ताऊसर गाँव –खुशबु वाली मेथी के लिए प्रसिद्ध स्थान |
लाडनू –थली प्रदेश, नौकुंटी मारवाड़ एवं शेखावाटी का संगम स्थल व चंदेरी नगरी के नाम से भी विख्यात है |
अणखला – कुचामन के किले को कहा जाता है क्योंकि इस किले का कभी भी शत्रु सेना से समक्ष पतन नहीं हुआ |
मेड़ता –पश्चिमी भारत व उत्तरी भारत को जोड़ने का एकमात्र मार्ग था अत: प्राचीन काल में सभी युद्ध उत्तरी पूर्वी तथा पश्चिमी भारत के बीच विशेषकर इसे क्षेत्र में हुए |
डीडवाना – उपनाम- उपकाशी , सिंह द्वार हिंदी पुस्तकालय 1916 ई. में डीडवाना में स्थापित प्राचीन ग्रंथो का अनूठा केन्द्र व साहित्य का अनुपम भण्डार हिया , इसे डीडवाना का गौरव माना जाता है |
गोठ मांगलोद शिलालेख –यह राजस्थान का सबसे प्राचीन शिलालेख माना जाता है |
गींगोली की घाटी – परबतसर में स्थित यह घाटी एतिहासिक युद्धों की साक्षी मानी जाती है |
मारोठ – मारोठ के प्राचीन नाम – 1. महाराष्ट्र नगर 2. गढ़ का भैरव 3. गौडाटी
आचार्य तुलसी – इनका जन्म 20 अक्टूम्बर 1914 को लाडनू कस्बे में हुआ | वे तेरापंथी संघ के नवें आचार्य बनाये गए | इन्होने ‘इंसान पहले इंसान, फिर हिन्दू या मुसलमान’ का सन्देश दिया | आचार्य ने नया मोड़ नाम से कार्यक्रम चलाकर सामाजिक कुरूतियों के विरुद्ध जाग्रति पैदा की |