प्रकाश का अपवर्तन
Refraction of light
प्रकाश के किरण की विरल माध्यम (rare medium) से सघन माध्यम (denser medium) में प्रवेश करने के बाद अभिलम्ब (normal) की ओर मुड़ने तथा सघन माध्यम (denser medium) से विरल माध्यम (rarer medium) में प्रवेश करने के बाद अभिलम्ब (normal) से दूर जाने की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light) कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम (rarer medium) से सधन माध्यम (denser medium) में जाती है तो अभिलम्ब (normal) की ओर मुड़ जाती है तथा जब प्रकाश की किरण सधन माध्यम (denser medium) से विरल माध्यम (rarer medium) में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब (normal) से दूर मुड़ जाती है। प्रकाश की किरण की इस विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाने पर अभिलम्ब की ओर तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर अभिलम्ब से दूर मुड़ने की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) कहते हैं।
उदाहरण:- जब एक पेंसिल को पानी से भरे ग्लास में रखा जाता है, तो पेंसिल टेढ़ा दिखता है। ऐसा प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है।
जब एक सिक्के को पानी से भरे टब में रखा जाता है, तो सिक्का टब की तलहट्ठी से थोड़ा उपर दिखता है। यह भी प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है।
प्रकाश के अपवर्तन के नियम
(i) आपतित किरण (incident ray), अपवर्तित किरण (refractive ray) तथा दोनों माध्यमों को पृथक करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु (point of incidence) पर अभिलम्ब (normal) सभी एक ही तल में होते हैं।
(ii) प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म (pair of medium) के लिये आपतन कोण (angle of incidence) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (angle of refraction) की ज्या (sine) का अनुपात (ratio) स्थिर (constant) होता है
इस नियम को स्नेल का नियम भी कहते हैं।
यदि `i` आपतन कोण (angle of incidence) हो तथा `r` अपवर्तन कोण (angle of refraction) हो तब
`sin\i/sin\r = ` स्थिरांक (constant)
इस स्थिरांक मान को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक (refractive index) कहते हैं।
अपवर्तनांक
प्रकाश के किरणों का किन्हीं दो माध्यमों के युग्म (pair of two medium) के लिए होने वाले दिशा परिवर्तन के विस्तार को अपवर्तनांक (refractive index) के रूप में व्यक्त किया जाता है।
दूसरे शब्दों में प्रकाश के किरणों का किसी दो माध्यम के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अवर्तन कोण की ज्या का अनुपात अपवर्तनांक कहलाता है।
अपवर्तनांक तथा प्रकाश की गति
अपवर्तनांक का मान किसी दो माध्यम के युग्म में प्रकाश की सापेक्ष गति को दिखलाता है। प्रकाश की गति अलग अलग माध्यम में अलग अलग होती है। निर्वात (vacuum) में प्रकाश की गति `3 xx 10^8\ m//s` है, जो कि अधिकतम है तथा हवा में प्रकाश की गति निर्वात में प्रकाश की गति से थोड़ा कम है।
प्रकाश की गति अपेक्षाकृत सघन माध्यम (denser medium) में विरल माध्यम (rare medium) के कम होती है।
किसी एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम में प्रकाश का अपवर्तनांक
माना कि प्रकाश माध्यम 1 से दूसरे माध्यम 2 में प्रवेश करता है।
माना कि माध्यम 1 में प्रकाश की गति, `v_1` है।
माना कि माध्यम 2 में प्रकाश की गति, `v_2` है।
अत: माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक को माध्यम 1 में प्रकाश की गति तथा माध्यम 2 में प्रकाश की गति के अनुपात में व्यक्त किया जाता है।
इसे प्राय: `n_(21)` द्वारा व्यक्त किया जाता है।
माध्यम 1 का माध्यम 2 के सापेक्ष अपवर्तनांक
मान लिया कि प्रकाश माध्यम 2 से माध्यम 1 में जाता है।
मान लिया कि माध्यम 1 में प्रकाश की गति, `v_1` है।
तथा माध्यम 2 में प्रकाश की गति, `v_2` है।
अत: माध्यम 1 का माध्यम 2 की अपेक्षा अपवर्तनांक को माध्यम 2 में प्रकाश की गति तथा माध्यम 1 में प्रकाश की गति के अनुपात में दर्शाया जाता है।
इसे प्राय: `n_(12)` से दर्शाया जाता है।
अपवर्तनांक- जब एक माध्यम निर्वात हो:-
किसी माध्यम का निर्वात (Vacuum) के सापेक्ष अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक (ABSOLUTE REFRACTIVE INDEX) कहा जाता है।
दूसरे शब्दों मे निरपेक्ष अपवर्तनांक किसी माध्यम का निर्वात (Vacuum) के सापेक्ष अपवर्तनांक है।
उदाहरण:
मान लिया गया कि माध्यम 1 निर्वात है तथा माध्यम 2 कोई अन्य माध्यम है।
इस स्थिति में,
दिये गये माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक, `n_m`
किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक को प्राय: अपवर्तनांक कहते हैं।
उदाहरण: हवा का अपवर्तनांक `(n_a)\ 1.0003` है। बर्फ का अपवर्तनांक, `(n_i)\ 1.31` है। पानी का अपवर्तनांक `(n_w)\ 1.33` है, आदि।
प्रकाशिक घनत्व
किसी माध्यम को प्रकाश को अपवर्तित करने की क्षमता को इसके प्रकाशिक घनत्व द्वारा भी व्यक्त किया जा सकता है। यह प्रकाशिक घनत्व द्रव्यमान के समान नहीं है।
सघन माध्यम का अर्थ प्रकाशिक सधन माध्यम तथा विरल माध्यम का अर्थ प्रकाशिक विरल माध्यम है।
प्रकाशिक सधन माध्यम :-
माध्यम जिसका अपवर्तनांक सापेक्ष रूप से बड़ा या ज्यादा हो, प्रकाशिक रूप से सघन या प्रकाशिक सघन माध्यम कहलाता है।
प्रकाशिक विरल माध्यम :-
माध्यम जिसका अपवर्तनांक सापेक्ष रूप से कम या छोटा हो को प्रकाशिक विरल माध्यम या विरल माध्यम कहा जाता है। उदाहरण:- किरासन तेल का अपवर्तनांक 1.44 है तथा बर्फ का अपवर्तनांक 1.31 है। अत: किरासन तेल बर्फ की तुलना में सघन माध्यम हुआ तथा बर्फ किरासन तेल की तुलना में विरल माध्यम हुआ।
बिभिन्न माध्यम में प्रकाश की गति:
प्रकाश की गति निर्वात में अधिकतम है, जो `3 xx 10^8\ m//s` है। प्रकाश की गति अपवर्तनांक के बढ़ने के साथ घटती है तथा अपवर्तनांक के घटने के साथ बढ़ती है। अर्थात प्रकाश की गति अपेक्षाकृत विरल माध्यम में ज्यादा होती है तथा अपेक्षाकृत सघन माध्यम में अपेक्षाकृत कम होती है।
उदाहरण:- क्राउन ग्लास (crown glass) का अपवर्तनांक (refractive index) 1.52 तथा संगलित क्वार्ज (fused quartz) का 1.46 है। इसका अर्थ यह है कि प्रकाश की गति क्राउन ग्लास (crown glass) की तुलना में संगलित क्वार्ज (fused quartz) में ज्यादा है।
चूँकि अपेक्षाकृत सधन माध्यम में प्रकाश की गति कम हो जाती है, इसलिय जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो वह अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है। और चूँकि विरल माध्यम में प्रकाश की गति ज्यादा होती है इसलिये सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने पर प्रकाश की किरणें अभिलम्ब से दूर मुड़ जाती है।
अत: प्रकाश की गति के बढ़ने या कम होने के कारण ही बिभिन्न माध्यमों में प्रकाश का अपवर्तन होता है।
लेंस या ताल
दो पृष्ठों से घिरा कोई पार्दर्शी माध्यम, जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हो, को लेंस या ताल कहते हैं। इसका अर्थ यह है को लेंस का कम से कम एक पृष्ठ गोलीय होता है।
लेंस (ताल) के प्रकार:-
उत्तल लेंस या उत्तल ताल
ऐसे लेंस जिसके दोनों गोलीय पृष्ठ बाहर की ओर उभरे हों को उत्तल लेंस (Convex lens) कहते हैं। उत्तल लेंस को द्वि उत्तल लेंस (Double convex lens) भी कहते हैं।
एक उत्तल लेंस किनारों की अपेक्षा मध्य भाग में मोटा होता है।
उत्तल लेंस प्रकाश की किरणों को अभिसरित करता है, अत: उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस (Converging Lens) भी कहते हैं।
अवतल लेंस [अवतल ताल ]
लेंस जो अंदर की ओर वक्रित दो गोलीय पृष्ठों से घिरा होता है, को अवतल लेंस कहते हैं। ऐसे लेंस को द्वि – अवतल लेंस भी कहते हैं। ऐसा लेंस बीच की अपेक्षा किनारे से मोटा होता है।
एक अवतल लेंस किरणों को अपसरित (Diverge) कर देता है, अत: ऐसे लेंस को अपसारी लेंस या अपसारी ताल (Diverging lens) भी कहते हैं।
गोलीय लेंस [गोलीय ताल] से संबधित महत्वपूर्ण पद
वक्रता केन्द्र (Center of Curvature):-
एक गोलीय ताल दो गोले के सतह के संयोग (जुड़ने) से बनता है, अत: उन दो गोलों के केन्द्र उनसे बने लेंस (ताल) का वक्रता केन्द्र होता है या कहलाता है।
चूँकि एक लेंस दो गोलों के भागों को मिलाने से बनता है, अत: एक लेंस का दो वक्रता केन्द्र होता है।
एक लेंस (ताल [lens]) के वक्रता केन्द्रों को क्रमश: `C_1` तथा `C_2` से निरूपित किया जाता है।
प्रकाशिक केन्द्र (Optical Center):-
लेंस का केन्द्रीय बिन्दु इसका प्रकाशिक केन्द्र (Optical center) कहलाता है। प्रकाशिक केन्द्र (Optical Centre) को प्राय: अंगरेजी के `O` अक्षर से निरूपित किया जाता है।
मुख्य अक्ष (Principal axis):-
लेंस [ताल (Lens)] के वक्रता केन्द्रों से गुजरने वाली सीधी काल्पनिक रेखा लेंस का मुख्य अक्ष कहलाती है।
मुख्य फोकस (Principal Focus):-
अनंत से आने वाली प्रकाश की किरणें, जो कि मुख्य अक्ष के समानांतर होती हैं, उत्तल लेंस [ताल (Lens)] से अपवर्तन के पश्चात जिस बिन्दु पर अभिसरित होती है या अवतल लेंस के जिस बिन्दु से अपसरित होती है, उस बिन्दु को लेंस [ताल (Lens)] का मुख्य फोकस कहते हैं।
किसी भी लेंस [ताल (Lens)] का दो मुख्य फोकस होता है, जो कि लेंस के दोनों तरफ होता है।
लेंस के मुख्य फोकस को अंगरेजी के अक्षर `F_1` तथा `F_2` से निरूपित किया जाता है।
फोकस दूरी (Focal Length (`f`)):-
लेंस के मुख्य फोकस (Principal Focus) तथा प्रकाशिक केन्द्र (Optical center (`O`)) के बीच की दूरी को फोकस दूरी (Focal Length) कहते हैं। फोकस दूरी को अंगरेजी के छोटे अक्षर `f` से निरूपित किया जाता है।
फोकल दूरी का मान लेंस के वक्रता केन्द्र तथा प्रकाशिक केन्द्र के बीच की दूरी का आधा होता है।
अर्थात `C_1 = 2f_1`