वचन की परिभाषा

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वचन की परिभाषा

परिभाषा – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
व्याकरण में “वचन’ संख्या का बोध कराता है।
लडकी गाती है ।
लड़कियाँ गाती हैं ।
पहले वाक्य से यह स्पष्ट होता है कि कोई एक लडकी गाती है। दूसरे वाक्य से कई लड़कियों के गाने का बोध होता है।
लड़की शब्द के इस रूपांतरण को वचन कहते हैं ।

वचन के भेद (Bachan ke Bhed)

वचन के दो भेद हैं- (1) एकवचन और (2) बहुवचन ।

(1) एकवचन (ek vachan) – शब्द के जिस रूप से एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हों, उसे एकवचन कहते हैं । जैसे – लड़का, पुस्तक, घड़ी, इत्यादि।
(2) बहुवचन (Bahu Vachan) – शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध हो उसे बहुवचन कहते हैं । जैसे – लड़के, पुस्तकें, घड़ियाँ, इत्यादि।

बहुवचन बनाने के नियम ( विभक्तिरहित शब्द) :
(1) आकारांत पुलिंग शब्दों के ‘आ’ को ‘ए’ बनाकर बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे – लड़का – लड़के, गदहा – गदहे, घोडा – घोड़े ।
(2) इकरात, ईकारांत, उकारांत तथा ऊकारांत शब्दों के रूप दोनों वचनों में एकसमान बने रहते हैं । इनके रूप नहीं बदलते । इनके वचन की पहचान क्रिया में होती है ।
जैसे:
साथी आता है – साथी आते हैं
साधु खाता है – साधु खाते हैं
डाकू जाता है – डाकू जाते हैं

(3) आकारांत स्त्रीलिंग एकवचन संज्ञा – शब्दों के अंत में ‘एँ’ या ‘यें’ लगाकर बहुवचन बनाये जाते हैं ।
जैसे-शाखा-शाखाएँ, कथा-कथाएँ, कक्षा-कक्षाएँ, इत्यादि ।
(4) याकारांत स्त्रीलिग संज्ञा – शब्दों के अन्तिम स्वर के ऊपर चन्द्रबिंदु लगाकर बहुवचन बनाये जाते हैं ।
जैसे- चिड़िया – चिड़ियाँ,
डिबिया – डिबियाँ,
गुडिया – गुड़ियाँ,
बुढ़िया – बुढ़ियाँ,
लुटिया – लुटियाँ
खटियां – खटियाँ, इत्यादि ।
(5) अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन संज्ञा के अंतिम स्वर ‘अ’ को ‘एँ कर देने से बनता है ।
जैसे-पुस्तक – पुस्तकें,
किताब – किताबें,
गाय – गायें,
बहन – बहनें,
औाँख – औाँखें,
रात – रातें,
झील – झीलें,
बात – बातें, इत्यादि ।

(6) इकारात और ईकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा-शब्दों में ‘ई’ को हृस्व (इ) करके तथा उसके बाद ‘याँ लगाकर अर्थात् ‘इ’ या ‘ई’ को ‘इयाँ” कर देने से बहुवचन बनता है ।

जैसे – तिथि-तिथियाँ,
घुड़की – घुड़कियाँ,
चुटकी–चुटकियाँ,
टोपी-टोपियाँ,
रानी-रानियाँ,
नदी-नदियाँ
राशि-राशियाँ
रीति-रीतियाँ, इत्यादि ।
(7) अ-आ-इ-ई को छोड़कर अन्य मात्राओं से समाप्त होनेवाले स्त्रीलिंग संज्ञा-शब्दों के अंत में ‘एँ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है ।
अंतिम स्वर यदि ‘ऊ” हो, तो उसे हृस्व “उ” करके ‘एँ लगाते हैं।
जैसे-बर्दू-बहुएँ,
वस्तु-वस्तुएँ,
लता-लताए,
माता-माताए ।
(8) संज्ञा के पुंलिंग या स्त्रीलिंग रूपों में बहुवचन का बोध प्राय: ‘गण’, ‘वर्ग’, ‘जन’, ‘लोग’, ‘वृद’ आदि शब्द लगाकर भी कराया जाता है । जैसे –
श्रोता – श्रोतागण
पाठक – पाठकगण
दर्शक – दर्शकगण
अधिकारी – अधिकारीवर्ग
आप – आपलोग
वृद्ध – वृद्धजन
‘गण’ शब्द बहुधा मनुष्यों, देवताओं और ग्रहों के साथ आता है । जैसे-देवतागण, अप्सरागण, तारागण, इत्यादि
‘वर्ग” तथा ‘जाति” – ये दोनों शब्द जातिबोधक हैं तथा प्राय: प्राणिवाचक शब्दों के साथ आते हैं । जैसे-मनुष्यजाति, स्त्रीजाति, पशुजाति, बंधुवर्ग, पाठकवर्ग, इत्यादि ।
‘जन’ शब्द का प्रयोग बहुधा मनुष्यवाचक शब्दों के साथ बहुवचन बनाने के लिए किया जाता है । जैसे-भक्तजन, गुरुजन, स्त्रोजन, इत्यादि ।

(9) जातिवाचक संज्ञा-शब्दों के ही बहुवचन रूप होते हैं । परंतु, जब व्यक्तिवाचक और भाववाचक संज्ञाओं का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के समान होता है, तब उनका भी बहुवचन होता है ।
जैसे – कहो रावण, इस जग में और कितने रावण हैं ?
मन में बुरी भावनाएँ उठ रही थीं ।

विभक्तिसहित संज्ञा-शब्दों के बहुवचन

बहुवचन बनाने के लिए अंतिम स्वर को ‘ऑ’ कर दिया जाता है ।

1. जिन संज्ञा-शब्दों के अंत में ‘अ’, ‘आ’ या ‘ए’ रहते हैं, उनका बहुवचन बनने के लिए अंतिम स्वर को ‘ओ’ कर दिया जाता है।
जैसे –
लड़का – लडकों – लडकों ने पढ़ा
गाय – गायों – गायों का दूध
दल – दलों – दलों का जमा होना
चोर – चोरों – चोरों को छोड़ना मत

2. संस्कृत की आक्रांत तथा संस्कृत-हिंदी की सभी उकारांत, ऊकारान्त, अकारांत और औकरांत संज्ञा-शब्दों का बहुवचन बनाने के लिए उनके अंत में ओं जोड़ दिया जाता है।
ऊकारांत शब्दों के साथ ‘ओं’ लगाने के पहले ‘ऊ, को ‘उ’ कर दिया जाता है । जैसे-
दवा – दवाओं : दवाओं की कीमत ।
साधु – साधुओं : साधुओं की जमात ।
वधू – वधुओं : वधुओं को बुलाओं ।
घर – घरों : घरों में लोग रहते हैं ।

(3) सभी इकारांत और ईकारांत संज्ञा-शब्दों का बहुवचन बनाने के लिए उनके अंत में ‘यों’ लगा दिया जाता है ।
ईकारांत शब्दों में ‘यों’ जोडने के पहले ‘ई’ को ‘इ’ कर दिया जाता है ।
एकवचन बहुवचन विभक्तिसहित प्रयोग
मुनि – मुनियों : मुनियों का आश्रम ।
नदी – नदियों : नदियों का जल ।
गाडी – गाड़ियों : वे लोग गाड़ियों में गये ।
झाडी – झाड़ियों : गेंद इन्हीं झाड़ियों में गया है ।
श्रीमती – श्रीमतियों : आज श्रीमतियों का सम्मेलन है ।

वचन-संबंधी विशेष नियम
(a) द्रव्यवाचक संज्ञा-शब्दों का प्रयोग प्राय: एकवचन में होता है ।
जैसे-उनके पास बहुत धन है ।
उसका सारा सोना डाकू लूटकर ले गये ।

(b) भाववाचक तथा गुणवाचक संज्ञा-शब्दों का प्रयोग सदैव एकवचन में ही होत है।

जैसे- मैं उनकी भलमनसाहत का कायल हूँ।
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की सज्जनता पर सभी मुग्ध थे
लेकिन जब संख्या अथवा प्रकार का बोध कराना होता है, तब भाववाचक और गुणवाचक संज्ञा-शब्दों का बहुवचन में भी प्रयोग किया जाता है ।
जैसे – इस दवा की अनेक खूबियाँ हैं ।
मैं आपकी विवशताओं को अच्छी तरह समझता हूँ।

(c) ‘हर’, ‘प्रत्येक’ तथा ‘हर एक’ का प्रयोग सदैव एकवचन में होता है।
जैसे – हर एक कुआँ का जल मीठा नहीं होता ।
प्रत्येक छात्र यही कहेगा ।
हर आदमी इस सच की जानता है ।

(d) कुछ शब्दों जैसे – प्राण, लोग, दर्शन, आँसू, अक्षत, दाम, होश, समाचार, इत्यादि का प्रयोग हमेशा बहिवचन में होता है।
जैसे – आज के समाचार
आपके दर्शन
आपके आशिर्वाद से मैं धन्य हो गया

(e) समूहवाचक संज्ञा-शब्दों का प्रयोग प्राय: एकवचन में होता है ।
जैसे – इस देश की बहुसंख्यक जनता अशिक्षित है
बंदरो की एक टोली ने बड़ा उत्पात मचा रखा है

(f) अनेक समूहों का बोध कराने के लिए समूहवाचक संज्ञा का प्रयोग बहुवचन में किया जाता है ।
जैसे-छात्रों की कई टोलियाँ गयी हैं ।
प्राचीनकाल में अनेक देशों की प्रजाओं पर खूब अत्याचार होता था ।

(g) पूरी जाति का बोध कराने के लिए जातिवाचक संज्ञा-शब्दों का प्रयोग प्राय: एकवचन में होता है ।
जैसे-शेर जंगल का राजा है ।
बैल एक चौपाया जानवर है ।

(h) कुछ आकारांत विकारी शब्द एकवचन में भी कारक-विभक्ति लगने पर एकारांत हो जाते हैं ।
जैसे- इस गधे से काम नहीं चलेगा ।
प्यादा घोड़े पर आया था ।

(i) आदर या सम्मान देने के लिए एकवचन व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग भी बहुवचन में किया जाता है ।
जैसे-गाँधीजी चंपारण आये थे ।
शास्त्रीजी सरल स्वभाव के थे।

(j) आँख, कान, उँगली, पैर, दाँत इत्यादि शब्द, जिनसे एक से अधिक अवयवों का ज्ञान होता है, प्राय: बहुवचन में प्रयुक्त किये जाते हैं ।

जैसे-राधा के दाँत चमक रहे हैं ।
मेरे बाल सफेद हो गये ।
इन शब्दों को जब एकवचन के रूप में दिखाना होता है तब इनके पहले ‘एक’ शब्द लगा दिया जाता है ।
जैसे-मेरा एक बाल टूट गया ।
उसकी एक आँख खराब है ।
मुनिया का एक दाँत गिर गया ।

(k) ‘पुरखा’, ‘बाप-दादा’ और ‘लोग’ शब्द अर्थानुसार बहुवचन के रूप में प्रयुक्त किये जाते हैं ।
जैसे-हमारे पुरखे मध्य एशिया से आये थे ।
उनके बाप-दादे ऊँचे पदों पर थे ।
इस राज्य के लोग आलसी हैं ।

(l) करणकारक में ‘जाड़ा’, ‘गर्मी, ‘बरसात’, ‘प्यास’, ‘भूख’ इत्यादि का बहुवचन में प्रयोग होता है।
जैसे-बंदर जाडों से टिटुर रहा था ।
भिखारी भूखों मर रहा था।




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