राजस्थान मध्यवर्ती पहाड़ी प्रदेश

राजस्थान मध्यवर्ती पहाड़ी प्रदेश

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राजस्थान मध्यवर्ती पहाड़ी प्रदेश




क्षेत्रफल – राज्य के भूभाग का लगभग 9.3% पर पहाड़ी प्रदेश है। लेकिन 8.6% के लगभग भाग पर मुख्य अरावली पर्वतमाला विस्तृत है|

  • क्षेत्र – उदयपुर, चित्तोडगढ, राजसमन्द, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, सीकर,
  • झुंझनु, अजमेर, सिरोही, अलवर तथा पाली व जयपुर के कुछ भाग।
  • जनसंख्या- राज्य की लगभग 10%।

 

  • वर्षा – 50 सेमी से 90 सेमी। अरावली पर्वतमाला राज्य में एक वर्षा विभाजक रेखा का कार्य करती है। राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउंट आबू (लगभग 150 सेमी) इसी में स्थित हसी।
  • जलवायु – उप-आर्द्र जलवायु।
  • मिटटी – काली, भूरी, लाल व कंकरीली मिटटी।
  • अरावली पर्वत श्रृखला गोडवान लैंड का अवशेष है। इसके दक्षिणी भाग में पठार, उत्तरी भाग में मैदान एव: पश्चिमी भाग में मरुस्थल है।
  • अरावली पर्वत श्रेणी राजस्थान को दो भागो में बाटती है, राजनेतिक दृष्टी से राजस्थान के 33 जिलों में से अरावली पर्वत श्रेणी के पश्चिम में 13 जिलें तथा पूर्व में 20 जिलें है।
  • अरावली वलित पर्वत माला है।
  • ‘रेगेस्थान का मार्च’(MARCH TO DESERT) से तात्पर्य है – रेगिस्थान का आगे बढ़ना।
  • अरावली पर्वत श्रृखला की कुल लम्बाई 692 किमी है।

– अरावली खेड़ ब्रह्मा (पालनपुर, गुजरात), गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से होते हुए दिल्ली में रायसिना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) तक विस्तृत है।

  • राजस्थान में अरावली श्रृखला की लम्बाई 550 किमी है।

– राजस्थान में अरावली श्रृखला सिरोही से खेतड़ी (झुंझुनू) के उत्तर पूर्व की ओर फैली हुई है।

  • अरावली की चोडाई उदयपुर और डूंगरपुर की तरफ दक्षिण पूर्व में से बढ़ने लगती है।
  • अरावली पर्वत माला के उत्तरी ओर मध्यवर्ती भाग क्वाटरजाइट चट्टानों से बने है। जबकि दक्षिण में आबू के निकट उच्चे पर्वतीय खण्ड ग्रेनाइट चट्टानों के बने हुए है।
  • राजस्थान में कम वर्षा होने का प्रमुख कारण – अरावली पर्वत श्रृखला का मानसून पवनो के सामानांतर होना।
  • विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत श्रृखला अरावली है।





– अरावली पर्वत श्रंखला धारवाड़ समय के समाप्त होने तक तथा विध्यन काल के प्रारम्भ तक अस्तित्व में आई थी।

  • अरावली पर्वत का सर्वाधिक महत्व – उत्तर-पश्चिम में फैले विशाल थार के मरुस्थल को दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ने से रोकना।
  • अरावली पर्वत माला की ओसत ऊचाई – 930 मी. है।
  • अरावली को अध्यन के आधार पर चार भागो में बांटा जाता है।
  1. आबू पर्वत खण्ड
  2. मेवाड़ पहाड़ियां
  3. मेरवाड़ पहाड़िया
  4. उत्तरी, पूर्वी पहाड़िया या शेखावाटी पहाड़िया
  • अरावली पर्वत श्रंखला की सबसे उची चोटी गुरुशिखर (1722 मी., माउंट आबू, सिरोही) है, जिसे कर्नल जेम्स टॉड ने ‘संतो का शिखर’ कहा है।

– दूसरी सबसे ऊची चोटी – सेर (माउंट आबू, सिरोही- 1597 मी.)

– तीसरी सबसे ऊची चोटी – जरगा (उदयपुर- 1431 मी.)| यह मेवाड़ पहाडियों में स्थित है।

  • उत्तरी अरावली क्षेत्र की सबसे ऊची चोटी – रघुनाथगढ़, सीकर ( 1055 मी.)।

– उत्तरी अरावली क्षेत्र में, जयपुर, अलवर तथा शेखावटी क्षेत्र की पहाड़ियां आती है

– भेराच (अलवर) व वावाई (जयपुर) उत्तरी अरावली की अन्य प्रमुख चोटियाँ है।

  • मध्य अरावली क्षेत्र या मेरवाड़ पहाड़ियों की सबसे ऊची चोटी – नाग पहाड़, अजमेर (773 मी.) जबकि तारागढ़ हो तो 878मी.
  • अरावली पर्वत माला सर्वाधिक व न्यूनतम विस्तार क्रमशः उदयपुर, अजमेर जिलें में है।

दर्रे या नाल

  • मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय श्रेणी में स्थित दर्रे या तंग पहाड़ी मार्ग को नाल कहा जाता है।

– जिलवा की नाल (पगल्या नाल) – यह मारवाड़ से मेवाड़ को जोड़ता है।

– सोमेश्वर की नाल – यह देसुरी (पाली) से उत्तर की ओर स्थित है।

– बर (पाली) दर्रे से होकर मध्यकाल में जोधपुर से आगरा का रास्ता व अब राष्ट्रिय राजमार्ग (NH-14 ब्यावर से काडला) गुजरता है।

– अरावली पर्वत माला में स्थित अन्य दर्रे – दिवेर, कच्च्वाली, सरुपाघाट।

पठार –

  • उड़िया पठार राज्य का सबसे ऊचा पठार है, जो गुरु शिखर से 160मी. निचे स्थित है। अत: उड़िया पठार की उच्चाई 1722 – 160 = 1562 मी. है।
  • आबू का पठार – यह राजस्थान का दूसरा उच्चा पठार है।
  • भोराठ का पठार – उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में गोगुन्दा व कुम्भलगढ़ के मध्य स्थित अरावली पर्वत श्रंखला का क्षेत्र भोराठ का पठार कहलाता है।

– भोरठ पठार के पूर्व में दक्षिणी सिरे का पर्वत स्कंध अरब सागर व बंगाल की खाड़ी के बीच एक जल विभाजक का कार्य करता है।

  • मेसा पठार – इस पर चित्तोडगढ का किला स्थित है।
  • लसाडिया का पठार – उदयपुर में जयसमंद से आगे उत्तर पूर्व की ओर विच्छेदित व कटा-फटा पठार।
  • उपरमाल पठार – चित्तोडगढ के भेंसरोडगढ़ से बिजोलिया तक।
  • भोमट का पठार – मेवाड़ (उदयपुर) के दक्षिण पश्चिम भाग में।
  • अरावली पर्वतीय प्रदेश से सम्बंधित शब्दावलियां –

– भाखर – पूर्वी सिरोही में तीव्र ढाल व उबड़-खाबड़ कटक (पहाड़िया) है जो स्थानीय भाषा में भाखर नाम से जानी जाती है।

– गिरवा – उदयपुर जिले के आस-पास पहाड़ी से गिरा तश्तरीनुमा क्षेत्र ‘गिरवा’ कहलाता है।

– मगरा – उदयपुर का उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय भाग जहा जरगा पर्वत स्थित है, मगरा कहलाता है।

– देशहरो – उदयपुर में जरका और रागा के पहाड़ी के मध्य का क्षेत्र देशहरो कहलाता है।

– पीडमान्ट मैदान – अरावली क्षेणी में देवगढ के समीप स्थित प्रथक निर्जन पहाड़िया जिनके ऊँच भू-भाग टीलेनुमा है पीडमान्ट मैदान कहलाते है।

  • अन्य पहाड़िया –

– सीकर जिले की पहाडियों का स्थानीय नाम मालखेत की पहाड़िया है।

– जैसलमेर का किला त्रिकुट पहाड़ी पर है।

– जोधपुर का किला चिड़िया टुंक की पहाड़ी पर स्थित है।

– मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के ऊँच पठार से अलग करने वाली पर्वत क्षेणी ‘मेरवाडा की पहाड़िया ‘ है, जो टाडगढ़ के समीप अजमेर जिले में स्थित है।

– मध्य अरावली क्षेत्र के अंतर्गत शेखावटी निम्न पहाड़िया एव मेरवाडा पहाड़िया आती है।

– अरावली पर्वतमाला के मध्यवर्ती भाग में सर्वाधिक अन्तराल (GAPS) विध्यमान है।

– घाटी में बसा हुआ नगर – अजमेर।




– भरतपुर क्षेत्र की पहाडियों में सबसे ऊची चोटी अलीपुर है।

– अरावली पर्वत श्रंखला लूनी और बनास नदी प्रणाली द्वारा बीच से विभाजित है।

– आक्रति एव संरचना की दृष्टि से अरावली पर्वत श्रंखला की तुलना USA की अपलेसियन पर्वत श्रंखला से की जाती है।

– अरावली पर्वत श्रंखलाओ की सर्वाधिक ऊची पहाड़िया गोगुन्दा एव कुम्भलगढ के बीच स्थित है।

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