पादप हार्मोन या पादप वृद्धि नियामक

पादप हार्मोन या पादप वृद्धि नियामक

पादप हॉर्मोन (Plant Hormone) या पादप वृद्धि नियामक (Plant Growth Regulator)
वे कार्बनिक पदार्थ (Organic Substances) जो पादपों में एक भाग से दूसरे भाग में स्थानांतरित होकर पादप की वृद्धि को प्रभावित करते हैं, पादप हॉर्मोन या पादप वृद्धि नियामक (Plant Growth Regulator) कहलाते हैं।

जैसे ऑक्सिन (Auxin), जिब्बरेलिन (Gibberellin), साइटोकाइनिन (Cytokinin), एथिलीन (Ethylene) तथा एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid)।

पादप हॉर्मोन के प्रकार

पादप हॉर्मोन दो प्रकार के होते हैं-

    1. वृ द्धि प्रवर्धक हॉर्मोन (Growth Promoting Hormone)
    2. वृद्धि संदमक हॉर्मोन (Growth Inhibitory Hormone)

वृद्धि  प्रवर्धक हॉर्मोन

ऐसे हॉर्मोन जो पादप की वृद्धि को बढ़ाते हैं। पादप वृद्धि हॉर्मोन (Growth Promoting Hormone) कहलाते हैं।

वृद्धि संदमक हॉर्मोन

ऐसे हॉर्मोन जो पादप की वृद्धि को कम करते हैं। उन्हें वृद्धि संदमक हॉर्मोन (Growth Inhibitory Hormone) कहलाते हैं।

ऑक्सिन हॉर्मोन

इसको सर्वप्रथम मानव के मूत्र से खोजा गया। इसकी खोज एफ डब्लू वेंट ने की।
ऑक्सिन (Auxin) दो प्रकार के होते हैं-

  1. प्राकृतिक ऑक्सिन (Auxin)
  2. संश्लेषित ऑक्सिन (Auxin)

प्राकृतिक ऑक्सिन

इंडोल एसिटिक अम्ल प्राकृतिक ऑक्सिन (Auxin) है। इसको मानव मूत्र से पृथक किया गया था। यह ट्रिप्टोफेन अमीनो अम्ल का व्युत्पन्न है। तथा इसके निर्माण के लिए जिंक (Zn) की आवश्यकता होती है।

संश्लेषित ऑक्सिन

नेप्थलीन एसिटिक अम्ल, इंडोल ब्यूटीरिक एसिड, 2,4 – डाई क्लोरो फिनोक्सी एसिटिक अम्ल,  2,4,5 – ट्राई क्लोरो फिनोक्सी एसिटिक अम्ल आदि संश्लेषित ऑक्सिन (Auxin) है।

ऑक्सिन (Auxin) के कार्य

  1. यह पादप के शीर्ष भाग की प्रभाविता (Apical Dorminance) को बढ़ाता है।
  2. ऑक्सिन (Auxin) पार्श्व कलिकाओं (Side buds) के निर्माण को रोकता है।
  3. यह कोशिका के दीर्घीकरण (Cell Elongation) का कार्य करता है।
  4. यह कलम लगाने के समय जड़ों के निर्माण (Root Initation) को बढ़ाता है।
  5. इसका छिड़काव करके अनिषेकफल (Parthenocarpy Fruit) प्राप्त किए जा सकते हैं
  6. यह फसली पौधों (Crop) जैसे गेहूं के आधार को मजबूत बनाकर उसे हवा से गिरने से बचाता है।
  7. यह हॉर्मोन बीज तथा कंदों में प्रसुप्ती अवस्था (Dormancy) को बनाए रखने में सहायता करता है।
  8. इस हॉर्मोन का छिड़काव करके अनावश्यक पुष्पन के निर्माण को रोका (Thinning of flowers) जा सकता है।
  9. यह हॉर्मोन पत्तियों के झड़ना झड़ने को कम करता है।
  10. इस हॉर्मोन का उपयोग करके खरपतवार को नष्ट किया जा सकता है। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार को 2,4 D तथा घास को डेपोमिन 2,2 के द्वारा नष्ट किया जाता है।
  11. यह हॉर्मोन नाशपाती एवं सेव में लघुशाखाओं (Short internodes) के निर्माण को बढ़ाता है।
  12. यह हॉर्मोन उत्तक संवर्धन (Tissue Culture) में मूल निर्माण व कैलस विभेदन (Callus Differenciation) को बढ़ाता है।

साइटोकाइनिन (Cytokinin) हॉर्मोन

साइटोकाइनिन (Cytokinin) का अर्थ कोशिका विभाजन है। स्कूग तथा मिलर ने किसको यीस्ट के डीएनए से अलग किया और काइनेटिन नाम दिया।
लेथम ने इनको साइटोकिनिन नाम दिया।
लेथम तथा मिलर ने मक्का के भ्रुणकोष से साइटोकाइनिन (Cytokinin) को अलग करके उनको जियाटिन नाम दिया। जियाटिन प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला प्रथम साइटोकिनिन है।

रासायनिक प्रकृति

साइटोकाइनिन (Cytokinin) न्यूक्लिक अम्लों के अपघटन से बनते हैं इनका रासायनिक नाम 6 फरफ्यूरिल  अमीनो प्युरीन है। साइटोकाइनिन (Cytokinin) कोशिका द्रव्य में tRNA के संरचनात्मक घटक का कार्य करता है।

साइटोकाइनिन (Cytokinin) के कार्य

  1. ऑक्सीन की उपस्थिति में यह कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
  2. यह कोशिका के दीर्घीकरण को प्रेरित करता है।
  3. साइटोकाइनिन (Cytokinin) ऑक्सिन (Auxin) तथा इथाइलिन के साथ मिलकर तंबाकू की जड़ों की कोशिकाओं को 4 गुना अधिक दीर्घ कर देते हैं।
  4. साइटोकाइनिन (Cytokinin) पादप के अलग-अलग अंगों के निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ाता है। इसके लिए यह ऑक्सिन (Auxin) हॉर्मोन के साथ मिलकर कार्य करता है।
    अधिक साइटोकिनिन कम ऑक्सिन (Auxin) से केवल प्ररोह का विकास होता है।कम साइटोकिनिन अधिक ऑक्सिन (Auxin) से केवल जड़ों का विकास होता है।
    मध्यम साइटोकिनिन व मध्य ऑक्सिन (Auxin) से जड़ और प्ररोह दोनों का विकास होता है।
    मध्यम साइटोकिनिन कम ऑक्सीन से कैलस का निर्माण होता है।
    साइटोकिनिन ऑक्सिन (Auxin) हॉर्मोन के विरुद्ध शीर्ष प्रभाविता को कम करता है।
  5. यह पार्श्व कलिकाओं (Side Buds) की वृद्धि को बढ़ाता है।
  6. यह बीजों व कंदों के प्रसुप्ता को नष्ट करने का कार्य करता है। तथा बीजांकुरण को बढ़ाता है।
  7. साइटोकिनिन का छिड़काव पादपों में जीर्णता को रोकता है। इनके छिड़काव के कारण प्रोटीन, न्युक्लिक अम्ल, पर्णहरित आदि का विघटन कम होता है। जिससे पादप जीर्ण नहीं होता इस प्रभाव को रिचमंड लैंग प्रभाव कहते हैं।

जिब्बरेलिन (Gibberellin) हॉर्मोन

इनकी खोज चावल के पादपों में की गई। चावल में फुलिस सीडलिंग या बेवकूफ नवोदभिद रोग  होता है। जो जिब्बेरेला फ्यूजीकोराई नामक कवक से होता है। इसी कवक से इस हॉर्मोन को पृथक किया गया।

रासायनिक प्रकृति

वर्तमान में जिब्बरेलिन (Gibberellin) के 100 से अधिक प्रकार प्राप्त किए जा चुके हैं जिनका नाम GA1, GA2, GA3, GA2
रासायनिक दृष्टि से जिब्बरेलिन (Gibberellin) में जिब्बरेलिक अम्ल है। इसमें गिबेन वलय पायी जाती है। इन का रासायनिक सूत्र निम्न प्रकार है।
GA1 C19H24O6
GA2 C19H26O6
GA3 C19H22O6

जिब्बरेलिन (Gibberellin) के कार्य

  1. जिब्बरेलिन (Gibberellin) पादप के पर्व को दीर्घ करके तने की लंबाई को बढ़ाता है। पर्णरहीत पर्व को बोल्ट कहते हैं बोल्ट के निर्माण की प्रक्रिया बोल्टकरण कहलाती है।
  2. बीजों के भ्रूण में संचित खाद्य पदार्थों के अपघटन को प्रेरित करके यह भ्रूण की वृद्धि तथा बीजांकुरण में सहायता करता है।
  3. यह बीजों की प्रसुप्ति को भंग करता है। तथा अंकुरण को बढ़ाता है।
  4. जिब्बरेलिन (Gibberellin) का उपयोग करके शीत उपचार यानि बसन्तीकरण का प्रतिस्थापन किया जा सकता है।
  5. इसको पादप के पुष्प छिड़कने से अनिषेक फल प्राप्त होते हैं

इथाईलीन या एथिलीन (Ethylene) हॉर्मोन

यह एक गैसीय हॉर्मोन है। पादप की वृद्धि को बढ़ाते हैं। C2H4

रासायनिक प्रकृति

इसका निर्माण इथेफोन से किया जाता है। इथेफोन को 2-क्लोरो फास्फोरिक अम्ल कहा जाता है।

इथाईलीन

इथाईलीन के कार्य

  1. यह जड़ों तथा प्ररोह की लंबाई को कम करता है। तथा मोटाई में वृद्धि को बढ़ाता है।
  2. इथाईलीन अपस्थानिक जड़ों के निर्माण को बढ़ाता है।
  3. यह फलों के पकने को प्रेरित करता है। इथाईलीन के द्वारा पके हुए फल क्लाईमेटेरिक फल कहलाते हैं
  4. इथाईलीन का छिड़काव आम तथा अनानास में मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि करता है।
  5. इथाईलीन का छिड़काव पत्तियों, फलो तथा पुष्प में विलगन को बढ़ाता है।
  6. यह हॉर्मोन जीर्णता को प्रेरित करता है। जिसे पत्तियां पीली पढ़कर झड़ने लगती है।

एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) हॉर्मोन

यह हॉर्मोन वेयरिंग के द्वारा एसर नामक पादप से पृथक किया गया और इसका नाम डोरमिन रखा।
एडीकोट ने इसको कपास के पुष्प कलिकाओं से अलग किया और एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) नाम रखा।

रासायनिक प्रकृति

इस का रासायनिक सूत्र C15H2O4 होता है। यह पांच कार्बन से निर्मित तीन आइसोप्रीन इकाइयों का बना होता है। इसमें एक कार्बनिक अम्ल समूह भी पाया जाता है।

एब्सिसिक अम्ल

एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) के कार्य

  1. इसका छिड़काव पत्तियों के विलगन को बढ़ाता है।
  2. एब्सिसिक अम्ल कलियों तथा बीजों की प्रसूप्ता को प्रेरित करता है।
  3. यह रंध्रों को आंशिक रूप से बंद करके वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करता है।
  4. यह कोशिका विभाजन तथा कोशिका परिवर्धन को कम करके वृद्धि को रोकता है।
  5. इसको तनाव हॉर्मोन भी कहते हैं क्योंकि यह जल की कमी पर रंध्रों को बंद कर देता है। जिससे वाष्पोत्सर्जन एवं प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है।
  6. यह विलगन को बढ़ाता है।
  7. यह पादपों में जीर्णता को प्रेरित करता है।

अन्य हॉर्मोन

  1. ट्रोमेटिक हॉर्मोन
  2. मोर्फेक्टिन
  3. जेस्मोनिक अम्ल
  4. केलाइन्स
नवीन जिलों का गठन (राजस्थान) | Formation Of New Districts Rajasthan राजस्थान में स्त्री के आभूषण (women’s jewelery in rajasthan) Best Places to visit in Rajasthan (राजस्थान में घूमने के लिए बेहतरीन जगह) हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगह {places to visit in himachal pradesh} उत्तराखंड में घूमने की जगह (places to visit in uttarakhand) भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग की सूची Human heart (मनुष्य हृदय) लीवर खराब होने के लक्षण (symptoms of liver damage) दौड़ने के लिए कुछ टिप्स विश्व का सबसे छोटा महासागर हिंदी नोट्स राजस्थान के राज्यपालों की सूची Biology MCQ in Hindi जीव विज्ञान नोट्स हिंदी में कक्षा 12 वीं कक्षा 12 जीव विज्ञान वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिंदी में अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण Class 12 Chemistry MCQ in Hindi Biology MCQ in Hindi जीव विज्ञान नोट्स हिंदी में कक्षा 12 वीं भारत देश के बारे में सामान्य जानकारी राजस्थान की खारे पानी की झील राजस्थान का एकीकरण राजस्थान में मीठे पानी की झीलें