नियंत्रण एवं समन्वय

नियंत्रण एवं समन्वय

परिचय:-

संसार के सभी जीव अपने आस-पास होने वाले परिवर्तनों के प्रति-अनुक्रिया करते है | पर्यावरण में प्रत्येक परिवर्तन की अनुक्रिया से एक समुचित गति उत्पन्न होती है | कोई भी गति उस घटना पर निर्भर करती है जो उसे प्रेरित करती है | जैसे- हम गरम वस्तु को छूटे हैं तो हमारा हाथ जलने लगता है और हम तुरंत इसके प्रति अनुक्रिया (respond) करते है |

जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय (Controll and Coordination in Animals): 

जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय तंत्रिका तथा पेशी उत्तक द्वारा किया जाता है |

ग्राही (Receptor): तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्ट सिरे जो पर्यावरण से सभी सूचनाओं का पता लगाते हैं ग्राही कहलाते हैं |

ग्राहियों के प्रकार (Types of Receptors): 

ग्राही निम्न प्रकार के होते हैं : –

(i) प्रकाश ग्राही (Photo receptor) —-> दृष्टि के लिए (आँख)

(ii) श्रावण ग्राही (Phono receptor) —-> सुनने के लिए (कान)

(iii) रस संवेदी ग्राही (Gustatory receptor) —> स्वाद के लिए (जीभ)

(iv) घ्राण ग्राही (Olfactory receptor) —> सूंघने के लिए (नाक)

(v) स्पर्श ग्राही (Thermo receptor) —> ऊष्मा को महसूस करने के लिए (त्वचा)

ये सभी ग्राही हमारे ज्ञानेन्द्रियों (Sense organs) में स्थित होते हैं |

तंत्रिका ऊतक (Norvous Tissues) : तंत्रिका उत्तक तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन के इक संगठित जाल का बना हुआ होता है और यह सूचनाओं के विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दुसरे भाग तक संवहन के लिए विशिष्टीकृत (specialised) हैं |

तंत्रिका कोशिका के भाग - नियंत्रण एवं समन्वय

तंत्रिका कोशिका के भाग (The parts of norvous cells): 

(i) द्रुमाकृतिक सिरा (द्रुमिका) Dendrite : जहाँ सूचनाएँ उपार्जित की जाती है |

(ii) द्रुमिका से कोशिकाय तक (From Dendrite to Cytoplasm) : जिससे होकर सूचनाएँ विद्युत आवेग  की तरह यात्रा करती हैं |

(iii) एक्सॉन (Axon): जहाँ इस आवेग का परिवर्तन रासायनिक संकेत में किया जाता है जिससे यह आगे संचारित हो सके |

तंत्रिकाओं द्वारा सूचनाओं का संचरण (propagation of informations through nerves): 

सभी सूचनाएँ जो हमारे मस्तिष्क तक जो पहुँचाती हैं ये सूचनाएँ एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित (aquaired) की जाती है, और एक रासायनिक क्रिया द्वारा एक विद्युत आवेग पैदा करती हैं | यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय तक जाता है फिर तब तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन ) में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है | एक्सॉन के  अंत में विद्युत आवेग का परिवर्तन रासायनिक संकेत में किया जाता है ताकि यह आगे संचारित हो  सके | ये रासायनिक संकेत रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार ) को पार करते है और अगली तंत्रिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं | इस प्रकार सूचनाएं एक जगह से दूसरी जगह संचारित हो जाती हैं |

सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) : दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच में एक रिक्त स्थान पाया जाता है इसे सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) कहते हैं | 

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