विश्व के पठारों का वर्गीकरण

विश्व के पठारों का वर्गीकरण 

600 मीटर ऊंचाई तक के बूबा पठार की श्रेणी में रखे जाते हैं |

संपूर्ण धरातल के 33% भाग पर इन का विस्तार पाया जाता है |

तिब्बत का पठार (800 मीटर से अधिक) सबसे ऊंचा पठार है |

कोलोरेडो का पठार एक युवा पठार है |

अप्लेशियन की गणना प्रौढ़ पठार के रूप में की गई है |

मिसौरी का पठार पुर्नयुवनित का सर्वोत्तम उदाहरण है |

चेरापूंजी (भारत) का पठार आर्द्र  पठार है |

पठारों को टबल लैंड कहा जाता है |

प्रकार पठार
1 अंतरापर्वतीय पठार तिब्बत पठार, बोलविया, पेरू, कोलंबिया तथा मैक्सिको का पठार
2 पर्वत पदीय पठार पीडमाण्ट पठार(स.रा.अमेरिका),पेटागोनिया का पठार (दक्षिण अमेरिका)
3 तटीय पठार कारोमंडल का पठार (भारत) पेटागोनिया
4 गुंबदाकार पठार ओजार्क के पठार (संयुक्त राज्य अमेरिका)
5 महाद्वीप पठार प्रायद्वीपीय पठार (भारत), ऑस्ट्रेलिया का पठार, अरब का पठार, दक्षिण अफ्रीका का पठार, न्यूजीलैंड का पठार
6 ज्वालामुखी से उत्पन्न पठार कोलंबिया का पठार (संयुक्त राज्य अमेरिका), भारत का प्रायद्वीपीय पठार
7 जलीय पठार भारत का बिध्ययन पठार
8 वायव्य पठार लोयस का पठार (चीन), पोटेवार का पठार

ये पृथ्वी पर द्वितीयक क्रम के उच्चावच हैं तथा पृथ्वी के एक-तिहाई भाग पर अपना विस्तार रखते हैं । पठार वह उच्चभूमि है, जिसका कोई एक ढाल आस-पास के इलाकों से अधिक ऊँचा तथा खड़े ढाल वाला हो । इसका शिखर या ऊपरी भाग सपाट व चपटा होता है । पठार के निर्धारण में ऊँचाई से अधिक महत्व इसके शिखर का चपटा होना है ।

उत्पत्ति के आधार पर पठारों का वर्गीकरण:-

1. अंतपर्वतीय पठार (Inter-Mountain Plateau):-

ये पठार चारों ओर से पर्वतों से घिरे होते हैं । भूपटल के सर्वोच्च, सर्वाधिक विस्तृत एवं अत्यधिक जटिल पठार इसी श्रेणी में आते हैं । बोलीविया व पेरू के पठार, एशिया माइनर का पठार (ईरान), कोलंबिया का पठार (स.रा. अमेरिका), मैक्सिको का पठार इसके उदाहरण हैं ।

विश्व का सबसे ऊँचा पठार तिब्बत का पठार (5,000 मी. ऊँचा) इस प्रकार के पठार का सर्वप्रमुख उदाहरण है, जो उत्तर में क्युनलुन व दक्षिण में हिमालय पर्वतों से घिरा हुआ है ।

2. गिरिपद पठार (Mountain Plateau):-

पर्वतों के आधार पर स्थित पठारों को गिरिपद या पर्वतीय पठार कहा जाता हैं । ये एक ओर उच्च पर्वतों से घिरे होते हैं तथा दूसरी ओर से ये सागर या मैदान से घिरे होते हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका के पीडमांट पठार व दक्षिण अमेरिका के पैटागोनिया पठार इस प्रकार के पठार का सर्वोत्तम उदाहरण है ।

3. गुम्बदाकार पठार (Domed Plateau):-

भूपटल में वलन की क्रिया द्वारा गुम्बदनुमा उत्थान के कारण इस प्रकार के पठार बनते हैं । स.रा. अमेरिका का ओजार्क पठार, भारत का छोटानागपुर पठार, रामगढ़ पठार इसी के उदाहरण हैं ।

4. महाद्वीपीय पठार (Continental Plateau):-

ये प्रायः पर्वतीय भागों से दूर किन्तु सागरीय तटों या मैदानों से घिरे होते हैं । इनकी उत्पत्ति धरातल के ऊपर उठने या लावा के अपरिमित निक्षेप से होती हैं । इन पठारों को शील्ड भी कहा जाता है । साइबेरिया शील्ड, बाल्टिक या फेनो-स्कैंडिये शील्ड, लॉरेंशियन या कनाडियन शील्ड ब्राजील शील्ड इसी प्रकार के पठार के उदाहरण हैं ।

5. ज्वालामुखी पठार (Volcanic Plateau):-

ज्वालामुखी के निस्मृत लावा के जमाव के कारण बने सपाट विस्तृत भू-भाग को ज्वालामुखी पठार कहते है । दरारी उद्‌भेदन इनकी उत्पत्ति का मुख्य कारण हैं । भारत में दक्कन का लावा पठार एवं स.रा. अमेरिका में कोलंबिया-स्नैक पठार लावा निर्मित पठार के सर्वोत्तम उदाहरण हैं ।

अपरदन चक्र के आधार पर वर्गीकरण:-

i. तरूण पठार (Young Plateau):-

जिस पर अपरदन की प्रक्रिया काफी सक्रिय होती है । संयुक्त राज्य अमेरिका का कोलोरैडो पठार व इदाहो पठार इसके उदाहरण हैं ।

ii. प्रौढ़ पठार (Old Plateau):-

संयुक्त राज्य अमेरिका का अप्लेशियन पठार परिपक्व पठार का श्रेष्ठ उदाहरण  है ।

iii. जीर्ण पठार (Decrepit Plateau):-

जहाँ अत्यधिक अपरदन के कारण पठार के उच्चावच घिसकर प्रायः समाप्त हो जाते हैं तथा पठार एक पेनीप्लेन के रूप में परिवर्तित हो जाता है । उदाहरण- मध्य राँची का पठार ।

iv. पुनर्युवीनत पठार (Renewed Plateau):-

यदि कोई पठार जीर्णावस्था की प्राप्ति के बाद पुनः उभार के कारण अधिक ऊँचाई प्राप्त कर ले तो इस प्रकार के पठार का निर्माण होता है । सं.रा. अमेरिका का मिसौरी पठार व राँची का पाट-पठार इसका उत्तम उदाहरण है ।

विश्व के पठारों का वर्गीकरण

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