मुहावरे व लोकोत्तिया
- मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना
- जमीन पर पैर न रखना – अहंकार होना
- काजल की कोठरी होना- कलंक लगने का स्थान
- गूंगे का गुड़ होना- अनुभव को व्यव्क्त न कर पाना
- बालू से तेल निकालना – असंभव को सम्भव कर दिखाना
- उतर गई लोई क्या करेगा कोई – इज्जत जाने पर गम कैसा
- रंग सियार- कपटी / धोखेबाज
- मिटटी का माथो- मुर्ख/बुद्धू
- सब धान बाईस पसेरी- एक सामान समझकर व्यवहार करना
- पौ बारह होना- खूब लाभ होना
- गूलर का पेट फूलना – औकात से ज्यादा बात करना
- मिटटी पलित करना- दुर्दशा करना
- सूत न कपास जुलाहे में लट्ठम लट्ठा- अकारण झगड़ा
- नंगे बड़े परमेश्वर से – निर्लज से सब डरते हैं
- उलटे बॉस बरेली को- विपरीत काम
- चिकना घड़ा- निर्लज होना
- हसुए के ब्याह में खुरपे का गीत- असंगत बातें करना
- तबेली की बला बंदर के सिर- किसी का अपराध दुसरे के सिर
- अरहर की टट्टी गुजरती ताला- अनमेल साधन जुटाना
- अंगद का पैर होना- अतीव दृढ़ होना
- अंगूठा चूमना- चापलूसी करना
- कड़ी सा उबाल- मामूली जोश
- औघर की झोली – कई करामती वस्तुओ का संग्रह
- खून सफेद होना- दया मोह न रहना
- खेत रहना – युद्ध में मारा जाना
- गड़े मुर्दे उखाड़ना- पुरानी बातो पर प्रकाश डालना
- आंख के अंधे का नाम नयन सुख- गुणों के विरुद्ध नाम होना
- सब्जबाग दिखाना- प्रलोभन देना
- ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती – बड़े काम के लिए बड़ा प्रयत्न करना पड़ता है .
- थोथा चना बाजे घना – जिसको कम ज्ञान होता है वो दिखावा करने के लिए अधिक बोलता है
- मूर्ख के आगे रोए अपने नैन खोए. – मूर्ख के आगे रोए अपने नैन खोए.
- दान की बछिया के दांत नहीं देखे जाते.- दान में मिली चीजों में कमी नहीं निकालनी चाहिए .
अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमे फेसबुक (Facebook) पर ज्वाइन करे Click Now