जोधपुरिया धाम –यहाँ मांसी , बाड़ी एवं खेराकसी तीन नदियों का संगम व भगवन श्री देवनायारण का मंदिर है |
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद अरबी फ़ारसी शोध संस्थान – 1978 ई. में स्थापित | इस संस्थान को कसरे-इल्म तथा साहित्य सेवियों की तीर्थ स्थली भी कहा जाता है | यहाँ औरन्गेब द्वारा लिखी आलमगिरी कुरान तथा शाहजहाँ द्वारा लिखवाई गयी ‘कुराने कमाल’ दुर्लभ पुस्तके है |
चारबात शैली – नवाब फैजुल्ला खां द्वारा प्रारम्भ प्रसिद्ध लोक गायन शैली राजस्थान में इसक एकमात्र केन्द्र टोंक है | भारत में इस कला के प्रवर्तक अब्दुल करीम खां थे | चारबैंत युद्ध के दौरान सिपाहियों का उत्साह बढ़ाने के लिए गाई जाती थी |
निवाई –नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है जहां जालन्धर नाथ का प्राचीन स्थान है | वर्तमान वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना अक्टूम्बर 1935 में जीवन कुटीर के नाम से निवाई में की गई थी |
टोडारायसिंह – यहाँ के कलात्मक नमदे ( भेड की ऊन से निर्मित ) दरियां एवं बीडी उद्योग प्रमुख है |
मालपुरा – यह स्थल राजा मालदेव पवांर की गनरी के रूप में जाना जाता है | मालपुरा कस्बे में मिल्क चिलिंग प्लांट की स्थपना की गई है | यहाँ टोरडी सागर बाँध स्थित है |
पेचवर – यहाँ चौबुर्जा किला स्थित है |
पाड़ा चक्की – पेचवर के किले में स्थित है |
मांडकला – राजस्थान की यज्ञस्थली व मिनी पुष्कर है |