राजस्थान के वस्त्र व आभूषण
राजस्थान के वस्त्र व आभूषण :-
मारू थ्हारा देश में निबजे तीन रत्न ।
पहलो ढ़ोलो, दूजी मरवन और तीजो कसूमल रंग ।।
महिलाओं के वस्त्र –
1. ओढनियाँ – पोमचा
2. लहरिया
3. मोठडा
4. चुनडी
पोमचा –
- पोमचे का अभिप्राय कमल के फूल से है जिसे वंश वृद्धि का सूचक माना जाता है । ( कमल, केला, बांस – वंश वृ़द्ध के सूचक )
- पोमचा दो प्रकार का होता है –
1. लाल गुलाबी – बेटी के जन्म पर
2. लाल पीला – बेटे के जन्म पर - यह हमेशा प्रसूता के पीहर पक्ष से आता है।
- चीड़ का पोमचा – विधवा स्त्री की ओढ़नी (रंग – मटमैला या काला )
लहरिया –
- विशेषतः श्रावण माह में महिलाएँ लहरियां भात की ओढ़नी तथा पुरूष लहरिया भात का साफा पहनते हैं।
लहरिया जयपुर या जोधपुर का प्रसिद्ध है। - सर्वश्रेष्ठ लहरिया पचरंगी लहरिया ही माना जाता है।
- मलिक मुहम्मद जायसी ने समुद्रलहर नामक लहरिये की प्रशंसा की है।
- यदि रंगो की धारिया एक तरफ से हो तो लहरिया कहलाता है और यदि रंगो की धारिया दोनो तरफ से हो तो मोठडा कहलाता है।
चूनडी –
बन्धेज की ओढ़नी चूनडी कहलाती है।
प्रमुख स्थल – जोधपुर , जयपुर व सीकर।
ताराभांत की ओढनी –
प्रचलन – आदिवासी व जाट महिलाओें में ।
चुनरी भांत की ओढनी –
प्रचलन – आदिवासी महिलाओं में।
प्रकार – केरी भांत, फूल भांत व मोर भांत ।
नान्दणा –
आदिवासी महिलाओं द्वारा प्रयुक्त प्राचीनतम वस्त्र ।
कटकी –
आदिवासी कंवारी कन्याओं की ओढनी।
जामशाही साडी –
आदिवासी महिलाओं द्वारा विवाह के अवसर पर काम में ली जाने वाली साडी ।
कछाबू –
आदिवासी भील महिलाओं का घुटनो तक का घाघरा ।
पेचवर्क –
विविध रंग के कपडे के टुकडों को आपस में जोडकर तैयार किया गया वस्त्र ।
रेनसाई – यह लहंगे की छींट है, जिसमें काले रंग की जमीन पर लाल व भूरे रंग की बूटियाँ बनी रहती है ।
तिलका – यह मुस्लिम औरतों का पहनावा है ।
गोटा –
प्रसिद्ध – खण्डेला (सीकर)
साडी के किनारे पर लगाई जाने वाली चमकीली पट्टी ।
प्रकार – लप्पा, लप्पी, किरण, बांकडी ।
साडियों के विविध नाम – चोल, निचोल, पट, दुकुल, अंसुक, चीर पटोरी, चोरसो, धोरावली ।
उच्च वर्गीय महिलाओं के लिए प्रयुक्त कपड़े – छींट, चीकं, टसर, जामादानी, मसरू, किमखाब, मीर ए बादला, पारचा, ईसायची, नौरंगशाही, बाफ्ता, मोमजामा, बहादुरशाही, गंगाजली ।
डोरिया व मसूरिया साडी – कोटा की प्रसिद्ध है ।
बेल-बूटे – बगरू (जयपुर) के प्रसिद्ध ।
पुरूषों के वस्त्र
पुरूषों के वस्त्र –
सिर के वस्त्र – पाग, पगडी, फेंटा, साफा, पोतिया, पोला ।
पगडी की शैलियाँ – शिवशाही, अमरशाही, उदयशाही, खजरशाही, विजयशाही, शांहजहानी ।
बुगतरी/अचकन/अंगरखी – यह वस्त्र दो प्रकार का बना होता है, पहला कमर से ऊपर तक का वस्त्र व दूसरा घुटनों से नीचे तक का वस्त्र ।
चोगा – अंगरखी के ऊपर पहने जाने वाला वस्त्र ।
जामा – शाही अवसर पर पहनी जानें वाली शाही पोशाक ।
पटका – कमर में पहने जाने वाला वस्त्र जिसमें तलवार या कटार घुसी होती है ।
ढ़ेपाडा – आदिवासी भीलों की तंग धोत्ती ।
आतमसुख – तेज सर्दी में पुरूषों द्वारा ओढा जाने वाला वस्त्र ।
अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमे फेसबुक(Facebook) पर ज्वाइन करे Click Now