लोकनीति , विधिक अधिकार एवं नागरिक अधिकार-पत्र
- कर्नवालिस को भारत का जनक कहा जाता है |
- 1800 ई. में वेलेजली ने लोकसेवको को प्रिशक्षण देने के लिए कोलकाता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की |
- 1859 के चार्टर एक्ट में कम्पनी के लोकसेवको के चयन व भर्ती का आधार प्रतियोगिता माना |
- प्रथम खुली प्रतियोगिता लन्दन में आयोजित हुई |
लोक सेवाए तीन प्रकार की होती है –
- अखिल भारतीय सेवाए
- केंद्रीय सेवाए
- राज्य सेवाए
अखिल भारतीय सेवाए :-
- वर्तमान में देश में तीन प्रकार की अखिल भारतीय सेवाए है |
- 1. आई.ए. एस. 2. आई. पी. एस. 3. आई. एफ. एस.
- नई अखिल भारतीय सेवाओ का गठन राज्य सभा द्वारा पारित प्रस्ताव व संसदीय अधिनियम द्वारा किया जाता है | ( अनुच्छेद 312)
- सदस्यों की भर्ती व सेवा शर्तो का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है |
इन सेवाओ का प्रभंदन निम्न मंत्रालयों के द्वारा किया जाता है |
- आई. ए. एस. – कार्मिक मंत्रालय
- आई. पी. एस. – गृह मंत्रालय
- आई. एफ. एस. – पर्यावरण व वन मंत्रालय
संघ लोक सेवा परीक्षा के लिए :-
- योग्यता – 21-28 वर्ष तक आयु , भारतीय नागरिक एस. सी. व एस. टी. के लिए 5 वर्ष व ओ. बी. सी. के लिए 3 वर्ष की छुट |
- प्रयास – सामान्य व्यक्ति – 4, ओ. बी. सी. – 7 एस. सी. व एस. टी. – कितनी ही बार
प्रिशक्षण स्थल – ( सिविल सर्विस से संबंधित )
- लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी – देहरादून
- सरदार वल्लभ भाई पटेल अकादमी – हैदराबाद
- राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी – मंसूरी
- विदेश सेवा संस्थान – नई दिल्ली
- लेखा प्रशिक्षण संस्थान – शिमला
- भारतीय राजस्व सेवा प्रत्यक्ष कर प्रिशिक्षण संस्थान – नागपुर
- रेलवे स्टॉफ कॉलेज – बडोदा
- भारतीय डाक सेवा स्टाक संस्थान – गाजियाबाद
- सचिवालय प्रिशक्षण व प्रबंधन संस्थान – दील्ली
- वन सेवा प्रशिक्षण संस्थान – देहरादून
- उत्पाद व सीमा शुल्क ट्रेनिंग सेंटर – दिल्ली
लोक सेवा आयोग
- 1919 के आधिनियम तथा लेवलिन समिति व 1924 के लॉ कमीशन के आधार पर 1926 में देश में लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई |
- 1935 के भारत शासन अधिनियम के आधार पर इसका नाम संघीय लोक सेवा आयोग किया गया |
- संविधान के अनुच्छेद 315 के अंतर्गत तीन प्रकार के लोक सेवा आयोगों का प्रावधान किया गया |
- संघ के लिए लोक सेवा आयोग
- राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
- दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग
संघ लोक सेवा आयोग
- 1926 में भारत में सर्वप्रथम संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई जिसमे एक अध्यक्ष व चार सदस्यों का प्रावधान किया गया |
- नियुक्तिया – सदस्यों एवम अध्यक्ष की राष्ट्रिपति द्वारा
- शपथ व त्याग पत्र – राष्ट्रिपति
- कार्यकाल – 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु में से जो पहले हो |
- पद से हटाने की प्रक्रिया – इसे राष्ट्रिपति निम्न आधार पर हटा सकता है |
- यदि वह दिवालिया हो |
- यदि उसने अपने कार्यकाल के दौरान कोई अन्य लाभकारी या संवैधानिक पद ग्रहण किया हो |
- यदि वह मानसिक या शारीरिक दुर्बलता के कारण अपने कर्तव्यो का पालन करने के असमर्थ रहा हो |
- नोट :- उच्चतम न्यायालय के द्वारा इसको कदाचार का दोषी पाया गया हो तब ही इसे पद से हटाया जा सकता है|
सेवा निवृती दायित्व
- संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष सेवा निवृती के बाद |
- अन्य सदस्य अध्यक्ष या राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बन शकते है |
- नोट – अनुच्छेद 335 में अनुसूचित जाति या जनजाति के लिए लोक सेवाओ में आरक्षण का प्रावधान है |
- कार्य – सलाहकारी निकाय के रूप में स्वतंत्र व निष्पक्ष कार्य करना |
- संघ सरकार व राज्य सरकारों के प्रशासनिक अधिकारियों की परीक्षा की योजना बनाना |
- राष्ट्रिपति को किसी सन्दर्भ में परामर्श देना जो उससे मागा जाता है |
- अनुच्छेद 318 में संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के संबध में नियम बनाता है |
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष
- सर रोज बार्कर ( प्रथम ) ( 1926-1932 )
- स्वतंत्रता के बाद प्रथम , एच. के. क्रपलानी ( 1949-55 )
- प्रथम महिला – आर. एम. बेथ्यूज ( 1992-96 )
मानवाधिकार आयोग
- 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकारों की घोषणा को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा अपनाया गया |
- प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है |
- मानवाधिकारों से वंचित देशो के नागरिको के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1 जनवरी 1995 से अगले 10 वर्षो तक मानवाधिकार दशक घोषित किया गया है | तथा इन अधिकारो के प्रति जागरूकता लाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किये जाते है |
भारत में मानवाधिकार आयोग
- भारतीय संविधान में नागरिको को जो मौलिक अधिकार प्रदान किये गए है उनके संरक्षण एवम उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 10 अक्तूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई |
- इसके लिए 1993 के संसद के द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया गया |
- इसमें एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य होते है |
- इसका अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिव्रत मुख्य न्यायाधीश होता है | जबकि सदस्यों में विधि व सामाजिक शेत्र में उल्लेखनीय कार्य कने वाले व्यक्ति शामिल है |
- इनकी नियुक्तिया राष्ट्रिपति के द्वारा की जाती है |
- इनके अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष की अवधि या 70 वर्ष की आयु तक या जो पहले होता है |
- सदस्यों का कार्यकाल भी 5 वर्ष का होता है | तथा कोई भी सदस्य एक से अधिक बार नियुक्त किया जा शकता है |
राज्य मानवाधिकार आयोग
- राजस्थान में मार्च,2000 में राजस्थान राज्य मानवधिकार आयोग का गठन किया गया |
- इसमें भी एक अध्यक्ष व सदस्य होते है|
- इसके अध्यक्ष एव सदस्यों की नियुक्तियाँ राज्यपाल द्वारा की जाती है|
- जिसकें लिए राज्यपाल मुख्यमंत्री विधान सभा के अध्यक्ष, ग्रहमंत्री, विधानसभा के विपक्ष के नेता से निर्मित समिति से विचार विमर्श करता है |
- इसके लिए राज्य उच्च न्यायलय में सेवा निवृत न्यायाधीश को प्रमुखता दी जाती है|
परिसीमन आयोग
- 1952 में संसद ने परिसीमन आयोग अधिनियम पारित कर के इसका गठन किया |
- इसके अनुसार प्रत्येक जनगणना के बाद एक परिसीमन आयोग गठन होगा जो की जनसंख्या के अनुपात में लोकसभा की सीटो का परिसीमन करेगा |
- इसका अध्यक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त होते है|
राष्ट्रीय महिला आयोग
- स्थापना – 31 जनवरी 1992
- एक अध्यक्ष + एक सचिव + 5 सदस्य
- मुख्यालय – दिल्ली
- नियुक्तिया – राष्ट्रपति द्वारा
- कार्य – महिलाओं पर अत्याचारों को रोकना |
विधि आयोग
- 1995 में स्थापित किया गया |
- विधि सम्बन्धी मामलो में सरकार को सलाह देना |
- नियुक्ति – राष्ट्रपति द्वारा
- कार्यकाल – 3 वर्ष
- इनकी सलाह मानना सरकार के लिए बाध्यकारी नही है |
केन्द्रीय सतकर्ता आयोग
- 1994 में सन्थानम समिति की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्रीय सरकार द्वारा गठन किया गया |
- एक मुख्य आयुक्त व दो अन्य आयुक्त होते है|
- कार्यकाल 4 वर्ष या 65 वर्ष की आयु |
- वेतन व भत्ते लोक सेवा आयोग के सदस्य के समान होते है|
- मुख्यालय – नई दिल्ली
- भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करता है |
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग
- 65 वे संशोधन अधिनियम 1990 के द्वारा अनुछेद 338 का संशोधन करके इसका गठन किया गया |
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की जाती है |
- आयोग में 7 सदस्य होते है|
- एक अध्यक्ष + 1 उपाध्यक्ष + 5 सदस्य
- कार्य – इनकें कल्याण के लिए सुझाव देना |
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