पराग स्त्रीकेसर संकर्षणपराग स्त्रीकेसर संकर्षण

पराग स्त्रीकेसर संकर्षण

परागकण की पहचान 

जब परागकण परागण के द्वारा वतिकाग्र पर पहुँच जाते है। तो परागकण व वतिकाग्र के रासायनिक घटकों के मध्य परस्पर क्रिया द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है, कि वतिकाग्र पर पहुँचने वाला परागकण ठीक उसी जाती का है। क्योंकि परागण के द्वारा गलत प्रकार के परागकण (दूसरी पादप जाति का) भी उसी वतिकाग्र पर आ जाते है।

स्त्रीकेसर में परागकण की पहचान करने की क्षमता होती है। की पराग गलत है, या सही प्रकार का है।

यदि पराग सही प्रकार का होता है तो परागकण में अंकुरण होने लगता है।

यदि परागकण गलत प्रकार का होता है, तो स्त्रीकेसर द्वारा पराग की अस्वीकृति किया जाता है जिससे परागकण में अंकुरण नहीं हो पाता।

परागकण की पहचान करने के पश्चात परागनलिका (Pollen Tube) का निर्माण होता है।

परागनलिका (Pollen Tube) रसायनानुवर्न के द्वारा बीजांड की ओर जाती है।

परागकण का अंकुरण 

परागकण की जनन कोशिका में समसूत्री विभाजन के द्वारा दो नर युग्मकों का निर्माण होता है तथा जनन छिद (germ pores) में से होते हुई एक परागनलिका (Pollen Tube) का निर्माण होता है।

परागनलिका का बीजांड में प्रवेश

एक परागनलिका (Pollen Tube) में दो नर युग्मक होते है। जिनका निर्माण जनन कोशिका द्वारा होता है।

परागनलिका वर्तिका से होते हुए अंडाशय तक जाती है। तथा अंडाशय में पहुँचने के पश्चात बीजांड में प्रवेश करती है। यह प्रवेश तीन प्रकार से होता हैं–

निभागी प्रवेश (chalaogamy)

परागनलिका (Pollen Tube) बीजांड में निभाग में से होकर प्रवेश करती है।

अंडद्वारी / बीजांडद्वारी प्रवेश (porogamy)

परागनलिका (Pollen Tube) का बीजांड में पवेश बीजांड द्वार में से होता है।

उदाहरण betula, casurina .

अध्यावरणी प्रवेश (mesogamy)

परागनलिका का बीजांड में का प्रवेश अध्यावरण में से होता है।

उदाहरण cucurbita and populus

परागनलिका का भूर्ण कोष में प्रवेश

परागनलिका का प्रवेश बीजांड में प्रवेश कैसा भी हो परन्तु भूर्णकोष में वह बीजांडद्वार से ही प्रवेश करती है।

बीजांडद्वारी सिरे पर उपस्थित तन्तुरुपी समुच्चय (filliform apparatus) पराग नलिका के प्रवेश को दिशा निर्देशित करती है।

तन्तुमय समुच्चय के माध्यम से परागनलिका  एक सहाय कोशिका में प्रविष्ट करती है।

परागनलिका जब भूर्णकोष में प्रवेश कर जाती है तो यह भूर्णकोष के मध्य में पहुँच कर नर युग्मकों को मुक्त करती है।

उपरोक्त वर्णत सभी प्रक्रम (पराग की पहचान, अंकुरण, परागनलिका का बीजांड व भूर्णकोष में प्रवेश) पराग स्त्रीकेसर संकर्षण (Pollen Pistil Interaction) कहलाता है।

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