लाल रक्त कोशिका
लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cells or RBCs):- मानव शरीर में रक्त की सबसे प्रमुख कोशिका है। यह कोशिकाएँ रीढ़धारी प्राणियों के श्वसन अंगों से ऑक्सीजन लेकर उसे शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचाने का कार्य करती हैं।
- इन कोशिकाओं में केन्द्रक अनुपस्थित होता है।
- लाल रक्त कोशिकाएँ श्वसन अंगों से ऑक्सीजन लेकर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का कार्य करती हैं।
- इनकी कमी से ‘रक्ताल्पता’ (एनिमिया) का रोग हो जाता है।
- लाल रक्त कोशिका की आयु कुछ दिनों से लेकर 120 दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थिमज्जा में इनका उत्पादन भी होता रहता है।
- इन कोशिकाओं के बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में रुधिर की कमी नहीं हो पाती |
लाल रक्त कोशिकायें (रेड ब्लड सेल):- ऑक्सीजन शरीर के हर कोशिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके बिना कोई भी कोशिका काम नहीं कर सकती है। रक्ताल्पता (एनीमिया) वह अवस्था है, जहां पर लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या ऑक्सीजन शरीर की बुनियादी शारीरिक जरूरत को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होता है। अपने दैनिक आहार में इस स्लाइड शो में दिये खाद्य पदार्थों को शामिल करके आप लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में सुधार कर सकते है।
लाल रक्त कोशिकाएं और आयरन की कमी :- आयरन की कमी को एनीमिया का सबसे आम कारण माना जाता है। जब शरीर अपने अंदर उचित मात्रा में आयरन उत्पन्न नहीं कर पाता तो वह पर्याप्त हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने में असमर्थ होता है। हीमोग्लोबिन प्रोटीन युक्त हीम के रूप में एक आयरन है जो शरीर में ऑक्सीजन का निर्वाह करता है।
एनीमिया के कारण:- एनीमिया फोलिक एसिड, विटामिन बी 12 और सी की कमी के कारण होता है जो कम हीमोग्लोबिन गिनती के लिए जाना जाता है। अन्य कारणों में दुर्घटना, बोन मैरो दोष, कैंसर, किडनी में संक्रमण, कुछ दवाएं और दर्द निवारक दवाओं को ज्यादा प्रयोग या महिलाओं में भारी माहवारी के के कारण खून की कमी हो सकती है। कभी कभी आंतों की सर्जरी आयरन को अवशोषित कर आंतों की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) की संख्या बढ़ाएं:-
अपने आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें: यह आपके शरीर के पुनर्निर्माण में और खोये चीजों को वापस पाने में मदद करता है। हर रोज आयरन से भरपूर आहार खाने से आपके शरीर में RBCs की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। आयरन लाल रक्त कोशिका और हीमोग्लोबिन का एक अनिवार्य हिस्सा है क्योंकि यह शरीर के विभिन्न अंगों को आक्सीजन पहुँचाने में मदद करता है। यह साँस छोड़ने पर कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) के उत्सर्जन में भी मदद करता है। आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ हैं :-
- फलिया
- दाल
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे केल और पालक
- सूखा आलूबुखारा
- अवयव मीट जैसे लिवर
- सेम
- अंडे की जर्दी
- लाल मीट
- सूखे किशमिश
- अगर आपके रोज के आहार में आयरन की मात्रा पर्याप्त नहीं है, तो आप अपने RBC की संख्या को बढ़ाने के लिए सप्लिमेंट (supplements) और मिनरल लेने का विचार कर सकते हैं। आयरन 50-100mg टैबलेट के रूप में मिलता है और आप इसे प्रतिदिन 2-3 बार ले सकते हैं।
- वैसे तो, वयस्क लोगों को प्रतिदिन 900mcg कॉपर लेने की आवश्यकता होती है। प्रजनन सालों में, महिलाओं में मासिक धर्म होता है, लिहाजा, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक मात्रा में कॉपर की आवश्यकता होती है। महिलाओं को प्रतिदिन 18mg कॉपर की आवश्यकता होती है, जब की पुरुषों को मात्र 8mg कॉपर की आवश्यकता होती है।
- कॉपर एक एसेन्शियल मिनरल है जो कोशिकाओं को आयरन के केमिकल फार्म को ऐक्सेस करने में मदद करता है जो की आयरन चयापचय (iron metabolism) के दौरान लाल रक्त कोशिकाओं को आवश्यक है।
- शकरकंद, गाजर, कुम्हड़ा, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, मीठी लाल शिमला मिर्च और फल जैसे खूबानी, अंगूर, तरबूज, प्लम और खरबूजे में विटामिन-ए की मात्रा भरपूर होती है।
- महिलाओं को विटामिन-ए की दैनिक खुराक 700mcg और पुरुषों को 900mcg खुराक की आवश्यकता होती है।
रुधिर (Blood) एक तरल पदार्थ है, जिसके दो भाग है : (1) द्रव भाग, जिसे प्लाज़्मा कहते हैं और (2) ठोस भाग, जो कोशिकाओं का बना होता है। रुधिर कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं : (1) लाल रुधिर कोशिकाएँ (2) श्वेत रुधिर कोशिकाएँ और (3) विंबाणु, या प्लेटलेट्। प्लैज़्मा में 91 से 92 प्रति शत जल और शेष में (क) सोडियम, पोटैशियम और कैल्सियम, (ख) वसा, (ग) शर्करा, (घ) प्रोटीन आदि होते हैं।
रुधिर के कार्यं- 1. फुफ्फुसों से शरीर के विभिन्न अंगों, को ऑक्सीजन ले जाना और वहाँ से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को फुफ्फुसों तक वापस ले आना।
2. शरीर के चयापचयजन्य अंत्य पदार्थों को वृक्क में पहुँचाना, जिनको वृक्क बाहर विसर्जित कर देते हैं।
3. पोषक पदार्थों, ओषधि, विटामिन आदि को शरीर के सब भागों में पहुँचा।
4. शरीर में लवण और क्षार का संतुलन बनाए रखना।
5. रोगोत्पादक जीवाणुओं का नाश कर इनसे शरीर की रक्षा करना। श्वेत रुधिर कोशिकाएँ ऐसे जीवाणुओं का भक्षण कर लेती हैं।
6. रुधिर के शीघ्रता से जमकर थक्का बनने की प्रवृत्ति से चोट लगने पर शरीर से रुधिर स्राव को बंद करना।
मानव शरीर में प्रति किलोग्राम के भार पर 78 से 97 घन सेंटीमीटर रुधिर रहता है।
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