यदि मैं पुलिस अधिकारी होता पर निबंध

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यदि मैं पुलिस अधिकारी होता पर निबंध

भूमिका : हर बालक या व्यक्ति के मन में अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा जन्म लेती है। हर किसी की अपनी महत्वकांक्षाएं होती हैं। अगर कोई व्यापारी बनना चाहता है तो कोई कर्मचारी बनना चाहता है। कोई नेता बनकर राजनीति में बैठना चाहता है तो कोई समाज सेवा का काम करना चाहता है। कोई अधिकारी बनकर प्रशासन बनने की सोचता है तो कोई इंजीनियर या डॉक्टर बनने की इच्छा रखता है।

मेरी अभिलाषा : मैं भी एक अभिलाषा रखता हूँ और इस अभिलाषा पर मैं बहुत ही गंभीरता से सोच विचार करता हूँ। यह बात भविष्य पर निर्भर करती है कि मेरी इच्छा पूरी होगी या नहीं लेकिन मैं अपने निश्चय पर दृढ हूँ। मैं एक पुलिस अधिकारी बनना चाहता हूँ। मेरे चाचा जी भी पुलिस में डी० सी० पी० के पद पर थे।

उन्होंने बहुत से जोखिम भरे काम किये थे। जब भी वे उन जोखिम भरे कामों के बारे में बताया करते थे तो मेरा उत्साह बढ़ जाता था। उन्होंने डाकुओं से लड़ते समय अपने प्राण दिए थे और पुलिस का गौरव बढ़ाया था। चाचा जी का आदर्श मुझे इसी पथ पर आगे चलने की प्रेरणा देता है। मेरे मन में समाज और राष्ट्र का भी भाव है।

पुलिस तंत्र में सुधार : मैं विश्वास रखता हूँ कि अगर पुलिस ईमानदारी से अपना काम करे तो वे समुचित तरीके से समाज की सेवा कर सकते हैं। पुलिस व्यवस्था में अनेक सुधार करके पुलिस व्यवस्था को सबसे अधिक बहतरीन बनाया जा सकता है।

पुलिस खुद को जनता का सेवक समझे और बिना किसी कारण से किसी पर भी अत्याचार न करे। वह उनके गुनहगार और बेगुनहा होने का पता लगाये तब आगे की कार्यवाही करे। अपनी व्यवस्था के प्रति ईमानदार होकर पुलिस को गौरव प्राप्त हो सकता है।

वर्तमान स्थिति : मैं इस बात को जनता हूँ कि आज का पुलिस विभाग भ्रष्ट हो चुका है। आजकल लोग पुलिस को नफरत की नजर से देखते हैं। आजकल लोग पुलिस को रक्षक नहीं भक्षक मानते हैं। पुलिस खुद को जनता का सेवक नहीं समझती है।

पुलिस जनता पर बिना किसी कारण के डंडे बरसाना और उन पर अत्याचार करना अपना कर्तव्य समझती है। पुलिस वाले गुंडों और अपराधियों की सहायता करते हैं। आजकल पुलिस बेकसूर को सजा दिलवाकर अपने स्वार्थ को पूरा करती है। पुलिस को शांति नहीं अशांति का सूचक माना जाता है।

भविष्य : पुलिस व्यवस्था का भ्रष्ट होना मुझे उससे दूर जाने की अपेक्षा उसके समीप जाने के लिए प्रेरित करता है। जब मैं पुलिस का एक भाग बन जाउँगा तभी मैं इस व्यवस्था में परिवर्तन ला सकता हूँ। मैं पुलिस अधिकारी बनकर पुलिस विभाग की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस से स्थापित कर पाउँगा।

पुलिस का कर्त्तव्य समाज की सेवा और उसका मार्गदर्शन करना होता है। खुद अनुशासित रहकर दूसरों को अनुशासन में रहने का पाठ पढ़ाना चाहिए। पुलिस को अपराध की खोज के लिए मनोवैज्ञानिक की सूझ-बुझ से काम करना चाहिए। धैर्य से जनता की शिकायतें सुननी चाहिए और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

उपसंहार : अत: जब मैं पुलिस अधिकारी बन जाउँगा तब मैं पुलिस के सारे कर्तव्यों को पूरा करूंगा जो एक पुलिस अधिकारी के जनता के प्रति होते हैं। मैं अपने चाचा से प्रेरित होकर देश की सेवा करूंगा और अपने देश की पुलिश का गौरव बढाऊँगा।

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यदि मैं पुलिस अधिकारी होता पर निबंध Essay on if i was a police officer

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