इस लेख में हम नॉन मेटल्स और मेटलॉओइड्स के बारे में चर्चा करेंगे। एक लाइनर प्रकार के प्रश्न आमतौर पर इस विषय से आते ही हैं। हर साल एसएससी परीक्षा में इस विषय से एक सवाल तो अवश्य पूछा जाता ही है।
नॉन मेटल्स (गैर धातु):
गैर धातु ठोस, द्रव या गैस हो सकती हैं।
केवल एकमात्र ब्रोमीन ही तरल गैर धातु है।
गैर धातु वो एलिमेंट्स या तत्व हैं जिनमें धातुओं के गुणों को नहीं पाया जाता है।
वे नरम होते हैं, गैर चमकदार, भंगुर,गैर मधुर होते हैं और वे गर्मी और बिजली के कमज़ोर कंडक्टर होते हैं ।जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, हीलियम, नियोन क्रिप्टन आदि।
महत्वपूर्ण नॉन मेटल्स (गैर धातु):
कार्बन:
कार्बन आवर्त सारणी के समूह 14 के अंतर्गत आता है।
कार्बन दोनों रूपों में अच्छी तरह से मिलता है, स्वतंत्र अवस्था के रूप में और यह संयुक्त अवस्था में भी प्राप्त होता है।
कार्बन के दो क्रिस्टलीय अपरूप हीरा और ग्रेफाइट हैं।
कार्बन के अपरूप:
हीरा:
डायमंड सबसे कठोरतम पदार्थ है और ये बिजली का कुचालक है।
डायमंड कार्बन का शुद्धतम रूप है
इसे आभूषण बनाने और कांच काटने में प्रयुक्त किया जाता है।
ग्रेफाइट:
ये इसका एक अपवाद है, क्योंकि यह गर्मी और बिजली का एक अच्छा कंडक्टर है।
इसे एक मध्यस्थ के रूप में परमाणु रिएक्टर में इस्तेमाल किया जाता है।
कार्बन के कंपाउंड:
कार्बन मोनो ऑक्साइड:
यह रंगहीन, गंधहीन, तटस्थ और प्रकृति में अत्यधिक जहरीली गैस है।
हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ये कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बन जाती है। जो ऑक्सीजन को सोखने या अवशोषित करने में सक्षम नहीं होती है, और इसका परिणाम शरीर को सांस न मिलने पर घुटन के रूप में सामने आता है।
एक बंद कमरे में कोयले की आग या लकड़ी आग जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड का गठन या निर्माण होता है जिससे उस कमरे में बंद व्यक्तियों की मौत हो जाती है।
कार्बन डाइआक्साइड:
इसकी मात्र कण आमतौर से हवा में 0.03-0.05 प्रतिशत की सीमा तक व्याप्त हुए पाए जाते हैं।
ठोस कार्बन डाइआक्साइड (CO2) को सूखी बर्फ के रूप में जाना जाता है।
सूखी बर्फ का प्रयोग जल्दी खराब होने वाली खाद्य सामग्री का परिवहन करने में किया जाता है, इसे ठंड प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि ये ठंड और अक्रिय वातावरण प्रदान करता है जिसमें बैक्टीरिया, फंगस, मॉड्यूल आदि नष्ट हो जाते हैं और इस प्रारूप में ये इन्हें नष्ट करने में हमारी मदद करता है।
कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में परिवर्तित करने के लिए, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में पौधों के द्वारा भी इसका प्रयोग किया जाता है।
कार्बाइडस- या कार्बन के वो यौगिक कहलाते हैं जो धातुओं या विध्युत नकारात्मक तत्वों के साथ कार्बन के मिलने पर बनते हैं।
सिलिकॉन (एस आई)
सिलिकॉन प्रकृति में रेत के रूप में विद्यमान होता है, लेकिन ये कभी भी मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है।
यह एक गैर धातु तत्व है जो अपररूपता की विशेषता को भी दर्शाती है।
यह ऑक्सीजन के बाद पृथ्वी की परत पर पाया जाने वाला दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा का तत्व है।
कंप्यूटर चिप बनाने में इसे एक सुपर कंडक्टर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
सिलिकॉन कार्बाइड एक कृत्रिम हीरा है जिसे कार्बोरेंडम कहा जाता है।
सिलिका को रेत भी कहा जाता है, जिसे प्रकृति में ठोस अवस्था में सबसे बहुतायत में मौजूद पाया जाता है और इसे और कांच के उत्पादन, सीमेंट आदि बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
क्वार्ट्ज SiO2 का एक क्रिस्टलीय रूप है।
नाइट्रोजन (N2):
ये हवा का एक महत्वपूर्ण घटक है जिसकी मात्रा हवा में 79% तक होती है।
इसे नाइट्रिक एसिड, अमोनिया और अन्य नाइट्रोजन यौगिकों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है।
इसको तरल रूप में एक रेफ्रीजेंट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न मेटलर्जिकल ऑपरेशनों में अक्रिय वातावरण प्रदान करने के लिए इसे प्रयोग करते हैं।
खाद्य पैकिंग में इसे एक परिरक्षक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
नाइट्रोजन के कंपाउंड:
अमोनिया:
यह नाइट्रोजन का सबसे महत्वपूर्ण यौगिक है।
इसे हेबर की प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है।
यह पानी में घुलनशील है और इसके जलीय घोल, प्रकृति में क्षारीय होते हैं।
रेफ्रिजरेटर और उर्वरकों के व विस्फोटकों के निर्माण में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) को हँसाने वाली गैस के रूप में प्रयोग किया जाता है।
सहजीवी जीवाणु जो फलीदार पौधों की जड़ के पिंड में मौजूद होते हैं वे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के यौगिकों में बदलने का कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए अज़ोबेक्टोर।
फास्फोरस (P):
यह एक उच्च प्रतिक्रियाशील गैर धातु है और यही कारण है कि यह मुक्त अवस्था में प्राप्त नहीं होता है।
फास्फोरस हड्डियों, दांत, रक्त नसों और ऊतकों का एक आवश्यक घटक है।
हड्डियों में 80% फास्फोरस होता है।
फास्फोरस के अपरूप:
व्हाइट फास्फोरस
लाल फास्फोरस
काला फास्फोरस
स्कारलेट फास्फोरस
वायलेट फास्फोरस
ऑक्सीजन
ऑक्सीजन दो अपरूपों में मौजूद है, एक तो सबसे अधिक स्थिर द्विपरमाणुक के रूप में है (O2) और दूसरा कम स्थिर ट्राई एटॉमिक फार्म (O3) ओज़ोन के रूप में है।
ऑक्सीजन दहन का समर्थक तो है लेकिन यह अपने मूलरूप में गैर ज्वलनशील है।
ऑक्सीजन ओक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में रक्त में घुली होती है।
ताज़ी तरल ऑक्सीजन को विभाजित कार्बन के साथ मिश्रित करके कोयला खनन में डायनामाइट के स्थान पर प्रयोग किया जाता है।
ओजोन का निर्माण, ऑक्सीजन पर सूरज की पराबैंगनी किरणों की कार्रवाई के द्वारा होता है और ये यूवी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोककर धरती पे रहने वाले जीवित प्राणियों की रक्षा करता है।
ओजोन को पानी स्टरलाइज़ करने के लिए भी जर्मीसाइड और कीटाणुनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है और असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों में डबल बांड की स्थिति का पता लगाने के लिए भी इसका उपयोग होता है।
सल्फर (S):
सल्फर ज्वालामुखी के क्षेत्रों में फ्री स्टेट में उपलब्ध होता है।
सल्फर के पांच अपरूपों मौजूद हैं।
सल्फर को रबर की वुलकैनआईज़ेशन के लिए रबर उद्योग में भी प्रयोग किया जाता है।
सल्फ्यूरिक एसिड को विटरोल के तेल या रसायनों के राजा के रूप में भी जाना जाता है।
सल्फ्यूरिक एसिड को दो प्रक्रियाओं द्वारा तैयार किया जाता है अर्थात लीड चैम्बर प्रक्रिया और संपर्क की प्रक्रिया के द्वारा।
हैलोजन:
हैलोजन उच्च प्रतिक्रियाशील तत्व हैं और इसलिए वे फ्री स्टेट में मौजूद नहीं होते है लेकिन ये संयुक्त रूप में ही मौजूद होते हैं।
हैलोजनों में उच्चतम इलेक्ट्रॉन आकर्षण होता है और इसीलिए वे एक मजबूत आक्सीकारक के रूप में काम करते हैं।
उनके आक्सीकारक क्षमता फ्लोरीन से घटकर आयोडीन में जाती है।
क्लोरीन (Cl2):
क्लोरीन प्रकृति में ,क्लोराइड के रूप में संयुक्त अवस्था में हमेशा मौजूद रहती है।
क्लोरीन की खोज सबसे पहले स्क्हीले द्वारा की गई थी, जिसने मैंगनीज डाइऑक्साइड पर हाइड्रोजन क्लोराइड की कार्रवाई के द्वारा इसकी खोज की थी।
क्लोरीन को एक ब्लीचिंग एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है।
यह पानी के साथ प्रतिक्रिया करके, एच सी एल (HCL) और एच सी आई ओ (HCIO) का निर्माण करता है।
कीटाणुनाशक और आक्सीकारक के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
आयोडीन:
यह आयोडीन टिनचर के रूप में एक एंटीसेप्टिक के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
घेंघा के इलाज में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
ये स्टार्च सलूशन को नीले रंग में बदल देता है।
नोबल गैसें:
हीलियम, नीयोन, आर्गन, क्रिप्टन, क्सीनन, और रेडॉन आदि को अक्रिय(इनर्ट) गैसों या नोबल गैसों के रूप में जाना जाता है।
इन तत्वों के वैलेंस शेल पूरी तरह से भरे हुए होते हैं और इसलिए इनके रासायनिक बांड फार्म नहीं होते हैं।
इनको हमेशा स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है, लेकिन रेडॉन प्रकृति में मौजूद नहीं है।
वातावरण में तो आर्गन सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नोबल गैस है, लेकिन पूरे ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध गैस हीलियम गैस है।
हीलियम और ऑक्सीजन के मिश्रण का इस्तेमाल अस्थमा मरीजों को कृत्रिम सांस देने के लिए और समुद्र गोताखोरों द्वारा पानी के अन्दर सांस लेने किया जाता है।
हीलियम को रॉकेट में दबाव डालने वाले एजेंट के तौर पर तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन को बाहर निष्कासित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
नियॉन को नियॉन निर्वहन लैंप और विज्ञापन उद्देश्यों के लिए संकेतबोर्ड आदि में प्रयोग किया जाता है।
जिनॉन को अजनबी गैस के रूप में भी जाना जाता है और जिनॉन और क्रिप्टन का संयुक्त मिश्रण उच्च तीव्रता वाले फोटो फ्लैश ट्यूबों में भी प्रयोग किया जाता है।
रेडॉन कैंसर के उपचार के लिए मरहम की तैयारी में प्रयोग किया जाता है।
आर्गन और नाइट्रोजन का एक मिश्रण बिजली के बल्ब में प्रयोग किया जाता है।
क्रिप्टन का प्रयोग खादानों में काम करने वालों की कैप में उच्च दक्षता वाले कैप लैंप में किया जाता है।
नॉन मेटल्स (गैर धातु) कार्बन कार्बन के अपरूप कार्बन मोनो ऑक्साइड
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