महाराष्ट्र
महाराष्ट्र भारतीय राज्य, प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। महाराष्ट्र गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गोवा राज्यों से घिरा हुआ है और इसके पश्चिम में अरब सागर है।
इतिहास
प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास का माना जाता है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुंबई के निकट पाए गए हैं। महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।
इसके बाद वाकाटक आए, जिन्होंने भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। उनके शासनकाल में महाराष्ट्र में शिक्षा, कला तथा धर्म सभी दिशाओं में अत्यधिक विकास हुआ। उनके शासन के दौरान ही ‘अजंता की गुफाओं’ में उच्च कोटि के भित्तिचित्र बनाए गए। वाकाटकों के बाद कुछ समय के लिए ‘कलचुरी वंश’ ने शासन किया और फिर ‘चालुक्य’ सत्ता में आए। इसके बाद तटवर्ती इलाकों में ‘शिलाहारों’ के अलावा महाराष्ट्र पर ‘राष्ट्रकूट’ तथा ‘यादव’ शासकों का नियंत्रण रहा। यादवों ने मराठी को शासन की भाषा बनाया और दक्षिण के एक बड़े भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
अलाउद्दीन ख़िलजी पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला लिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुग़लक़(1325) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और अहमदनगर के पास है। बहमनी शासकों ने महाराष्ट्र तथा इसकी संस्कृति को समन्वित किया, पर शिवाजी के कुशल नेतृत्व में महाराष्ट्र का सर्वांगीण विकास हुआ और यह एक अलग पहचान के साथ उभरकर सामने आया। शिवाजी ने स्वराज तथा राष्ट्रीयता की एक नई भावना पैदा की। उनकी प्रचंड शाक्ति ने मुग़लों को भारत के इस भाग में आगे नहीं बढ़ने दिया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब पर हमला बोल कर मराठाओं का आधिपत्य स्थापित किया।
बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के शासन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन रहा। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठा पूरे महाराष्ट्र में फैल गये थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक हो गया था। 1820 तक आते आते अंग्रेज़ों ने पेशवाओं को हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेज़ी साम्राज्य का अंग बन गया।
स्वतंत्रता संग्राम में महाराष्ट्र सबसे आगे था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म भी यहीं हुआ। मुंबई तथा महाराष्ट्र के अन्य शहरों के अनगिनत नेताओं ने पहले तिलक और बाद में महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन में कांग्रेस के आंदोलन को आगे बढाया। गांधी जी ने भी अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्ट्र को बनाया था और गांधी युग में राष्ट्रवादी देश की राजधानी सेवाग्राम थी।
स्थापना
महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस 1 मई को मनाया जाता है कभी ये दोनों राज्य मुंबई का हिस्सा थे। जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने की वकालत की। उनका तर्क था कि अगर मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बने रहना है तो यह करना आवश्यक है। किंतु पंडित नेहरू की नहीं चली। देश के पहले वित्तमंत्री और वित्त विशेषज्ञ चिंतामणि देशमुख ने इसका प्रखर विरोध किया और इसी मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से इस्तीफा दे दिया।
देश की आज़ादी के बाद मध्य भारत के सभी मराठी भाषा के स्थानों का समीकरण करके एक राज्य बनाने को लेकर बड़ा आंदोलन चला और 1 मई, 1960 को कोंकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, सभी संभागों को जोड़ कर महाराष्ट्र राज्य की स्थापना की गई।
महाराष्ट्र राज्य का गठन
देश के राज्यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ। यह राज्य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जो पहले चार अलग अलग प्रशासनों के नियंत्रण में था। इनमें मूल ब्रिटिश मुंबई प्रांत में शामिल दमन तथा गोवा के बीच का ज़िला, हैदराबाद के निज़ाम की रियासत के पांच ज़िले, मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण के आठ ज़िले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थी, जो समीपवर्ती ज़िलों में मिल गई थी।
भौगोलिक संरचना
महाराष्ट्र भारत के उत्तर में बसा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से यह राज्य मुख्यत: पठारी है। महाराष्ट्र पठारों का पठार है। इसके उठे हुए पश्चिमी किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों का निर्माण करते है और समुद्र तट के समानांतर हैं तथा इसकी ढलान पूर्व तथा दक्षिण पूर्व की ओर धीरे धीरे बढ़ती है। राज्य के उत्तरी भाग में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ है, जबकि अजंता तथा सतमाला पहाड़ियां राज्य के मध्य भाग से होकर जाती है। अरब सागर महाराष्ट्र की पश्चिमी सीमा का प्रहरी है, जबकि गुजरात और मध्य प्रदेश इसके उत्तर में हैं। राज्य की पूर्वी सीमा पर छत्तीसगढ़है और कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश इसके दक्षिण में है।
भूमि
- भू-आकृति व अपावाह
देखें:भारत एक झलक |
तेलंगाना आंध्र प्रदेश अरुणाचल प्रदेश असम बिहार छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली गोवा गुजरात हरियाणा हिमाचल प्रदेश जम्मू और कश्मीर झारखण्ड कर्नाटक केरल मध्य प्रदेश महाराष्ट्र मणिपुर मेघालय मिज़ोरम नागालैंड उड़ीसा पंजाब राजस्थान सिक्किम तमिलनाडु त्रिपुरा उत्तराखंड उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह चण्डीगढ़ दादरा तथा नगर हवेली दमन और दीव लक्षद्वीप पुदुचेरी |
महाराष्ट्र में कई प्रकार की आकर्षक भू- आकृतियां हैं। नर्मदा नदी, जो विभ्रंश घाटी से होकर बहती हुई अरब सागर में गिरती है, राज्य की उत्तरी सीमा के एक हिस्से का निर्माण करती है। अरब सागर में ही मिलने वाली ताप्ती नदी की विभ्रंश घाटी इसकी उत्तरी सीमा के दूसरे हिस्से को चिह्नित करती है। ये दो नदी घाटियाँ सतपुड़ा शृंखला नामक उत्खंड से विभक्त होती हैं। ताप्ती घाटी के दक्षिण में अरब सागर के किनारे कोंकण का तटीय क्षेत्र है, जिसके पूर्व में पश्चिमी घाट या सह्याद्रि पहाड़ियों के नाम से विख्यात कगार स्थित है। सह्याद्रि पहाड़ियों की तराई कोंकण में अरब सागर से 6.4 किमी की दूरी तक पहुँचती है, कोंकण का तटीय किनारा संकरा है। इसके बीच-बीच में सह्याद्रि पहाड़ियों के पर्वतीय स्कंध हैं और इस क्षेत्र को कई पश्चिमवर्ती द्रुतगामी नदियाँ अपवाहित करती हैं: उत्तर में स्थित उल्हास इनमें सबसे बड़ी है। सह्याद्रि पहाड़ियाँ उत्तर-दक्षिण दिशा में दीवार की तरह लगभग 640 किमी. तक लगातार स्थित हैं। लेकिन इससे गुज़रने वाले कई दर्रे तटीय भूमि और भीतरी क्षेत्र के बीच महत्त्वपूर्ण सड़क और रेल संपर्क उपलब्ध कराते हैं। सह्याद्रि की पूर्वी ढलान का उतार दक्कन के पठार की ओर क्रमिक है, जो पूर्व की ओर ढलान वाली गोदावरी, भीमा और कृष्णा नदी की घाटियों द्वारा निर्मित हैं। इन नदियों के अंत:प्रवाह से महादेव, अजंता, बालाघाट और अन्य प्रर्वत शृंखलाओं को आकार मिला है। महाराष्ट्र में स्थित ये पर्वत शृंखलाएँ और घाटियाँ रूके हूए लावे से निर्मित हैं। जिनकी मोटाई कई स्थानों पर 3,050 मीटर है। कई पहाड़ियों में लावे के विभिन्न प्रकार के अपरदन के कारण पठारी समतल जैसे ऊपरी हिस्से से युक्त सीढ़ीनुमा कगार की विशेष संरचनाएँ बन गई हैं। पूर्व में नागपुर के बाद यह पाशित चट्टानी क्षेत्र समाप्त हो जाता है और प्राचीन रवेदार चट्टानों से बनी भू-आकृति शुरू हो जाती है। महादेव पहाड़ियों और मैकाल श्रेणी से आगे पूर्व की ओर गोदावरी नदी की कई महत्त्वपूर्ण सहायक धारांए दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती हैं, जिनमे वर्धा, वेनगंगाऔर पेनगंगा सर्वप्रमुख हैं। इस क्षेत्र में कई झीलें हैं। सुदूर पूर्व में इस क्षेत्र में कई वनाच्छादित पर्वत है, जो अपेक्षाकृत दुर्गम हैं।
जलवायु
मुम्बई तट पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की पहली बारिश जून के पहले सप्ताह में होती है और यह सितम्बरतक चलती है। इस दौरान यहाँ वार्षिक वर्षा का 80 प्रतिशत दर्ज किया जाता है। सामान्यतः चार मौसम हैं:
- मार्च-मई (गर्म व शुष्क)
- जून-सितम्बर (गर्म व नम)
- अक्टूबर-नवंबर (उष्ण व शुष्क)
- दिसंबर-फ़रवरी (ठंडा व शुष्क)
सह्याद्रि तथा उत्तरी शृंखलाएँ पर्वतीय अवरोध की भूमिका निभाती हैं और अत्यंत नम वातावरण को कोंकण तट की पवनमुखी दिशा तक सीमित रखती हैं। पवनमुखी दिशा में भीतरी पठार अपेक्षाकृत शुष्क रहता है। कोंकण में औसत वर्षा 2,540 मिमी है और सह्माद्रि समेत कुछ अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में 6,350 मिमी तक वर्षा होती है। पश्चिमी घाट के पूर्व में कोंकण की वर्षा का मात्र पाँचावां हिस्सा ही वर्षा होती है। पहाड़ियों के अनुकूल पूर्वी क्षेत्रों में वर्षा दर बढ़ती चली जाती है, यहाँ 1,016 से 2,032 मिमी तक वर्षा दर्ज की गई है। तटीय क्षेत्रों में तापमान समरूप रहता है और मुम्बई में यह लगभग 27° से. से कुछ कम या ज़्यादा रहता है। पुणे (भूतपूर्व पूना) के पठार क्षेत्र में लगभग साल भर ठंडा मौसम रहता है। महाराष्ट्र के मध्यवर्ती और पूर्वी हिस्से में गर्मी के मौसम में औसत तापमान 43° से. और शीत ऋतु में लगभग 20° से. होता है। महाराष्ट्र में वर्षा की दर प्रत्येक साल भिन्न होती है, जिससे निपटने के लिए, 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में सिंचाई के साधनों का विकास किया गया, ताकि फ़सलों को नष्ट होने से बचाया जा सके।
अर्थव्यवस्था
निजी और सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से महाराष्ट्र भारत का एक सुविकसित और समृद्ध राज्य बन गया है। विद्युत उत्पादन इस दिशा में सबसे महत्त्वपूर्ण सहायक कारकों में से एक है। महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट स्थित जलप्रपातों के ज़रिये पनबिजली उत्पादन किया जाता है। पूर्वी क्षेत्रों में ताप- विद्युत उत्पादन की प्रधानता है। नागपुर और चंद्रपुर में बड़े ताप विद्युत गृह स्थित हैं। भारत का पहला परमाणु बिजली संयंत्र मुंबई से 113 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। बिजली की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए नए विद्युत संयंत्र लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के खनिज संसाधनों में मैंगनीज, कोयला, चूना- पत्थर, लौह अयस्क, तांबा, बॉक्साइट और सिलिकायुक्त रेत शामिल है। इनमें से अधिकांश खनिज पदार्थ, भंडारा, नागपुर और चंद्रपुर ज़िलों में पाए जाते हैं और दक्षिण कोंकण में भी कुछ भंडार हैं। सह्याद्रि क्षेत्र के कई हिस्सों में बॉक्साइट भी पाया जाता है। बॉम्बे हाई में हाइड्रोकार्बन का उत्पादन भी बढ़ रहा है।
कृषि
महाराष्ट्र के लगभग 65 प्रतिशत श्रमिक कृषि तथा संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं- धान, ज्वार, बाजरा, गेहूँ, तूर (अरहर), उडद, चना और दलहन। यह राज्य तिलहनों का प्रमुख उत्पादक है और मूँगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन प्रमुख तिलहन फ़सलें है। महत्वपूर्ण नकदी फ़सलें है कपास, गन्ना, हल्दी और सब्जियाँ। राज्य में 12.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के फल, जैसे आम, केला, संतरा, अंगूर आदि की फ़सलें उगाई जाती है।
महाराष्ट्र के दो- तिहाई निवासी कृषक हैं। फ़सल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए विद्युतीकरण, उन्नत बीजों का उपयोग, व्यापक खेती और किसानों को सुविधा प्रदान करने जैसे उपाय किए जा रहे हैं। अपर्याप्त तथा असमान वर्षा से निपटने के लिए कई सिंचाई परियोजनाएं बनाई गई हैं और कई परियोजनाएं निर्माणधीन हैं। फ़सलों में बाजरा, ज्वार और दलहन प्रमुख है। 1,016 मिलीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की खेती होती है। नमी धारण करने की क्षमता वाले खेतों में शीत ऋतु में गेहूँ की फ़सल उगाई जाती है। 610-990 मिलीमीटर वर्षावाले क्षेत्रों में कपास, तंबाकू और मूंगफली प्रमुख फ़सलें हैं। आजकल बाग़वानी पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। फलों की खेती में अंगूर, आम, केला और काजू ज़्यादा लोकप्रिय हैं। सिंचाई की सुविधा ने महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा गन्ना और चीनी उत्पादक क्षेत्र बना दिया गया है। चीनी ने कृषि- औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है।
उद्योग
महाराष्ट्र को पूरे देश का औद्योगिक क्षमता का केंद्र माना जाता है और राज्य की राजधानी मुंबई देश की वित्तीय तथा वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र है। राज्य की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान है। खाद्य उत्पाद, तंबाकू और इससे बनी चीज़ें, सूती कपडा, कपड़े से बना सामान, काग़ज़ और इससे बनी चीज़ें, मुद्रण और प्रकाशन, रबड, प्लास्टिक, रसायन व रासायनिक उत्पाद, मशीनें बिजली की मशीन, यंत्र व उपकरण तथा परिवहन उपकरण और उनके कल पुर्जे आदि का राज्य के औद्योगिक उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है। वर्ष 2005-06 में औद्योगिक उत्पादन (निर्माण) वर्ष 2004-05 के मुक़ाबले 8.9 प्रतिशत अधिक रहा।
मिट्टी अपरदन तथा कृषि उत्पादों के भंडारण, परिवहन और विपणन की समस्याओं के मामले में उल्लेखनीय सफलता मिली है। समुद्री मछली पकड़ने में महाराष्ट्र का स्थान केरल के बाद आता है। यहाँ के सबसे पुराने निर्माण कारख़ाने सूती वस्त्रों की मिलें है। हालांकि कुछ बीमार इकाइयाँ हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश मुंबई और नागपुर के विशालतम आधुनिक उद्योगों का हिस्सा हैं। मुंबई-पुणे उद्योग क्षेत्र में इस राज्य के सबसे अधिक भारी और उच्च प्रौद्योगिकी वाले उद्योग केंद्रित हैं। 1976 में मुंबई के पास समुद्र में भारत के पहले समुद्री तेल कुएँ की स्थापना से पेट्रो रसायन उद्योग का भी काफ़ी तेज़ी से विकास हुआ है। तेल परिष्करण और कृषि उपकरण, परिवहन उपकरण, रबड़ उत्पाद, बिजली व तेल के पंप, ख़राद, कंप्रेसर, चीनी मिल की मशीनरी, टाइपराइटर, रेफ़्रिजरेटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टेलीविजन और रेडियो सेट जैसी वस्तुओं का उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है।
यहाँ वाहन निर्माण उद्योग आरंभिक अवस्था में है। बंबई भारत के फ़िल्म उद्योग का राष्ट्रीय केंद्र है। पावरलूम से वस्त्रोत्पादन के लिए इचलकरंजी और मालेगांव प्रसिद्ध हैं। मुंबई, नागपुर, अकोला, अमरावती और सोलापुर में विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उत्पादनों का तेज़ी से विकास हो रहा है। पारंपरिक कृषि उद्योग केंद्रों में जलगांव, धुले, कोल्हापुर, सांगली और मिराज शामिल हैं। नागपुर, भुसावल, महाबलेश्वर, रत्नागिरि और मुंबई में फलों को डिब्बाबंद करने का उद्योग आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यहाँ के वनोत्पादों में इमारती लकड़ी, बांस, चंदन और तेंदू पत्ते (बीड़ी बनाने के काम आने वाले) शामिल हैं। बेकरी को भी महत्त्व मिल रहा है।
सिंचाई और बिजली
जून 2005 के अंत तक 32 बड़ी, 178 मंझोली और राज्य के क्षेत्र की 2,274 लघु सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं इसके अलावा 21 बडी 39 मंझोली सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी है। 2004 से 2005 में राज्य में कुल सिंचित क्षेत्र 36.36 लाख हेक्टेयर था। 2004-05 में महाराष्ट्र की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता 12,909 मेगावाट थी। राज्य में प्लांट लोड फैक्टर (पी.एल.एफ) 81.6 प्रतिशत था और बिजली उत्पादन 68,507 करोड किलोवाट घंटा था।
परिवहन
सड़क
मार्च 2005 तक राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 2.29 लाख किमी थी, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 4, 367 किमी प्रांतीय राजमार्गों की 33,406 किमी, प्रमुख ज़िला सड़कों की 48,824 किमी, अन्य ज़िला सड़कों की लंबाई 44,792 किमी और ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 97,913 किमी थी। सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश में प्रत्येक गांव को किसी प्रमुख सड़क के 8 किलोमीटर के दायरे में पहुँचा दिया है। राज्य के राजमार्गों के बीच छुटे हुए हिस्सों को पूरा कर लिया गया है तथा दुर्गम क्षेत्रों में ज़िला सड़कों का विकास कर लिया गया है। पाँच राष्ट्रीय राजमार्ग इस राज्य को दिल्ली, इलाहाबाद, कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता), हैदराबाद और बंगलोर से जोड़ते हैं। इन राजमार्गों और अन्य सड़कों पर ट्रक परिवहन में भारी वृद्धि हुई है। राज्य परिवहन की बसों और निजी उद्यमियों द्वारा संचालित विशेष बसों के माध्यम से सवारियों के यातायात में भी वृद्धि हुई है।
रेलवे
महाराष्ट्र में 5,527 कि.मी. रेल मार्ग है। इसमें से लगभग 78.6 प्रतिशत बड़ी रेल लाइनें, 7.8 प्रतिशत मीटर गेज तथा 13.6 प्रतिशत छोटी रेल लाइनें है। परिवहन प्रणालियों में सबसे पहला स्थान मुंबई में केंद्रित रेल नेटवर्क का है। मुंबई और अरब सागर के तटीय मैदान के शहरों को जोड़ने वाले कोंकण रेलवे ने इसे मज़बूती प्रदान की है। रेलमार्गों पर वर्धा और नागपुर महत्त्वपूर्ण जंक्शन हैं।
उड्डयन
राज्य में कुल 24 हवाई अड्डे / हवाई पट्टियां है। इनमें से 17 महाराष्ट्र सरकार के नियंत्रण में है। चार हवाई अड्डे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण / भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के नियंत्रण में हैं, जबकि बाकी तीन रक्षा मंत्रालय के अधीन है। राज्य सरकार के नियंत्रण वाले हवाई अड्डों पर अभी व्यावसायिक उड़ानों की सुविधा नहीं है। मुंबई दैनिक हवाई सेवा द्वारा पुणे, औरंगाबाद, नागपुर और नासिकऔर भारत के सभी महानगरों से जुड़ा हुआ है। मुंबई में स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इस नगर को उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण- पूर्व व दक्षिण एशिया, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख नगरों से जोड़ता है।
बंदरगाह
अंतर्देशीय जल- परिवहन की भूमिका गौण है। कोंकण तट के बंदरगाहों पर ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है। मुम्बंई प्रमुख बंदरगाह है। राज्य में दो बड़े और 48 छोटे अधिसूचित बंदरगाह हैं।
शिक्षा
हाल के दशकों में इस महाराष्ट्र ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति की है। अब साक्षरता दर (2001 जनगणना) 77.27 प्रतिशत है, स्त्री साक्षरता दर 67.51 प्रतिशत, पुरुष 86.27 प्रतिशत है। बीच में पढ़ाई छोड़कर चले जाने वालों के ऊंचे प्रतिशत, स्थान की कमी, अपर्याप्त पुस्तकालय और सहयोगी उपकरणों के अभाव के बावजूद प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा तथा शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में विकास हुआ है। यहाँ के शैक्षणिक संस्थानों में मुंबई विश्वविद्यालय, नागपुर विश्वविद्यालय, पुणे विश्वविद्यालय, शिवाजी विश्वविद्यालय (कोल्हापुर), एस. एन. डी. टी. महिला विश्वविद्यालय (मुंबई), उत्तरी महाराष्ट्र विश्वविद्यालय (जलगाँव), अमरावती विश्वविद्यालय, भारत विद्यापीठ (पुणे), केन्द्रीय मत्स्य पालन संस्थान (मुंबई), द्क्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट ऐंड रिसर्च इंस्टिट्यूट (पुणे), डाक्टर पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ (अकोला), गोखले इंस्टिट्यूट ऑफ़ पॉलिटिक्स ऐंड इकोनॉमिक्स (पुणे), इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट रिसर्च, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर पापुलेशन साइंसेज़ (मुंबई), टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसज़, कवि गुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालयम् (रामटेक), कोंकण कृषि विद्यापीठ (दापोली), महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय (वर्धा), महात्मा गांधी फुले विद्यापीठ (राहुड़ी) और यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र विश्वविद्यालय (नासिक) शामिल हैं।
मुंबई में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी भी है। इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक और औद्योगिक संस्थान तकनीकी स्कूल न हो। शिक्षा तथा प्रशिक्षण की निगरानी और प्रायोजन के लिए शिक्षा, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा निदेशालय हैं। महाराष्ट्र में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित कुछ अग्रणी अनुसंधान संस्थान भी हैं। ये संस्थान जल तथा विद्युत, उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान, रसायन विज्ञान, पर्यावरण अभियांत्रिकी, परमाणु अनुसंधान, वस्त्र अनुसंधान, मृदा सर्वेक्षण और भू- उपयोग नियोजन से संबंध रखते हैं। ये मुख्यत: मुंबई, पुणे और नागपुर में स्थित हैं। इनके अलावा सार्वजनिक प्रबंधन के तहत 60 से अधिक संस्थान हैं, जो मानविकी और विज्ञान में शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किए गए हैं। इनमें से कुछ संस्थान, जैसे भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट और दक्कन कॉलेज को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है। राज्य के शिक्षा कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रतिरक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित शिक्षण और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों से मिलता है। पुणे के पास खड़कवासला में स्थित नेशनल डिफ़ेंस अकैडमी एक महत्त्वपूर्ण संस्थान है, जो सशस्त्र सेनाओं को अधिकारी उपलब्ध कराने के लिए कैडेटों को प्रशिक्षण देता है। कॉलेज ऑफ़ मिलिट्री इंजीनियरिंग (खड़कवासला), आर्म्ड फ़ोर्सेस मेडिकल कॉलेज (पुणे), नर्सों के प्रशिक्षण, नौसैनिक अभियांत्रिकी और शारीरिक शिक्षा के संस्थान भी हैं। सैनिक स्कूल और राष्ट्रीय कैडिट कोर, सैनिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हैं। विस्फोटक, शस्त्र प्रौद्योगिकी, वाहन अनुसंधान के विकास एवं शोध के लिए संस्थान और समुद्री, रासायनिक तथा धात्विक प्रयोगशालाएं भी हैं।
सांस्कृतिक जीवन
महाराष्ट्र का सांस्कृतिक जीवन प्राचीन भारतीय संस्कृति, सभ्यता और ऐतिहासिक घटनाओं के प्रभावों का मिश्रण है। मराठी भाषा और मराठी साहित्य का विकास महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान की अभिव्यक्ति है। स्थानीय व क्षेत्रीय देवताओं के प्रति भक्ति, ज्ञानेश्वर व तुकाराम जैसे संत कवियों की शिक्षाओं और छत्रपति शिवाजी व अन्य राजनीतिक तथा सामाजिक नेताओं के प्रति आदरभाव, महाराष्ट्र की संस्कृति की विशेष पहचान है। कोल्हापुर, तुलजापुर, पंढरपुर, नासिक, अकोला, फल्तन, अंबेजोगाई और चिपलूण व अन्य धार्मिक स्थलों पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मेलों और त्योहारों का भी महत्व कम नहीं है। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक जीवन में गणेश चतुर्थी, रामनवमी, अन्य स्थानीय व क्षेत्रीय मेले और त्योहार महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इनके द्वारा लोगों का स्थानीय तथा क्षेत्रीय मेल-मिलाप होता है और ये सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं। अन्ध धर्मों के त्योहारों में भी लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं, जो सांस्कृतिक जीवन के महानगरीय चरित्र को दर्शाता है। ‘महानुभाव मत’ और डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर द्वारा पुनर्जीवित किए गए बौद्ध धर्म से सांस्कृतिक जीवन को नया आयाम मिला है।
रंगमंच
1990 के दशक में महाराष्ट्र में रंगमंच पर विशेष ध्यान दिया गया; वी. खादिलकर और विजय तेंदुलकर जैसे नाटककार और बालगंधर्व जैसे कलाकारों ने मराठी नाटक को कला के रूप में स्थापित कर दिया। भारत के फ़िल्म उद्योग की शुरुआत का श्रेय दादा साहब फाल्केऔर बाबूराव पेंटर जैसे अग्रणियों को जाता है। पुणे की प्रभात फ़िल्म कम्पनी, संत तुकाराम और ज्ञानेश्वर के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हुई। हिन्दी सिनेमा के क्षेत्र में नाना पाटेकर और माधुरी दीक्षित जैसे मराठी कलाकार विशेष रूप से सफल रहे हैं। मराठी साहित्य की ही तरह महाराष्ट्र में संगीत की भी प्राचीन परम्परा है। लगभग 14वीं शताब्दी में इसका मेल भारतीय संगीत से हुआ। आधुनिक काल में पंडित पलुस्कर और पंडित भातखण्डे ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई दिशा दी। विलायत हुसैन, अल्ला रक्खा जैसे अन्य वादकों की भूमिका भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।
आज पंडित भीमसेन जोशी और लता मंगेशकर जैसे गायक महाराष्ट्र के सांस्कृतिक जीवन में संगीतकी महत्त्वपूर्ण भूमिका का प्रतिनिधित्व करते हैं। महाराष्ट्र में कला की भी प्राचीन परम्परा है, जो अजन्ता व एलोरा की गुफ़ाओं, वस्त्र, सोने-चाँदी के आभूषण, लकड़ी के खिलौनों, चमड़े के सामान और मिट्टी के बर्तन की डिज़ाइनों में देखा जा सकता है।
1833 में स्थापित सर जे.जे स्कूल ऑफ़ आर्ट, कला शिक्षा के क्षेत्र में पहला आधुनिक संस्थान था। अब महाराष्ट्र के अधिकांश नगरों और बड़े शहरों में कला संस्थान हैं। शास्त्रीय नृत्य शैलियों ने प्रतिभाओं को आकर्षित किया है और पुणे जैसे बड़े नगरों में इनके प्रशिक्षण विद्यालय फल-फूल रहे हैं। लावणी (रूमानी गीत), पोवाड़ा (ओजस्वी नृत्य) और तमाशा जैसी संगीत, नाटक व नृत्य से युक्त लोककथाएँ पुनर्जीवित हुई हैं। कला और फ़िल्म निदेशालय और साहित्य और संस्कृति बोर्ड, राज्य सरकार की गहरी रुचि के परिचायक हैं। महाराष्ट्र की संस्कृति का प्रभाव महाराष्ट्र से बाहर भी फैला है। भूतपूर्व मराठा साम्राज्य की राजधानियाँ, जैसे बड़ौदा (अब वडोदरा), ग्वालियर और अन्य नगरों में महाराष्ट्र मण्डल इसमें सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
जनसंख्या
महाराष्ट्र की जनसंख्या सन् 2001 में 96,752,247 थी, विश्व में केवल ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र प्रदेश से ज़्यादा है।
पर्यटन स्थल
यहाँ के महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, कन्हेरी गुफ़ाएँ, पीतलखोरा और कारला गुफाएं, महाबलेश्वर, माथेरान और पंचगनी, जवाहर, मालशेज घाट, अंबोली, चिकलधारा और पन्हाला पर्वतीय स्थल। पंढरपुर, नाशिक, शिरडी, नांदेड, औधानागनाथ, त्रयंबकेवर, तुलजापुर, गणपतिपुले, भीमशंकर, हरिहरेश्वर, शेगाव, कोल्हापुर, जेजुरी तथा अंबजोगई धार्मिक स्थान है।
प्रमुख नगर
भारत देश में महाराष्ट्र सबसे बड़ा औद्योगिक प्रान्त है। मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, नागपुर और नासिक महाराष्ट्र के बडे शहरों में गिने जाते हैं। यहाँ के निवासियों की मातृभाषा मराठी है और यहाँ के लोगों को महाराष्ट्रीयन कहा जाता है। पहाड़ी नगरों में ‘महाबलेश्वर’ और ‘माथेरान’ काफ़ी प्रसिद्ध है। छुट्टियों के समय इन नगरों में बहुत ही भीड़ होती है और मौसम भी बहुत सुहावना होता है। धार्मिक नगरों में नाशिक के काफ़ी नज़दीक शिर्डी नगर है। इस नगर का साईं बाबा का मन्दिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इसी तरह मुंबई का ‘महालक्ष्मी मन्दिर’ और पुणे के ‘दगडूशेठ गणपति मन्दिर’ बहुत ही अधिक ख्याति प्राप्त हैं।
- मुंबई
मुंबई पूर्वी न्यूयॉर्क के नाम से भी विख्यात है। मुंबई में चौपाटी, गेटवे ऑफ़ इन्डिया, प्रिन्स वेल्स म्युज़ियम, एलिफ़ेन्टा केव्स और मडआईलॅन्ड बहुत ही प्रसिद्ध है।
- पुणे
पुणे महाराष्ट्र का संस्कृति प्रधान नगर माना जाता है। शनिवारवाडा, लाल महल, सिंहगढ़ जैसे ऐतिहासिक स्थान हैं। पुणे का आई.टी. पार्क और लक्ष्मी रोड काफ़ी जाना माना है।
- औरंगाबाद
औरंगाबाद नगर महाराष्ट्र के मध्य भाग में स्थित है। यहाँ के अजंता-एलोरा केव्स विश्व प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में बुद्ध के तक्षण बनाये गये हैं।
- नागपुर
नागपुर एक बहुत ही सुन्दर शहर है और यहाँ के संतरे पूरी दुनिया में जाने माने हैं।
- नासिक
नासिक एक काफ़ी सुन्दर शहर है और यहाँ का मौसम सुहाना है। नाशिक के कालाराम और दूसरे मन्दिर विख्यात है और लोग गोदावरी नदी में नहाना पवित्र समझते हैं।
- नंदुरबार
नंदुरबार नगर भारत में महाराष्ट्र राज्य के धूलिया ज़िले में पश्चिमी घाट के पर्वतों के उत्तरी छोर पर धूलिया से 45 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
अन्य नगर
- महाराष्ट्र के बरार में अमरावती के उत्तर में स्थित एलिचपुर मध्यकाल का जाना पहचाना नगर था।
- महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में स्थित पवनार एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। पवनार की पहचान वाकाटकों की राजधानी प्राचीन प्रवरपुर से की जाती है।
महाराष्ट्र के दुर्ग की सूची
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