स्मॉग क्या है और यह हमारे लिए कैसे हानिकारक है?
स्मोग (धुआंसा) (Smog) दो शब्दों अर्थात धुंए (स्मोक) और कोहरे (फॉग) से मिलकर बना है, जिसे फॉग या धुंध में धुंए या कालिख कणों के मिले होने से भी जाना जाता है या धूल और जल वाष्प के साथ विभिन्न गैसों का मिश्रण जो कोहरे में मौजूद होता है जिसकी वजह से सांस लेना भी मुश्किल हो, इस रूप में भी वर्णित है। यह एक पीला या काला कोहरा होता है जो वायु प्रदूषण के एक मिश्रण से बना है, जिसमें मुख्य रूप से नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर आक्साइड और कुछ अन्य कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि सूर्य के प्रकाश के साथ गठबंधन कर ओजोन का निर्माण करते हैं।
कुछ शहरों में जैसे कि दिल्ली में, स्मोग तीव्रता से बढ़ रही है और पिछले 17 सालों में एक खतरानाक स्थिति पैदा हो गई है जिससे स्वास्थ्य आपात स्थिति के रूप में जाना जा रहा है। लॉस एंजिल्स, बीजिंग, दिल्ली, तेहरान आदि के वायुमंडलीय प्रदूषण का स्तर विलोमन है जो कि प्रदूषण को जमीन के करीब तेजी से बढ़ा रहा है। दिल्ली में स्मोग के कारण विसिबिलिटी (visibility) खराब हो जाती है , और बच्चों को घर के अंदर रहने की प्राथमिकता दी जाती हैं क्योंकि यह मनुष्यों के लिए बेहद जहरीला है और गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है, यहां तक कि मृत्यु का कारण भी हो सकता है। चलिए स्मोग के कारण क्या हैं, कैसे यह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और यह कैसे बनता है के स्रोतों पर नजर डालते हैं; स्मोग से बचने के लिए किन आवश्यक सावधानियों को अपना सकते हैं, इसके बारे में भी जानते हैं-
धुंध के स्रोत हैं: वाहन, निर्माण, खुले में जलने वाला कूढ़ा, इनसीनेरेटरर्स (incinerators), कारखाने, लॉन परिवाहक (lawnmowers), कोयला आधारित बिजली उत्पादन स्टेशन, डीजल और पेट्रोल वाहन, सॉल्वैंट्स, क्लीनर और तेल पेंट, कीटनाशकों और प्रदूषक हवाएं जिसके माध्यम से स्मोग का उत्सर्जन होता है।
क्या आप जानते हैं, स्मोग का नाम कैसे पढ़ा ? (Do you know how smog got its name?)
इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1900 के शुरूवात में लंदन में किया गया था, जिसमें बताया गया था कि स्मोग स्मोक और फॉग से मिलकर बना है जो कि पूरे शहर को ढांप देता है। विभिन्न सूत्रों के अनुसार यह टर्म सर्वप्रथम डा. हेनरी एंटोईनदेस वॉक्स (Dr. Henry Antoine des Voeux ) ने जुलाई 1905 में पब्लिक हेल्थ कांग्रेस की मीटिंग के दौरान अपने पेपर फॉग और स्मोक में दी थी। उन्होंने बताया था कि स्मोग, धुएं और स्लफर डाइ ऑक्साइड का मिश्रण है।
गहराई में जाने से पहले, आइए जानें कि ओजोन (O3) क्या है ?
स्वाभाविक रूप से, ओजोन पृथ्वी के ऊपर उच्च में मौजूद स्ट्रैटोस्फियर परत में रंगहीन, गंधहीन गैस है, जो हमें यूवी किरणों जैसे कि सौर विकिरण (यूवी रेज) से बचाती है और एक चादर की तरह कार्य करती है। दूसरी ओर, जमीनी स्तर पर ओजोन मूल रूप से कुछ मौसम की स्थिति या गर्मी व्युत्क्रम के कारण है, यह स्मोग के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप आंखों की जलन, श्वसन संकट आदि होते हैं। यह न केवल मनुष्य के लिए हानिकारक है, बल्कि पौधों, जानवरों और मानव निर्मित सामग्री के लिए भी उतनी ही हानिकारक है।
स्मोग (Smog) किससे बना है? (How Smog is formed?)
हम कह सकते हैं कि स्मोग विशुद्ध रूप से वायु प्रदूषण के कारण होता है। जब ईंधन जलता हैं, वायुमंडलीय प्रदूषण या गैसें हवा में मौजूद सूरज की रोशनी और वातावरण में इसकी गर्मी के साथ प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे स्मोग बनती है| और वीओसी, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड के बीच जटिल रासायनिक प्रतिक्रियाओं की वजह से भी बनती है, जिन्हें अग्रगामी के रूप में भी जाना जाता है।
सर्दियों के दौरान जब भारी यातायात, उच्च तापमान आदि के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, और हवा की गति कम होती हैं, यह धुआं और धुंध को एक जगह स्थिर होकर स्मोग को बनाती है और धरती के समीप जहां लोग सांस ले रहे हैं पर अधिक प्रदूषण को बढ़ा देती है। यह दृश्यता बाधित होती है और पर्यावरण को भी अस्त-व्यस्त कर देती है।
स्मोग हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? (How smog affects our health?)
स्मोग न केवल मनुष्य के लिए बल्कि यह पौधों, जानवरों और पूरी प्रकृति के लिए हानिकारक है। इसकी चपेट में आने पर यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकता हैं:
– अस्थमा के लक्षण बदतर हो जाते हैं और अस्थमा अटैक भी हो सकते हैं।
– हृदय (दिल) की बीमारी। ब्रोन्कियल बीमारी (bronchial disease) की वजह से कई लोग मर रहे हैं।
– प्राकृतिक तत्व विटामिन डी का उत्पादन कम होता है, जो लोगों के बीच rickets को बढ़ावा देता है।
– छाती में जलन, खाँसी, कैंसर या संक्रमण, गले का कैंसर और निमोनिया का होना |
– श्वास की समस्या, श्वास लेने में दर्द, आंखों में जलन और फेफड़ों के कैंसर जैसे कई रोगों में वृद्धि ।
– असामान्य रूप से थका हुआ महसूस करना, सिर में दर्द, कम ऊर्जा, घबराहट।
– यह फसलों और जंगलों को भी भारी नुकसान पहुचाती है। सब्जियों और फसलों मुख्य रूप से सोया सेम, गेहूं, टमाटर, मूंगफली और कपास जब स्मोग के संपर्क में आती हैं तो संक्रमण के अधीन हो जाती हैं।
– विभिन्न जानवरों की प्रजातियों और ग्रीन लाइफ को भी यह प्रभावित करती है।
तो, स्मोगी दिनों में यह नोट कर लें कि बच्चे, बूढ़े और अस्थमा से प्रभावित लोगों का विशेष ध्यान रखना है। उन्हें उचित सावधानी बरतनी चाहिए।
कौन सबसे अधिक जोखिम में हैं? (Who are at most risks?)
हालांकि स्मोग हम में से हर एक को प्रभावित करता है, लेकिन यह विशेष रूप से हानिकारक है:
– बच्चे: बच्चों के फेफड़े अभी भी विकास कर रहे हैं और गर्मी के दिनों में वे बहुत ज्यादा समय बाहर खेलने में बिताते हैं ऐसे में उनमें सांस लेने के दौरान अधिक प्रदूषण से प्रभावित होने का खतरा रहता है।
– लोग जो अस्थमा की समस्या जैसे फेफड़ों की बीमारी आदि से पीड़ित हैं।
– ऐसे लोग जिन्हें दिल की समस्या है। मधुमेह के रोगियों को भी क्योंकि वे हृदय रोग होने की संभावना के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
– वरिष्ठ नागरिकों को उच्च जोखिम न केवल अपनी उम्र की वजह से है बल्कि उनके कमजोर दिल, फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण भी हैं।
– एलर्जी से प्रभावित लोग, गर्भवती महिलाओं और धूम्रपान करने वाले लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है।
अब सवाल यह उठता है कि कैसे हम अपनी स्मोग से रक्षा कर सकते हैं?
– यह जरूरी है कि परिवार और अन्य लोगों को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई (AQI) पर ईपीए (पर्यावरण संरक्षण एजेंसी) की रिपोर्ट (EPA (Environment Protection Agency report) के बारे में सूचित किया जाए, जिससे आमतौर पर प्रदूषक मानक सूचकांक यानि अपने क्षेत्र में ओजोन के स्तर के बारे में जानकारी रहे। और जहां कहीं भी आप यात्रा कर रहे हैं वहां के ओजोन स्तर पर भी निगरानी रखें ।
– एक विशेष क्षेत्र में ओजोन के स्तर की जांच करने के लिए; राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय एजेंसियों के पास हवा उपकरण हैं जो ओजोन के स्तर को देखती हैं और स्मोग के नकारात्मक प्रभाव जो कि स्वास्थ्य पर पड़ते है उसके बारें मे बताती हैं।
– एक्यूआई रिपोर्ट के अनुसार हवा के स्तर को जीरो से 300 के बीच रखा है। 150 से ऊपर स्तर किसी के लिए भी अस्वस्थ माना जाता है और 200 से ऊपर का स्तर बिलकुल ही अस्वस्थ कहा जाता है। और ये जोखिम के स्तर सूचकांक पर लाल और बैंगनी रंग के अनुरूप हैं।
जब ओजोन का स्तर ज्यादा होगा तब, यह सावधानियां हमें ठीक से जीवित रहने में मदद करेंगी–
– अपने घर के बाहर की गतिविधियों को कम से कम करें यानी कि बहार कम जाएँ |
– स्मोगी दिनों पर अपनी गतिविधियां सामान्य रखें, यानि दौड़ना या साइकिल चलाना, टहलना आदि कम करें जिससे सांस की समस्याओं से राहत मिलेगी।
– गैस चालित इंजन, कीटनाशकों, और तेल आधारित पेंट का उपयोग करने से बचें।
– हाइड्रेटेड रहें।
– धूम्रपान मुक्त, वातानुकूलित वातावरण में घर के अंदर व्यायाम करें।
– ड्राइविंग कम करें।
यह सावधानियां आपको शहर में स्वस्थ बने रहने में मदद करेंगी।
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