उपसर्ग

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उपसर्ग

वे शब्दाशं जो किसी शब्द से पहले जुड़कर शब्दों का अर्थ बदल देते हैं उन्हें उपसर्ग कहते हैं।

उदाहरण

‘हार’ शब्द से पूर्व कौनसा उपसर्ग जोड़ने पर अर्थ ‘द्वारपाल’ बन जायेगा ?

1. प्ररि 2. द्वा 3. प्रति 4. दु

उत्तर =  प्रति

हार में प्रति जोड़ने पर अर्थ देता है- प्रति + हार जिसका अर्थ है द्वारपाल।



इसी प्रकार

प्र + हार – प्रहार(चोट)

प्रति + हार – सेवक/द्वारपाल

प्रति + हार – उपाय

आ + हार – भोजन

वि + हार – भ्रमण

नि + हार – देखना

हिन्दी में तीन प्रकार के उपसर्ग पाये जाते हैं –

1. संस्कृत के उपसर्ग(तत्सम)(44)

  1. संस्कृत के मुल उपसर्ग(22)
  2. संस्कृत के मानक उपसर्ग(22)

2. हिन्दी के उपसर्ग(तद्भव)(22)

3. अरबी, फारसी, अंग्रजी के उपसर्ग(विदेशी)(22)

इनके अलावा प्रत्येक शब्दांश जो एक से अधिक शब्दों से पहले आकर उनका अर्थ बदल देते है उपसर्ग कहलाते हैं।

जैसे यथा- यथाशक्ति।

नोट

वे उससर्ग परिक्षा हेतु महत्तवपुर्ण माने जाते हैं। जिनका किसी संन्धि नियम के कारण रूप बदल जाता है।

जैसे

प्रति + अपर्ण – प्रत्यर्पण

दुर् + आ + चार – दुराचार

प्रति + अर्पण – प्रत्यर्पण

1. संस्कृत के उपसर्ग(तत्सम)(44)

संस्कृत के मुल उपसर्ग(22)




उपसर्गअर्थउपसर्गयुक्त शब्द
1. अतिअधिक/परेअतिशय, अतिक्रमण, अतिवृष्टि, अतिशीघ्र अत्यन्त, अत्यधिक, अत्याचार, अतीन्द्रिय अत्युक्ति, अत्युत्तम, अत्यावश्यक, अतीव
2. अधिप्रधान/श्रेष्ठअधिनियम, अधिनायक, अधिकृत, अधिकरण, अध्यक्ष, अध्ययन, अधीक्षक, अध्यात्म, अध्यापक
3. अनुपीछे/समानअनुचर, अनुज, अनुकरण, अनुकूल, ,अनुशासन,अनुनाद, अनुभव, अनुशंसा, अन्वय,अनुच्छेद, अनूदित, अन्वीक्षण, अन्वेषण
4. अपबुरा/विपरीतअपयश, अपशब्द,अपकार, अपकीर्ति, अपराध, अपव्यय, अपशकुन, अपेक्षा, अपमान, अपहरण, अपकर्ष
5. अभिपास/सामनेअभिवादन, अभिमान,अभिनव, अभिनय, अभिभाषण, अभियोग, , अभ्यर्थी, अभिषेक,अभ्यन्तर, अभीष्ट, अभिभूत, अभिभावक, अभ्युदय, अभीप्सा, अभ्यास
6. अवबुरा/हीनअवगुण, अवनति, अवगति, अवशेष, अवतरण अवतार, अवसर, अवधारण, अवज्ञा, अवकाश, अवलोकन
7. आतक/सेआयात, आतप,आजन्म, आहार,आगम, आमोद आशंका,आकर्षण, आबालवृद्ध, आघात, आरक्षण, आमरण, आगमन, आजीवन, आगार
8. उत्ऊपर/श्रेष्ठउत्पत्ति, उत्कंठा, उत्पीड़न, उत्कृष्ट, उद्धार, उच्छ्वास, उदय,उन्नत, उल्लेख, उच्छृंखल, उद्गम, उज्ज्वल, उच्चारण
9. उपपास/सहायकउपभोग, उपवन, उपमन्त्री, उपयोग, उपनाम, उपचार, उपहार, उपसर्ग, उपभोग, उपभेद, उपयुक्त, उपेक्षा, उपाधि, उपाध्यक्ष
10. दुर्कठिन/बुरा/विपरीतदुर्दशा, दुराशा, दुराग्रह, दुरभिसंधि, दुर्गुण, दुराचार, दुरवस्था, दुरुपयोग, दुर्घटना, दुर्भावना, दुरुह
11. दुस्बुरा/विपरीत/कठिनदुश्चिन्त, दुश्शासन, दुष्कर, दुष्कर्म, दुस्साहस, दुस्साध्य,
12. निबिना/विशेषनिडर, निगम, निवास,निदेशक, निकर, न्यून, न्याय, न्यास,निषेध, निबन्ध, निवारण, निषिद्ध
13. निर्बिना/बाहरनिराकार, निरादर, निरहंकार, निराहार, निरक्षर,निरामिष, निर्जर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, निरवलम्ब, नीरोग, नीरस, निरीह, निरीक्षण
14. निस्बिना/बाहरनिश्चय, निश्छल, निष्काम, निष्कर्म, निष्पाप, निष्फल, निस्तेज, निस्सन्देह
15. प्रआगे/अधिकप्रदान, प्रबल, प्रयोग, प्रचार, प्रसार, प्रहार, प्रयत्न, प्रभंजन, प्रपौत्र, प्रारम्भ, प्रोज्ज्वल, प्रेत, प्राचार्य, प्रायोजक, प्रार्थी
16. पराविपरीत/पीछे/अधिकपराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, परावर्तन, पराविद्या, पराकाष्ठा
17. परिचारों ओरपरिक्रमा, परिवार, परिपूर्ण, परिमार्जन, परिहार, परिक्रमण, परिभ्रमण, परिधान, परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा, पर्याप्त, पर्यटन, परिणाम, परिमाण, पर्यावरण, परिच्छेद, पर्यन्त
18. प्रतिप्रत्येक/विपरीतप्रतिदिन, प्रत्येक, प्रतिकूल, प्रतिहिंसा, प्रतिरूप, प्रतिध्वनि, प्रतिनिधि, प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर, प्रत्याशा, प्रतीति
19. विविशेषविजय, विहार, विख्यात, व्याधि, व्यसन, व्यवहार, व्यर्थ, व्यायाम, व्यंजन, व्यूह, विज्ञान, विदेश,विपक्ष
20. सुअच्छा/सरलसुगन्ध, , सुयश, सुमन,सुलभ, सुबोध, सुशील, स्वागत, स्वल्प
21. सम्अच्छी तरह/पूर्ण शुद्धसन्तोष, संगठन,संलग्न, संकल्प, संशय, संरक्षा, संचार
22. अन्नहीं/बुराअनन्त, अनाहूत, अनुपयोगी, अनुपयुक्त, अनागत, अनिष्ट, अनुपम



संस्कृत के मानक उपसर्ग(22)

उपसर्गउपसर्गयुक्त शब्द
1. अन्तर्अन्तर्गत, अन्तरात्मा, अन्तर्धान, अन्तर्दशा, अन्तर्राष्ट्रीय, अन्तरिक्ष, अन्तर्देशीय
2. पुनर्पुनर्जन्म, पुनरागमन, पुनरुदय, पुनर्विवाह पुनर्मूल्यांकन, पुनर्जागरण
3. प्रादुरप्रादुर्भाव, प्रादुर्भूत
4. पूर्वपूर्वज, पूर्वाग्रह, पूर्वार्द्ध, पूर्वाह्न, पूर्वानुमान
5. प्राक्प्राक्कथन, प्राक्कलन, प्रागैतिहासिक, प्राग्देवता, प्राङ्मुख, प्राक्कर्म
6. पुरस्पुरस्कार, पुरश्चरण, पुरस्कृत
7. बहिर्बहिरागत, बहिर्जात, बहिर्भाव, बहिरंग, बहिर्गमन
8. बहिस्बहिष्कार, बहिष्कृत
9. आत्मआत्मकथा, आत्मघात, आत्मबल, आत्मचरित, आत्मज्ञान
10. सहसहपाठी, सहकर्मी, सहोदर, सहयोगी सहानुभूति, सहचर
11. स्वस्वतन्त्र, स्वदेश, स्वराज्य, स्वाधीन, स्वरचित, स्वनिर्मित, स्वार्थ
12. पुरापुरातन, पुरातत्त्व, पुरापथ, पुराण, पुरावशेष
13. स्वयंस्वयंभू, स्वयंवर, स्वयंसेवक, स्वयंपाणि, स्वयंसिद्ध
14. आविस्आविष्कार, आविष्कृत
15. आविर्आविर्भाव, आविर्भूत
16. प्रातर्प्रातः काल, प्रातः वन्दना, प्रातः स्मरणीय
17. इतिइतिश्री, इतिहास, इत्यादि, इतिवृत्त
18. अलम्अलंकरण, अलंकृत, अलंकार
19. तिरस्तिरस्कार, तिरस्कृत
20. तत्तल्लीन, तन्मय, तद्धित, तदनन्तर, तत्काल, तत्सम, तद्भव, तद्रूप
21. अमाअमावस्या, अमात्य
22. सत्सत्कर्म, सत्कार, सद्गति, सज्जन, सच्चरित्र, सद्धर्म, सदाचार




2. हिन्दी के उपसर्ग(तद्भव)(22)

उपसर्गउपसर्गयुक्त शब्द
1. अन (नहीं)अनबन,अनपढ़, अनजान, अनहोनी, अनमोल, अनचाहा
2. अध(आधा)अधपका, अधमरा, अधजला, अधखिला, अधनंगा, अधगला
3. उउचक्का, उजड़ना, उछलना, उखाड़ना, उतावला
4. उन(एक कम)उनचालीस, उन्नीस, उनतीस, उनसठ, उन्नासी
5. औ(अब)औगुन, औगढ़, औसर, औघट, औतार
6. कु(बुरा)कुपुत्र, कुरूप, कुख्यात, कुचक्र, कुरीति
7. चै(चार)चैराहा, चैमासा, चैपाया, चैरंगा, चैकन्ना, चैमुखा, चैपाल
8. पच(पाँच)पचरंगा, पचमेल, पचकूटा, पचमढ़ी
9. पर(दूसरा)परहित, परदेसी, परजीवी, परकोटा, परदादा, परलोक, परकाज, परोपकार
10. भर(पूरा)भरपेट, भरपूर, भरकम, भरसक, भरमार, भरपाई
11. बिन(बिना)बिनखाया, बिनब्याहा बिनबोया, बिन माँगा, बिन बुलाया, बिनजाया
12. ति(तीन)तिरंगा, तिराहा, तिपाई, तिकोन, तिमाही
13. दु(दो/बुरा)दुपहरी, दुगुना, दुलत्ती, दुनाली, दुरंगा, दुराहा, दुकाल, दुबला
14. का(बुरा)कायर, कापुरुष, काजल
15. स(सहित)सपूत, सफल, सबल, सगुण, सजीव, सावधान, सकर्मक
16. चिर(सदैव)चिरयौवन, चिरपरिचित,चिरकाल, चिरायु, चिरस्थायी, चिरप्रतीक्षित
17. न(नहीं)नकुल, नास्तिक, नग, नपुंसक, नगण्य, नेति
18. बहु(ज्यादा)बहुमूल्य, बहुवचन, बहुमत, बहुभुज, बहुविवाह, बहुसंख्यक, बहूपयोगी
19. आप(स्वयं)आपकाज, आपबीती, आपकही, आपसुनी
20. नाना(विविध)नानाजाति, नानाविकार, नानाप्रकार, नानारूप
21. क(बुरा)कलंक, कपूत, कठोर
22. सम(समान)समकोण, समकक्ष, समतल, समदर्शी, समकालीन, समचतुर्भुज, समग्र




3. अरबी, फारसी, अंग्रजी के उपसर्ग(विदेशी)(22)

उपसर्गउपसर्गयुक्त शब्द
1. बे (रहित)बेघर, बेवफा, बेदर्द, बेसमझ, बेवजह, बेहया, बेहिसाब
2. दर (में)दरअसल, दरबार, दरखास्त, दरहकीकत, दरम्यान
3. बा (सहित)बाइज्जत, बामुलायजा, बाअदब, बाकायदा
4. कम(अल्प)कमअक्ल, कमउम्र, कमजोर, कम समझ, कमबख्त
5. ला (परे/बिना)लाइलाज, लावारिस, लापरवाह, लापता, लाजवाब
6. ना(नहीं)नापसन्द, नाकाम, नाबालिग, नाजायज, नालायक, नाराज, नादान
7. हर(प्रत्येक)हरदम, हरवक्त, हररोज, हरहाल हर मुकाम, हर घड़ी
8. खुश (श्रेष्ठ)खुशनुमा, खुशहाल, खुशबू, खुशखबरी खुशमिजाज
9. बद (बुरा)बदबू, बदचलन, बदमाश, बदमिजाज, बदनाम, बदकिस्मत
10. सर (मुख्य/प्रधान)सरपंच, सरदार, सरताज, सरकार
11. ब (सहित)बखूबी, बतौर, बशर्त, बदौलत
12. बिला (बिना)बिलाकसूर, बिलावजह, बिलाकानून
13. बेश (अत्यधिक)बेश कीमती, बेश कीमत
14. नेक|(भला)नेकराह, नेकनाम, नेकदिल, नेकनीयत
15.ऐन( ठीक)ऐनवक्त, ऐनजगह, ऐन मौके
16. हम(साथ)हमराज, हमदम, हमवतन, हमसफर, हमदर्द
17. अल (निश्चित)अलगरज, अलविदा, अलबत्ता, अलबेता
18. गैर (रहित भिन्न)गैर हाजिर, गैरमर्द, गैर वाजिब
19. हैड (प्रमुख)हैडमास्टर, हैड आॅफिस, हैडबाॅय
20. हाफ (आधा)हाफकमीज, हाफटिकट, हाफपेन्ट, हाफशर्ट
21. सब (उप)सब रजिस्ट्रार, सबकमेटी, सब इन्स्पेक्टर
22. को (सहित)को-आपरेटिव, को-आपरेशन, को-एजूकेशन




दिर्घ संधि में परिवर्ति होने वाले उपसर्ग

वि – वीक्षक, वीक्षण, वीप्सा।

परि – परीक्षक, परीक्षण, परीक्षा।

अधि – अधीक्षक, अधीक्षण, अधीन।

अभि – अभीष्ट, अभिप्सा, अभीप्सित।

अति – अतीव, अतीन्द्रिय

प्रति – प्रतिक्षा

सु – सूक्त, सूक्ति।

अनु – अनूदित।

यण् संधि में उपसर्ग

इ + अन्य स्वर तो इ को धारण करने वाला स्वर आधा हो जाता है तथा

इ + अ – य

इ + आ – या

इ + उ – यु

इ + ऊ – यू

इ + ए – ये

वि – व्यस्त, व्याप्त, व्यापक, व्यूह।

परि – पर्याप्त, पर्यन्त, पर्यंक।

अधि – अध्यादेश, अध्यक्ष,अध्यूढ़ा, अध्यापक।

अभि – अभ्यागत, अभ्यन्तर, अभ्युक्त।

अति – अत्यल्प, अत्युत्तम, अत्याचार, अत्यन्त।

प्रति -प्रत्यक्ष, प्रत्येक, प्रत्यावर्तन।

नि -न्यास, न्यस्त, न्यून, न्याय

उ + अन्य स्वर तो उ को धारण करने वाला व्यंजन आधा हो जाता है तथा

उ + अ – व

उ + आ – वा

उ + इ – वि

उ + ई – वी

उ + ए – वे

सु – स्वल्प, स्वस्ति, स्वागतम्

अनु – अन्वय, अन्वेषण, अन्विति, अन्वीक्षा, अन्वीक्षक, अन्वेषी, अन्वित, अन्वेषक।

उदाहरण

इनमें से ‘अनु’ उपसर्ग किसमें नहीं है।

1. अनुपयोगी 2. अनुकरण 3. अन्वेषण 4. अनुगमन

उत्तर =अनुपयोगी

अन् + उपयोगी



विसर्ग संधि में उपसर्ग

विसर्ग संधि में विच्छेद करने पर र् तथा स् का विसर्ग(:) ही बनेगा। किन्तु किसी भी शब्दांश को जिसके अन्त में विर्सग हो उपसर्ग न माने।

विसर्ग संधि वाले उसर्गों के अन्त में मुख्यतः र् तथा स् ही होगा।

उदाहरण

दुःख में उपसर्ग है।

1. दु 2. दुर् 3. दुः 4. दुस्

उत्तर = दुस्

अघोषघोष
प्रथमद्वितियतिृतियचतुर्थपंचमस्वर
ड़अ आ
इ ई
उ ऊ
द्ध्न्
प्भ्म्ए ऐ
श ष सय र ल व हओ औ




निः/दुः + घोष – तो उपसर्ग(निर्, दुर्, बहिर्, आविर्)

बहिः/आवि + अघोष – तो उपसर्ग(निस्, दुस्, बहिस्, आविस्)

उपसर्ग जिन पर घोष अघोष नियम लागु नहीं होते।

उन्तर्, पुनर्, प्रातर्, तिरस्, पुरस्।

नोट :-  विकल्पों में यदि ये पांचों ज्यों के त्यों न आये तो अन्तः, पुनः, प्रातः, तिरः, पुरः इन्हें उपसर्ग मान सकते हैं।



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