छत्रपति शिवाजी टर्मिनस | |
विवरण | छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई का एक ऐतिहासिक रेलवे-स्टेशन है, जो मध्य रेलवे, भारत का मुख्यालय भी है। |
राज्य | महाराष्ट्र |
नगर | मुम्बई |
निर्माण | सन 1878 से 1888 तक |
वास्तुकार | फ्रेडरिक विलियम स्टीवन्स और एक्सेल हैग |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 18.9400°; पूर्व- 72.8353° |
मार्ग स्थिति | छत्रपति शिवाजी टर्मिनस गेटवे ऑफ़ इंडिया से लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | यह भारत के व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है। |
एस.टी.डी. कोड | 022 |
गूगल मानचित्र | |
अन्य नाम | वी.टी. (विक्टोरिया टर्मिनस), सी.एस.टी. |
अन्य जानकारी | आंकड़ों के अनुसार यह स्टेशन ताजमहल के बाद भारत का सर्वाधिक छायाचित्रित स्मारक है। |
अद्यतन | 15:31, 27 जनवरी 2012 (IST) |
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई का एक ऐतिहासिक रेलवे-स्टेशन है, जो मध्य रेलवे, भारत का मुख्यालय भी है।
- छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को पहले ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ के नाम से जाना जाता था।
- छत्रपति शिवाजी टर्मिनस अपने लघु नाम वी.टी., या सी.एस.टी. से अधिक प्रचलित है।
- यह भारत के व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है।
- आंकड़ों के अनुसार यह स्टेशन ताजमहल के बाद भारत का सर्वाधिक छायाचित्रित स्मारक है।
- 2 जुलाई, 2004 को इस स्टेशन को युनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
इतिहास
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भारतीय पारम्परिक वास्तुकला से ली गई विषय वस्तुओं के मिश्रण व भारत में ‘विक्टोरियन गोथिक’ पुन: जीवित वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह टर्मिनस इन दोनों संस्कृतियों के बीच प्रभावों के महत्वपूर्ण आपसी बदलाव को दर्शाता है। इस स्टेशन की अभिकल्पना ‘फ्रेडरिक विलियम स्टीवन्स’, वास्तु सलाहकार ने 1878-1888, में 16.14 लाख रुपयों की राशि पर की थी।
इस टर्मिनस का निर्माण 1878 में आरंभ करते हुए 10 वर्षों में किया गया। इसे शासक सम्राज्ञी महारानी विक्टोरिया के नाम पर ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ कहा गया। यह मुम्बई में एक गोथिक शहर के रूप में पहचाना जाने लगा। सन् 1996 में, शिव सेना की मांग पर, तथा नामों को भारतीय नामों से बदलने की नीति के अनुसार, इस स्टेशन का नाम, राज्य सरकार द्वारा सत्रहवीं शताब्दी के मराठा शूरवीर शासक छत्रपति शिवाजी के नाम पर ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ कर दिया गया। फिर भी वी.टी. नाम आज भी लोगों के मुंह पर चढ़ा हुआ है। 2 जुलाई, 2004 को इस स्टेशन को युनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
शैली
इस स्टेशन की इमारत ‘विक्टोरियन गोथिक शैली’ में बनी है। इस इमारत में विक्टोरियाई इतालवी गोथिक शैली एवं परंपरागत भारतीय स्थापत्य कला का संगम झलकता है। इसके अंदरूनी भागों में लकड़ी की नक़्क़ाशी की हुई टाइलें, लौह एवं पीतल की अलंकृत मुंडेरें व जालियां हैं। यह स्टेशन अपनी उन्नत संरचना व तकनीकी विशेषताओं के साथ, उन्नीसवीं शताब्दी के रेलवे स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में पत्थर के गुम्बद, कंगूरे, नोंकदार महराब और संकेन्द्रित भूमि योजना पारम्परिक भारतीय महलों की वास्तुकला के नज़दीक है। यह प्रसिद्ध टर्मिनल ‘ब्रिटिश राष्ट्र मंडल’ में 19 वीं शताब्दी के अंत की ओर रेलवे वास्तुकला की सुंदरता को भी दर्शाता है। यह मुम्बई के लोगों का एक अविभाज्य अंग है, क्योंकि यह स्टेशन उप शहरी और लंबी दूरी रेलों का स्टेशन है।[1]