वैसेतोकिसीअचालकसेपृथककिये गये दो चालको के बीच कैपेसिटी होते है परन्तु जब दो या अधिक चालक प्लेटो को अचालक के साथ संयोजित करके एक पुर्जे का रूप दे दिया जाता है जो निश्चित कैपेसिटेन्स प्रस्तुत करे तो उसे कैपेसिटर कहते है।
इलैक्ट्रोनिक सर्किट में रेसिस्टर्स था एन्डक्टर्स कि भांति ही कैपेसिटर भी बहुत उपयोगी पुर्जा है । इसका उपयोग एम्प्लीफायर्स , ऑसिलेटर्स फ़िल्टर सर्किट्स तथा अनेक प्रकार के अन्य इलैक्ट्रोनिक सर्किट्स में किया जाता है।
कैपेसिटरएकऐसीडिवाइसहैजोअपनेअन्दरचार्जकोस्टोरकरसकतीहैऔरजरूरतपड़नेपरउसेवापसभीकरसकतीहै।इसमेंकमसेकमदोप्लेटेहोतीहै । जिनका क्षेत्रफल उस कैपेसिटर के कैपिस्टेन्स के ऊपर कार्य करता है। दोनों प्लेटो के बीच में एक इन्सुलेटिड मैटीरियल भरा जाता है। इस इन्सुलेटर की मोटाई भी कैपेसिटर के कैपेसिटेन्स को प्रभावित करती है इसके अलावा भरे जाने वाले इन्सुलेटर के प्रविधुताक पर भी निर्भर करती है। किसी भी कैपेसिटर के कैपेसिटेन्स की इकाई फैराडे होती है फैराडे एक बहुत बड़ी इकाई है इसलिए इसकी कुछ छोटी इकाई इस्तेमाल की जाती है।
कंडेनसर क्या है
किसी भी इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में कई तरह के अवयव होते हैं जैसे – प्रतिरोध, चालक, संधारित्र, डायोड आदि ।
कंडेनसर एक ऐसी युक्ति है जिसमे विद्युत आवेश को एकत्रित किया जाता है और किसी चालक की धारिता को बढ़ाया जाता है ।कंडेनसर को कैपेसिटर या संधारित्र भी कहते हैं ।
कंडेनसर में दो चालक प्लेटों को एक-दूसरे के निकट स्थापित कर दिया जाता है और दोनों प्लेटों के बीच में अचालक पदार्थ जैसे – कागज, माइका आदि को भर दिया जाता है ।
संधारित्र को किसी विद्युत स्त्रोत से संयोजित करने पर एक प्लेट में धनात्मक आवेश तथा दूसरी प्लेट पर समान मात्रा में ऋणात्मक आवेश आ जाता है । इसके बाद अगर विद्युत स्त्रोत को हटा दिया जाये फिर भी संधारित्र कुछ समय तक आवेशित बना रहता है ।
संधारित्र की धारिता क्या है
संधारित्र के विद्युत आवेश एकत्रित करने की क्षमता को संधारित्र की धारिता (C)कहते है, इसका मात्रकफैरड है ।
संधारित्र की धारिता, संधारित्र में प्लेटों के बीच की दूरी, प्लेटों के क्षेत्रफल, उनके बीच के अचालक पदार्थ आदि पर निर्भर करती है ।
किसी चालक का विभव, उसके आवेश के अनुक्रमानुपाति होता है
Q ∝ V
Q = CV
या C = Q/V
यहां C एक नियतांक है जिसे चालक की धारिता कहते है ।
संधारित्र का संयोजन | Connection of Capacitor
श्रेणी क्रम – श्रेणी क्रम में संधारित्रों की कुल धारिता
1/C = 1/C1 + 1/C2 + 1/C3
समानांतर क्रम – समानांतर क्रम में संधारित्रों की कुल धारिता C = C1 + C2 + C3
समानांतर क्रम – समानांतर क्रम में संधारित्रों की कुल धारिता C = C1 + C2 + C3
Extra tip :- किसी विद्युत परिपथ, मशीन आदि में मरम्मत करने से पहले उसमे लगे कैपेसिटर के आवेश को विसर्जित कर देना चाहिए । क्योंकि बड़े कैपेसिटर में अधिक आवेश होता है जिससे भयंकर विद्युत झटका लग सकता है ।