कहते है। कानोड़, बरमसर, भाकरी, पोकरण(जैसलमेर), लावा, बाप(जोधपुर), थोब(बाड़मेर) प्रमुख रण क्षेत्र है।
  1. खडींन :मरू भूमि में रेत ऊचे-ऊचे टीलो के समीप कुछ स्थानों पर निचले गहरे भाग बन जाते है जिसमे बारीक़ कणों वाली मटियारी मिटटी का जमाव हो जाता है जिन्हें खड़ींन कहा जाता है।

2. राजस्थान बाँगर (अर्द्ध शुष्क राजस्थान) :

राजस्थान बाँगर को भी चार लघु प्रदेशो में बाटा गया है।

  1. घग्घर क्षेत्र – हनुमानगढ़, गंगानगर का क्षेत्र।

– घग्घर नदी के पाट को नाली कहते है।

  1. आन्तरिक जल प्रवाह – शेखावटी क्षेत्र।

– शेखावटी क्षेत्र में कुओ को स्थानीय भाषा में जोहड़ कहा जाता है।

  1. नागौरी उच्च प्रदेश –

– राजस्थान के दक्षिण पूर्व में अति आर्द्र लूनी बेसिन तथा उत्तर पूर्व में शेखावटी शुष्क अन्तवर्ती मैदान के बीच का प्रदेश नागौरी उच्च भूमि नाम से जाना जाता है।

  1. गोंडवाड़ – या लूनी बेसिन प्रदेश।



  • सांभर, डीडवाना, पचपदरा, इत्यादि खारे पानी की झीले टेथिस सागर का अवशेष है।
  • सर्वाधिक खारे पानी की झीले नागौरी उच्च प्रदेश के अंतर्गत आती है।
  • पिवणा : राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाए जाने वाला सर्वाधिक विषेला सर्प है।
  • चान्दन नलकूप (जैसलमेर) : थार का मीठे पानी का घड़ा।
  • विशेष तथ्य :

मरुस्थल के प्रकार –

  1. इर्ग – रेतीला मरुस्थल
  2. हम्माद – पथरीला मरुस्थल
  3. रैग – मिश्रित मरुस्थल




  • राजस्थान का एक मात्र जीवाश्म पार्क  – आकल गाँव (जैसलमेर) है।
  • उत्तर पश्चिमी मरुस्थलीय भाग अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण दक्षिणी पश्चिमी मानसून व बंगाल की खाड़ी का मानसून वहा वर्षा नहीं करता, इसलिए इस क्षेत्र में वर्षा के ओसत 20 सेमी से 50 सेमी रहता है।
  • उदयपुर जिलें के उत्तरी भाग अरावली श्रेणी के पश्चिमी उप-पर्वतीय खण्ड द्वारा तथा इसके परे 50 सेमी की वर्षा रेखा तथा महान भारतीय जल विभाजक द्वारा उत्तर पश्चिमी रेगिस्थान की पूर्वी सीमा बनती है।
  • न्यूनतम जनसंख्या घनत्व भी इसी भौतिक विभाग में है।
  • राजस्थान में वायु अपरदन (मिटटी का कटाव) से प्रभावित भूमि का क्षेत्रफल सबसे अधिक है। वायु द्वारा सर्वाधिक अपरदन पश्चिमी राजस्थान में होता है।
  • रेतीले शुष्क मैदान और अर्द्ध शुष्क मैदान को 25 सेमी वर्षा रेखा विभाजित करती है।
  • रेतीली सतहों से बाहर निकली प्राचीन चट्टानों से मरुस्थलीय प्रदेश भारत के प्रायद्वीपीय खंड का पचिमी विस्तार प्रतीत होता है।

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