महासागर के भौगोलिक प्रदेश
महादेशीय निधाय (CONTINENTAL SHELF)
Continental Shelf यद्यपि समुद्र से सम्बन्ध रखता है पर यह अन्य दो प्रदेशों की अपेक्षा स्थल के अधीन समान और समीप है. इसकी गहराई साधारणतया 600 ft. से अधिक नहीं होती. पर्वतीय तटों पर यह कुछ ही फुट चौड़ा पर समतल मैदानी तटों के निकट सैकड़ों मील तक चौड़ा मिलता है. उत्तरी ध्रुव या आर्कटिक महासागर (arctic ocean) को घेरने वाले तटों के निधाय (shelf) संसार भर के सब shelves से अधिक विस्तृत हैं. वहाँ कहीं-कहीं यह 750 मील चौड़ा है. वहाँ अपेक्षाकृत यह गहरा भी अधिक है मानो हिमखंडों (ice cubes) के बोझ से दबकर निचला तल नीचे धँस गया हो.
Continental Shelf के गहनतम भागों को छोड़कर शेष पूरे प्रदेश में सूर्य की किरणों का प्रवेश होता है. इसके ऊपर के जल में वनस्पतियाँ रहती हैं, जैसे प्लैंकटन (Plankton) जो मछलियों का प्रमुख आहार है. इसके जल पर पशुओं के झुण्ड के रूप में असंख्य मछलियाँ तैरती रहती हैं. World famous डॉगर बैंक (dogger bank) जो किसी समय स्थल का जंगल था और प्रागैतिहासिक जन्तुओं का निवास-स्थान था, आज समुद्री बालुई (sandbank) का क्षेत्र है और मछलियों से भरा हुआ है. संसार के प्रायः सभी मछली पकड़ने वाले क्षेत्र महादेशीय निधायों (continental shelf) पर ही स्थित है. इसका क्षेत्रफल लगभग 1 करोड़ वर्गमील होगा.
CONTINENTAL SHIFT का निर्माण
Continental Shift का निर्माण दो प्रकार से होता है –
- सागर की लहरों के क्षय-कार्य द्वारा, और
- नदियों और सामुद्रिक लहरों के निक्षेपण-कार्य द्वारा.
ऊपर के चित्र में इन दोनों विधियों से बना निधाय या छज्जा देखा जा सकता है. संसार के कई भागों में हिमनदों ने भी अपने क्षयकारी और निक्षेपण-कार्यों द्वारा इस तरह के मिलते-जुलते निधायों की सृष्टि की है. सागर-तल के उठने और गिरने से भी अतीतकाल में ऐसे प्रदेश बनते रहे हैं. ज्यों-ज्यों प्राचीन समुद्रों द्वारा छोड़े गए महादेशीय भाग के पेट्रोलियम-भंडार खाली होते जाते हैं त्यों-त्यों भूगर्भशाष्त्री उसकी खोज में इन महादेशीय निधायों (continental shelves) के पास छिपे स्थल-भाग में भू-छेदन कार्य (Drilling work) करने में संलग्न हो जाते हैं और उन्हें सफलता भी मिलती है.
महादेशीय ढलान (CONTINENTAL SLOPE)
Continental Slope पर ही हमें महासागर की सीधी गहराई का भान होता है. यह भाग महादेशीय निधाय (continental shelves) के बाद का है जिसकी गहराई 600 ft से 12,000 ft तक हुआ करती है. अथाह समुद्र के रहस्य और प्रतिकूल गुण का अनुभव इसी भाग से होना शुरू होता है जहाँ बढ़ता हुआ दबाव और अंधेरा समस्त वनस्पति-जीवन को ऊपर ही छोड़ देता है. इस बाग़ की दुनिया ऐसे जंतुओं की दुनिया है जहाँ एक प्राणी दूसरे आक्रमण कर उसका भक्षण कर जाता है.
महादेशीय ढलान (continental slope) महादेशों की सुदूरतम सीमाएँ हैं. इसी के बाद वास्तविक महासागर शुरू होता है जिसे अगाध समुद्र का प्रदेश कहा जाता है. महादेशीय ढलानों (continental slope) का अध्ययन करने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं. इस भाग में नदी-घाटी जैसी कटानों के अनेक चिह्न या सागरमग्न संकीर्ण गहन घाटियाँ (undersea narrow deep valleys) Submarine Canyons) मिली हैं, जिनकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न मत इकट्ठे हो रहे हैं. महादेशीय ढलानों (continental slopes) का क्षेत्रफल लगभग 3 करोड़ वर्गमील होगा.
अथाह समुद्र तल (DEEP SEA FLOOR)
Deep Sea Floor ही सबसे अधिक विस्तृत हैं जिनमें कहीं समतल भाग या मैदान (Plain) हैं और कहीं गर्त या खाई (Deeps). समतल भाग पर कहीं टीले (Ridges) भी हैं. अथाह सागर के इस निचले तल वाले प्रदेश में नदियों द्वारा लाये गए पदार्थ नहीं पहुँच पाते. ये वास्तव में उतने ही पुराने हैं जितना स्वयं समुद्र. जहाँ तक हमें मालूम है, ये दसों करोड़ वर्ष पहले से आज तक कभी जल से रिक्त नहीं हुए. मगर इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि Deep Sea Floor की आकृतियों में परिवर्तन नहीं होता. ठंडी होती हुई पृथ्वी जब सिकुड़ती है और उसका भीतरी भाग सिकुड़ने के फलस्वरूप उत्तरी परत से अलग होता है और धरातल में तहें पड़ने लगती हैं और जहाँ-तहाँ फटकर दरारों के रास्ते से ज्वालामुखीय लावा निकलकर नुकीले पहाड़ का रूप धारण कर लेता है. महासागरों के भीतर अनेक ज्वालामुखी पहाड़ मिलते हैं जो समुद्र-तल के ऊपर आने पर ज्वालामुखी द्वीप बन जाते हैं. समुद्र के भीतर जलमग्न ऐसी छोटी पहाड़ियों सिलसिला भी मिलता है जो महासागरीय मैदान की समतल आकृति में रुकावट डालता है.
महासागर के अथाह समुद्र तल (deep sea floor) प्रायः महाद्वीपों के निकट होते हैं, जैसे मिंदानाओ (Mindanao) जिसकी गहराई 35,640 ft. है, संसार की सबसे गहरे गर्तों में से एक है. यह Philippines के पूर्व में है. जापान के पूर्व तुसकरोरा (Tuscarora Deep) गर्त है जिसकी गहराई 29,250 ft. है, जापान से सटे है.