ठोस अवस्थाठोस अवस्था

ठोस अवस्था (Solid)

ठोस अवस्था :- पदार्थ की वह अवस्था जिसमें अवयवी कणों के मध्य प्रबल अंतरा आणविक आकर्षण बल लगता है। तथा ऊष्मीय ऊर्जा का मान न्यूनतम होता है। उसे ठोस अवस्था कहते हैं।

ठोसों के गुणधर्म :- ठोसों के निम्न गुणधर्म है।

  • इनके आकार व आयतन निश्चित होते हैं।
  • इनके गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं।
  • ये असंपिदिये होते है। अर्थात इन्हें दबाया नहीं जा सकता है।
  • ठोसों में अवयवी कण अपने माध्य स्थिति के चारों ओर स्वतंत्र दोलन करते हैं। जिसके कारण इनका आकार व आयतन निश्चित होते हैं।

परिभाषा :-

पदार्थ की वह अवस्था जिसमें अवयवी कण (जैसे परमाणु, अणु या आयन) एक प्रबल अंतराण्विक बलों द्वारा जालक में संवृत संतुलित होते हैं तथा इसी कारण इनके कण गति करने में असमर्थ रहते हैं। एवं इन पदार्थों के कण अपने अक्ष पर ही दोलन करते हैं। पदार्थों की इस अवस्था को ठोस अवस्था (solid state in Hindi) कहते हैं। ठोस पदार्थ का आकार व आयतन निश्चित रहता है।

ठोस अवस्था के लक्षण

• इनका द्रव्यमान, आयतन एवं आकार निश्चित होता है।
• इनके बीच अंतराण्विक बल लघु परास वाले होते हैं।
• इनके बीच प्रबल अंतराण्विक बल होते हैं।
• यह असंपीड्य तथा कठोर होते हैं।
• इनके अवयवी कणों की स्थिति निश्चित होती है।
• ठोस के अवयवी कण केवल अपने अक्ष पर ही कंपन करते हैं।

ठोस अवस्था के उदाहरण

• NaCl, KCl, MgCl2 आदि आयनिक ठोस में संरचनात्मक इकाई आयतन हैं।
• O2 , CO2 , H2 आदि आण्विक ठोस में संरचनात्मक इकाई अणु हैं।
• डायमंड एवं ग्रेफाइट ये प्रबल सह संयोजक बंध से जुड़े होते हैं।
• सिल्वर(Ag), सोना(Au), लोहा(Fe), कॉपर(Cu), एल्युमिनियम(Al) आदि ठोस अवस्था के उदाहरण हैं।

ठोस अवस्था के गुण

ठोस पदार्थों में निम्नलिखित दो प्रकार के गुण पाए जाते हैं।
(1) विद्युतीय गुण
(2) चुंबकीय गुण

1. विद्युतीय गुण

(i) चालक – वह ठोस पदार्थ जिनमें विद्युत धारा आसानी से प्रभावित हो सके उन्हें चालक कहते हैं।
(ii) विद्युतरोधी – वह ठोस पदार्थ जिनमें विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है उन्हें और विद्युतरोधी कहते हैं।
(ii) अर्धचालक – वह ठोस पदार्थ जिनमें विद्युत धारा कुछ परिस्थितियों में प्रभावित हो जाती है एवं कुछ परिस्थितियों में प्रवाहित नहीं होती है तब उन्हें अर्धचालक कहते हैं।

2. चुंबकीय गुण

(i) प्रतिचुंबकीय – वे ठोस पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा दुर्बल रूप से प्रतिकर्षित होते हैं उन्हें प्रतिचुंबकीय पदार्थ कहते हैं।
(ii) अनुचुंबकीय – वे ठोस पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा आकर्षित होते हैं उन्हें अनुचुंबकीय पदार्थ कहते हैं।
(ii) लौहचुंबकीय – वे ठोस पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा प्रबल रूप से आकर्षित होते हैं उन्हें लौहचुंबकीय पदार्थ कहते हैं।

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