मिश्रणों को अलग करना (Separation of Mixtures)

क्रिस्टलन (Crystallisation)

क्रिस्टलन विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोसों में उपस्थित घटकों का पृथक्करण एवं शुद्धीकरण किया जाता है। इसमें उपस्थित अशुद्ध ठोस या मिश्रण को उचित विलायक के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गर्म अवस्था में ही इस विलयन को फनल (Funnel) द्वारा छाना जाता है। छानने के पश्चात् विलयन को ठंडा किया जाता है। ठंडा होने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टल के रूप में विलयन से पृथक् हो जाता है और इसमें उपस्थित अशुद्धियां मातृ द्रव में घुली रह जाती हैं। इन क्रिस्टलों को छानकर अलग कर सुखा लिया जाता है।

को अलग करना - मिश्रणों को अलग करना (Separation of Mixtures)
मिश्रणों को अलग करना

आसवन

आसवन विधि द्वारा मुख्यतः द्रवों के मिश्रण को पृथक् किया जाता है। जब दो द्रवों के क्वथनांकों में अंतर अधिक होता है, तो उनके मिश्रण को इस विधि से पृथक किया जाता है।

आसवन विधि में द्रव को वाष्प में परिवर्तित कर किसी दूसरे स्थान में भेजा जाता है, जहां उसे ठंडा कर पुनः द्रव अवस्था में परिवर्तित कर लिया जाता है। आसवन विधि में पहला प्रक्रम वाष्पन तथा दूसरा प्रक्रम संघनन कहलाता है

उर्ध्वपातन 

सामान्य ठोस पदार्थों को गर्म करने पर वे द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं और उसके पश्चात् गैसीय अवस्था में, लेकिन कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते हैं। जिन्हें गर्म किये जाने पर वे द्रव अवस्था में आने के बदले सीधे वाष्प में परिणत हो जाते हैं। वाष्प को ठंडा किये जाने पर यह पुनः ठोस अवस्था में हो जाते है। ऐसे पदार्थों को उर्ध्वपातूज (Sublimate) कहा जाता है। इस प्रकार की क्रिया ‘उर्ध्वपातन‘ कहलाती है।

इस विधि के द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण में से उसको पृथक् करते हैं, जिसमें एक ठोस उर्ध्वपात्ज होता है, दूसरा नहीं। ऐसे ठोसों के मिश्रण को गर्म करने पर उर्ध्वपात्ज ठोस सीधे वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो । जाता है। इस वाष्प को अलग ठंडा कर लिया जाता है। इस प्रकार दोनों ठोस पृथक् हो जाते है। इस विधि के द्वारा कपूर, नेफ्थलीन, अमोनियम क्लोराइड, एन्थ्रासीन, बेन्जोइक अम्ल, आदि पदार्थ शुद्ध किये जाते हैं

प्रभाजी आसवन 

प्रभाजी आसवन विधि के द्वारा उन मिश्रित द्रवों का पृथक्करण किया जाता है, जिनके क्वथनांकों में बहुत कम का अंतर होता है। दूसरे शब्दों में द्रवों के क्वथनांक एक-दूसरे के समीप होते हैं।

भूगर्भ से निकाले गये खनिज तेल से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, आदि इसी विधि द्वारा पृथक किये जाते हैं। जलीय वायु (Liquid air) से विभिन्न गैसें भी इसी विधि द्वारा पृथक् किये जाते है।

वर्णलेखन (Chromatography)

वर्णलेखन विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के भिन्न घटकों की अधिशोषण क्षमता भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अधिशोषित होते हैं और इस प्रकार पृथक् कर लिए जाते हैं

भाप आसवन (Steam Distillation)

भाप आसवन विधि के द्वारा ऐसे कार्बनिक पदार्थों का शुद्धीकरण किया जाता है। जो जल में अघुलनशील, परन्तु वाष्प के साथ वाष्पशील होते हैं। इस विधि के द्वारा विशेष रूप में उन पदार्थों का शुद्धीकरण किया जाता है जो अपने क्वथनांक पर अपघटित हो जाते हैं। कार्बनिक पदार्थों जैसे एसीटोन, मेथिल ऐल्कोहॉल, एसीटल्डिहाइड, आदि का शुद्धीकरण भाग आसवन विधि द्वारा ही किया जाता है।

मिश्रण Mixture

दो या दो से अधिक यौगिकों या तत्त्वों को अनिश्चित अनुपात में मिलाने पर प्राप्त द्रव्य को मिश्रण कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है:

  1. समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixture): इसमें प्रत्येक भाग के गुण धर्म एक समान होते हैं। जैसे-नमक का जलीय विलयन।
  2. विषमांगी मिश्रण (Heterogenous Mixture): इसमें प्रत्येक भाग के गुण धर्म एवं संघटन भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे-बारुद।

मिश्र धातु Alloy

दो या दो से अधिक तत्त्वों को एक साथ द्रवित अवस्था में मिलाकर पुन: ठोस में परिवर्तित कर लेने पर प्राप्त उत्पाद को मिश्र धातु कहते हैं। इसमें धातु के सभी गुण सन्निहित रहते हैं।

मिश्रणों को अलग करना Separation of Mixtures

  1. क्रिस्टलन (Crystallisation): इस विधि में अशुद्ध ठोस या मिश्रण को उचित विलायक के साथ घोलकर छान लेते हैं। छानने के पश्चात् ठोस पदार्थ अलग हो जाता है
  2. आसवन (Distillation): जब मिश्रण में उपस्थित द्रवों के क्वथनांकों में अधिक अंतर होता है तो इनके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक करते हैं। आसवन से कम क्वथनांक वाला तत्व पहले वाष्पित होने लगता है। इसे संघनित करके अलग कर लिया जाता है। आसवन दो प्रकार का होता है-
  • प्रभाजी आसवन (Fractional Distillation): इसके द्वारा उन मिश्रित द्रवों को पृथक करते हैं, जिनके क्वथनांकों में बहुत कम अंतर होता है। भूगर्भ से निकाले गये खनिज तेल से पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि इसी विधि द्वारा पृथक किये जाते हैं।
  • भाप आसवन (Steam Distillation): भाप आसवन के द्वारा ऐसे कार्बनिक पदार्थों का शुद्धिकरण किया जाता है, जो जल में अघुलनशील, परन्तु भाप के साथ वाष्पशील होते हैं।
  1. उर्ध्वपातन (Sublimation): ठोस पदार्थों को गर्म करने पर सामान्यत: वे द्रव अवस्था में और ऊष्मा देने पर वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, परन्तु कुछ पदार्थ गर्म करने पर ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में आये बिना सीधे गैस में परिवर्तित हो जाते हैं। ऐसे पदार्थों को उर्ध्वपात तथा इस क्रिया को उर्ध्वपातन कहते हैं। उर्ध्वपातन की क्रिया द्वारा दो ऐसे ठोस मिश्रणों को पृथक करते हैं, जिसमें एक ठोस उर्ध्वपात होता है, दूसरा नहीं। इसे गर्म करने पर उर्ध्वपात ठोस सीधे वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। इसको ठण्डा करके दोनों को पृथक कर लेते हैं।
  2. वर्णलेखन (Chromatography): यदि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अधिशोषण क्षमता (Absorption Capacity) भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अवशोषित होते हैं तो वे अलग हो जाते हैं। जैसे-हरी सब्जियों से रंगीन द्रव्यों का अलग होना।
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