भारत की प्रमुख फसलें एवं उत्पादक राज्य

भारत की प्रमुख फसलें एवं उत्पादक राज्य

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भारत की प्रमुख फसलें एवं उत्पादक राज्य

 

राजस्थान में विभिन्न फसलें

मक्का –

  • मक्का में दोनों मांडी ( स्टार्च ) , ग्लूकोज तथा एल्कोहाल तैयार की जाती है |
  • राज्य का सम्पूर्ण देश में मक्का बोये जाने वाले क्षेत्रफल की दृष्टि से पर्थम एवं उत्पादन उत्पादन की दृष्टि से छठा स्थान है |
  • राजस्थान में मक्का की खेती लगभग 49 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में की जाती है |
  • मक्का मेवाड़ क्षेत्र का प्रमुख खाद्यान है |
  • साइलेज चारा – मक्का की हटी पत्तियों से बनाया जाता है |
  • प्रमुख किस्मे – माही चारा , माही धवल तथा सविता ( संकर किस्म ) , नवजोत , गंगा-2 , गंगा-11 , अगेती-76 , किरण |
  • बोरवर – बाँसवाड़ा जिले के इस गाँव में मक्का की संयुक्त सनुसंधान केंद्र संचालित है | इस केंद्र ने मक्का की संयुक्त किस्मे माही कंचन एवं माही धवल विकसित की है |

बाजरा –

  • विश्व में सर्वाधिक बाजार भारत में होता है |
  • देश में बाजरा से सर्वाधिक उत्पादन एवं क्षेत्रफल में राजस्थान अग्रणी राज्य है |
  • बाजरा के कुल बोये गये क्षेत्र में बाड़मेर में सबसे अधिक 69.4 प्रतिशत है |
  • राज्य के सर्वाधिक कृषि क्षेत्र ( ¼ ) पर बोया जाता है |
  • राजस्थान में बाजरा फसल के अंतर्गत बोया गया शुद्ध क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्र का 46 % प्रतिशत तथा राज्य के कुल बोये गये क्षेत्र का 21.05 प्रतिशत है |
  • राजस्थान में बाजरा सर्वाधिक कृषिक्षेत्र में बोई जाने वाली फसल है |
  • प्रमुख किस्मे – आर.सी.बी.-2 , राजस्थान-171 . आर.एच.बी.-30 , आर.सी.बी.-911 , राजस्थान बाजरा चरी-2
  • MH 179 – राजस्थान में बाजरे की इस किस्म से सुखा रोग का विश्व में पहली बार पता चला |

गेंहू

  • गेंहू राज्य में सर्वाधिक उत्पादित होने वाली फसल है | राज्य में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र वाली फसल भी गेंहू है |
  • राज्य के दक्षिणी – पूर्वी एवं पूर्वी क्षेत्र में गेंहू का अधिक उत्पादन होता है |
  • श्रीगंगानगर – राजस्थान का अन्न कटोरा कहलाता है |
  • मिट्टी- गेंहू के लिए नाइट्रोजन युक्त दोमट मिट्टी , महीन काँप मिट्टी व चीका प्रधान मिट्टी उपजाऊ होती है |
  • ट्रिट्रिकम ( साधारण गेंहू ) – राजस्थान में सबसे अधिक पैदा होता है |
  • मेकरोनी गेंहू – राज्य में अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में सबसे अधिक पैदा होने वाली गेंहू की फसल की किस्म |
  • प्रमुख किस्मे – दुर्गापुरा -65 , कल्याण सोना , सोनालिका , गंगा सुनहरी , मंगला , खार्चिया – 65 , चम्बल-65 , राजस्थान 3077 , मेक्सिकन आदि |
  • राजस्थान 3765 – गेंहू की श्रेष्ठ किस्म |
  • राजस्थान 3077 – गेंहू की यह किस्म चपाती बनाने के लिए उपयुक्त है |
  • इण्डिया मिक्स – गेंहू , मक्का व सोयाबीन में मिश्रण का आता |
  • गेंहू में मुख्यत: छाछया रोग होता है |

ज्वार

  • यह खरीफ की फसल है | इसे सोगरम भी कहा जाता है |
  • ज्वार को गरीब की रोटी भी कहा जाता है
  • ज्वार की कृषि राज्य के मध्य तथा पूर्वी भाग में मुख्यत: होती है |
  • ज्वारण उत्पादन की दृष्टि से अजमेर , उदयपुर , भीलवाडा एवं भरतपुर प्रमुख जिले है |
  • राजस्थान में ज्वार का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का 10% है
  • ज्वार की फसल के लिए दोमट मिट्टी अथवा गहरी या मध्यम काली मिट्टी सर्वोतम है |
  • प्रमुख किस्मे – राजस्थान में दो किस्में , राजस्थान चरी-1 एवं चरी-2 चारे के लिए तैयार की जाती है |
  • वल्लभनगर – अगस्त , 1970 में अखिल भारतीय समन्वित ज्वार अनुसंधान परियोजना का एक मुख्य केन्द्र उदयपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर में स्थापित किया गया |

जून 1976 में यह परियोजना राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय , उदयपुर में स्थानान्तरित कर दी गई |

चना –

  • राजस्थान में कुल दलहनी फसलों में चने का उत्पादन सर्वाधिक होता है |
  • भारत में चने के कुल क्षेत्रफल का 22.78% राजस्थान में है |
  • चना उत्पादन में मध्य प्रदेश , उत्तर-प्रदेश के बाद राजस्थान के तीसरा स्थान है |
  • चना दाल के रूप में एवं जानवरों को खिलाने में तथा माल्ट उद्योग में काम आता है |
  • चने की खेती के लिए हल्की बलुई मिट्टी उपयुक्त रहती है |
  • प्रमुख किस्मे- जी.एन.जी. – 16 , आर.एस.- 10 आर.एस.-11
  • गोचनी / बेझड – स्थानीय भाषा में गेंहू , चने एवं जौ मिश्रण को कहा जाता है |

जौ

  • राज्य में जौ उत्पादन क्षेत्रफल लगभग 2.5 लाख हैक्टेयर जौ उत्पादन में राज्य का देश में दूसरा स्थान है |
  • जौ की फसल के लिए शुष्क और बालू मिश्रित काँप मिट्टी उपयुक्त होती है |
  • जौ का उपयोग मिसी रोटी बनाने में , मधुमेह रोगी के उपचार बीयर बनाने में , माल्ट उद्योग तथा बच्चो में पोषाहार आदि उपयोग में लिया जाता है |
  • प्रमुख किस्मे- ज्योति , RS 6

चावल

  • चावल उष्ण कटिबंधीय उपज है |
  • चावल की खेती के लिए कांपिय , दोमट , चिकनी मिट्टी अधिक उपयुक्त है |
  • चीन दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है |
  • भारत में चावल उत्पादक पश्चिमी बंगाल में होता है |
  • चावल भारत में सर्वाधिक मात्रा उत्पादित होने वाला खाद्यान है |
  • चावल के प्रकार – जेपोनिका चावल व इंडिका चावल ( विश्व में अधिकांश क्षेत्र में बोया जाने वाला चावल ) है |
  • प्रमुख किस्मे – कावेरी म परमल , चम्बल , गरडाबासमती , टी-29 , सफेदा एवं लकड़ा |

मूंगफली

  • भारत का विश्व में मूंगफली उत्पादन के प्रथम स्थान है |
  • आंध्रप्रदेश का देश में प्रथम स्थान है |
  • राजस्थान में देश में 7 वां स्थान है
  • लूणकरणसर ( बीकानेर ) – मूंगफली उत्पादन के कारण इसको राजस्थान का राजकोट कहा जाता है |
  • प्रमुख रोग – टिक्कारोग , क्राउनरोट, कालरा , भुंग , सफेद , लत आदि रोग हो जाते है |

सरसों

  • सरसों के लिए हल्की चिकनी मिट्टी या दोमट मिट्टी प्रमुखतया उपयुक्त रहती है |
  • भारत विश्व में सर्वाधिक सरसों उत्पादक देश है |
  • राजस्थान को सरसों का प्रदेश कहा जाता है |
  • तिलहन की रबी फसलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल सरसों का है |
  • राजस्थान देश का सर्वाधिक सरसों उत्पादक क्षेत्रएवं उत्पादक राज्य है |
  • खल – सरसों से तेल निकलने के बाद बचने वाली लुगदी |
  • रोग – चेंपा , तना गलन रोग , सफेद रौली तथा आल्टरनेरिया झुलसा
  • केन्द्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र – भरतपुर के सेवर स्थान पर आठवी पंचवर्षीय योजना में इसकी स्थापना की गई |
  • सुमेरपुर ( पाली ) – यहां राज्य की सबसे बड़ी सरसों मंडी स्थित है |
  • इंजन छाप सरसों तेल – भरतपुर का प्रसिद्ध |
  • प्रमुख किस्में – वरुणा ( राज्य में प्रचलित सबसे उन्नत किस्म )

सोयाबीन

  • सोयाबीन दुनिया का सबसे सस्ता , सबसे आसान और सबसे अधिक प्रोटीन देने वाला स्त्रोत है |
  • खरीफ तिलहन के अंतर्गत राज्य में सर्वाधिक क्षेत्र में सोयाबीन की खेती की जाती है |
  • विश्व में खाद्य तेल का सर्वाधिक उत्पादन सोयाबीन से किया जाता है | सोयाबीन के तेल से बनस्पति घी बनता है |
  • मध्यप्रदेश में सर्वाधिक सोयाबीन उत्पादित होने के कारण यह सोयाबीन प्रदेश कहलाता है | राजस्थान का सोयाबीन उत्पादन में देश में 4 वां स्थान है |
  • राजस्थान में सोयाबीन की खेती प्रमुखत: कोटा , चित्तौड़गढ़ , बांरा , झालावाड और बूंदी जिलो में होती है |
  • प्रमुख किस्में – टी-1 , पंजाब-1 , मैक्स-13 , गौरव , पूसा-16

चाय

  • भारत में सर्वाधिक उत्पादक राज्य क्रमश: – असोम और प. बंगाल है |
  • भारत सर्वाधिक चाय उत्पादक देश | भारतीय चाय विश्व में सर्वोच्य कोटि की होतीहै |

ईसबगोल ( घोडा जीरा )

  • ईसबगोल एक औषधिय फसल है |
  • विश्व का लगभग 80% ईसबगोल भारत में पैदा होता है | भारत का लगभग 40% ईसबगोल जालोर जिले में पैदा होता है |
  • जालोर जिले के अतिरिक्त ईसबगोल बाड़मेर , सिरोही , नागौर , पाली तथा जोधपुर जिले में उगाई जाती है |
  • ईसबगोल के बीजो पर सफेद पतली भूसी की परत होती है |
  • इसका उपयोग औषधियाँ निर्माण के अतिरिक्त कपड़ो की रंगाई-छपाई , सौन्दर्य प्रसाधनो के निर्माण तथा कैलोरी फ्री फाइबर फ़ूड के निर्माण में किया जाता है |
  • मण्डोर ( जोधपुर ) स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र में ईसबगोल पर शोध कार्य किया जाता है |
  • आबू रोड – यहाँ ईसबगोल का कारखाना स्थापित किया गया है |

जीरा

  • यह रबी की फसल है |
  • प्रमुख रोग – छाछीया , झुलसा , उकटा |
  • किस्मे- RS -1 , SC-43
  • राजस्थान का उत्पादन व क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में प्रथम स्थान है |
  • जीरा जालोर जिले की भीनमाल , जसवंतपुरा व रानीवाडा तहसीलों में प्रमुखतया पैदा होता है |
  • जीरे की सबसे बड़ी मंडी राजस्थान में भद्वासिया ( जोधपुर ) में स्थित है |

कपास ( सफेद सोना )

  • कपास एक उष्ण कटिबंधीय पौधा है |
  • कपास उत्पादन के लिए नमी युक्त चिकनी मिट्टी या काली मिट्टी की आवश्यकता होती है |
  • कपास का जन्म स्थल भारत माना जाता है |
  • उत्पादन की दृष्टि से भारत का प्रथम स्थान है |
  • राजस्थान का कपास उत्पादन के क्षेत्र में देश में सांतवा स्थान है | राज्य में उगाई जाने वाली कपास के कुल क्षेत्रफल का लगभग 80% भाग हनुमानगड और श्रीगंगानगर जिलों में होता है |
  • बणीयां – ग्रामीण भाषा में कपास का उपनाम |
  • कपास की फसल में अधिक ठण्ड में ‘बालवीविल कीड़ा ‘ लग जाता है |
  • कपास को नुकसान पहुचाने वाले अन्य कीटो में रस चूसने वाला कीड़ा तैला , जड़ालन , माइट्स , लीफ कर्ल आदि प्रमुख है |
  • प्रमुख किस्म- नरमा ( श्रीगंगानगर व हुनमानगड जिलों में प्रचलित ) , आर.एस.री.-9 , वीरनार , वराह , लक्ष्मी , जी.आर.जे.-8 , मालवी |
  • अमेरिकन कपास – राज्य में सर्वाधिक अमेरिकन कपास क्रमश: श्रीगंगानगर और हुनामानगड जिलो में होती है |
  • बी.टी. कपास – बेसिलस थ्रेजेंसिस ( विशेष किस्टल प्रोटीन बनाने वाला ) का बीज में प्रत्यारोपण |

तम्बाकू 

  • यह उष्णकटिबंधीय पौधा है | इसकी पत्तियों का उपयोग मादक पदार्थ बनाने में किया जाता है |
  • तम्बाकू की खेती ढालू एवं पठारी भूमि पर अधिक होती है तथा बलुई , दोमट मिट्टी अधिक उपयुक रहती है |
  • इसका पौधा पुर्तगाली द्वारा 1508 ई. में भारत में लाया गया था | भारत में सर्वाधिक उत्पादक राज्य क्रमश: – आंध्रप्रदेश व गुजरात है |
  • राजमुन्दरी ( आंध्रप्रदेश ) – केंद्रीय तम्बाकू शोध संस्थान स्थित है |
  • प्रमुख किस्में – निकोटिना टुबेकम और निकोटिना रास्टिका राज्य में सर्वाधिक निकोटिना रास्टिका होती है |

अफीम

  • अफीक को काला सोना भी कहा जाता है |
  • अफीम के पादप का कच्चा फल पकने पर डोडा कहलाता है | अफीम के फल के बीजों की खस-खस कहा जाता है |

गन्ना

  • यह एक उष्णकटिबंधीय फसल है |
  • गन्ने के उत्पादन के लिए कान्पीय मिट्टी अति उत्तम होती है |
  • गन्ना मूल रूप से भारतीय पौधा है |
  • भारत का गन्ना उत्पादन विश्व में प्रथम स्थान पर है |
  • प्रमुख किस्मे – कोयम्बटूर 419 , 527 , 1111 प्रसिद्ध है |
  • प्रमुख रोग – लाल सडन रोग , पाइरिला , कन्डवा आदि |

होहोबा / जोजोबा

  • यह विदेशी पादप है | इसे पीला पादप भी कहा जाता है |
  • यह प्राय: इजराइल , मैक्सिको , कैलिफोर्निया आदि देशो के रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है |
  • होहोबा का वास्पतिक नाम सायमंडेसिया चायनेसिंस है |
  • राजस्थान में सर्वप्रथम यह पौधा 1965 में काजरी में इजराइल से लाया गया |
  • इस पादप से प्राप्त तेल का उपयोग लुब्रिकेंट्स के रूप में प्रसाधन सामग्री व चिपकाने वाले पदार्थ के निर्माण में होता है |
  • बीकानेर के झज्जर में जोजोबा प्लान्टेशन की राज्य की निजी क्षेत्र में सबसे बड़ी परियोजना शुरू की गई |
  • एजोर्प संस्थान द्वारा ढंड(जयपुर ) एवं फतेहपुर ( सीकर ) में फार्म विकसित कीये गए |

खजूर

  • खजूर में 70 से 75 % कर्बोहाईड्रेट होता है | खजूर क्षारियता सहन करने की क्षमता रखता है |
  • बीकानेर में खजूर की खेती को बढ़ावा देने हेतु खजूर अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई |
  • हिलावी – खजूर की यह किस्म राज्य में सबसे उपयुक्त है |
  • मेंजुल – खजूर की इस किस्म से छुआरा बनाया जाता है |
  • बहरी , जाहिंदी , मेंजुल – पश्चिमी राजस्थान में खजूर की प्रसिद्ध किस्म |
  • ग्रेफ़ीयोला – खजूर में लगने वाला प्रमुख रोग |

मशरूम

  • यह के प्रकार का कवकीय पादप है |
  • मशरूम में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन , विटामिन सी , कर्बोहाईड्रेट तत्व होते है इसे ‘ delight of diabitic’ कहा जाता है |
  • मशरूम के उपनाम – खुम्बी , छत्रक , कुकुरमुत्ता |
  • मशरूम का सेंवन उच्च रक्तचाप , मधुमेह , कब्ज , मोटापा , ह्रदय रोग , कैंसर , एड्स एवं कुपोषण रोगों के निदान में उपयोगी है |
  • बटन मशरूम – राजस्थान में उत्पादित तीन-चौथाई मशरूम इसी प्रकार की है |
  • बटन मशरूम के अतिरिक्त राज्य में ढिगरी मशरूम एवं दूध छता ( कैलोसाइबी ) मशरूम का भी उत्पादन होता है |

 




प्रमुख फसलो के नाम

उत्पादक राज्य 

चावल प. बंगाल, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, बिहार और पंजाब
गेहूं उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान
ज्वार महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश
दलहन मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, प. बंगाल, गुजरात और आंध्रप्रदेश
बाजरा गुजरात, राजस्थान और उत्तरप्रदेश
जौ उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब
 तिलहन गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, प. बंगाल और उड़ीसा
मुंगफली गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश
 गन्ना उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, हरियाणा और पंजाब
 कहवा कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र
 चाय असम, प. बंगाल, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र
 पटसन  प. बंगाल, बिहार, असोम, उड़ीसा एवं उत्तरप्रदेश
 कपास महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश
 रबड़ केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असोम और अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह
 तंबाकू आंध्रप्रदेश, गुजरात, बिहार, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और प. बंगाल
 काली मिर्च केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुदुचेरी
 हल्दी आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और बिहार
 काजू केरल, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश




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