श्रेणी और समांतर प्रतिरोध का संयोजन
प्रतिरोधों का संयोजन
प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम संयोजन के गणितीय व्यंजक को व्युत्पन्न करना :- माना कि R1, R2 और R3 प्रतिरोध हैं जो श्रेणीक्रम में जुडे़ हैं। I परिपथ में बहने वाली धारा है, जो प्रत्येक प्रतिरोध से गुजरती है और V1, V2 तथा V3 क्रमश: R1, R2 तथा R3, पर विभवान्तर है। तब, ओम के नियम से
V1 = IR1, V2 = IR2 तथा V3 = IR3 …(ii)
यदि, V प्रतिरोधों के संयोजन पर कुल विभवान्तर है तब,
V = V1 + V2 + V3 …(iii)
यदि, R परिपथ का तुल्य प्रतिरोध है तब V = IR …(iv)
समीकरणों (i) से (iv) तक का प्रयोग करके हम लिख सकते हैं कि,
IR = V = V1 + V2 + V3
= IR1 + IR2 + IR3
या, IR = I (R1 + R2 + R3)
या, R = R1 + R2 + R3
इस प्रकार, जब प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़े जाते हैं तो तुल्य प्रतिरोध उनके अलग-अलग प्रतिरोध से अधिक होता है।
श्रेणीक्रम संयोजन के बारे में कुछ परिणाम :-
(i) जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोडे़ जाते है, तो संयोजन का कुल प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के अलग-अलग मान के जोड़ के बराबर हैं।
(ii) जब दो या अधिक प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुडे़ है, तो प्रत्येक प्रतिरोध में समान धारा बहती है।
(iii) जब कर्इ प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुडे़ होते हैं। संयोजन पर विभव (i.e. परिपथ में बैटरी की वोल्टता) प्रत्येक अलग-अलग प्रतिरोध पर विभवपतन (विभवान्तर) के जोडे़ के बराबर होता है।
प्रतिरोधों का संयोजन
श्रेणी क्रम संयोजन
जब दो या अधिक प्रतिरोध सिरे से सिरे पर इस प्रकार से जुडे़ हो कि उनमें से प्रत्येक मंध समान धारा बहे, श्रेणी में जुडे़ हुए कहे जाते है।
जब प्रतिरोध का श्रेणी क्रम संयोजन एक बैटरी से जोड़ा जाता है, तो समान धारा (I) उनमें से प्रत्येक में बहती है।
प्रतिरोधों के श्रेणी क्रम संयोजन का नियम :- प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम संयोजन का नियम कहता है कि जब बहुत सारे प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़े जाते है। उनका तुल्य प्रतिरोध उनके अलग-अलग प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है। इस प्रकार यदि R1, R2, R3 …, इत्यादि श्रेणी में संयोजित किये जाते है, तब तुल्य प्रतिरोध (R) दिया जाता है,
R = R1 + R2 + R3 + … ….(i)
Combination of range and parallel resistance
● समांतर क्रम संयोजन (Parallel Connection)
● मिश्रित संयोजन (Mixed Connection)