
पौधों में लैंगिक प्रजनन के चरण
पुष्प के अलग–अलग भाग


परागण

परागण में कीट मदद करते हैं। जब कोई कीट एक पौधे के पुष्प पर पराग को पीने के लिए बैठता है तो दूसरे का परागकण उसके शरीर से चिपक जाता है। अब, जब यह कीट उड़ता है और ऐसे ही किसी दूसरे पौधे के पुष्प पर जा कर बैठ जाता है, तब परागकण एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाते हैं और दूसरे पौधे के पुष्प के स्टिग्मा से चिपक जाते हैं। इस प्रकार कीट संकर–परागण (Cross-Pollination) में मदद करते हैं। हवा भी संकर–परागण (Cross-Pollination) में मदद करती है।
निषेचन
जब परागकण स्टिग्मा पर गिरते हैं तो फट जाते हैं और खुलकर विकसित पराग नली में पहुँच जाते हैं। यह पराग नली वर्तिका से होकर अंडाशय की तरफ बढ़ती है और बीजाणु में प्रवेश करती है। नर युग्मक पराग नली में जाते हैं। पराग नली का ऊपरी सिरा फटता है, बीजाणु में खुल जाता है और नर युग्मक बाहर निकल आते हैं। बीजाणु में, नर युग्मक मादा युग्मक के केंद्रक से मिलते हैं और निषेचित अंडे बनते हैं। यह निषेचित अंडा ‘युग्मनज’ (Zygote) कहलाता है।


बीज पौधे की प्रजनन इकाई होता है। इस बीज से ही नए पौधे विकसित हो सकते हैं, क्योंकि बीज अपने भीतर नवीन पौधे और उसके लिए भोजन रखता है। बीज में नवीन पौधे का हिस्सा, जो पत्तियों का रूप लेता है, ‘प्लूम्यूल’ (Plumule) कहलाता है। जड़ों के रूप में विकसित होने वाला हिस्सा ‘मूलांकुर’ (Radicle) कहलाता है। शिशु पौधे के लिए भोजन संरक्षित कर रखने वाले बीज के हिस्से को बीजपत्र (Cotyledon) कहते हैं। बीज के भीतर रहने वाला शिशु पौधा निष्क्रिय अवस्था में होता है। जब हम उसे उपयुक्त वातावरण जैसे पानी, हवा, रोशनी आदि प्रदान करते हैं, तभी वह अंकुरित होता है और एक नया पौधा उगता है। गेहूं, चना, मक्का, मटर, सेम आदि बीज के उदाहरण हैं।

बीजों का अंकुरण
