तबस्सुम तेरे प्यार का
गिरती बुँदे तरूओ से छन कर,
मेरे मुख-मण्डल को भिगो रही है,
मधूर उषा की अँगराई,
मेरे रोम-रोम को महका रही है,
मेरा हृदय अठखेली करता वाचाल पलो मे,
तेरे प्यार का तब्बसुम
आरोही-अवरोही कर रहे है,
क्षितीज छोर पर दीप्ती -भाल
मेरे सौदर्य को दमका रहे है,
मै रक्तिम-स्वर्णिम पथ पर बैठी,
महसूस कर रही हूँ तुम्हे,
हृदय गगन पर छाया है ऐसे,
तेरे प्यार का तब्बसुम
मानो मै संगिनी हूँ तेरे जीवन का…।