हमारा प्यारा भारतवर्ष पर निबंध
भूमिका : भारत सिर्फ एक शब्द नहीं है यह हर भारतीय के दिल की आवाज है। भारत एक देश है जहाँ पर हम सभी इसकी छत्रछाया में रहते हैं। राष्ट्र ही मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति होती है। भारत को हर भारतीय अपनी माँ मानता है। जिस भूमि के अन्न-जल से मनुष्य का शरीर बनता है, विकसित होता है, राष्ट्र के लिए उसका अनायास प्रेम और राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और लगाव उत्पन्न हो जाता है।
सभी प्राणी अपनी जन्मभूमि से प्यार करते हैं और जिससे प्यार किया जाता है उसकी हर चीज में सौंदर्य दिखाई देता है। उसकी हर वस्तु प्रिय लगने लगती है। हमें भी अपने भारत से बहुत प्यार है और यहाँ की हर चीज में सुंदरता दिखाई देती है। हमारा भारत इतना पवित्र और गरिमामय है कि भगवान भी यहाँ पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं।
हमारी जन्म भूमि भारत स्वर्ग से भी बढकर है। यहाँ पर बहुत से ऐसे स्थल है जो भारत के सबसे अधिक सुंदर स्थलों में गिने जाते हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत ने सातवाँ स्थान प्राप्त किया है और जनसंख्या में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। हमारा भारत दुनिया के विकासशील देशों में से एक है। हमारा भारत बहुत ही तेज गति से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है।
देश का नामकरण : देश का नाम भारत या भारत वर्ष है। हमारे देश भारत का नाम सूर्यवंशी राजा भरत के नाम पर पड़ा था। प्राचीनकाल में भारत का नाम आर्यावर्त और जगतगुरु था। कुछ विद्वानों का मानना है कि दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर ही देश का नाम भारत पड़ा था। भारत को हिंदुस्तान भी कहा जाता है। अंग्रेजी में भारत को इंडिया कहा जाता है।
पहले इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। मेरा भारत सब देशों में शिरोमणि है। हमारा भारत उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में असम तक भारत फैला हुआ है। ये सब भारत को प्रभावशाली बनाते हैं। भारत की देह को प्रकृति ने एक दैवी का नाम दिया है। बर्फ से ढका हुआ हिमालय हमारे भारत के सिर पर मुकुट के बराबर है।
दक्षिण दिशा में इसके कदम हैं जिन्हें हिन्द महासागर हमेशा धोता रहता है। इसकी बाहें दूर-दूर तक फैली हुई हैं। भारत वह देश है जहाँ पर सिंधु घाटी की नगरीय सभ्यता का विकास हुआ था। भारत वह भूमि है जहाँ पर हिंदू संस्कृति फली-फूली और वेदों की रचनाएँ की गयीं हैं। इसी भूमि पर धर्म ने अपनी उंचाईयों को छुआ था।
देश का प्राचीन इतिहास : हमारा भारत बहुत प्राचीन देश है। हमारे भारत का इतिहास स्वर्णिम रहा है। ऐसा भी एक समय था जब इसे सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। भारत देश धन और सौंदर्य से वषिभुत हुआ करता था। भारत ने ही ज्ञान की किरण पूरे संसार में फैलाई थी। ज्ञान के क्षेत्र में पूरा विश्व भारत का ऋणी है। इसी पर तो विज्ञान का ढांचा टिका हुआ है।
ज्ञान का भंडार होने की वजह से ही भारत को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। भारत पर मुगलों और अंग्रेजों ने अपना राज्य स्थापित किया था और इसे लूटा था। हमारे देश ने हजारों वर्षों तक गुलामी की थी। भारत में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया था जिन्होंने देश को सत्य और अहिंसा से परिचित कराया था। लेकिन हमारे वीर योद्धा और क्रांतिकारियों ने मिलकर भारत को 15 अगस्त, 1947 को आजाद करा लिया था जिसकी वजह से आज के समय में हमारा देश उन्नत और शक्तिशाली बनता जा रहा है।
भारत ने कई आक्रमणों को झेला लेकिन भारत रहा है और आगे भी रहेगा। भारत की कहानी भावनाओं से ओत-प्रोत है। इस भारत ने केवल कृष्ण को ही जन्म नहीं दिया था बल्कि इसने ऐसे अनेक महापुरुषों को जन्म दिया था जो हमेशा के लिए अमर हो गये हैं। दक्षिण भारत का एक भाग पठारी है। संकीर्ण जातिगत भावनाएँ मिटा दी गई और जनता का शासन शुरू हो गया। लोकतंत्र से भारत को बहुत लाभ हुआ था।
भारत विविधताओं का देश : हमारा भारत विविधताओं का देश है। भारत में विभिन्नता में एकता दिखाई देती है। भारत में अनेक राज्य हैं और हर राज्यों से अलग-अलग संस्कृतियाँ जुडी हुई हैं। हमारे देश में पहाड़ियाँ हैं तो समुद्र भी हैं, हरियाली है तो रेगिस्तान भी हैं। हमारे भारत में गर्मी, सर्दी, बसंत, पतझड़ सभी ऋतुएं आती हैं।
यहाँ पर हर धर्म के लोग मिलजुलकर रहते हैं। हमारे भारत में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर भी बने हुए हैं। हमारे भारत में अनेक भाषाएँ बोलने वाले लोग रहते हैं। यहाँ पर खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा,धर्म और विचारों में विविधता है। हमारे भारत के लोग एक परिवार की तरह रहते हैं और ‘वसुधैव कटुम्बकम्’ की भावना में विश्वास रखते हैं।
भारत की यह विविधता ही हमारे देश की शान और उन्नति का कारण है। भारत में तरह-तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं। यहं पर सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार प्राप्त हैं। सभी धर्मों को समान नजरों से देखा जाता है। यहाँ पर धर्मों के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। हमारा भारत अन्न, फल, सब्जी, दालों से किसान ही देश के वासियों को पालता है।
इसे देश के किसानों की पूजा कर्म होता है। रत्न और हीरों की खाने, कोयले के भंडार, लोहा और युरेनियम धातुओं की गुफा हमारे भारत की मिटटी के नीचे छिपी हुई हैं। हमारे भारत देश से ही बहुत से देश कपड़ा, कल-पुर्जों का निर्यात करते हैं। हमारा भारत एशिया महाद्वीप में तीन ओर से पानी से घिरा हुआ है। भारत विश्व की बहुत बड़ी आर्थिक शक्ति बन गई है।
आज भारत की विकास दर तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश की सेनाएँ देश की रक्षा करने में संगलन है। स्वतंत्रता मिलने के बाद हिंदी को देश की राष्ट्र भाषा बनाया गया है। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था और हमारा देश गणतंत्र हुआ था।
प्राकृतिक सौंदर्य : भारत का सौंदर्य ऐसा है जो सबको अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ पर कश्मीर का नजारा स्वर्ग की तरह का होता है और केरल की हरियाली मन को आनंद देती है और मन मोह लेती है। यहाँ पर सही ऋतुएँ समय पर आती हैं और धरती को अपनी अनूठी छटाओं से सजाती हैं।
भारत का स्वरूप जितना विशाल और भव्य है उसका मन उतना ही उन्नत और उदार है। भारत में कश्मीर स्वर्ग की तरह सुंदर लगता है। भारत में ऐसे दृश्यनीय स्थल हैं जिससे प्रकृति की सुंदरता में चार-चाँद लग जाते हैं। उनकी सुंदरता से प्रकृति बहुत ही सुंदर लगती है। भारत के राष्ट्रीय पक्षी और पशु भारत को बहुत ही सुंदर बनाते हैं। जब पक्षियों की आवाजें सुबह-सुबह सुनाई देती हैं तो ऐसा लगता है जैसे प्रकृति गा रही हो।
मिट्टी से बहुत ही अच्छी सुगंध आती है जो मन को मोह लेती है। हमारे देश की जन और देश की संस्कृति बहुत ही अनोखी है। भारत के अनेक प्रकार के फूलों से प्रकृति सुगंधित हो उठती है। भारत की जलवायु उष्ण है इसी वजह से प्रकृति में नमी छाई रहती है। प्राचीन समय में सब कुछ संतुलित था और लोग खुश थे। कृषि के क्षेत्र में प्रगति हो रही है।
उपसंहार : आज के समय में भारत हर क्षेत्र में आत्म-निर्भर हो गया है। देश के उद्योग धंधों में जाल सा बिछा हुआ है और भारत को विश्व में विकासशील देश में अग्रणी स्थान प्राप्त हैं। लेकिन दुर्भाग्य से हर क्षेत्र में संपन्नता होने के बाद भी भारत का वर्तमान बहुत निराशा से भरा हुआ है। आज के समय में भारत में धर्म, जाति के नाम पर झगड़े होते रहते हैं।
भ्रष्टाचार ने अपने चारों तरफ पाँव फैला लिए हैं। आज महंगाई आसमान को छू रही है। इस तरह मेरा भारत अनेक तरह की परेशानियों से घिरा हुआ है। भारत के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इन परेशानियों को दूर करने में अपना योगदान दें। इससे देश अपना गौरव फिर से प्राप्त कर सकेगा।
भारत में जनसंख्या की समस्या बढती ही जा रही है इसमें मनुष्य को भारत को अपना योगदान देना चाहिए। कुछ लोग भारत के संविधान का गलत फायदा उठा रहे हैं। वे लोग भारत की पुरानी मान्यताओं और संस्कृति पर वार करते जा रहे हैं। लोगों को इन समस्याओं को समझाना होगा। लोगों को देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
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